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व्यक्तित्व विकास पर निबंध Essay on Personality Development in Hindi

आजकल व्यक्तित्व विकास की चर्चा चारों तरफ है। अनेक प्राइवेट संस्थान मोटी फीस लेकर व्यक्तित्व विकास (PERSONALITY DEVELOPMENT) का कोर्स कराते हैं। इसकी ट्रेनिंग देते हैं। सफल व्यक्ति बनने के लिए व्यक्ति का व्यक्तित्व आदर्श एवं महान होना चाहिए।

व्यक्तित्व को अंग्रेजी में PERSONALITY कहते हैं। यह लैटिन के PERSONA शब्द से बना है जिसका अर्थ मुखौटा होता है। नाटक में कलाकार अपने चेहरे पर मुखौटा लगाते हैं। व्यक्तित्व एक बड़ा और विस्तृत शब्द है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में उसकी सारी खूबियां, सारे अच्छे बुरे सभी गुण आते हैं।

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महान व्यक्तित्व वाले लोगों के कुछ उदाहरण व विचार

महात्मा गांधी , सुभाष चंद्र बोस , पंडित जवाहरलाल नेहरू , सरदार वल्लभभाई पटेल , विपिन चंद्र, रामधारी सिंह दिनकर , मुंशी प्रेमचंद , रवींद्र नाथ टेगौर, अटल बिहारी बाजपेयी , नरेंद्र मोदी ।

लांगमैन के अनुसार

“किसी व्यक्ति का पूरा स्वभाव तथा चरित्र ही उसका व्यक्तित्व कहलाता है”

बर्गेश के अनुसार

“व्यक्तित्व उन सभी गुणों का एकीकृत रूप है जो किसी व्यक्ति की समाज के परिवेश में भूमिकाओं एवं स्थिति को अभिव्यक्त करता है”

वुडवर्थ के अनुसार

“व्यक्तित्व व्यक्ति के संपूर्ण व्यवहार की विशेषता है जिसका प्रदर्शन उसके विचारों की आदत व्यक्त करने के ढंग, अभिवृत्ति एवं रूचि, कार्य करने के ढंग और जीवन के प्रति उसके दार्शनिक विचारधारा के रूप में किया जाता है”

मन के अनुसार

‘‘व्यक्तित्व एवं व्यक्ति के गठन, व्यवहार के तरीकों, रूचियों, दृष्टिकोणों, क्षमताओं और तरीकों का सबसे विशिष्ट संगठन है’’

बिग व हण्ट के अनुसार

‘‘व्यक्तित्व एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार-प्रतिमान और इसकी विशेषताओं के योग का उल्लेख करता है।’’

व्यक्तित्व विकास कैसे करें? How to Develop a Good Personality in Hindi

निम्न उपायों को अपनाकर सरलता से व्यक्तित्व विकास किया जा सकता है-

आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है

व्यक्तित्व विकसित करने और निखारने के लिए आत्मविश्वास बढ़ाना बेहद जरूरी है। जिन लोगों के पास आत्मविश्वास नहीं होता, स्वयं पर विश्वास नहीं होता उनका मनोबल बहुत ही निम्न होता है। वे सदैव शंकित रहते हैं कि किसी कार्य को कर पाएंगे या नहीं।

इसलिए स्वयं के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है। आत्मविश्वास अनेक चीजों से प्राप्त होता है जैसे ज्ञान से। जिस तरह वर्ष भर पढ़ाई करने वाले छात्र को स्वयं पर आत्मविश्वास होता है कि वह परीक्षा में सफल हो जायेगा।

व्यवहारिक ज्ञान आवश्यक है

व्यक्तित्व विकास के लिए यह बहुत आवश्यक है कि आपके अंदर किताबी ज्ञान ना होकर व्यवहारिक ज्ञान होना चाहिए। किताबी ज्ञान सिर्फ लिखित परीक्षा में काम आता है, जबकि व्यवहारिक ज्ञान जीवन की हर कठिन परिस्थिति में काम आता है।

व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें अच्छे मित्र बनाने चाहिए। अच्छी पुस्तकें पढ़नी चाहिए। जिन लोगों का व्यवहारिक ज्ञान अच्छा होता है उनका व्यक्तित्व विकास अपने आप हो जाता है।

अच्छी पुस्तकें पढ़ने से भी व्यक्तित्व विकास होता है

बच्चे जो भी पढ़ते हैं उसका प्रभाव उनके मन और मस्तिष्क पर पड़ता है। अच्छी पुस्तकें सदैव  अच्छी मित्र साबित होती हैं। इसीलिए स्कूल में बच्चों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा की कहानियां सम्मिलित की जाती हैं, जिससे बच्चों का चारित्रिक एवं मानसिक विकास हो सके। महापुरुषों की जीवनी पढ़ने से भी व्यक्तित्व का विकास होता है।

धैर्यशील होना जरूरी है

आपने देखा होगा कि विश्व के सभी महापुरुषों के अंदर बहुत धैर्य था। धैर्य होना बहुत जरूरी गुण होता है क्योंकि हर व्यक्ति को अपने जीवन में उतार चढ़ाव और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। धैर्य ना होने पर व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में टूट जाता है और आत्मसमर्पण कर देता है। सभी महापुरुष धैर्य रखने की सलाह देते हैं।

सकारात्मक विचारों को अपनाना जरूरी है

हम सभी को अपने मन और मस्तिष्क में आने वाले नकारात्मक विचारों को दूर करना चाहिए और सकारात्मक विचारों को अपनाना चाहिए। व्यक्तित्व विकास के लिए यह आवश्यक है।

सदैव सच बोलना चाहिये

झूठे व्यक्तियों को कोई भी पसंद नहीं करता है। इसलिए व्यक्तित्व विकास के लिए सच बोलना बेहद जरूरी है। हो सकता है कि आपके सच बोलने से सामने वाले व्यक्ति को बुरा लग जाए, परंतु वह बाद में आपकी प्रशंसा करेगा। यदि आप किसी व्यक्ति से झूठ बोलते हैं और उसकी झूठी तारीफ करते हैं तो भी वह आपको अच्छा व्यक्ति नहीं मानेगा। सच बोलने वाले व्यक्तियों की तारीफ सभी लोग करते हैं।

भाषा को समृद्ध बनायें

आकर्षक व्यक्तित्व पाने के लिए भाषा में संपन्नता होना जरूरी है। बोलते और लिखते समय सही शब्दों का चुनाव करना चाहिये। विश्व के सभी महान नेता भाषण देते समय जनता को मंत्रमुग्ध कर देते थे।

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व देखते ही बनता है। जिस राज्य में वे जाते है, उनका भाषण सुनने के लिए लाखो लोग खींचे चले आते है। उनकी भाषा बेहद समृद्ध है। वे कभी भी पढ़कर भाषण नही देते है। इसी से उनके महान व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है।

बॉडी लैंग्वेज को अच्छा बनाए

हमें अपनी बॉडी लैंग्वेज पर काम करना चाहिए। उठने बैठने पढ़ने चलने बोलने खाने का सही तरीका हमें सीखना चाहिए। सदैव सीधा होकर चलना चाहिए। चलते समय कंधों को नहीं झुकाना चाहिए। उसी तरह खाना खाते समय चबाने की आवाज नहीं करना चाहिए। हमारे उठने बैठने काम करने और बोलने के अंदाज में हमारा व्यक्तित्व झलकता है।

क्षमा करना है व्यक्तित्व का अद्भुत गुण

जीवन में क्षमा का बड़ा महत्व  होता है। गलती होने पर किसी को क्षमा करना सरल नहीं होता है। सड़क पर कोई वाहन हमे टक्कर मारे तो हम तुरंत ही उससे भिड़ जाते है। आमतौर पर जब हमारे साथ कोई गलत काम करता है तो हम तुरंत ही प्रतिशोध लेते हैं।

परंतु इससे हम बड़े या बलवान नहीं बन जाते। क्षमा करना एक बड़ा और महान गुण है। इसे धारण करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व और भी महान बनता है। महात्मा गांधी ने भी कहा था यदि कोई तुम्हारे गाल पर एक थप्पड़ मारता है तो उसे दूसरा गाल भी दे दो।

personality development essay in hindi

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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पर्सनालिटी डेवलपमेंट की पूरी जानकारी हिंदी में।

पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्या है

जब आप जॉब के लिए इंटरव्यू देने जाते है या किसी से बात कर रहे होते है तो सबसे पहले आपकी Personality ही दिखाई देती है आपकी पर्सनालिटी आपके जीवन में अहम भूमिका निभाती है। पर्सनालिटी अच्छी ना होने के कारण आपको कई जगह निराश होना पड़ सकता है।

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पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्या है?

Personality Development का हिंदी मतलब व्यक्तित्व विकास होता है। पर्सनालिटी डेवलपमेंट यानी की अपने व्यक्तित्व का विकास करना अपने रहन सहन, खाना पीना, बोलना, चलना, उठना बैठना, आपका व्यवहार, आपके रूप आपके कपड़े पहनने का तरीका, आपके चलने, बैठने उठने, बोलने का तरीका सभी Personality Development में आता है।

जिसके पास अच्छी पर्सनालिटी होती है वो व्यक्ति दैनिक जीवन और समाज में सफलता प्राप्त कर सकता है। चाहे समाज में लोगो के बीच बैठ कर बात करनी हो या कही जॉब। सबके लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट बहुत महत्वपूर्ण है। आपकी पर्सनालिटी ऐसी होनी चाहिए जब भी आप किसी के सामने जाए तो वो आप से इंप्रेस हो जाएं। अक्सर लोग व्यक्ति को उसकी पर्सनालिटी के हिसाब से अनुमान लगाते है।

पर्सनालिटी डेवलपमेंट कितने प्रकार के होते हैं?

हमने यहां आपको Personality के प्रकार बताएं हैं Personality Development में इनको जानना भी आपके लिए जरूरी है। चलिए जानते हैं वो प्रकार कौन से हैं।

स्वतः केंद्रित (Self Centered)

  • जो लोग स्वत केंद्रित होते है वो लोग दिमाग से मजबूत होते हैं दूसरे लोगो की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करतें हैं। दिखने में ये लोग सामाजिक होते है लेकिन दिमाग से बहुत मजबूत होते हैं।

रोल मॉडल (Role Model)

  • ऐसे लोगो में नेतृत्व करने की क्षमता अच्छी होती है ऐसे व्यक्तित्व वाले लोग नए विचारों को सुनना और उस पर काम करना पसंद करते हैं। इस प्रकार के लोगो को बहुत पसंद किया जाता है इनको बहुत से लोग फॉलो करते हैं।

आरक्षित व्यक्तित्व (Reserved Personality)

  • आपने ऐसे लोग अक्सर देखें होंगे जो बहुत ही कम बोलते है लेकिन बात को सुनते गौर से है और बहुत की कर्तव्यनिष्ठा के होते है। इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग दूसरो के सामने ज्यादातर चुप ही रहते हैं लेकिन अंदर से भावनात्मक होते हैं।

औसत व्यक्तित्व (Average Personality)

  • औसत व्यक्तित्व माने कम पर्सनालिटी वाले लोग इस प्रकार के लोग मुख्य रूप से देखने को मिलेंगे। अगर आप अपनी Personality Development और Communication Skills को इंप्रूव करतें है तो आप ज्यादा व्यक्तित्व वाले व्यक्ति बन सकतें हैं।

सामान्य व्यक्तित्व (Normal Personality)

  • इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग भी आपको खूब देखने को मिलेंगे ज्यादातर इसी Personality वाले लोग है। क्युकी वो अपनी Personality Development पर काम ही नही करतें। इसलिए अगर आप भी अपनी पर्सनेलिटी डेवलपमेंट को इंप्रूव करना चाहते है तो आप नीचे बताए गए टिप्स को फॉलो करें।

पर्सनालिटी को बेहतर कैसे करें?

जब हम कही जाते है तो सबसे पहले लोगो की नजर हमारे कपड़े और हमारे चलने उठने बैठने पर पड़ती है ये सभी Personality Development के पहले चरण में आते हैं। 

फिर इसके बाद आता है आपके किसी से बात करने का तरीका बात करते वक्त आपके हाव भाव सभी Personality Development के अंतर्गत आते है। पर्सनालिटी डेवलपमेंट में आपको Communication को भी बेहतर करना होगा।

Personality Development में ध्यान रखने वाली बातें :

अगर आपको अपनी पर्सनालिटी डेवलपमेंट करनी है तो आपको नीचे बताई गई बातो को ध्यान रखना हैं।

  • जितना हो सके लोगो की मदद करें अगर आप लोगो की मदद करेंगे तो आपकी पर्सनालिटी अच्छी होगी।
  • आपको अपने आप पर कभी घमंड नहीं करना है। सबसे प्रेम पूर्वक बात करनी है।
  • सभी का आदर, मान सम्मान करना है।
  • अगर आपको कोई क्रोध दिलाने की कोशिश करे तो आपको अपने क्रोध पर काबू रखना है हो सकता है वो आपके व्यक्तित्व की परीक्षा ले रहा हो।
  • आपको साफ सुथरा रहना है।
  • व्यायाम करें व्यायाम करने से आप एनर्जेटिक रहेंगे। आप चुस्त दुरुस्त रहेंगे और आपके शरीर में फुर्ती रहेगी।

Best Book For Personality Development in Hindi : व्यक्तित्व विकास को बेहतर बनाने वाली किताबें

Personality Development Books

यह लेख भी पढ़े   : Personal Development Skills क्या है? इसे कैसे इंप्रूव करें।

सावल : जवाब

Q. डेवलपमेंट का क्या मतलब होता है.

A. डेवलपमेंट का मतलब होता है – विकास । अब यह किसी भी चीज का विकास हो सकता है।

Q. पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्यों जरूरी है?

A. जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए और समाज में अपनी एक अच्छी पहचान बनाने के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट जरूरी है।

Q. पर्सनालिटी क्या है?

A. यहां पर्सनालिटी का मतलब इंसान के व्यक्तित्व से है। उसका बोलने का तरीका, बैठना उठना, चलने का तरीका, उसके व्यवहार करने का तरीका उसके व्यक्तित्व में ही आता है।

आज के लेख में हमनें व्यक्तित्व विकास क्या है, Personality Development in Hindi, पर्सनालिटी डेवलपमेंट के प्रकार, पर्सनालिटी डेवलपमेंट टिप्स आदि की जानकारी दी।

आपको भी सफलता प्राप्त करने के लिए अपनी पर्सनालिटी को डेवलप करना चाहिए। अगर आपका कोई दोस्त अपनी पर्सनालिटी को बेहतर बनाना चाहता है तो आप उसे हमारा ये लेख शेयर कर सकते हैं। आपके मन में कोई सवाल है तो आप कॉमेंट के माध्यम से हमसे पूछ सकते हैं। यहां तक लेख पढ़ने के लिए। धन्यवाद ।

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Personality Development In Hindi : पर्सनालिटी डेवलपमेंट करना चाहते हैं तो जान लें ये टिप्स

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पर्सनालिटी डेवलपमेंट करना चाहते हैं तो जान लें ये टिप्स

व्यक्तित्व विकास हिंदी में.

Personality Development In Hindi : व्यक्तित्व विकास व्यक्तिगत विकास और आत्म-सुधार का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें कई कारक शामिल हैं जो किसी व्यक्ति के चरित्र, व्यवहार और समग्र व्यक्तित्व को आकार देने में योगदान करते हैं। हिंदी भाषी दुनिया में, व्यक्तित्व विकास को महत्वपूर्ण महत्व मिल गया है क्योंकि लोग जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने कौशल और क्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। यह लेख हिंदी में व्यक्तित्व विकास के प्रमुख पहलुओं की पड़ताल करता है, व्यक्तिगत विकास चाहने वाले व्यक्तियों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक सुझाव प्रदान करता है।

Personality Development In Hindi का परिचय

व्यक्तित्व विकास से तात्पर्य स्वयं का बेहतर संस्करण बनने के लिए किसी के गुणों, व्यवहार और दृष्टिकोण को सुधारने और परिष्कृत करने की प्रक्रिया से है। इसमें संचार, आत्मविश्वास, भावनात्मक बुद्धिमत्ता , नेतृत्व और बहुत कुछ जैसे विभिन्न कौशल विकसित करने का सचेत प्रयास शामिल है। हिंदी भाषी समुदाय में, व्यक्तित्व विकास का अत्यधिक महत्व है क्योंकि व्यक्ति अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं।

व्यक्तित्व विकास के महत्व को समझना

Personality Development In Hindi सफलता प्राप्त करने और एक पूर्ण जीवन जीने में व्यक्तित्व विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह व्यक्तियों को करियर विकास, रिश्ते बनाने और व्यक्तिगत कल्याण सहित विभिन्न पहलुओं में मदद करता है। एक अच्छी तरह से विकसित व्यक्तित्व प्रभावी संचार को सक्षम बनाता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और समग्र आत्म-सम्मान को बढ़ाता है। यह चुनौतियों पर काबू पाने, तनाव से निपटने और बदलती परिस्थितियों के अनुकूल ढलने में भी सहायता करता है।

आत्म-जागरूकता और आत्म-चिंतन

आत्म-जागरूकता व्यक्तित्व विकास की नींव है। इसमें किसी की ताकत, कमजोरियों, मूल्यों और विश्वासों को समझना शामिल है। आत्म-सुधार की यात्रा शुरू करने के लिए, व्यक्तियों को आत्म-चिंतन और आत्मनिरीक्षण में संलग्न होना चाहिए। यह प्रक्रिया उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करती है जिनमें विकास की आवश्यकता है और तदनुसार व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिलती है।

प्रभावी संचार कौशल का निर्माण

Personality Development In Hindi व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता के लिए प्रभावी संचार आवश्यक है। हिंदी में मजबूत संचार कौशल विकसित करने में मौखिक और गैर-मौखिक संचार में सुधार करना, सक्रिय रूप से सुनना और विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना शामिल है। यह व्यक्तियों को दूसरों से जुड़ने, संबंध बनाने और अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने की अनुमति देता है।

आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ाना

व्यक्तित्व विकास के लिए आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान महत्वपूर्ण हैं। हिंदी भाषी व्यक्ति छोटे-छोटे प्राप्य लक्ष्य निर्धारित करके, उपलब्धियों का जश्न मनाकर और अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलकर अपना आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं। सकारात्मक आत्म-चर्चा और आत्म-पुष्टि भी आत्म-सम्मान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

सकारात्मक दृष्टिकोण एवं मानसिकता का विकास करना

Personality Development In Hindi एक सकारात्मक दृष्टिकोण और मानसिकता व्यक्तिगत विकास और सफलता में योगदान करती है। सकारात्मकता विकसित करने में स्थितियों के अच्छे पक्ष पर ध्यान केंद्रित करना, नकारात्मक विचारों को फिर से परिभाषित करना और कृतज्ञता का अभ्यास करना शामिल है। हिंदी संदर्भ में, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से आशावाद और लचीलापन आता है, जिससे व्यक्ति बाधाओं को दूर करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है।

भावनात्मक बुद्धिमत्ता और पारस्परिक कौशल

Personality Development In Hindi भावनात्मक बुद्धिमत्ता में किसी की भावनाओं और दूसरों की भावनाओं को पहचानने, समझने और प्रबंधित करने की क्षमता शामिल होती है। हिंदी में भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने में दूसरों के साथ सहानुभूति रखना, संघर्षों को शांतिपूर्वक हल करना और मजबूत पारस्परिक संबंध बनाना शामिल है। यह संचार, टीम वर्क और नेतृत्व कौशल को बढ़ाता है

सतत सीखना और व्यक्तिगत विकास

Personality Development In Hindi : निरंतर सीखना व्यक्तित्व विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हिंदी भाषी व्यक्ति नया ज्ञान प्राप्त करके, नए कौशल प्राप्त करके और उद्योग के रुझानों के साथ अद्यतन रहकर आजीवन सीखने को अपना सकते हैं। व्यक्तिगत विकास के अवसरों में संलग्न होना, जैसे किताबें पढ़ना, कार्यशालाओं में भाग लेना और ऑनलाइन पाठ्यक्रम लेना, बौद्धिक विकास को बढ़ावा देता है और समग्र व्यक्तित्व को बढ़ाता है।

डर पर काबू पाना और लचीलापन विकसित करना

डर व्यक्तिगत विकास और प्रगति में बाधा बन सकता है। डर पर काबू पाने के लिए व्यक्ति को अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर निकलने और परिकलित जोखिम लेने की आवश्यकता होती है। हिंदी भाषी व्यक्ति असफलताओं को सीखने के अवसरों के रूप में परिभाषित करके, गुरुओं या प्रशिक्षकों से समर्थन मांगकर और सकारात्मक मानसिकता विकसित करके लचीलापन विकसित कर सकते हैं। लचीलापन का निर्माण व्यक्तियों को असफलताओं से उबरने और आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त बनाता है।

समय प्रबंधन एवं लक्ष्य निर्धारण

Personality Development In Hindi व्यक्तिगत और व्यावसायिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आयु निर्धारण और लक्ष्य निर्धारण आवश्यक है। हिंदी भाषी व्यक्ति कार्यों को प्राथमिकता देकर, यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करके और उन्हें कार्रवाई योग्य चरणों में विभाजित करके अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। पोमोडोरो तकनीक जैसी समय प्रबंधन तकनीकों को अपनाने या शेड्यूल बनाने से उत्पादकता को अधिकतम करने और कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

नेतृत्व कौशल का निर्माण

Personality Development In Hindi नेतृत्व कौशल व्यक्तिगत विकास और करियर में उन्नति के लिए मूल्यवान हैं। हिंदी भाषी समुदाय में नेतृत्व के गुणों को विकसित करने में प्रभावी निर्णय लेना, दूसरों को प्रेरित करना और प्रेरित करना और टीम वर्क को बढ़ावा देना शामिल है। नेतृत्व की भूमिकाओं में संलग्न होना, स्वयंसेवा करना, या समूह गतिविधियों में भाग लेना नेतृत्व कौशल को निखारने और एक मजबूत व्यक्तित्व विकसित करने के अवसर प्रदान करता है।

तनाव प्रबंधन और आत्म-देखभाल

Personality Development In Hindi समग्र कल्याण को बनाए रखने के लिए तनाव का प्रबंधन और आत्म-देखभाल को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। हिंदी भाषी व्यक्ति विभिन्न तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपना सकते हैं, जैसे ध्यान, योग, या शौक में संलग्न होना। व्यायाम, उचित पोषण और पर्याप्त आराम के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना एक संतुलित व्यक्तित्व में योगदान देता है और चुनौतियों का सामना करने में लचीलापन बढ़ाता है।

स्वस्थ संबंधों का पोषण

स्वस्थ रिश्ते व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हिंदी भाषी व्यक्ति सक्रिय रूप से सुनने, सहानुभूति दिखाने और खुले और ईमानदार संचार को बनाए रखकर रिश्तों का पोषण कर सकते हैं। परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ मजबूत संबंध बनाने से एक सहायक वातावरण को बढ़ावा मिलता है और व्यक्तिगत विकास में योगदान मिलता है।

विकास की मानसिकता विकसित करना

Personality Development In Hindi निरंतर सीखने और विकास के लिए विकास मानसिकता आवश्यक है। हिंदी भाषी व्यक्ति चुनौतियों को स्वीकार करके, असफलताओं को विकास के अवसर के रूप में देखकर और सीखने और सुधार करने की अपनी क्षमता पर विश्वास करके विकास की मानसिकता विकसित कर सकते हैं। विकास की मानसिकता जिज्ञासा, लचीलापन और नई चुनौतियों का सामना करने की इच्छा को बढ़ावा देती

Personality Development In Hindi : हिंदी भाषी समुदाय में व्यक्तित्व विकास आत्म-खोज, विकास और निरंतर सुधार की यात्रा है। आत्म-जागरूकता, प्रभावी संचार, आत्मविश्वास निर्माण और इस लेख में चर्चा किए गए विभिन्न अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके, व्यक्ति अपनी वास्तविक क्षमता को उजागर कर सकते हैं और एक पूर्ण जीवन जी सकते हैं। व्यक्तिगत विकास के अवसरों को अपनाना, रिश्तों का पोषण करना और सकारात्मक मानसिकता अपनाना एक मजबूत और गतिशील व्यक्तित्व को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं।

har kunji ki ek ki chabi हर कुंजी की एक ही चाबी

Personality Development In Hindi ज्ञान हासील करना इस बात से ज्यादा

महत्वपूर्ण है कि उसे किसी

तरिके हासील किया गया ,|

जीवन मे आगे बढ़ने के लिये ओर प्रति स्पर्धी के दौर में आगे रहने के लिये कई चीजों की जरुरत पड़ती है।

ज्ञान भी उनमे से एक है। सही कहा है की शरीर ओर गरिमा ईशर , तहजीब ओर शिष्टाचार अभिभावक तथा शिक्षक देते है।

लेकिन ज्ञान खुद को हासिल करना पड़ता है ओर यह आप दिन प्रतिदिन की दिनर्चया से प्राप्त कर सकते है ” |

Personality Development In Hindi ज्ञान कई रास्तो से आता है | सोचना गलत है की केवल पढ़े लिखे लोगो के पास ही ज्ञान होता है |

किसी ने सही कहा है की सभी साक्षर शिक्षित नहीं होते ओर न सभी शिक्षित साक्षर होते है |

यह भी सही है की ज्ञान मुख रूप से आँखों से देखने पढ़ने ओर घटनाओ से हासिल किया जाता है |

लेकिन अन्य सवेंदी अंग जैसे स्पर्श ओर सुनना भी ज्ञान हासिल करने की प्रकिया में सहायक होते है , क्योंकि दोनों इस प्रकिया में शामिल होते है |

इन सब चीजों से ज्यादा जरुरी बात सही सोच है |

Personality Development In Hindi संत ने सही कहा है की सभी ज्ञान हासिल करना चाहते है. लेकिन कुछ ही लोग इसकी कीमत देने की इच्छा रखते है |

किसी मुद्दे के बारे में जानकारी होना लाभदायक होता है | ऑफिस के मोर्चे पर इससे रोजमर्रा के कामो में आसानी होती है , तनाव कम होता है तथा काम ओर आसान हो जाता है | सामाजिक मोर्चे पर किसी मुद्दे पर चल रही चर्चा में भाग लेने ओर अपनी व्यक्त करने वाला व्यक्ति ऊँचा स्थान हासिल करता है ओर उसके साथी तथा सहयोगी उसे सम्मान की नजरो से देखते है इस संदर्भ में जेरसन ने कहा था ज्ञान ताकत है – ज्ञान सुरक्षा है – ओर ज्ञान ख़ुशी है |

ज्ञान के बारे में कई पहलू ओर सच्चाईया है। उनमे से कुछ इस प्रकार है :

यह सबसे बड़ी संपत्ति है | इसे चोर चुरा नहीं सकता ओर दुसरो को देने के बाद भी यह आपके पास बरकरार रहती है जो चीज अछि है उसके बारे में जानकारी हासिल करना मुश्किल है आप एक चीज के बारे में ज्ञान हासिल कर दस चीजों के बारे सकते है यह छलांग लगाकर नहीं ,

बल्कि कदम दर कदम हासिल किया जाता है यह आपके दर को दूर करता है ओर सबसे बड़ी बात ज्ञान में निवेश करना सबसे फायदेमंद सौदा है |

Personality development is an essential aspect of a person’s growth and success in life. It encompasses various characteristics and traits that make individuals unique and influential in their fields. Personality development in Hindi language, especially in the Indian context, holds great importance as it connects people culturally and emotionally. This essay will discuss the significance and methods of personality development in Hindi.

To begin with, personality development in Hindi helps individuals to connect deeply with their roots and culture. Hindi is the national language of India and is widely spoken and understood by the majority of the population. When individuals engage in personality development activities in Hindi, they not only enhance their linguistic skills but also develop a stronger sense of identity and belongingness.

Moreover, personality development in Hindi helps in effective communication. Language plays a crucial role in expressing thoughts, ideas, and emotions. When individuals have a strong command of Hindi, they can convey their message more clearly and convincingly. It helps in building rapport, maintaining healthy relationships, and impressing others with effective communication skills.

In addition, personality development in Hindi helps in developing confidence. When individuals are fluent in Hindi, they can speak confidently and express themselves without hesitation. Confidence is a key factor in personality development as it enables individuals to take risks, face challenges, and explore new opportunities. Hindi language skills contribute significantly to building self-assurance.

Furthermore, personality development in Hindi promotes leadership and influence. When individuals possess excellent Hindi language skills, they can connect with people from different regions and backgrounds. This ability gives them an advantage in leadership positions, where effective communication and influence are crucial.

In terms of methods, several strategies can be employed for personality development in Hindi. Firstly, individuals can engage in Hindi language learning courses or workshops. These programs provide structured guidance and practice in speaking, reading, and writing Hindi. They help individuals enhance their vocabulary, grammar, and pronunciation.

Secondly, individuals can participate in Hindi literature and art activities. Hindi poetry, literature, and drama are rich sources of learning and inspiration. Exploring and engaging with these mediums fosters creativity, critical thinking, and an appreciation for the Hindi language.

Thirdly, individuals can watch Hindi movies, listen to Hindi music, and read Hindi newspapers and books. These mediums expose individuals to the nuances of Hindi language and help them understand the cultural context in which it is spoken. They also improve listening skills and vocabulary.

Additionally, individuals can practice Hindi conversation skills by participating in Hindi-speaking clubs, language exchange programs, or even by conversing with friends and family members who are fluent in Hindi. Regular practice is essential to develop fluency and overcome any inhibitions or fears of speaking Hindi.

Overall, personality development in Hindi offers numerous benefits in terms of cultural connection, effective communication, confidence-building, leadership, and influence. By engaging in various methods such as language learning courses, literature, media consumption, and conversation practice, individuals can enhance their personality and excel in their personal and professional endeavors. Hindi language skills provide a strong foundation for an individual’s growth and development, and it should be celebrated and nurtured for a well-rounded personality.

It refers to the development of various traits, characteristics, and habits that shape a person’s behavior, thinking patterns, and emotions. In Hindi, the term “Vyaktitva Vikas” is often used to describe the process of personality development. It encompasses various aspects such as self-awareness, self-confidence, communication skills, emotional intelligence, and overall growth. In this essay, we will explore the importance of personality development in Hindi and how it can positively impact an individual’s life.

The Hindi language is not only a means of communication but also plays a significant role in shaping one’s personality. By learning Hindi, an individual becomes more connected to their cultural roots, enhancing their identity and sense of belonging. It enables them to express their thoughts, ideas, and emotions effectively, thus boosting their self-confidence and assertiveness. Moreover, speaking Hindi fluently can open up numerous opportunities for personal and professional growth, as it allows for better communication with a wider audience.

Personality development in Hindi also focuses on building self-awareness and understanding one’s strengths, weaknesses, and emotions. It facilitates introspection and self-reflection, leading to personal growth and self-improvement. By developing this awareness, individuals can identify areas for improvement and work towards enhancing their skills and capabilities. Hindi provides a medium to express one’s emotions and share personal experiences, which aids in developing emotional intelligence, empathy, and strong communication skills.

Besides self-awareness, personality development in Hindi also emphasizes the importance of effective communication. Good communication skills are essential in various domains, such as personal relationships, professional settings, and public speaking. Hindi as a medium of expression helps individuals to articulate their thoughts clearly, persuasively, and confidently. It enables better understanding, collaboration, and cooperation, thus enhancing interpersonal relationships and professional success.

Personality development in Hindi also aims to foster positive attitudes, values, and ethics. By imbibing Hindi literature, folk songs, and poetry, individuals are exposed to moral and ethical values embedded in these cultural aspects. Such exposure enhances their integrity, empathy, and respect for others. Hindi literature and scriptures also teach valuable lessons about perseverance, determination, and resilience, which are crucial for personal and professional success.

Hindi also contributes to the development of leadership skills and team-building abilities. It acquaints individuals with various Hindi literary works, biographies, and stories of great leaders and social reformers. They learn about their leadership qualities, vision, and contributions, which can inspire and motivate individuals to become leaders themselves. Moreover, by participating in group activities, debates, and discussions in Hindi, individuals develop teamwork, collaboration, negotiation, and conflict resolution skills.

Personality development in Hindi facilitates cultural understanding and promotes diversity and inclusivity. Hindi literature and movies portray a wide range of cultural, regional, and societal aspects, exposing individuals to different perspectives and traditions. This exposure fosters respect, appreciation, and tolerance towards diverse cultures, religions, and beliefs. It also helps individuals to understand and connect with people from different backgrounds, facilitating a harmonious coexistence in a multicultural society.

Furthermore, personality development in Hindi is not limited to linguistic skills but also extends to physical, mental, and emotional well-being. Hindi yoga and meditation techniques, such as pranayama and mindfulness, help individuals to cultivate mental calmness, concentration, and emotional stability. Hindi spiritual literature, such as the Bhagavad Gita and Upanishads, provides guidance on leading a purposeful and meaningful life. These practices and teachings contribute to overall personality development, creating a balance between mental, emotional, and physical aspects.

In conclusion, personality development in Hindi is an essential aspect of an individual’s growth and well-being. It encompasses various dimensions, including self-awareness, communication skills, emotional intelligence, cultural understanding, and physical and mental health. By embracing Hindi as a means of expression and understanding, individuals can enhance their confidence, communication abilities, and overall personality. Hindi literature, poetry, and cultural aspects provide valuable insights into ethics, values, leadership, and teamwork. Hence, personality development in Hindi not only strengthens language skills but also contributes to the holistic growth and development of an individual.

किसी के व्यक्तित्व को विकसित होने में कितना समय लगता है?

Personality Development In Hindi व्यक्तित्व विकास की अवधि हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। यह एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन भर चलती रहती है। निरंतर प्रयास और विकास की मानसिकता के साथ, व्यक्ति समय के साथ अपने व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव देख सकते हैं।

क्या व्यक्तित्व विकास करियर में उन्नति में मदद कर सकता है?

Personality Development In Hindi हां, व्यक्तित्व विकास करियर में उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संचार कौशल को बढ़ाता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और नेतृत्व गुणों को विकसित करता है, जो पेशेवर सेटिंग्स में मूल्यवान हैं। एक अच्छी तरह से विकसित व्यक्तित्व किसी के करियर में सफलता की संभावना को बढ़ा देता है।

क्या हिंदी में व्यक्तित्व विकास के लिए कोई विशिष्ट पाठ्यक्रम या कार्यक्रम हैं?

Personality Development In Hindi हां, हिंदी में ऐसे कई पाठ्यक्रम और कार्यक्रम उपलब्ध हैं जो व्यक्तित्व विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये कार्यक्रम संचार कौशल, आत्म-सुधार, नेतृत्व और व्यक्तित्व विकास के अन्य पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। व्यक्तिगत विकास को बढ़ाने के लिए ऐसे पाठ्यक्रमों का पता लगाना फायदेमंद है।

मैं शर्मीलेपन पर कैसे काबू पा सकता हूँ और अपना आत्मविश्वास कैसे सुधार सकता हूँ?

Personality Development In Hindi शर्मीलेपन पर काबू पाने के लिए अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलने और धीरे-धीरे खुद को सामाजिक परिस्थितियों में उजागर करने की आवश्यकता होती है। सक्रिय रूप से सुनने का अभ्यास करें, बातचीत में शामिल हों और दूसरों के साथ बातचीत करने के अवसर तलाशें। आत्मविश्वास बनाने में समय लगता है, लेकिन इसे प्राप्त करने योग्य लक्ष्य निर्धारित करके, छोटी सफलताओं का जश्न मनाकर और नई चीजों को आजमाने के लिए खुद को चुनौती देकर हासिल किया जा सकता है।

क्या व्यक्तित्व विकास एक बार की प्रक्रिया है, या इसके लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है?

Personality Development In Hindi व्यक्तित्व विकास एक सतत प्रक्रिया है जिसके लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे व्यक्ति बड़े होते हैं और नए अनुभवों का सामना करते हैं, उन्हें अपने व्यक्तित्व के गुणों को अपनाना, सीखना और परिष्कृत करना चाहिए। किसी के व्यक्तित्व को बनाए रखने और सुधारने के लिए नियमित आत्म-चिंतन, नए कौशल सीखना और व्यक्तिगत विकास के अवसरों की तलाश करना आवश्यक है।

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Personality Development Tips in Hindi: जानिए कैसे निखारे अपने व्यक्तित्व को?

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  • Updated on  
  • अक्टूबर 11, 2023

Personality Development Tips in Hindi

पर्सनालिटी हमारी जन्म से बन जाती है, उस पर्सनालिटी को समय से अपडेट होना पड़ता है। समय के हिसाब से हम डेवेलप होने लगते हैं और हमारी पर्सनालिटी उसी के साथ ही बदलती रहती है। आज पूरी दुनिया में कई महान पर्सनालिटी है, उन्होंने अपनी पर्सनालिटी को विकसित किया है। आपके पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए हम Personality Development Tips in Hindi नीचे दे रहे हैं। इस पोस्ट में महत्वपूर्ण 20 टिप्स दी गई हैं जो आपको अपनी पर्सनैलिटी को डिवेलप करने में काम आएगी। आइए जानते हैं इन Personality Development Tips in Hindi के बारे में।

This Blog Includes:

पर्सनालिटी क्या है, पर्सनालिटी डेवलपमेंट क्या है, साइकोलॉजी में पर्सनालिटी डेवलपमेंट, आत्मविश्वास पर्सनालिटी डेवलपमेंट की कुंजी है, खुद पर यकीन रखना चाहिए, पर्सनालिटी डेवलपमेंट को पोशाक प्रभावित करती है, अपनी बॉडी लैंग्वेज का ध्यान रखना जरूरी है, पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए शिष्टाचार जरूरी है, पर्सनालिटी डेवलपमेंट प्रक्रिया को मजेदार रखना, पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए एक अच्छा श्रोता बनना चाहिए, व्यक्तिगत राय रखना जरूरी है, हमेशा सकारात्मकता बनाए रखें, प्रयोग और डर पर काबू, एक सतत प्रयास को बनाए रखना सीखना चाहिए, आत्मविश्वास हमेशा बनाए रखना चाहिए, स्पष्टता व मिठास, प्रैक्टिस की जरूरत, कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर बनाना चाहिए, निंरतर अभ्यास करते रहना चाहिए, श्रोता का ध्यान आकर्षित करें, स्वतंत्र सोच होनी सबसे आवश्यक, रंगों के चयन पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए आवश्यक है, नए-नए लोगों से मिलना चाहिए, सिलेबस के अन्य भाग लेना, अच्छे श्रोता (लिसनर) बनें, हमेशा नया सीखने की ललक, प्रेरणादायक बनें, लोगों से मिलें, पर्सनालिटी डेवलपमेंट के फेज़ में होते हैं बदलाव, पर्सनालिटी को निखारने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें, पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए कुछ अनमोल विचार, पर्सनालिटी डेवलपमेंट को निखारने के लिए स्किल्स, पर्सनालिटी डेवलपमेंट में पढ़ाए जाने वाले विषय कौनसे होते हैं, पर्सनालिटी डेवलपमेंट में पढ़ाए जाने वाले कोर्सेज के नाम, जॉब प्रोफाइल्स और सैलरी.

एक व्यक्ति की पर्सनालिटी उनके दृष्टिकोण, राय, झुकाव और अन्य अद्वितीय व्यवहार विशेषताओं का कुल योग है जो स्वयं में निहित हैं। यह आपको दूसरों से अलग करता है और किसी की पसंद, कार्य और व्यवहार को निर्धारित करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह उन संबंधों के प्रकारों को प्रभावित करता है जो किसी को बनाता है, सामाजिक और राजनीतिक वातावरण की पसंद के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक झुकाव भी।

पर्सनालिटी डेवलपमेंट को किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए किसी के बाहरी और आंतरिक स्वयं को बेहतर बनाने और संवारने की प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानित, पॉलिश और परिष्कृत किया जा सकता है। किसी के विश्वास को बढ़ावा देना, भाषण और भाषा बोलने की क्षमता को मजबूत करना, अनुभव की चौड़ाई को व्यापक बनाना, कुछ रुचियों या प्रतिभाओं को उभारना, ठीक शिष्टाचार और शिष्टाचार प्राप्त करना, एक तरह से कपड़े, बोलना और चलना, आकर्षण और लालित्य लाना, और अंततः सकारात्मकता के साथ खुद को आत्मसात करना। , जीवनशैली, और सद्भाव इस पद्धति के सभी उदाहरण हैं। संपूर्ण विकास प्रक्रिया समय की अवधि में होती है। यद्यपि सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए खुले व्यक्तित्व विकास पर कई क्रैश कोर्स हैं, उन्हें अपने दैनिक जीवन में शामिल करना और अपने आप में एक सार्थक बदलाव लाने में समय लगता है। व्यक्तित्व वृद्धि पाठ्यक्रम में भाग लेना महत्वपूर्ण नहीं है; इसके बजाय, कोई कुछ संकेत उठा सकता है और किसी की अपनी आभा या आकर्षण विकसित कर सकता है।

पर्सनालिटी सिर्फ शारीरिक गुणों ही नहीं बल्कि हमारे विचारों और व्यवहार से भी मिलकर बनती है। पर्सनालिटी जीवन में हमारे व्यवहार और समाज में  समायोजन को भी निर्धारित करती है। जन्म से ही कोई भी व्यक्ति पर्सनालिटी लेकर पैदा नहीं होता परंतु जीवन में सफल होने के लिए अपने अंदर गुणों को विकसित करना पड़ता है। शारीरिक रूप से सुंदर होना और इंटेलीजेंट होना यह व्यक्तित्व का सिर्फ एक ही पहलू है। परंतु पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए ज्ञान का सही तरह से उपयोग करना बहुत ही आवश्यक होता है।

वारेन के अनुसार “व्यक्तित्व व्यक्ति का संपूर्ण मानसिक संगठन है जो उसके विकास की किसी अवस्था में होता है।”

बर्गेस के अनुसार “व्यक्तित्व उन सभी गुणों का एकीकृत स्वरुप है, जो किसी व्यक्ति की समाज के परिवेश में भूमिकाओं एवं स्थिति को अभिव्यक्त करता है।” 

केम्फ के अनुसार “व्यक्तित्व उन अभ्यासों के रूपों का समन्वय है जो किसी वातावरण में व्यक्ति विशेष के समायोजन को प्रस्तुत करता है।”

ऑलपोर्ट “व्यक्तित्व व्यक्ति के उन समस्त मनोशारीरिक तंत्रों का वह आंतरिक गत्यात्मक संगठन है जो कि पर्यावरण में उसके अपूर्व समायोजन को निर्धारित करता है।”

Personality Development Tips in Hindi के बारे में

यहां Personality Development Tips in Hindi के आसान और प्रभावी उपाय दिए गए हैं:

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“आत्मविश्वास के साथ, आपने शुरुआत करने से पहले जीत हासिल की है।”

वह, वास्तव में, रहस्य है। पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए सबसे महत्वपूर्ण सलाह सकारात्मक होना है कि आप कौन हैं और क्या करते हैं। कभी भी अपनी क्षमता पर सवाल न उठाएं, और अगर कोई ऐसी चीज है जिसे आपको बदलने की जरूरत है, तो उसे अपना सर्वश्रेष्ठ दें ताकि आप अपने संदेह पर विजय पा सकें और विश्वास हासिल कर सकें। सफलता की कहानियों को जानें या आत्म-सम्मान हासिल करने और करिश्माई व्यक्तित्व विकसित करने में मदद करने के लिए प्रेरक विचार या “प्रोत्साहन” के साथ खुद को भरें। खुद पर भरोसा रखें और हर काम में मेहनत करें। आत्म-आश्वासन के उच्च स्तर की तुलना में एक व्यक्ति के व्यक्तित्व में अधिक आकर्षक कुछ भी नहीं है।

“हमें स्वयं के प्रकाश से ही दिखना चाहिए ना कि दूसरे का प्रकाश देखकर अपना पथ बदल देना चाहिए “

हालाँकि आपको प्रेरणा के लिए हमेशा दूसरों की ओर देखना चाहिए, लेकिन आपको हमेशा खुद के प्रति सच्चे रहना चाहिए। किसी और के होने की कोशिश आपको कहीं नहीं ले जाती और बैकफायर करती है। किसी नए समुदाय के साथ घुलने-मिलने की बहुत कोशिश करना या जुड़ने की ज़रूरत कभी भी आपकी विशिष्टता और वैधता से अलग नहीं हो सकती। किसी और चीज़ में बदलाव करने की कोशिश करने के बजाय, खुद का बेहतर संस्करण होने पर ध्यान दें।

“ फैशन पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए हममें उत्साह उत्पन्न करता है। “

जबकि हम यह सुझाव नहीं देंगे कि अपनी प्रतिभा और क्षमताओं से ऊपर अपने बाहरी आत्म पर जोर देना महत्वपूर्ण है, लेकिन किसी के कपड़े सकारात्मक प्रभाव छोड़ने में एक भूमिका निभाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि यह पहचानना कि आप ठीक दिखते हैं और उचित रूप से तैयार होते हैं, आपको आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। सम्मानजनक तरीके से कपड़े पहनें और अपने परिवेश के प्रति सजग रहें। हालांकि चमकीले रंग और अत्यधिक टैटू या पियर्सिंग एक अव्यवसायिक खिंचाव छोड़ देते हैं, पूरी तरह से इस्त्री किए गए कपड़े आपको प्रस्तुत करने योग्य लगते हैं।

“मानव शरीर मानव आत्मा की सबसे अच्छी तस्वीर है।”

आपकी शारीरिक भाषा आपके व्यक्तित्व को निर्धारित करने में मौखिक संचार कौशल के रूप में लगभग महत्वपूर्ण है। यह आपके बारे में बहुत कुछ दिखाता है और दूसरों को आपके बारे में सही निर्णय लेने में सुविधा प्रदान करता है। आप जो कुछ भी करते हैं, जैसे कि आप कैसे चलते हैं, बैठते हैं, बोलते हैं, या खाते हैं, इसका आपके आस-पास के लोगों पर प्रभाव पड़ता है, और सही बॉडी लैंग्वेज का उपयोग करने से आपके व्यक्तित्व में भारी बदलाव आएगा। अपने सिर को सीधा रखें और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। अपने सिर को गिर मत करो। बोलते समय एक शांत रुख बनाए रखें और नियमित संपर्क बनाए रखें।

“सभी दरवाजे शिष्टाचार के लिए खुले हैं।”

हर कोई विनम्र आचरण की सराहना करता है और मानता है। अपने सिर को नीचे रखें और सभी को मुस्कुराएं। अपने दोस्तों की सहायता करने या उनकी मदद करने से कभी न डरें, और अगर उन्हें सहायता की आवश्यकता हो तो खुद को उनके लिए उपलब्ध करें। दयालुता के यादृच्छिक कार्य न केवल किसी के दिन को रोशन करेंगे, बल्कि वे आपको अनुकूल भी दिखेंगे। इसके अतिरिक्त, यह आपके आत्म-आश्वासन में सुधार करेगा। सभी के प्रति विनम्र और दयालु बनें।

“मज़ा उत्साह और ऊर्जा पैदा करता है।”

ओह, हाँ, यह आवश्यक है! हर कोई किसी की सराहना करता है जो अन्यथा भयानक परिदृश्यों का एक अजीब पक्ष पा सकता है और अपने स्वयं के लिए बस थोड़ा सा नासमझी जोड़ सकता है। सभी किसी की सराहना करते हैं जो उन्हें हँसा सकता है और हर रोज की घटनाओं पर एक हास्य स्पिन डाल सकता है। हर समय पवित्र और पवित्र होना आवश्यक नहीं है; लेकिन, हर बार अपनी मजाकिया टोपी पहनना आपको एक अधिक सुंदर व्यक्तित्व में बदल देगा।

“सम्मान के सबसे ईमानदार रूपों में से एक वास्तव में सुन रहा है कि दूसरे को क्या कहना है।”

“ज्यादातर लोग समझ के इरादे से नहीं सुनते हैं; वे जवाब देने के इरादे से सुनते हैं। ” यह सही है। ऐसा नहीं लगता है, लेकिन एक अच्छा श्रोता बनना एक अधिक पसंद करने वाले व्यक्तित्व को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। जब कोई आपसे बात करे, तो उस पर पूरा ध्यान दें और उन्हें अपना पूरा ध्यान दें। प्रत्यक्ष नेत्र संपर्क बनाए रखें और आसपास के वातावरण को भ्रमित न होने दें। यह लोगों के बारे में अधिक जानने और उन्हें अधिक कुशलता से उपस्थित करने में आपकी सहायता करेगा।

“रचनात्मक बातचीत के लिए राय महत्वपूर्ण है।”

एक राय होने और आराम से व्यक्त करने में सक्षम होने के कारण यह न केवल आपकी चर्चाओं में दिलचस्पी पैदा करता है, बल्कि यह आपको दूसरों को अधिक शक्तिशाली और अच्छी तरह से सूचित करने में भी मदद करता है। कभी भी खुद को व्यक्त करने से डरो मत, भले ही आपके विचार दूसरों से अलग हों ’। उन सभी के बारे में अच्छी तरह से अवगत रहें जो आपके तत्काल वातावरण में मायने रखते हैं, और अपने आप को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करें। परिणामस्वरूप आप अधिक प्रासंगिक महसूस करेंगे।

“आशावाद वह विश्वास है जो उपलब्धि की ओर ले जाता है।”

एक आकर्षक व्यक्तित्व होने के लिए, सभी भावनाओं और व्यवहार को रचनात्मक होना चाहिए। जिस तरह से हम सोचते हैं कि हमारे व्यवहार पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। और किसी के मन के अंदर आशावादी सोच पैदा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व में सुधार होता है। जीवन की परिस्थितियाँ और घटनाएँ किसी भी समय उग और चढ़ाव से भरी होंगी। हालाँकि, जीवन के लिए बेहतर दृष्टिकोण रखने के लिए, आपको चीजों के हल्के पक्ष पर प्रयास करना चाहिए और सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

“एक बार जब आप अपनी खामियों को स्वीकार कर लेते हैं, तो कोई भी आपके खिलाफ उनका इस्तेमाल नहीं कर सकता है।” – जॉर्ज आरआर मार्टिन

व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया में एक अन्य महत्वपूर्ण घटक नई और विविध चीजों के प्रयोग और प्रयास करने की इच्छा पैदा करना है। जिस चीज से आप सहज महसूस नहीं करते हैं उससे निपटने के बारे में आशंकित महसूस न करें और इससे निपटने के तरीके खोजें। चाहे आपको सार्वजनिक बोलने का डर हो या महसूस हो कि आप स्पष्ट रूप से संवाद करने में सक्षम नहीं हैं, इसे स्वीकार करें और इसे सुधारने की दिशा में काम करें।

“नेतृत्व और सीखना एक-दूसरे के लिए अपरिहार्य हैं।”

इस दिन और उम्र में, अपने ज्ञान और विश्वासों को सीखना और संशोधित करना जारी रखने के लिए आवश्यकता से अधिक हो गया है। हमारे चारों ओर से गुजरने वाली सूचनाओं की गति स्वयं विशाल होती है और अद्यतन रहना एक थकाऊ काम बन जाता है। हालाँकि, हर दिन कुछ नया सीखने की आदत बनाएँ, खासकर ऐसी चीज़ें जो आपकी मान्यताओं को ठोस बनाने में मदद कर सकती हैं। इसमें अन्य लोगों के अनुभवों से लेकर आध्यात्मिक और स्व-सहायता पुस्तकों तक और दुनिया भर की कहानियों के साथ-साथ आपके आस-पास होने वाली उल्लेखनीय घटनाओं तक सब कुछ शामिल हो सकता है। व्यक्तित्व विकास एक क्रमिक प्रक्रिया है जिसके बारे में नहीं आते हैं, विश्वास करते हैं और जिज्ञासा के लिए अपनी प्यास को बनाए रखते हुए प्रत्येक दिन एक बेहतर व्यक्ति बनने का प्रयास करते हैं!

वार्तालाप के दौरान अगर हमारी सोच में साहस एवं विश्वास होगा तो हमारा वार्तालाप खुद खुद सकारात्मक होगी। हम बोलते समय डर को भी दूर भगाना होगा। तात्पर्य यह है कि हम सदैव आत्म विश्वास बनाए रखें।

वार्तालाप के दौरान हमें शब्दों व वाक्यों में स्पष्टता लानी चाहिए। वाणी में सदा मिठास होनी चाहिए। अगर बात स्पष्ट न हो तो उसे पुनः स्पष्ट करना चाहिए। शब्दों व वाक्यों को व्यक्तिगत तौर पर स्पष्ट करना चाहिए। अपने व्यक्तित्व में उपरोक्त गुणां को समाहित कर हम अपनी संचार क्षमता को बढा सकते है और सफलता के नजदीक पहुंच सकते हैं।

कम्यूनिकेशन स्किल्स को डेवलप करने के लिए व्यक्ति में लगातार प्रैक्टिस का होना बेहद जरूरी है। यह अभ्यास लगातार तभी हो सकता है,जब हम अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में बातचीत स्पष्ट एंव सरल तरीके से करें। किसी भी परिचित एवं नए व्यक्ति से कम्यूनिकेशन के नए नए तरीके सीखने में शर्म महसूस न करें।

हम  हर समय एक दूसरे से किसी ना किसी जरिए से संवाद करते हैं। आज संचार के विभिन्न साधनों की खोज के कारण संचार का महत्व काफी बढ़ गया है। ऐसे में सफलता के लिए एक विशेष गुण की जरूरत होती है,जिसे हम संचार कौशल कहते हैं। संचार वह प्रक्रिया है जिससे हम अपने संदेशां को दूसरो तक पहुंचाते हैं। संचार से आपसी रिश्तां में नजदीकी आती है। आज हम चाहे सार्वजनिक,सरकारी या निजी किसी भी क्षेत्र में कार्य करे, अपने कार्य में निपुण होने के लिए संचार कौशल को विकसित करना जरूरी है। संचार कौशल को विकसित करने के लिए हर व्यक्ति में निम्न गुणां का होना अति आवश्यक है।

संचार कौशल को विकसित करने के लिए व्यक्ति में निरतर अभ्यास का होना जरूरी है। यह निरतर अभ्यास तभी हो सकता है,जब हम अपनी दैनिक क्रियाओं में बातचीत स्पष्ट एंव सरल तरीके से करें। किसी भी परिचित एवं नए व्यक्ति से संचार के नए नए कौशल सीखने में शर्म महसूस न करें।

किसी से भी बात करते समय हमें उससे आंख में आंख मिला कर बात करनी चाहिए ताकि हम उनका ध्यान अपनी और आकर्षित कर सकें।

स्वतंत्रता का अर्थ स्वतंत्र सोच एंव आत्मनिर्भरता से हैं।

ज्यादातर लोग कोई भी कार्य करने से पहले कई बार यह सोचते है की वह कार्य करने से लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे या क्या कहेंगे और इसलिए वे कोई निर्णय ले ही नहीं पाते एंव सोचते ही रह जाते है एंव समय उनके हाथ से पानी की तरह निकल जाता है | ऐसे लोग बाद में पछताते हैं। इसलिए दोस्तों ज्यादा मत सोचिये जो आपको सही लगे वह कीजिये क्योंकि शायद ही कोई ऐसा कार्य होगा जो सभी लोगों को एक साथ पसंद आये।

वस्त्रों के रंगों से भी व्यक्तित्व को पहचाना जा सकता है क्योंकि लोग अधिकतर वही रंग पहनते हैं जिन्हें वो पसंद करते हैं। इससे उनके स्वभाव और व्यक्तित्व को पहचानने में आसानी होती है।

पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए नए-नए लोगों से मिले। तथा सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहे ताकि ज्यादा जानकारी मिल पाए।

पर्सनालिटी डेवलपमेंट टिप्स फॉर स्टूडेंट्स

Personality Development Tips in Hindi छात्रों के लिए नीचे है-

आज के इस दौर में आपको सिर्फ किताबी कीड़ा न बने रहना है, बल्कि पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी भाग लेना है। जैसे, स्कूल या कॉलेज में जो भी कार्यक्रम आयोजित हो उसमे भाग लेने की कोशिश करें। इसी तरह घर और समाज में कोई गतिविधि हो तो उसमे भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। अगर उन गतिविधियों में आपकी रूचि है तो बहुत अच्छा, अगर रूचि नहीं भी है पर आपको पता है कि ये आपके लिए लाभदायक है तो जरूर भाग लें। जैसे, आपके स्कूल या कॉलेज मे भाषण प्रतियोगिता (speech competition) आयोजित हो रही है। इसके अलावा इसमें भाग लेने के कारण आपका आत्मविश्वास यानी self confidence भी बढ़ेगा।

किसी भी चीज को समझने के लिए उसे अच्छे से सुनना (अगर आप सुनकर समझ रहे है) बहुत जरूरी है। अच्छे से सुनने का मतलब है कि खामोशी से और पूरा ध्यान लगाकर सुने। विद्यार्थियों के लिए तो ये और भी जरूरी हो जाता है। अगर आप किसी से बात कर रहे हैं या शिक्षक से पढ़ रहे हैं तो आप ढंग का प्रश्न भी तभी पूछ पाएंगे या अपनी बात अच्छे से तभी रख पाएंगे जब आप सामने वाले कि बात ध्यान से सुनेंगे और समझेंगे नहीं तो आप का प्रश्न और आपकी बात जिस विषय पर बात हो रही है उससे बिल्कुल हटकर होगी।

आप अपने स्मार्टफोन को अपडेट तो करते ही होंगे। आप जब भी अपडेट करते है तो कुछ नई फीचर्स आती है और/या कुछ पिछली खराबी दूर होती है। ठीक इसी तरह आप भी अपने आपको हमेशा उपयोगी (useful) जानकारियों से अपडेट रखें। अपने पाठ्यक्रम के अलावा अन्य उपयोगी पुस्तकों का भी अध्ययन करें। इससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। ये विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत ही उपयोगी टिप्स (Personality development tips for students in hindi) है।

आप दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत (प्रेरणादायक) तभी बन सकते है जब आप कोई कामयाबी हासिल करेंगे। जरूरी नही के ये कामयाबी बहुत बड़ी हो आप छोटी-छोटी कामयाबी हासिल कर, अच्छे व्यवहार अपना कर आसानी से प्रेरणादायक बन सकते है। लोगों को उनसे ज्यादा प्रेरणा मिलती है जो कम संसाधनों में भी कामयाबी हासिल कर लेते है। अगर आपके पास भी संसाधनों का अभाव है तो संसाधनों का रोना ना रोए बल्कि आपके पास जितने भी संसाधन है उसका इस्तेमाल कर जिंदगी की नई-नई ऊंचाइयों को छुए और दूसरे विद्यार्थी और लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।

विद्यार्थी के व्यक्तित्व विकास लिए यह बहुत जरूरी है कि आप लोगों से मिलें। यहां लोगों में नए लोग और पुराने लोग सभी आ गए। जब आप लोगों से मिलते है खासकर नए लोगों से तो आपको कुछ नया सीखने को मिलता है, कुछ नई जानकारी मिलती है, आपके किसी समस्या का समाधान मिल जाता है।

इसलिए लोगों से मिले, अपने सीनियर से मिलें, जूनियर से मिलें, शिक्षक से मिलें, दोस्तों से मिलें, रिश्तेदारों से मिलें और खासकर आप जिस क्षेत्र की पढ़ाई कर रहे है उसी क्षेत्र में जो व्यक्ति है या नौकरी कर रहे है उनसे मिले और आपके मन में उस विषय में कुछ जानने की जिज्ञासा है या आपका कोई सवाल है तो जरूर पूछें।

निम्नलिखित अनुभाग उम्र के चरणों को प्रस्तुत करता है कि समय के साथ किसी का व्यक्तित्व कैसे विकसित होता है:

  • शिशु: बच्चा इस दौरान भरोसा करना या भरोसा करना सीख रहा है। यदि अच्छी तरह से देखभाल और पोषित किया जाता है, तो वे सुरक्षित महसूस करना जारी रखेंगे और जीवन पर एक अच्छा दृष्टिकोण रखेंगे। यदि खराब तरीके से किया जाता है, तो बच्चा कमजोर हो सकता है।
  • टॉडलर्स : इस स्तर पर बच्चे की इच्छा बढ़ने लगती है। जब एक बच्चे को उचित रूप से प्रबंधित किया जाता है, तो वह आत्मविश्वास हासिल करता है। यह एक सरल कार्य नहीं है, और बच्चा अड़ियल लग सकता है।
  • पूर्वस्कूली: कुछ इस चरण को “खेल की अवधि” कहते हैं। शिशु अपने कार्यों को अपने हाथ में लेने लगता है। वे अपनी रचनात्मकता का भी उपयोग करना शुरू कर देते हैं। वे अभी भी सीख रहे हैं कि इस स्तर पर दूसरों का नेतृत्व और पालन कैसे करें।
  • स्कूल : शिशु इस उम्र में औपचारिक कौशल सीखना शुरू कर देता है। वे समझने लगते हैं कि अन्य लोगों के साथ कैसे बातचीत करें और साधारण संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार करें। इस बिंदु पर उनकी वृद्धि की प्रगति का निर्धारण इस बात से किया जा सकता है कि उन्होंने शुरुआत में कितना अच्छा प्रदर्शन किया था।
  • किशोर : इस उम्र में, शिशु मूल्यों का एक समूह विकसित और विकसित करना शुरू कर देता है जो उन्हें वयस्कता में सहायता करेगा। इस स्तर पर, वे भी खुद को समझना शुरू करते हैं।

व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया विभिन्न प्रकार के साधनों जैसे कौशल विकास पाठ्यक्रमों के माध्यम से की जा सकती है जो व्यावहारिक क्षमताओं के साथ-साथ पुस्तकों के माध्यम से भी ध्यान केंद्रित करते हैं। पुस्तकों को सुझाव और सलाह के माध्यम से सीखने में सहायता मिलती है, जो विशेषज्ञों, पेशेवरों, प्रोफेसरों के साथ-साथ उन लोगों के साथ आगे रखती हैं जो समान अनुभवों से गुजरे हैं। यहाँ अत्यधिक अनुशंसित पुस्तकों में से कुछ हैं जो व्यक्तित्व विकास की दिशा में आपकी यात्रा के लिए आवश्यक हैं।

अपने अवचेतन मन की शक्तिजोसेफ मर्फी
द 5 एएम क्लब: ओन योर मॉर्निंग, एलेवेट योर लाइफरॉबिन शर्मा
अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतेंस्टीफन आर कोवे
सोच का जादू बड़ाडेविड श्वार्ट्ज
मानसिकता: सफलता का नया मनोविज्ञानकैरोल एस। ड्वेक

Personality Development Tips in Hindi को और अच्छे से जानने के लिए नीचे अनमोल विचार इस प्रकार हैं:

  • “Personality development एक प्रमुख समय बचाने वाला है। आप जितने बेहतर बनेंगे, आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में कम समय लगेगा। ” ―ब्रायन ट्रेसी
  • “जिस व्यक्ति के लिए आप किस्मत में हैं, वह वही व्यक्ति होता है, जिसे आप बनना चाहते हैं।” -राल्फ वाल्डो इमर्सन
  • “मनुष्य का जीवन स्वतंत्र है। वह अकेले समाज के विकास के लिए नहीं, बल्कि अपने स्वयं के विकास के लिए पैदा हुआ है। ” ―बीआर अंबेडकर
  • “आप खुद को एक चरित्र में नहीं देख सकते हैं; आपको खुद को एक हथौड़ा और फोर्ज करना होगा। ” -हेनरी डेविड थोरयू
  • “किसी के अस्तित्व के हर पल, एक अधिक में बढ़ रहा है या कम में पीछे हट रहा है।” ―नॉर्मन मेलर
  • “विकास उन लोगों के बीच एक महान विभाजक है जो सफल होते हैं और जो नहीं करते हैं। जब मैं किसी व्यक्ति को खुद को पैक से अलग करने की शुरुआत करता हूं, तो यह लगभग हमेशा personality development के कारण होता है। ” ―जॉन सी। मैक्सवेल
  • “Personality development यह विश्वास है कि आप अपने आप को विकसित करने के लिए आवश्यक प्रयास, समय और ऊर्जा के लायक हैं।” ―डेनिस वेटली
  • “अपने आप में निवेश करना सबसे अच्छा निवेश है जो आप कभी भी करेंगे। यह न केवल आपके जीवन में सुधार करेगा, यह आपके आस-पास के सभी लोगों के जीवन में सुधार करेगा। ” -रॉबिन शर्मा

पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए नीचे स्किल्स दी गई हैं, जिनका होना आवश्यक है –

  • कम्युनिकेशन स्किल्स
  • रिसर्च और एनालिटिकल स्किल्स
  • अडाप्टेबिलिटी
  • म्यूच्यूअल स्किल्स
  • समस्या को सुलझाना
  • इंटीग्रिटी स्किल्स
  • वर्क एथिक्स
  • सेल्फ कॉन्फिडेंस

Personality Development Tips in Hindi में पढ़ाए जाने वाले विषय इस प्रकार हैं:

  • कम्युनिकेशन
  • ऑब्जेक्टिव/पैशन/ इनसाइट
  • करियर/साक्षात्कार
  • प्रोज़ एंड कौन्स
  • फैमिली/पालन-पोषण/रिलेशन्स
  • मुखरता/रवैया
  • ऑर्गनाइज़ेशन एफिशिएंसी

पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए कोर्सेज भी उपलब्ध हैं, जिनके नाम नीचे दिए गए हैं-

  • Personality Development
  • The Science of Well-Being
  • Premium Personality Development Classes and Course
  • Personal & Professional Development Courses
  • Personality Development Program for Students
  • Global Leadership and Personal Development
  • Complete Personal Development Personal Transformation Course
  • Personal Development Life Coach Certification Training
  • Diploma in Interpersonal Skills
  • Foundations of Positive Psychology

पर्सनालिटी डेवलपमेंट करने के बाद मिलने वाली जॉब प्रोफाइल्स और सैलरी नीचे दी गई हैं-

6-7 लाख
मैनेजमेंट कंसलटेंट10-12 लाख
एसोसिएट मैनेजर11-13 लाख
HRD एग्जीक्यूटिव6-7 लाख
ह्यूमन रिसोर्स रिक्रूटर2-4 लाख

हमेशा खुश रहने के लिए आवश्यकता होती है सकारात्मक सोच की, इसलिए हर चीज़ में सकारात्मक बातों को ढूंढने की कोशिश करें। हमेशा खुश रहने वाले व्यक्ति ही जीवन में सफल होते है क्योंकि अगर कोई व्यक्ति फेल होकर गिर भी गया है तो वापस उठने के लिए उसे एक नए सकारात्मक जोश और उत्साह की आवश्यकता होती है।

पर्सनालिटी डेवलपमेंट आपके ज़िन्दगी जीने के तरीके को बेहतर बनाता है। आपकी जीवन-शैली और ज़िन्दगी के प्रति सोच बदल जाती है और आप लाइफ में कमियों के बजाए पॉजिटिव चीजों की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगते हैं जिसके वजह से आप ज्यादा खुश रहते हैं और खुशी आपके जीवन में तनाव को ऐसे ही कम कर देती है।

प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती है। जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है।

उम्मीद है, आपको इस लेख में Personality Development Tips in Hindi की पूरी जानकारी मिल गयी होगी। यदि आप इसी तरह के आकर्षक ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu की वेबसाइट पर बनें रहें।  

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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जानिए व्यक्तित्व विकास क्या है? साथ में इसके महत्व और सिद्धांत को भी समझे || The best effective life lessons 2.O

  • Post author: Abhimanyu Kumar
  • Post published: May 31, 2024
  • Post category: Blog
  • Reading time: 6 mins read

जानिए व्यक्तित्व विकास क्या है? साथ में इसके महत्व और सिद्धांत को भी समझे || The best effective life lessons 2.O

व्यक्तित्व विकास करना क्यों जरूरी है? इसका कोई एक जबाव नहीं है बल्कि बहुत सारा है। यह आपके अंदर की कुशलता और सकारात्मक ऊर्जा को बेहतर बनाने तथा अन्य सभी खामियों को कम कर आपको पुरी तरह से बेहतर बनाने का काम करता है। आपको इसके बारे में पूरा जानकारी रखना जरूरी है, इसलिए आगे का पूरा जरूर पढ़े।

Table of Contents

व्यक्तित्व विकास क्या है.

व्यक्तित्व विकास (Personality Development) का अर्थ होता है अपने व्यक्तित्व को विभिन्न तरीकों से सुधारना और बेहतर बनाना। इसमें कई सारे पहलू शामिल होते हैं, जैसे कि आत्मविश्वास बढ़ाना, संवाद कौशल को सुधारना, सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना तथा सामाजिक कौशल में सुधार करना। यह जीवन के हर नकारात्मक और सकारात्मक पक्षों को आपके सामने लेकर आने और सभी नकारात्मक पक्षों को सुधारने तथा आपको बेहतर बना कर अग्रसर करता है। यह नकारात्मक ऊर्जा और मानसिकता से आपको दूर रखता है साथ में आपको सकारात्मक होने अर्थात आपके सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा देता है।

यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं, जो व्यक्तित्व विकास में सहायक हो सकते हैं:

  • आत्मविश्लेषण (Self-Analysis): अपनी कमजोरियों और मजबूतियों को पहचानें। जब आप अपने कमजोर और मजबूत दोनों पक्षों से रूबरू रहते हों तो आपके लिए अर्थात आप से संबंधित बहुत सारे महत्वपूर्ण बाते समझना आसान हो जाता है। इसके बाद आप अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करें और उन पर ध्यान केंद्रित करें।
  • आत्मविश्वास बढ़ाएं (Build Confidence): आपको सकारात्मक सोच अपनाना चाहिए। छोटी-छोटी सफलताओं का जश्न मनाएं, इससे आपका मानसिकता मजबूत होता है और आप खुद मे खुद से संतुष्ट और प्रेरित महसूस करते हो। स्वयं से संतुष्ट होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि जब आप खुद से असंतुष्ट होते हैं, तो आप खुद ही खुद का बाधा उत्पन्न कर लेते हो आगे बढ़ाने में।
  • समय प्रबंधन (Time Management): समय बहुत ही मूल्यवान है इसलिए अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करें। प्राथमिकताएं निर्धारित करें और उन पर कार्य करें। हमेशा अपने प्राथमिकता को पहले पूरा करने का कोशिश करे।
  • संचार कौशल (Communication Skills): संचार कौशल हर जगह एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और आपको अच्छी तरह से बोलना और सुनना सीखना चाहिए। स्पष्ट और संक्षिप्त संवाद करें।
  • व्यक्तिगत स्वच्छता और प्रजेंटेशन (Personal Grooming and Presentation): अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। उचित पोशाक और बॉडी लैंग्वेज अपनाएं।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Attitude): अपने जीवन की समस्याओं का सामना सकारात्मक दृष्टिकोण से करने का प्रयास करे, क्योंकि नकारात्मक दृष्टिकोण सही को भी बिगाड़ देता है और बिगड़े को सुधारने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। नकारात्मक सोच से बचें और प्रेरित रहें।
  • सामाजिक कौशल (Social Skills): सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाएं। दूसरों के साथ अच्छी तरह से बातचीत करें और उनकी भावनाओं को समझें।
  • नियमित सीखना (Continuous Learning): आपको हमेशा सभी नए कौशल और ज्ञान को सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए। पुस्तकों, कोर्सेज़ और कार्यशालाओं का उपयोग करें, और अपने ज्ञान को बढ़ाते रहे ताकि आप अपने जीवन में कम से कम गलतियां करो। व्यक्तित्व विकास करने का अर्थ ही होता है खुद मे दिन प्रति दिन अच्छी बदलाव लाना।

व्यक्तित्व विकास के लिए यह सभी निरंतर प्रक्रिया है जो समय के साथ सुधार और परिवर्तन का मांग करता है। यह आपके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।

व्यक्तित्व विकास का महत्व

व्यक्तित्व विकास का महत्व बहुत बड़ा है, क्योंकि यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और संतुष्टि प्राप्त करने में मदद करता है। एक सफल जीवन साथ में संतुष्टि से भरा होना आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं, जिनसे व्यक्तित्व विकास का महत्व स्पष्ट होता है:

  • आत्मविश्वास बढ़ाता है (Boosts Confidence): व्यक्तित्व विकास के माध्यम से व्यक्ति अपने आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ा सकता है, जो किसी भी चुनौती का सामना करने में मदद करता है। जब आपका आत्मविश्वास मजबूत होता है, आप उस कार्य को भी आसानी से कर लेते हो जिस कार्य को करने में अक्सर लोग असमर्थ हो जाते हैं। कई बार आत्मविश्वास आपके जीत का कारण होता है, और कई बार इसके कमी के कारण आपके हार का बजह बन जाता है।
  • बेहतर संवाद कौशल (Improves Communication Skills): व्यक्तित्व विकास संवाद कौशल को सुधारता है, जिससे व्यक्ति दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत कर सकता है और अपने विचार को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकता है। यह आपके आपसी समझ और संबाद को बेहतर कर आपके सामाजिक विकास में काफी मददगार साबित हो सकता है।
  • सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Attitude): यह सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है, जो तनाव और नकारात्मकता से निपटने में सहायक होता है। सकारात्मक दृष्टिकोण हमेशा आपको बनाए रखना चाहिए।
  • संबंधों में सुधार (Improves Relationships): व्यक्तित्व विकास सामाजिक कौशल को बढ़ाता है, जिससे व्यक्तिगत और पेशेवर संबंध मजबूत बनते हैं। आपको अपने जीवन में संबंधो पर ध्यान देना भी आवश्यक होता है, सम्बंध को बेहतर बनाने का कई फायदे होते हैं चाहे वह आपके व्यक्तिगत हो या पेशेवर विकास में हो।
  • समस्या समाधान क्षमता (Problem-Solving Skills): यह व्यक्ति की समस्या का समाधान करने का क्षमता को बढ़ाता है, जिससे वह जीवन में आने वाली चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकता है। कई बार समस्या बहुत जटिल होता है लेकिन यह वहां भी आपको मदद करता है आसानी से समाधान करने में।
  • प्रभावशाली प्रजेंटेशन (Effective Presentation): व्यक्तित्व विकास के माध्यम से व्यक्ति अपनी प्रस्तुति कौशल को सुधार सकता है, जो पेशेवर सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। पेशेवर कार्य में प्रजेंटेशन बहुत मायने रखता है, एक बेहतर प्रजेंटेशन आपके पेशेवर सफलता में चार चांद लगा सकता है। प्रजेंटेशन हर जगह महत्वपूर्ण है जब आप अपने किसी नए उत्पाद को बाज़ार में प्रस्तुत कर रहे हों या पुराने उत्पाद में ही कुछ बदल किए हो, इसलिए यह भी बहुत महत्वपूर्ण है आपके बेहतर पेशेवर जीवन के लिए।
  • नए अवसर (New Opportunities): एक विकसित व्यक्तित्व अधिक अवसरों को आकर्षित करता है, चाहे वह नौकरी में तरक्की हो, नए व्यवसायिक अवसर हों या व्यक्तिगत विकास। जब भी आपको कोई अवसर मिले तो उसे व्यर्थ न जाने दे, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, आपको अपना थे बेस्ट (the best) देना चाहिए।
  • नेतृत्व क्षमता (Leadership Skills): व्यक्तित्व विकास नेतृत्व कौशल को भी सुधारता है, जिससे व्यक्ति एक प्रभावी नेता बन सकता है और टीम को प्रेरित कर सकता है। नेतृत्व करना आसान नहीं होता, नेतृत्व करने वाले पर एक जिम्मेदारी होता है और उस जिम्मेदारी पर आपको खड़े उतरने मे यह काफी मददगार साबित हो सकता है।
  • आत्म-संतुष्टि (Self-Satisfaction): व्यक्तित्व विकास आत्म-संतुष्टि की भावना को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन और कार्य से संतुष्ट महसूस करता है। आपको अपने जीवन में संतुष्टि लाना बहुत आवश्यक है।
  • समाज में मान-सम्मान (Social Respect): एक विकसित व्यक्तित्व समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है, जिससे व्यक्ति को सामाजिक पहचान और प्रतिष्ठा मिलती है।

व्यक्तित्व विकास जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है और सफलता के मार्ग को प्रशस्त करता है। यह एक निरंतर प्रक्रिया है जो व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

व्यक्तित्व विकास के सिद्धांत

व्यक्तित्व विकास के सिद्धांतव्यक्तित्व विकास के सिद्धांत व्यक्तित्व के गठन और विकास को समझाने के लिए विभिन्न मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय सिद्धांतों पर आधारित हैं। यहां कुछ प्रमुख सिद्धांत दिए गए हैं:

  • मनोविश्लेषण सिद्धांत (Psychoanalytic Theory): सिग्मंड फ्रायड: फ्रायड के अनुसार, व्यक्तित्व तीन घटकों – इड, ईगो और सुपरईगो – से मिलकर बनता है। इड जन्मजात इच्छाओं और वासनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, ईगो यथार्थवादी सोच और तर्क का केंद्र है, और सुपरईगो नैतिकता और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • व्यवहार सिद्धांत (Behavioral Theory): बी.एफ. स्किनर: यह सिद्धांत मानता है कि व्यक्तित्व बाहरी पर्यावरण के प्रति व्यक्ति की प्रतिक्रियाओं से बनता है। सकारात्मक और नकारात्मक सुदृढीकरण (reinforcement) व्यक्ति के व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • मानववादी सिद्धांत (Humanistic Theory): कार्ल रोजर्स और अब्राहम मास्लो: इस सिद्धांत के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति का जन्म प्राकृतिक रूप से अच्छा होता है और वह आत्म-वास्तविकीकरण (self-actualization) की ओर बढ़ता है। रोजर्स ने ‘स्वतंत्र आत्मा’ (self-concept) की अवधारणा प्रस्तुत की, जबकि मास्लो ने ‘आवश्यकताओं का पदानुक्रम’ (Hierarchy of Needs) का सिद्धांत दिया।
  • संज्ञानात्मक सिद्धांत (Cognitive Theory): जीन पियाजे और अल्बर्ट बैंडुरा: इस सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं और सोच की शैली पर निर्भर करता है। बैंडुरा का सामाजिक संज्ञानात्मक सिद्धांत यह मानता है कि व्यक्ति का व्यवहार पर्यावरणीय, व्यक्तिगत और व्यवहारिक कारकों के बीच आपसी संबंधों से प्रभावित होता है।
  • ट्रेट सिद्धांत (Trait Theory): गॉर्डन ऑलपोर्ट, रेमंड कैटेल, और हंस आइज़ेंक: ट्रेट सिद्धांत व्यक्तित्व के स्थायी गुणों या लक्षणों (traits) पर केंद्रित है। ऑलपोर्ट ने व्यक्तिगत लक्षणों की पहचान की, कैटेल ने 16 व्यक्तित्व कारकों का वर्णन किया, और आइज़ेंक ने तीन प्रमुख आयामों (उद्वेग, बहिर्मुखता/अंतर्मुखता, मनोविकृति) की पहचान की।
  • समाजशास्त्रीय सिद्धांत (Sociocultural Theory): यह सिद्धांत मानता है कि व्यक्तित्व का विकास सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में होता है। परिवार, समाज, संस्कृति, और समय के अनुसार व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है।

व्यक्तित्व विकास के ये सिद्धांत विभिन्न दृष्टिकोणों और अवधारणाओं को मिलाकर व्यक्तित्व की जटिलताओं को समझाने का प्रयास करते हैं। प्रत्येक सिद्धांत व्यक्ति के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर जोर देता है और एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।

व्यक्तित्व विकास के आवश्यक तत्व कौन कौन से हैं?

व्यक्तित्व विकास के आवश्यक तत्व वे घटक और पहलू हैं जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के समग्र निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह रहे कुछ प्रमुख तत्व:

  • स्वतंत्र आत्मा (Self-Concept): यह व्यक्ति की अपनी पहचान और आत्म-छवि के बारे में धारणा है। इसमें आत्म-सम्मान (self-esteem), आत्मविश्वास (self-confidence), और आत्म-समर्थन (self-efficacy) शामिल हैं। स्वतंत्र आत्मा होना बहुत आवश्यक है आपके लिए क्यूंकि जब आप स्वतंत्र आत्मा होते हैं तो अपनी जरूरत और प्रस्थिति के अनुसार फैसला लेने में आप कभी घबराते नहीं हो।
  • मूल्य और नैतिकता (Values and Ethics): व्यक्ति के मूल्य और नैतिक मानदंड उसके निर्णय लेने और व्यवहार को निर्देशित करते हैं अर्थात नैतिकता और मूल्य परिवार, समाज, और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से प्रभावित होते हैं। आपका व्यवहार, निर्णय और आपका सोच ही आपके मूल्य और नैतिकता को बता देता है। अपना मूल्य और नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए आपको सही फैसले, अच्छी व्यवहार और दमदार सोच रखना चाहिए।
  • भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence): यह अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचानने, समझने, और प्रबंधित करने की क्षमता को बढ़ाता है। इसमें आत्म-जागरूकता, आत्म-नियंत्रण, सहानुभूति, और सामाजिक कौशल शामिल हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता बहुत ही महत्वपूर्ण और जटिलता से भड़ा होता है। आपको अपना भावना पर नियंत्रण रखना चाहिए और इसका इस्तेमाल सही वक़्त और व्यक्ति के साथ करे।
  • सामाजिक कौशल (Social Skills): सामाजिक कौशल आपके व्यक्तिगत और पेशेवर गतिविधियों में बड़ा भूमिका अदा करता है। व्यक्ति के सामाजिक संबंधों और संचार कौशलों का विकास महत्वपूर्ण है। इसमें प्रभावी संचार, सक्रिय सुनने, सहानुभूति, टीमवर्क, और नेतृत्व क्षमता शामिल हैं।
  • समस्या समाधान और निर्णय लेने की क्षमता (Problem-Solving and Decision-Making Skills): व्यक्तित्व विकास जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान खोजने और उचित निर्णय लेने की क्षमता है। इसमें विश्लेषणात्मक सोच, रचनात्मकता, और निर्णय लेने की प्रक्रियाएं शामिल हैं। और वैसे भी समस्या और समाधान आपके जीवन का सबसे बड़ा हिस्सा है, जब तक आपका साँस चल रहा है तब तक आपके सामने समस्या आते रहेगा और आपको उसका समाधान करना है।
  • लक्ष्य निर्धारण और प्रेरणा (Goal Setting and Motivation): हर व्यक्ति का लक्ष्यों का निर्धारण होना और उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रेरित रहना आवश्यक है। इसमें अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के लक्ष्य निर्धारित करे, प्रेरणा बनाए रखे, और समय प्रबंधन शामिल कर उसे पाने की कोशिश करते रहे हैं।
  • अनुकूलनशीलता और लचीलापन (Adaptability and Resilience ): जीवन में आने वाले परिवर्तनों और चुनौतियों के प्रति लचीलापन और अनुकूलनशीलता दिखाना महत्वपूर्ण है। इसमें विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मक रहना और उनसे सीखना शामिल है।
  • निरंतर सीखना और आत्म-विकास (Continuous Learning and Self-Development): व्यक्ति का निरंतर सीखते रहना और आत्म-विकास की ओर अग्रसर रहना महत्वपूर्ण है। इसमें नई जानकारी और कौशलों का अधिग्रहण, आत्म-प्रतिबिंबन, और व्यक्तिगत विकास शामिल हैं। एक बेहतरीन जीवन के लिए आपको हमेशा अपना बेहतर प्रदर्शन करना होगा, उसके लिए आप निरंतर ज्ञान अर्जित करे और खुद पर भरोसा रखे।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (Physical and Mental Health): आपको अपने स्वस्थ पर ध्यान देना चाहिए। स्वस्थ शरीर और मन व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक हैं। इसमें उचित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना शामिल है। स्वस्थ शरीर और मानसिकता आपके सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इन सभी तत्वों का संतुलित विकास किसी व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व को निखारने में मदद करता है और उसे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करता है।

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एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत (Trick) -Manosamajik Vikas Ka Siddhant

आज इस आर्टिकल में एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत ( ericcson ka manosamajik vikas ka siddhant) के बारे में विस्तार से बात करेंगे।

एरिक्सन का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा और इससे सबक लेकर उन्होंने मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत दिया।

एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत

एरिक एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत (Theory of Psychosocial Development By Erik Ericcson In Hindi)

प्रवर्तक – इरिक इरिक्सन / एरिक्सन (Erik Erikson)

इरिक्सन ने अपनी प्रसिद्ध कृति “चाइल्ड हुड एण्ड सोसायटी- 1963” में यह स्पष्ट किया है कि मनुष्य केवल से जैविक और मानसिक प्राणी ही नहीं है, बल्कि वह एक सामाजिक प्राणी भी है। इरिक्सन ने इस सिद्धांत में पूरे जीवन अवधि (Life Spans) को 8 विभिन्न अवस्थाओं में बांटा है।

एरिक एरिक्सन के मनोसामाजिक विकास सिद्धांत को जीवन विस्तार सिद्धांत / Life Span Theory / अनन्यता की खोज / Identity / पहचान का संकट / Identity Crisis आदि नामों से भी जाना जाता है।

S.N.मनो सामाजिक विकास सिद्धान्त की अवस्थाआयु

1. विश्वास बनाम् अविश्वास (Trust vs Mistrust) 

शैशवावस्था – बच्चों को अपने माता-पिता को देखकर उचित स्नेह व प्रेम मिलता है, जो उनमें विश्वास (Trust) का भाव विकसित करता है तथा जब माता-पिता बच्चों को रोते-बिलखते व चिल्लाते छोड़ जाते हैं, तो उनमें अविश्वास (Mistrust) की भावना विकसित हो जाती है।

2. स्वतंत्रता बनाम् लज्जाशीलता (Autonomy vs Shame )

प्रारम्भिक बाल्यावस्था (2 से 3 वर्ष) – इस अवस्था में बालक अपने आप भोजन करना, कपड़े पहनना इत्यादि पर दूसरों पर निर्भर रहना नहीं चाहते। वह स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहते हैं। दूसरी तरफ बहुत सख्त माता-पिता बच्चों को साधारण कार्य करने पर भी द्वार डाँटते हैं तथा उनकी क्षमता पर शक करते हैं, जिसके कारण बच्चे अपने अंदर लज्जा अनुभव करते हैं।

3.पहल शक्ति बनाम् दोषित (Initiative vs Guilt) 

(4 से 6 वर्ष)  – यह बच्चों का प्राक् स्कूली वर्ष (Preschool Years) होता है तथा ये अवधि बालक की पूर्व/आरम्भिक बाल्यावस्था की होती है। माता-पिता बच्चों को जिंदगी के सभी क्षेत्रों में नये-नये खोज करने की प्रेरणा देते हैं, तो इसे पहल की संज्ञा देते हैं और जब माता-पिता पहल करने पर उनकी आलोचना / दण्ड देते हैं, तो बच्चों में दोष भाव उत्पन्न हो जाता है।

4.परिश्रम बनाम हीनता (Industry vs Inferiority) 

(6 से 12 वर्ष) – इस अवधि को उत्तरबाल्यावस्था भी कहा जाता है। जब बच्चों को पहल से उत्पन्न नई अनुभूतियाँ मिलती है। तब वह अपनी ऊर्जा को नये ज्ञान अर्जित करने में लगाते हैं, इसे परिश्रम की संज्ञा दी गई है। लेकिन जब स्कूल में आने वाली चुनौतियों से असफलता मिलती है, तब बालक में हीनता का भाव उत्पन्न होता है।

5.अहं पहचान बनाम् भूमिका संभ्रान्ति (Identity vs Role confusion)

(13 से 19 वर्ष) – यह किशोरावस्था की अवस्था होती है। इस अवस्था में किशोरों में यह जानने की प्राथमिकता होती है कि वह कौन है, किसलिए है, और अपने जीवन में कहाँ जा रहे हैं? इसे पहचान की संज्ञा दी है तथा जब बालक भविष्य का रास्ता सुनिश्चित नहीं कर पाते, तब संभ्रांति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

6. घनिष्ठता बनाम् अलगाव (Intimacy vs Isolation) 

(20 से 35 वर्ष) – यह आरम्भिक वयस्क अवस्था / युवावस्था की अवस्था होती है। इस अवस्था में व्यक्ति दूसरों के साथ धनात्मक संबंध (Positive Relation) बनाता है। जब व्यक्ति वे दूसरों के साथ घनिष्ठता का भाव विकसित होता है, तो वह दूसरों के लिए अपने आपको समर्पित कर लेता है और जब दूसरों के साथ घनिष्ठता विकसित नहीं कर पाते हैं, तो वे सामाजिक रूप से अलग (Socially Isolated) हो जाते हैं अर्थात् इस अवस्था में घनिष्ठता बनाम अलगाव का संघर्ष होता है।

7. जननात्मकता बनाम् स्थिरता (Generativity vs Stagnation) 

(30 से 65 वर्ष) – यह अवस्था मध्यवयस्कावस्था (Middle Adulthood) भी कहलाती है। इस अवस्था में व्यक्ति अगली पीढ़ी के लोगों के कल्याण तथा उस समाज के लिए जननात्मक में उत्पादकता सम्मिलित करता है, लेकिन जब व्यक्ति को जननात्मकता की चिंता उत्पन्न नहीं होती, तो उसमें स्थिरता उत्पन्न हो जाती है।

8. संपूर्णता बनाम् नैराश्य (Ego Integrity vs Despair) 

(65 वर्ष के बाद) – इस अवस्था में 65 वर्ष के बाद से प्रारम्भ होकर मृत्यु तक की अवधि सम्मिलित होती है। इस अवस्था में व्यक्ति अपने पहले के समय को याद करता है, कि उसने सभी अवस्थाओं की जिम्मेदारी धनात्मक रूप से पूर्ण की है या नहीं। अगर परिणाम धनात्मक होता है, तो संपूर्णता का भाव विकसित होता है और अगर परिणाम ऋणात्मक होता है, तो नैराश्य का भाव होता है।

तो दोस्तो यह एरिक्सन का “ मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत -ericcson ka manosamajik vikas ka siddhant” था जो आपको पसंद आया होगा।

About Kavish Jain

में अपने शौक व लोगो की हेल्प करने के लिए Part Time ब्लॉग लिखने का काम करता हूँ और साथ मे अपनी पढ़ाई में Bed Student हूँ।मेरा नाम कविश जैन है और में सवाई माधोपुर (राजस्थान) के छोटे से कस्बे CKB में रहता हूँ।

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व्यक्तित्व (Personality) – व्यक्तित्व का विकास, अर्थ, परिभाषा

Vyaktitva

व्यक्तित्व (Personality)

मनोविज्ञान के विकास ने व्यक्तित्व की पुरानी धारणाओं को बदल दिया है। ‘ व्यक्तित्व का आधार ‘ क्या होना चाहिये? यह प्रश्न मनोवैज्ञानिकों के लिये जटिल बन गया था। उन्होंने विभिन्न रूपों एवं दृष्टिकोणों से व्यक्ति का अध्ययन किया और व्यक्तित्व की प्राचीन अवधारणाओं को समाप्त कर नवीन अवधारणा को स्थापित किया।

गैरिसन, कार्ल सी. और अन्य ने लिखा है – “ व्यक्तित्व सम्पूर्ण मनुष्य है, उसकी स्वाभाविक अभिरुचि तथा क्षमताएँ और उसके भूतकाल में अर्जित किये गये ज्ञान, इन कारकों का संगठन तथा समन्वय व्यवहार प्रतिमानों, आदर्श, मूल्यों तथा अपेक्षाओं की विशेषताओं से पूर्ण होता है। “

Personality is the whole man, his inherited aptitudes and capacities, all his past learning, the integrations and synthesis of these factors into characteristics behavior patterns, his ideals, values and expectations.

व्यक्तित्व का कोई स्थायी प्रत्यय नहीं है। समय-समय पर व्यक्तित्व का स्वरूप बदलता रहता है। वास्तव में व्यक्तित्व उस ढंग को कहते है, जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपने परिवेश के साथ अनुकूलन करता है। इसी आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का अपने परिवेश के साथ समुचित अनुकूलन है तो उसका व्यक्तित्व उत्तम है।

विभिन्न व्यक्तियों का अपने परिवेश के साथ भिन्न प्रकार का अनुकूलन होता है। इसी कारण से उनका व्यक्तित्व भी भिन्न-भिन्न माना जाता है। व्यक्तित्व सदैव ही व्यवहार द्वारा ज्ञात होता है।  व्यवहार व्यक्तित्व का बाहरी रूप है। व्यवहार में जितना अधिक संकलन (Integration) होगा उतना ही सुदृढ़ व्यक्तित्व माना जायेगा।

जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे पर्सोना  (Persona) शब्द का अर्थ परिवर्तित होता चला गया। ईसा-पूर्व पहली शताब्दी में रोम के प्रसिद्ध लेखक और कूटनीतिज्ञ सिसरो (Cicero) ने उसका प्रयोग चार अर्थों में किया-

  • जैसा एक व्यक्ति दूसरे को दिखायी देता है, पर वैसा वह वास्तव में नहीं है,
  • वह कार्य जो जीवन में कोई करता है, जैसे कि दार्शनिक,
  • व्यक्तित्व गुणों का संकलन जो है एक मनुष्य को उसके कार्य के योग्य बनाता है,
  • विशेषता और सम्मान जैसा कि लेखन शैली में होता रहा है।

इस प्रकार तेरहवीं शताब्दी तक  पर्सोना (Persona) शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में होता रहा। चौदहवीं शताब्दी में मनुष्य की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करने के लिये एक नये शब्द की आवश्यकता का अनुभव किया जाने लगा। इन आवश्यकताओं का पूर्ण करने के लिये  पर्सोना (Persona) को पर्सनल्टी (Personality) शब्द में  रूपान्तरित कर दिया गया।

व्यक्तित्व की प्रकृति

Nature of personality.

व्यक्तित्व के ऊपर मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षाशास्त्रियों ने अपने-अपने आधार पर चिन्तन प्रस्तुत किया है। अत: हमें इस विगत कार्य को ध्यान में रखकर व्यक्तित्व के स्वरूप की विवेचना करनी होगी। इसके लिये व्यक्तित्व के अर्थ एवं स्वरूप के सन्दर्भ में निम्न तीन बातों को आधार मानकर कार्य करना है-

  • व्यक्तित्व से सम्बन्धित विभिन्न परिभाषाओं में भिन्नता देखना।
  • व्यक्तित्व की एक अवधारणा का चयन करना।
  • सबसे अच्छी परिभाषा कौन-सी होगी? जो सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिभाषित कर सके, को निश्चित करना।

व्यक्तित्व का प्राचीन मत (Old Concept of Personality)

व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी शब्द Personality का हिन्दी रूपान्तर है। Personality शब्द लैटिन भाषा के Persona से विकसित हुआ है। जिसका अर्थ है Mask (नकली चेहरा) ।

सिसरो ने Persona शब्द का विवेचन निम्न रूपों में किया है-

  • भूमिका के अनुसार अपने चेहरे को बदलना।
  • उपयुक्त भूमिका के आधार पर सम्पूर्ण व्यक्तित्व की भूमिका बनाना।
  • भूमिका के आधार पर गुणों का विकास करना।
  • एक नवीन व्यक्तित्व को धारण करना, जो वास्तविक से सर्वथा भिन्न है।

व्यक्तित्व के क्षणिक परिवर्तित स्वरूप को वास्तविक व्यक्तित्व मानना गलत है। अतः आज व्यक्तित्व की नवीन अवधारणा का उदय हुआ, जो सम्पूर्ण शक्तियों, क्षमताओं आदि का सम्मिश्रण है।

व्यक्तित्व का आधुनिक मत (Modem Concept of Personality)

व्यक्ति और व्यक्तित्व दोनों ही अलग-अलग शब्द है, जिनका एक-दूसरे से अकाट्य सम्बन्ध होते हुए भी बहुत विभेद है। यदि ध्यानपूर्वक विचार किया जाय तो स्पष्ट होता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने गुणों से अन्य को प्रभावित करता है और अन्य लोगों से प्रभावित होता है। अत: वर्तमान समय में व्यक्तित्व को मध्यवर्ती चर के रूप में माना जा रहा है।

मनोविज्ञान में अब सिद्ध हो चुका है कि किसी उद्दीपक के द्वारा अनुक्रिया तुरन्त या स्वत: नहीं हो जाती है। उद्दीपक सम्पूर्ण प्राणी को प्रभावित करता है और जो अनुक्रिया होती है, वह उद्दीपक तथा प्राणी दोनों का कार्य होता है। उदाहरणार्थ – जब एक बच्चा भूखा होता है तब मिठाई के प्रति उसकी प्रतिक्रिया एक प्रकार की होती है, किन्तु जब वह तृप्त हो जाता है, तब उसकी प्रतिकिया भिन्न प्रकार की होती है। उद्दीपक और अनुक्रिया के बीच में मध्यवर्ती चर (Intervening variable) होते हैं, जो व्यवहार को प्रभावित करके उसको निश्चित करते हैं। मध्यवर्ती चर हैं-  बुद्धि , प्रेरक, पूर्व अनुभव, अभिवृत्ति, मानसिक सुझाव आदि।

अत: हम यहाँ पर दो प्रमुख मनोवैज्ञानिकों के विचारों को स्पष्ट करेंगे जिन्होंने मध्यवर्ती चरों को मानकर व्यक्ति के स्वरूप ( व्यक्तित्व ) को स्पष्ट किया है-

1. आलपोर्ट की व्याख्या (Explanation of Alport)

“ व्यक्तित्व व्यक्ति की उन  मनोभौतिक पद्धतियों का गतिशील संगठन है, जो पर्यावरण के प्रति अपूर्व समायोजन स्थापित करता है।”

Personality is the dynamic organisation within individual of those psychological system that determine his unique adjustment to his environment.

आपने व्यक्तित्व से सम्बन्धित विभिन्न परिभाषाओं का विश्लेषण करके, व्यक्तित्व की अपनी परिभाषा मध्यवर्ती चरों को आवश्यक मानकर की है।

इस परिभाषा ने व्यक्तित्व के स्वरूप के सम्बन्ध में आने वाली विभिन्न उलझनों को दूर कर दिया है। यह व्यक्तित्व को ‘ गतिशील संगठन ‘ मानती है, जिससे यह अभिप्राय है कि व्यक्तित्व का स्वरूप परिवर्तनशील होता है। इससे व्यक्तित्व का आन्तरिक पक्ष स्पष्ट होता है, बाह्य नहीं। यहाँ ‘ मनोभौतिक पद्धतियों ‘ से तात्पर्य आदतों, अभिवृत्तियों तथा लक्षणों से है।

सामाजिकता की भावना का प्रकटीकरण ‘ पर्यावरण के प्रति समायोजन ‘ का उपयोग करके किया जाता है। इससे अभिप्राय यह है कि व्यक्ति अपने पर्यावरण के साथ समायोजन करके उसके प्रति कार्यात्मक व्यवहार करता है। इसके अन्दर व्यक्ति की सृजनात्मक एवं स्वत: होने वाली क्रियाएँ भी शामिल हैं। अत: आपकी व्याख्या वैज्ञानिक पहुँच की द्योतक है।

2. स्टैगनर तथा कारवोस्की की व्याख्या (Explanation of Karwoski and Stegner)

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टैगनर तथा कारवोस्की ने भी व्यक्तित्व को उद्दीपक तथा अनुक्रिया के बीच मध्यवर्ती अवस्था माना है। उन्होंने लिखा है- “ व्यक्तित्व अभिप्रेरणाओं तथा प्रत्यक्षों का ऐसा विलक्षण प्रतिरूप है, जिससे एक विशिष्ट व्यक्ति का पता चलता है। “

यह दृष्टिकोण इस बात पर बल देता है कि व्यक्ति की इच्छाएँ क्या हैं और उनकी पूर्ति करने वाले साधनों की ओर वह किस प्रकार देखता है? महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति सम्मान रूपी व्यक्तित्व से अभिप्रेरित रहता है, जबकि क्रूर व्यक्ति उनको अपने उद्देश्य के लिये साधन मात्र मानता है।

आपने विस्तृत रूप से व्यक्तित्व की परिभाषा करते हुए लिखा है-

“ वास्तविक व्यक्तित्व किसी विशेष व्यक्ति की बाह्य अनुक्रिया का प्रतिरूप मात्र नहीं होता और न एक व्यक्ति के सामाजिक प्रभाव होते हैं। वस्तुत: व्यक्तित्व प्रेरकों, संवेगों, प्रत्यक्षों तथा स्मृतियों का ऐसा आन्तरिक संगठन होता है, जो व्यवहार की दिशा को निर्धारित करता है। “

उपर्युक्त परिभाषा का विश्लेषण करने पर व्यक्तित्व के चार अवयव स्पष्ट होते हैं- गत्यात्मक प्रतिरूप, प्रत्यक्ष अवयव, सीखना तथा बुद्धि । ये अवयव, व्यक्तित्व के स्वरूप को स्पष्ट करने में समर्थ होते हैं।

  • गत्यात्मक प्रतिरूप : गत्यात्मक प्रतिरूप से तात्पर्य व्यक्ति विशेष के प्रेरकों एवं संवेगों का प्रभाव, जो उसके व्यवहार में परिवर्तन उत्पन्न करता है। 
  • प्रत्यक्ष अवयव : प्रत्यक्ष अवयव से तात्पर्य व्यक्ति विशेष का आन्तरिक आवश्यकताओं की पूर्ति से होता है। वह प्रेरणा एवं आवश्यकता में विभेद स्थापित करके सुखानुभूति की ओर अग्रसर होता है। बच्चा अपने शैशवकाल में अपरिचित व्यक्तियों और माता-पिता में भेद स्थापित करता है। ये भेद उसकी प्रत्यक्ष आवश्यकता (सुख) से प्रभावित रहता है जिससे वह माता-पिता के समीप रहना पसन्द करता है। 
  • सीखना : सीखना व्यक्ति की जन्मजात क्रिया है, जो अनुक्रियाएँ ( प्रत्यक्ष एवं भूल द्वारा ) उसको सुख एवं सन्तोष प्रदान करती हैं, उनको वह शीघ्र ग्रहण कर लेता है, अन्य को नहीं। अत: ज्ञान भण्डार में वृद्धि उसके सीखने की प्रक्रिया पर ही निर्भर होती है। परिपक्वावस्था आने पर वह अपना जीवन-दर्शन निश्चित कर लेता है, जिससे उसके व्यक्तित्व में एकीकरण आ जाता है। 
  • बुद्धि : बुद्धि का मानसिक प्रक्रिया में सबसे प्रमुख स्थान है। यह व्यक्तित्व निर्माण में प्रभावशाली कार्य करती है। एक व्यक्ति के जीवन में यह बात बड़ी महत्त्वपूर्ण है कि वह अपने अनुभवों के सम्बन्ध में विचार करने की कैसी योग्यता रखता है और उनका सामान्यीकरण किस प्रकार करता है?

व्यक्तित्व से सम्बन्धित सभी व्याख्याओं पर दृष्टिपात करने से स्पष्ट होता है कि व्यक्ति के समग्र लक्षण व्यक्तित्व में आते हैं। वह विशेष लक्षणों का योगमात्र न होकर उनका एक विशिष्ट संगठन होता है। वह व्यक्ति के व्यवहार का समग्र गुण होता है। व्यक्तित्व दूसरों पर अपना प्रभाव डाले बिना नहीं रहता।

अतः हम कह सकते हैं कि व्यक्तित्व के अन्दर व्यक्ति के लक्षण , योग्यताएँ , रुचियाँ , अभिवृत्तियाँ , मूल्य , प्रेरक तथा समायोजन करने के स्वाभाविक ढंग सम्मिलित हैं। इसके अन्दर स्वभाव (Temperament), भाव , दशाएँ , व्यक्ति के गुण , आचरण , नैतिक और मानवीय विचार का प्रमुख स्थान रहता है।

व्यक्तित्व का अर्थ

Meaning of personality.

विभिन्न विद्वानों के दृष्टिकोण से व्यक्तित्व के अर्थ को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

1. दार्शनिक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ (Philosophical view)

दर्शन के अनुसार इसकी परिभाषा निम्न प्रकार से है- “ व्यक्तित्व आत्म-ज्ञान का ही दूसरा नाम है, यह पूर्णता का प्रतीक है। इस पूर्णता का आदर्श ही व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है। “

Personality is the ideal of perception of it self-realization.

2. समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ (Sociological view)

इस दृष्टिकोण के अनुसार-व्यक्तित्व उन सभी तत्वों का संगठन है, जिनके द्वारा व्यक्ति को समाज में कोई स्थान प्राप्त होता है, इसलिये व्यक्तित्व का एक सामाजिक प्रभाव है।

फारिस (Faris) के अनुसार- “ व्यक्तित्व संस्कृति का वैयक्तिक पक्ष है। “

Personality is the subjective side of culture.

3. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ (Psychological view)

इस दृष्टिकोण के अनुसार व्यक्तित्व का अर्थ वंशानुक्रम एवं वातावरण का ही एक रूप है।

मार्टन के अनुसार- “ व्यक्तित्व व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव, मूल प्रवृत्तियों, भावनाओं तथा इच्छाओं आदि का समुदाय है। “

वूडवर्थ (Woodworth) के शब्दों में- “ व्यक्ति के व्यवहार का समूचा सार ही उसका व्यक्तित्व होता है। “

“Personality is the total quality of individual behavior.”

4. मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ (Psycho-analysis view)

इस दृष्टिकोण के जन्मदाता फ्रायड हैं, जिन्होंने व्यक्तित्व को तीन भागों में बाँटा है- इदम् (Id) , अहम (Ego) तथा परम अहम् (Super ego) ।

  • इदम् चेतन मन में स्थित प्राकृत शक्तियाँ हैं, जो अबोध या अज्ञान की अवस्था में मृत हैं। इसे शीघ्र ही सन्तुष्टि मिलनी चाहिये।
  • अहम् वह चेतन तथा चेतन शक्ति है, जिसमें तर्क और बुद्धि का समावेश है। इसका सम्बन्ध इद्म तथा अहम् दोनों से है।
  • परम अहम् व्यक्ति का आदर्श होता है। वह नैतिकता के आधार पर अहम् की आलोचना करता है तथा उसे सही मार्ग दिखाता है।

युंग के अनुसार व्यक्तित्व के दो भाग हैं-

  • व्यक्तिगत अज्ञात-मन (Personal unconscious mind)
  • सामूहिक अज्ञात-मन (Collective unconscious mind)

व्यक्ति के अज्ञात मन में दबी हुई इच्छाएँ संचित होती रहती हैं। साथ ही जीवन के वे अनुभव जिन्हें समय धीरे-धीरे, भुला देता है, उनके स्मृति चिह्न भी मन के इस भाग में बने रह जाते हैं।

सामूहिक अज्ञात मन में जातीय गुण समाविष्ट रहते हैं। अत: यह भाग जातीयता के गुणों अर्थात् पूर्वजों से प्राप्त गुण एवं विशेषताओं का कोष है।

5. सामान्य दृष्टिकोण से व्यक्तित्व का अर्थ (Layman view)

व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के प्रभाव के उन गुणों से लिया जाता है, जो दूसरों के हृदय पर विजय पाने में सहायक होते हैं। इसी के कारण कहा जाता है कि- व्यक्तित्व वह उद्दीपक मूल्य है, जो एक व्यक्ति दूसरे के लिये रखता है।

Personality is the stimulus value which one individual has for another.

इस प्रकार मनुष्य के व्यक्तित्व के पक्षों में शारीरिक पक्ष , बौद्धिक पक्ष , भावात्मक पक्ष , सामाजिक पक्ष ,  संकलनात्मक पक्ष तथा नैतिक पक्ष आदि सम्मिलित होते हैं।

व्यक्तित्व की परिभाषाएँ

Definitions of personality.

व्यक्तित्व के सम्बन्ध में विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों के द्वारा दी गयी परिभाषाएँ निम्न है-

1. मन (Munn) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व एक व्यक्ति के गठन, व्यवहार के तरीकों, रुचियों, दृष्टिकोणों, क्षमताओं और तरीकों का सबसे विशिष्ट संगठन है।

Personality may be defined as the most characteristic integration or an individual’s structures, modes of behavior, interest, attitudes, capacities, abilities and aptitudes.

2. वारेन (Warren) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व व्यक्ति का सम्पूर्ण मानसिक संगठन है, जो उसके विकास की किसी भी अवस्था में होता है।

Personality is the entire mental organisation of human being at any stage of his development.

3. रैक्स (Rex)के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगठन है।

Personality is the balance between socially approved and disapproved traits.

4. डैशील (Daisheel) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व, व्यक्ति की सम्पूर्ण प्रतिक्रियाओं एवं प्रतिक्रियात्मक सम्भावनाओं का संस्थान है; जैसा कि उसके परिवेश में जो सामाजिक प्राणी है, उसके द्वारा आंका जाता है। यह व्यक्ति के व्यवहारों का एक समायोजित संकलन है, जो व्यक्ति अपने सामाजिक व्यवस्थापन के लिये करता है।

5. प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक मन (Mann N.L.) के शब्दों में व्यक्तित्व   की परिभाषा

Personality may be defined as the most characteristic integration of an individual’s structures, modes of behavior, interests, attitudes, capacities, abilities and aptitudes.

6. आलपोर्ट (Alport) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व व्यक्ति के भीतर उन मनोदैहिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है जो परिवेश के प्रति होने वाले उसके अपूर्व अभियोजनों का निर्णय करते हैं।

Personality is the dynamic organization with in the individual of those psychological systems that determine his unique adjustment to his environment.

7. मार्टन प्रिंस (Morrain Prince) के शब्दों में व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व समस्त शारीरिक तथा अर्जित वृत्तियों का योग है।

Personality is the sum total of all the biological innate and acquired tendencies.

8. गुथरी (1944) (Guthrie) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व की परिभाषा सामाजिक महत्त्व की उन आदतों तथा आदत संस्थानों के रूप में की जा सकती है जो स्थिर तथा परिवर्तन के अवरोध वाली होती है।

Personality is defined as those habits and habit systems of social importance that are stable and resistant to change.

9. एस. सी. वारेन (H.C. Warren) के शब्दों में व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व व्यक्ति के विकास की किसी भी अवस्था में होने वाला समग्र मानसिक संगठन है।

Personality is the entire mental organization of a human being at any stage of his development.

10. वाट्सन (Watson) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

हम जो कुछ करते हैं, वही व्यक्तित्व है।

Personality is everything that we do.

11. मे एवं हार्टशार्न  (May and Hartshorn) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व, व्यक्ति का वह स्वरूप है जो उसे प्रभावशाली बनाता है और दूसरों को प्रभावित करता है।

Personality is that which makes one effective and gives influence over others.

12. बिग एवं हण्ट (Bigge and Hunt) के शब्दों में व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार-प्रतिमान और विशेषताओं के योग का उल्लेख करता है।

Personality refers to the whole behavioural pattern of an individual to the totality of its characteristics.

13. आइजनेक (1970) (HJ.Eysenek) के मत में व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्ति की अभि-प्रेरणात्मक व्यवस्थाओं का व्यक्तित्व सापेक्ष रूप से वह स्थिर संगठन है जिसकी उत्पत्ति जैविक अन्तनोंदों, सामाजिक तथा भौतिक वातावरण की अन्त:क्रिया के फलस्वरूप होती है।

Personality is the relatively stable organization of person’s motivational dispositions, arising from the interaction between biological drives and social and physical environment.

14. परविन (Pervin) (1971) के अनुसार व्यक्तित्व   की परिभाषा

व्यक्तित्व किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के उन रचनात्मक और गत्यात्मक गुणों का प्रतिनिधित्व करता है जो किसी परिस्थिति के प्रति विशिष्ट प्रतिक्रियाओं द्वारा परिलक्षित होते हैं।

Personality represents those structural and dynamic properties of an individual or individuals as they reflect themselves in characteristic responses to situations.

उपर्युक्त परिभाषाएँ , व्यक्तित्व की स्पष्ट रूप से व्याख्या करती हैं, क्रियाशील बनाती हैं, व्यवस्थित व्यवहार की ओर इंगित करती हैं तथा व्यक्तित्व के वंशानुक्रम और वातावरण के महत्त्व की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं।

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि व्यक्तित्व एक अति जटिल धारणा है। इसके अन्तर्गत मनुष्य के सब प्रकार के आन्तरिक एवं बाहरी गुणों का समावेश होता है। व्यक्ति के व्यवहार से जो कुछ भी होता है वह सब उसके व्यक्तित्व का ही प्रतीक है।

यदि इन सभी परिभाषाओं का विश्लेषण किया जाय तो हम सभी निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि-

  • व्यक्तित्व को परिभाषाबद्ध करना कभी भी सम्भव नहीं है।
  • व्यक्तित्व गतिशील होता है।
  • व्यक्तित्व वह नहीं जो कुछ बाहर से दिखायी देता है।
  • व्यक्तित्व मनुष्य के बाह्य रूप एवं उसके अन्तर्निहित गुणों का सम्मिलित स्वरूप है।

अन्य शब्दों में व्यक्तित्व-

व्यक्तित्व में शारीरिक और संज्ञानात्मक दोनों प्रकार के गुण सम्मिलित हैं परन्तु इसमें अधिकांश और मुख्य गुण – प्रभावोत्पादक संज्ञानात्मक गुण, स्थायीभाव, अभिवृत्तियाँ, मानसिक ग्रन्थियाँ (Complexes) तथा अचेतन मनोरचनाएँ, रुचियाँ और विचार आदि होते हैं।

व्यक्तित्व के पहलू

Aspects of personality.

गैरिसन तथा अन्य (Garrison and Other) ने व्यक्तित्व के निम्न पहलू बताये हैं-

1. क्रियात्मक पहलू (Action aspect)

व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव की क्रियाओं से है। ये क्रियाएँ व्यक्ति की भावुकता, शान्ति,  नोदप्रियता, मानसिक श्रेष्ठता आदि को व्यक्त करती है।

2. सामाजिक पहलू (Social aspect) 

व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव द्वारा दूसरों पर डाले जाने वाले सामाजिक प्रभाव से है। इस पहलू में उन सभी बातों का समावेश हो जाता है, जिनके कारण मानव दूसरों पर एक विशेष प्रकार का प्रभाव डालता है।

13. कारण-सम्बन्धी पहलू (Cause aspect)

व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव के सामाजिक या असामाजिक कार्यों के कारणों और उन कार्यों के प्रति लोगों की प्रतिक्रियाओं से है। यदि व्यक्ति के कार्य अच्छे हैं तो लोग उसे पसन्द करते हैं, अन्यथा नहीं।

4. अन्य पहलू (Other aspect)

व्यक्तित्व के अन्य पहलू हैं – दूसरों पर हमारा प्रभाव, हमारे जीवन में होने वाले बातों और घटनाओं का हम पर प्रभाव, हमारे गम्भीर विचार, भावनाएँ और अभिवृत्तियाँ।

निष्कर्ष रूप में-

गैरिसन एवं अन्य (Garrison and Other) ने लिखा है – “ ये सभी पहलू महत्त्वपूर्ण हैं, परन्तु इनमें से कोई एक या सम्मिलित रूप से सब पूर्ण व्यक्तित्व का वर्णन नहीं करते । व्यक्तित्व इन सबका और इनसे भी अधिक का योग है। यह सम्पूर्ण मानव है। “

All these aspects are important. None of them alone or even all of them together describes the whole of personality. It is all of these and more. It is the whole of man.

व्यक्तित्व के ये पहलू उसके विभिन्न गुणों तथा पक्षों पर प्रकाश डालते हैं। ये पक्ष व्यक्तित्व के संगठनात्मक स्वरूप पर प्रकाश डालते हैं।

इसीलिये बीसेन्ज एवं बीसेन्ज के शब्दों में, “ व्यक्तित्व मनुष्य की आदतों, दृष्टिकोण तथा विशेषताओं का संगठन है। यह जीव-शास्त्रीय सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारण के संयुक्त कार्यों द्वारा उत्पन्न होता है। “

व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing to Development of Personality)

रैक्स एवं नाइट (Rex and Knight) के शब्दों में, “ मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों से भी है। इनमें से कुछ कारक शारीरिक रचना सम्बन्धी और जन्मजात एवं दूसरे पर्यावरण सम्बन्धी है। “

अत: व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारकों का क्रमबद्ध विवरण इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है- 1. वंशानुक्रम (Heredity), 2. जैविक कारक (Biological factors), 3. शारीरिक रचना (Physical structure), 4. दैहिक प्रवृत्तियाँ (Physiological tendencies), 5. मानसिक योग्यता (Mental ability), 6. विशिष्ट रुचियाँ (Specific interest), 7. भौतिक वातावरण (Physical environment), 8. सामाजिक वातावरण (Social environment), 9. सांस्कृतिक वातावरण (Cultural environment), 10. परिवार (Family), 11. विद्यालय (School) और 12. अन्य कारक (Other factors)। पढ़ें इन सब के बारे में विस्तार से “व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले कारक”।

व्यक्तित्व के प्रकार (Types of Personality)

व्यक्तित्व के सन्दर्भ में अलग-अलग शिक्षाशास्त्रियों ने अपने विचार पृथक्-पृथक् किये हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है-

  • केश्मर (Kreschmer) ने व्यक्तित्व के चार प्रकार बताये हैं – केश्मर (Kreschmer) का व्यक्तित्व वर्गीकरण
  • शेल्डन ने तीन प्रकार के व्यक्तित्व बताये हैं – शेल्डन का व्यक्तित्व वर्गीकरण
  • विलियम जेम्स ने दो प्रकार के व्यक्ति बताये हैं – विलियम जेम्स का व्यक्तित्व वर्गीकरण
  • न्यूमैन तथा स्टर्न ने व्यक्तित्व को दो भागों में वर्गीकृत किया है – न्यूमैन तथा स्टर्न का व्यक्तित्व वर्गीकरण
  • शैल्डन ने शारीरिक गुणों के आधार पर व्यक्तित्व तीन भागों में बाँटा है – शैल्डन का व्यक्तित्व वर्गीकरण
  • मनोविश्लेषणवादी युंग ने व्यक्तित्व को दो भागों में बाँटा है – युंग का व्यक्तित्व वर्गीकरण

विस्तार से पढ़ें “व्यक्तित्व के प्रकार”।

व्यक्तित्व निर्धारण (Personality Assessment)

व्यक्ति का बाह्य आचरण उसकी जन्मजात तथा अर्जित वृत्तियाँ, उसकी आदतें और स्थायी भाव, उसके आदर्श और जीवन के मूल्य,ये सभी मिलाकर एक ऐसे प्रमुख स्थायी भाव (Master sention) या’ आदर्श-स्व’ (Ideal-self) को जन्म देते हैं, जो मानव के व्यक्तित्व का प्रमुख आधार है।

मानव विकास के साथ-साथ उसके व्यक्तित्व का निर्धारण करना एक समस्या रही है। प्रत्येक देश की संस्कृति ने विभिन्न साधनों के द्वारा व्यक्तित्व मापन में रुचि दिखलायी है। आज कपाल विद्या (Phrenology), मुख के लक्षण (Physiognomy), आकार के आधार पर (Graphology) और हस्तरेखा (Palmistry) आदि साधनों के द्वारा मानव व्यक्तित्व को मापा जा रहा है।

वर्तमान समय में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का मूल्यांकन आवश्यक नहीं माना जाता है, बल्कि किसी प्रयोजन हेतु व्यक्तित्व का मापन आवश्यक होता है; उदाहरण के तौर पर कर्मचारी वर्ग के मनोविज्ञानी (Personal psychologists) ऐसे व्यक्तित्व के गुण अच्छे विक्रेता बनने में सहायता करते हैं। फलत: व्यक्तित्व निर्धारण की विभिन्न विधियाँ अलग-अलग प्रयोजनों में प्रयोग की जाती हैं। विस्तार से पढ़ें “व्यक्तित्व निर्धारण की विधियाँ, तत्व एवं सिद्धांत”।

समायोजन (Adjustment)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अन्त समय तक समाज में ही रहना चाहता है। वह उसी समय अधिक प्रसन्न दिखायी देता है, जबकि वह स्वयं की रुचि, पसन्द और अभिवृत्तियों वाले समूह को प्राप्त कर लेता है। इस व्यावहारिक गतिशीलता का ही नाम समायोजन है। जब व्यक्ति अप्रसन्न दिखायी देता है तो यह उसके व्यवहार का कुसमायोजन होता है।

और अधिक पढ़ें – “समायोजन का अर्थ, कुसमायोजित व्यवहार के कारण: भग्नाशा या कुण्ठा (Frustraion), मानसिक संघर्ष (Mental conflict), मानसिक तनाव (Mental tension) और रक्षातन्त्र कवच या रक्षा युक्ति (Deffence Mechanism) आदि।”

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आखिर क्यों जरूरी है पर्सनालिटी डेवलपमेंट? जानिए अच्छे व्यक्तित्व के गुण

Personality development: पर्सनालिटी यानी हमारा व्यक्तित्व बिहेवियर, दृष्टिकोण, सोचने का तरीका और इमोश्नल पैटर्न का ही ग्रुप है, जो किसी इंसान को भीड़ से अलग करते हैं..

आखिर क्यों जरूरी है पर्सनालिटी डेवलपमेंट? जानिए अच्छे व्यक्तित्व के गुण

What is Personality Development: पर्सनालिटी डेवलपमेंट शब्द को आपने कई बार सुना होगा. सिर्फ इतना ही नहीं, आपने लोगों को ये कहते सुना होगा कि उनकी पर्सनालिटी मैटर करती है, लुक्स नहीं. इसके अलावा भी आपने ऐसे तमाम चीजें सुनी होंगी. चलिए आज आपको पर्सनालिटी डेवलपमेंट के बारे में बताते हैं. लेकिन इससे पहले आपको पर्सनालिटी के बारे में पता होना बेहद जरूरी है. पर्सनालिटीएक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग अक्सर किया जाता है.

दरअसल, पर्सनालिटी यानी हमारा व्यक्तित्व बिहेवियर, दृष्टिकोण, सोचने का तरीका और इमोश्नल पैटर्न का ही ग्रुप है, जो किसी इंसान को भीड़ से अलग करते हैं. लोगों के अलग-अलग गुण ही उन्हें एक दूसरे से अलग करते हैं.

Personality Development का मतलब

पर्सनालिटी डेवलपमेंट किसी इंसान के बाहरी दृष्टिकोण को दर्शाती है. किसी इंसान में मानसिक औस सामाजिक क्वालिटी क्या हैं, जो उसकी पर्सनालिटी के बारे में बताती हैं. पर्सनालिटी डेवलपमेंट में क्षमताओं का निर्माण, अपने स्किल्स और आपकी प्रतिभा को बढ़ाना शामिल है. यह किसी आम इंसान को खास बनाने का फंडा है. सामाजिक, वित्तीय और आस-पास के दूसरी कई चीजें पर्सनालिटी के विकास में अहम रोल निभाती हैं.

क्यों जरूरी है पर्सनालिटी डेवलपमेंट

पर्सनालिटी डेवलपमेंट आपको अपनी वास्तविक क्षमताओं की खोज करने की अनुमति देता है. एक अच्छे व्यक्तित्व के साथ आप अपने आप को बेहतर समझेंगे और चीजों को ऑपन माइंड से देखने की कोशिश करेंगे, जिससे आपको व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. यह आपको अच्छे से बात करनेऔर अपने विचारों को सही तरीके से सामने रखने में मदद करता है.

क्या है अच्छी पर्सनालिटी?

हर पर्सनालिटी में अच्छे और बुरे दोनों तरह के गुण पाए जाते हैं. ईमानदार होना और एक आशावादी स्वभाव होना एक मजबूत व्यक्तित्व होने के सबसे जरूरी गुण माने जाते हैं. जीवन के हर पहलू में दृढ़ निश्चय के साथ स्वतंत्र होना भी एक अच्छे व्यक्तित्व की निशानी है. जिज्ञासु, वफादार, साहसी और खुशमिजाज होने से आपको अपने चरित्र का निर्माण करने में मदद मिलेती है.

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  1. Personality Development (Hindi)

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  2. व्यक्तित्व विकास पर निबंध Essay on Personality Development in Hindi

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  3. Personality Development (Hindi)

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  4. Importance of Personality Development in Hindi

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  5. Personality Development Tips in Hindi

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  1. सफलता पर हिंदी में निबंध

  2. SEC: Personality Development and Communication Internal Assessment Solution 4th Semester DU SOL

  3. व्यक्तित्व मनोविज्ञान

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  5. The IQ Test and the Multiple Intelligences Survey

  6. Psychodynamic and Neo-Freudian Approaches to Personality Development

COMMENTS

  1. व्यक्तित्व विकास पर निबंध Essay on Personality Development in ...

    व्यक्तित्व विकास पर निबंध Essay on Personality Development in Hindi. महान व्यक्तित्व वाले लोगों के कुछ उदाहरण व विचार. व्यक्तित्व विकास कैसे करें? How to Develop a Good Personality in Hindi. आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है. व्यवहारिक ज्ञान आवश्यक है. अच्छी पुस्तकें पढ़ने से भी व्यक्तित्व विकास होता है. धैर्यशील होना जरूरी है.

  2. पर्सनालिटी डेवलपमेंट की पूरी जानकारी हिंदी में।

    Personality Development का हिंदी मतलब व्यक्तित्व विकास होता है। पर्सनालिटी डेवलपमेंट यानी की अपने व्यक्तित्व का विकास करना अपने रहन सहन, खाना पीना, बोलना, चलना, उठना बैठना, आपका व्यवहार, आपके रूप आपके कपड़े पहनने का तरीका, आपके चलने, बैठने उठने, बोलने का तरीका सभी Personality Development में आता है।.

  3. Personality Development In Hindi : पर्सनालिटी डेवलपमेंट करना ...

    In this essay, we will explore the importance of personality development in Hindi and how it can positively impact an individual’s life. The Hindi language is not only a means of communication but also plays a significant role in shaping one’s personality.

  4. Personality Development Tips in Hindi: जानिए कैसे निखारे अपने ...

    Personality Development Tips in Hindi में पढ़ाए जाने वाले विषय इस प्रकार हैं: कॉन्फिडेंस; कम्युनिकेशन; ऑब्जेक्टिव/पैशन/ इनसाइट; करियर/साक्षात्कार

  5. जानिए व्यक्तित्व विकास क्या है? साथ में इसके महत्व और ...

    व्यक्तित्व विकास (Personality Development) का अर्थ होता है अपने व्यक्तित्व को विभिन्न तरीकों से सुधारना और बेहतर बनाना। इसमें कई सारे पहलू शामिल होते हैं, जैसे कि आत्मविश्वास बढ़ाना, संवाद कौशल को सुधारना, सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना तथा सामाजिक कौशल में सुधार करना। यह जीवन के हर नकारात्मक और सकारात्मक पक्षों को आपके सामने लेकर आने और सभी नक...

  6. एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत (Trick) -Manosamajik ...

    इरिक्सन ने अपनी प्रसिद्ध कृति “चाइल्ड हुड एण्ड सोसायटी- 1963” में यह स्पष्ट किया है कि मनुष्य केवल से जैविक और मानसिक प्राणी ही नहीं है, बल्कि वह एक सामाजिक प्राणी भी है। इरिक्सन ने इस सिद्धांत में पूरे जीवन अवधि (Life Spans) को 8 विभिन्न अवस्थाओं में बांटा है।.

  7. व्यक्तित्व (Personality) - व्यक्तित्व का विकास, अर्थ, परिभाषा

    व्यक्तित्व (Personality) मनोविज्ञान के विकास ने व्यक्तित्व की पुरानी धारणाओं को बदल दिया है। ‘ व्यक्तित्व का आधार ‘ क्या होना चाहिये? यह प्रश्न मनोवैज्ञानिकों के लिये जटिल बन गया था। उन्होंने विभिन्न रूपों एवं दृष्टिकोणों से व्यक्ति का अध्ययन किया और व्यक्तित्व की प्राचीन अवधारणाओं को समाप्त कर नवीन अवधारणा को स्थापित किया।. गैरिसन, कार्ल सी.

  8. व्यक्तित्व का विकास (Hindi Sahitya): Personality Development ...

    स्वामी विवेकानन्द, Swami Vivekananda. Bhartiya Sahitya Inc., Dec 15, 2013 - Self-Help. स्वामी विवेकानन्द के सन्देशों में भारत के आध्यात्मिक भण्डार का सारतत्त्व समाहित है जिसे उन्होंने आधुनिक...

  9. Personality Growth: पर्सनालिटी को स्मार्ट बना देंगी ये 5 ...

    Personality Growth: पर्सनालिटी को स्मार्ट बना देंगी ये 5 बातें, ये टिप्स आएंगे काम. Personality Development: अपने व्यक्तित्व को प्रभावी ढंग से निखारने के लिए यह जरूरी है कि हम उन बातों को समझें, जो हमारी पर्सनालिटी को निखारने का काम करती हैं. TV9 Bharatvarsh | Updated on: Jun 01, 2023 | 2:30 PM.

  10. आखिर क्यों जरूरी है पर्सनालिटी डेवलपमेंट? जानिए अच्छे ...

    Personality Development: पर्सनालिटी यानी हमारा व्यक्तित्व बिहेवियर, दृष्टिकोण, सोचने का तरीका और इमोश्नल पैटर्न का ही ग्रुप है, जो किसी इंसान को ...