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भारत में उच्च शिक्षा पर निबंध | Essay On Higher Education System And Policies In India in Hindi

नमस्कार आज का निबंध, भारत में उच्च शिक्षा पर निबंध Essay On Higher Education System And Policies In India in Hindi पर दिया गया हैं.

भारत में उच्च शिक्षा के महत्व चुनौतियां निजीकरण राजनीति पर सरल भाषा में निबंध दिया गया हैं. हम उम्मीद करते हैं हायर एजुकेशन का यह निबंध आपको पसंद आएगा.

भारत में उच्च शिक्षा पर निबंध Essay On Higher Education in Hindi

भारत में उच्च शिक्षा पर निबंध | Essay On Higher Education System And Policies In India in Hindi

हमारे देश भारत की  व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली (education in india)  की शुरुआत  आजादी के साथ ही हुई थी.  पिछले 7 दशक में  भारत ने प्राथमिक, माध्यमिक, कॉलेज, उच्च शिक्षा, तकनीकी एवं  व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में  महत्वपूर्ण प्रगति की हैं.

फिर भी देश में उच्च शिक्षा की कई चुनौतियां हैं जिनका हल किया जाए तो लाखों विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश न जाना पड़े.

भारत में उच्च शिक्षा के इस लेख में हम जानेगे कि उच्च शिक्षा अर्थ नवाचार प्रणाली  चुनौती उभरते ,निजीकरण  गुणवत्ता रुझान स्थिति आदि के बारें में इस निबंध में जानेगे.

उच्च शिक्षा पर निबंध (poor education India, Essay on Higher Education in Hindi)

बदलते वक्त के अनुरूप उच्च शिक्षा को और परिष्कृत एवं परिमार्जित करने के उद्देश्य से शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में यह घोषणा की गई थी.

इस नई नीति के फलस्वरूप पूरे देश में शिक्षा को एक समान अर्थात 10+2+3 के शैक्षिक ढाँचे की शुरुआत हुई थी. इस समय पूरे देश में इसी शैक्षिक ढांचे की व्यवस्था हैं. इसे प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा में विभाजित किया जा सकता हैं.

प्राथमिक शिक्षा को  दो भागों में बांटा  जा सकता हैं  1 से पांच तक प्राथमिक स्तरीय शिक्षा  तथा उच्च प्राथमिक स्तरीय शिक्षा. देश में प्राथमिक शिक्षा के बाद माध्यमिक शिक्षा को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैं  माध्यमिक और उच्च माध्य.

उच्च  माध्यमिक शिक्षा की पढ़ाई पूरी करने  के बाद छात्रों को  उच्चतर शिक्षा के  लिए त्रिवर्षीय स्नातक में प्रवेश दिया जाता हैं. उच्च शिक्षा के अंतर्गत स्नातक के बाद के दो वर्षः परास्नातक पाठ्यक्रम की व्यवस्था भी हैं. इसके बाद किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञता के रूप में उच्चतर शिक्षा हासिल की जा सकती हैं.

भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली और निकाय (higher education system in india and its regulatory bodies)

इस तरह भारत में उच्च शिक्षा का अर्थ हैं उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा से आगे की पढाई. प्राचीन काल से ही देश   भारत उत्कृष्ट शिक्षा का केंद्र रहा हैं.

प्राचीन भारतीय शिक्षा केन्द्रों की प्रसिद्धि विश्वभर में फैली थी, मगध बौद्धकालीन शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. यहाँ उस काल के दो प्रमुख विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय व् विक्रमशिला विश्वविद्यालय विद्यमान थे.

यहाँ विश्व के कई देशों के लोग विद्या ग्रहण करने के लिए आते थे. इन विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त शेष भारत में वल्लभी विश्व., नदिया विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय इत्यादि बौद्धकाल के कुछ प्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे.

भारत में उच्च शिक्षा की उपलब्धता (availability of education in india)

भारत सदियों तक विदेशियों के अधीन रहा, परतंत्रता के इस दौर में भारतीय शिक्षण संस्थान लगभग समाप्ति की कगार पर थे,

ऐसे में देशी विदेशी लोगों के प्रयत्न से ब्रिटिश काल में आधुनिक शिक्षा की नीव पड़ी. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत इसमें सुधार करते हुए उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू कर दिए.

सन 1948 में  उद्देश्य की  पूर्ति हेतु सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध् यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया गया. इसके बाद से उच्च शिक्षा की समीक्षा एवं इसमें सुधार के लिए समय – समय पर कई शिक्षा आयोगों का गठन किया जाता रहा हैं.

आज भारत में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले कुछ विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थान हैं. विदेशी छात्र भी भारत में अब उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने लगे हैं.

भारतीय शिक्षा क्षेत्र में नवाचार का इतिहास (innovation in indian education sector)

उच्च शिक्षा की  वर्तमान प्रणाली की शुरुआत  की कोशिशे उन्नीसवीं  शताब्दी के द्वितीय दशक में प्रारम्भ हुई. लार्ड मैकाले के विवरण पत्र को 1835 ई में स्वीकृति मिलने के बाद उच्च शिक्षा के लिए  विश्वविद्यालयों की स्थापना पर जोर दिया जाने लगा.

इसके बाद 1854 ई में चार्ल्स वूड ने अपना घोषणा पत्र  में लंदन  विश्वविद्यालय की  तर्ज पर  भारत में भी विश्वविद्यालयो की स्थापना का सुझाव दिया, इसी सुझाव को कार्यान्वित करते हुए 1857 ई में कोलकाता, बम्बई व मद्रास में तीन विश्वविद्यालय की स्थापना की गई.

इसके बाद 1887 ई में इलाहबाद विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. इस समय भारत में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले पचास से अधिक केन्द्रीय विश्वविद्यालय,दो सो से अधिक राज्य विश्वविद्यालय लगभग एक सौ समकक्ष विश्वविद्यालय तथा लगभग तीस हजार महाविद्यालय हैं.

भारतीय उच्च शिक्षण के संस्थान (education in indian schools current challenges in higher education)

विश्वविद्यालय को निधियां उपलब्ध करवाने तथा उच्चतर शिक्षा की संस्थाओं में मानकों के समन्वय, निर्धारण अनुरक्षण का दायित्व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग निभाता हैं.

इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों के मानकों के समन्वय निर्धारण तथा अनुरक्षण का दायित्व निभाने के लिए कुछ संवैधानिक व्यावसायिक परिषदें कार्यरत हैं.

ये परिषदें हैं- अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद एसआईसीटीई, दूरस्थ शिक्षा परिषद, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद, भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद इत्यादि.

भारत और विदेशों में उच्च शिक्षा (higher education in india and abroad)

भारत में इस समय 6 भारतीय प्रबंधन संस्थान हैं. समय समय पर इनकी संख्या में बढ़ोतरी की गई हैं. पिछले कुछ सालों में प्रबन्धन की उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले निजी शिक्षण संस्थानों की बाढ़ सी आ गई हैं.

इसमें से कुछ उच्च स्तरीय गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. तो कुछ गुणवत्ता मानकों के दृष्टिकोण से बेहतर नहीं कर पा रहे हैं. इसके चलते छात्र वर्ग को प्रवेश के निमित्त असमंजस की स्थिति से गुजरना पड़ता हैं.

भारत में प्रति वर्ष 8 लाख से अधिक छात्र इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त करते हैं आईआईटी एवं कुछ अन्य केन्द्रीय इंजीनिय रिंग संस्थान आज भी अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखे हुए हैं.

इस समय भारत में कुल 23 आई आई टी संस्थान हैं. नई पीढ़ी के उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीय युवाओं का आकलन करने पर भारतीय उच्च शिक्षा की गुणवत्ता का पता चलता हैं.

नई युवा पीढ़ी ने उच्च शिक्षा के वर्तमान भारतीय संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर अपनी बुद्धि एवं क्षमता का लोहा विश्व भर में मनवाया हैं.

भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति व जॉब सम्भावना (annual cost & jobs in higher education in india)

आईआईटी और आईआईएम से निकले छात्रों की प्रतिभा का लोहा पूरा विश्व मानता हैं. इसका पता इसी बात से चल जाता हैं कि अत्यधिक ऊँचे वेतन पॅकेज देकर उनको अपने संस्थानों में नियुक्त करने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में होड़ लगी रहती हैं

किन्तु यह एक सिक्के का एक पहलू भर हैं. दूसरा पहलू यह हैं कि अधिकतर मामलों में भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति अभीभी पिछड़ी हुई हैं.

भारत में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर इसमें पर्याप्त सुधार के सुझाव देने के लिए वर्ष 2005 में सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का गठन किया गया,

इस आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति को सुधारने के लिए 2015 तक 1500 नयें विश्वविद्यालय की स्थापना करने की आवश्यकता हैं.

उच्च शिक्षा ने स्वतंत्र भारत के आर्थिक विकास, सामजिक प्रगति और प्रजातांत्रिक विचारधारा को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान दिया हैं. लेकिन इस समय गंभीर चिंता का विषय यह है कि उच्च शिक्षा में प्रवेश करने वाले आयु वर्ग का हमारी जन संख्या में कुल अनुपात 10 प्रतिशत ही हैं.

विश्वविद्यालयों में स्थानों की संख्या की दृष्टि से उच्च शिक्षा पाने के अवसर हमारी आवश्यकताओं के हिसाब से बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं हैं.

हमारी आबादी के एक बहुत बड़े हिस्से को उच्च शिक्षा की कोई सुविधा सुलभ नही हैं. इतना ही नहीं हमारे अधिकतर विश्व विद्यालयों में उच्च शिक्षा का स्तर तय मानकों से बहुत कम हैं.

इसमें सुधार की आवश्यकता हैं. २१ वीं शताब्दी में भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज का बदलाव काफी हद तक उच्च शिक्षा की गुणवत्ता एवं इसके प्रसार पर निर्भर करता हैं.

अतः यह जरुरी हो गया हैं कि उच्च शिक्षा में जो बाधाएं हैं, उन्हें दूर कर इसे व्यापक एवं सबके लिए सुलभ बनाया जाए.

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उच्च शिक्षा के महत्व पर निबंध Essay on Importance of Higher Education in Hindi

फ्रेंड्स, इस लेख में हम आपको उच्च शिक्षा के महत्व Essay on Importance of Higher Education in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

Table of Content

उच्च शिक्षा क्या है What is Higher Level Education?

उच्च शिक्षा से तात्पर्य स्नातक और परस्नातक शिक्षा से होता है। उच्च शिक्षा सभी के लिए बहुत आवश्यक होती है। इससे अनेक फायदे होते हैं। एक तो उच्च शिक्षा प्राप्त करने से नौकरी पाने की संभावना बढ़ जाती है।

उच्च शिक्षा के अंतर्गत आने वाले प्रमुख कोर्स Major forces that are understood as Higher Level Education

स्नातक स्तर के कोर्स courses on graduation level.

बी ए (Bachelor of arts)

यह स्नातक स्तर का कोर्स है। इसे बैचलर ऑफ आर्ट कहते हैं। यह 12वीं के बाद किया जाता है। कला वर्ग के छात्र छात्राएं BA करते हैं। इसे भूगोल, हिंदी, संस्कृत, इंग्लिश, समाजशास्त्र, इतिहास, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र जैसे किसी भी कला विषय से कर सकते हैं। भारत में सरकारी नौकरियां प्राप्त करने के लिए स्नातक होना आवश्यक होता है।

यह स्नातक स्तर का कोर्स है। विज्ञान वर्ग के स्टूडेंट्स B. Sc. का कोर्स करते हैं। यह सभी विज्ञान विषयों जैसे गणित, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान और दूसरे विज्ञान विषयों से किया जा सकता है।

यह स्नातक स्तर का कोर्स है। इसे वाणिज्य (कॉमर्स) से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स करते हैं। इस कोर्स में वाणिज्य शास्त्र से संबंधित बातें बताई जाती हैं। इसमें फाइनेंशियल अकाउंटिंग, कॉस्ट अकाउंटिंग जैसे विषय होते हैं।

यह कोर्स स्नातक स्तर का है। आजकल बहुत से छात्र यह कोर्स कर रहे हैं क्योंकि इससे नौकरी मिलने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। विज्ञान और तकनीक में पढ़ाई करने के लिए यह कोर्स किया जाता है। यह कोर्स 4 साल का होता है।

जो छात्र छात्राएं डॉक्टरी की पढ़ाई करना चाहते हैं वे यह कोर्स करते हैं। यह कोर्स स्नातक स्तर का है। इस कोर्स की अवधि 6 वर्ष की होती है।

परस्नातक स्तर के कोर्स courses on Post Graduation level

यह कोर्स परस्नातक या मास्टर लेवल का होता है। यह 2 वर्ष का कोर्स है। इसे करने के बाद नौकरी मिलने की संभावना और अधिक हो जाती है। विज्ञान वर्ग के सभी विषयों से M.Sc. कर सकते हैं।

एम कॉम (Master of Commerce)

यह कोर्स परस्नातक या मास्टर लेवल का होता है। यह 2 वर्ष का कोर्स है। इसे करने के बाद नौकरी मिलने की संभावना और अधिक हो जाती है। वाणिज्य वर्ग के सभी विषयों से M। Com। कर सकते हैं

एम टेक ( Master of Technology)

यह कोर्स परस्नातक या मास्टर लेवल का होता है। यह 2 वर्ष का कोर्स है। इसे करने के बाद नौकरी मिलने की संभावना और अधिक हो जाती है। विज्ञान वर्ग के सभी विषयों से M.Tech. कर सकते हैं.

एम बी ए MBA (Master of Business Administration)

पी ऐच डी PhD (Doctor of Philosophy)

यह डॉक्टरेट स्तर का कोर्स है। इसे पीएचडी, डी फिल कह कर भी पुकारा जाता है। यह कोर्स करने के बाद व्यक्ति अपने नाम के आगे डॉक्टर शब्द का इस्तेमाल कर सकता है। विश्वविद्यालय कॉलेज में प्रोफेसर बनने के लिए यह डिग्री आवश्यक होती है।

भारत में उच्च शिक्षा के कुछ प्रमुख कॉलेज संस्थान यूनिवर्सिटी  Some major colleges / universities in India to get Higher Level Education

·        दिल्ली यूनिवर्सिटी

·        आई आई एम (Indian Institute of Management)

·        हैदराबाद यूनिवर्सिटी

·        कोलकाता विश्वविद्यालय

·        जादवपुर विश्वविद्यालय

·        मुंबई विश्वविद्यालय

·        बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

·        बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी

उच्च शिक्षा के फायदे Advantages of Higher Level Education

बेहतर नौकरी मिलती है.

हमारे देश में अधिकतर लोग जो उच्च शिक्षा लेते हैं उनका पहला लक्ष्य बेहतर नौकरी पाना होता है। साधारण स्नातक लोगों की तुलना में उच्च शिक्षित अभ्यर्थियों को अधिक महत्व दिया जाता है। नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है।

खुद का बिजनेस स्थापित करना

उच्च शिक्षा लेने का एक बड़ा कारण यह भी है कि कुछ लोग खुद का बिजनेस स्थापित करना चाहते हैं। इसलिए भी वे उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं। देश में कई इंजीनियर खुद की अपनी फैक्ट्री लगा देते हैं। कॉमर्स से पढ़ने वाले बहुत से स्टूडेंट्स अपनी खुद की फर्म खोल लेते हैं। डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले बहुत से डाक्टर अपना खुद का निजी अस्पताल खोल देते हैं।

बेहतर जीवन स्तर

समाज में योगदान, दूसरे लोगों को रोजगार मिलता है, व्यक्ति की सोच का दायरा बढ़ता है, महिलाओं का सशक्तिकरण.

उच्च शिक्षा पाने से महिलाएं सशक्त होती हैं। वे दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बनती हैं। इसके साथ ही दूसरी महिलाओं को रोजगार देकर बेरोजगारी की समस्या को दूर करती हैं। उच्च शिक्षा पाने के बाद महिलाओं का स्तर साधारण महिलाओं से अधिक बढ़ जाता है। वह अच्छे बुरे में फर्क कर पाती है।

उच्च शिक्षा के संबंध में महापुरुषों के अनमोल कथन Great men’s quotation on higher education

शिक्षा हमारे समाज की आत्मा है जो कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती है।” – जी.के.चेस्तेरसन “Education is simply the soul of a society as it passes from one generation to another.”- G. K. Chester son
“शिक्षा की जड़ें कडवी हैं लेकिन फल बहुत ही मीठा है।” – अरिस्तु “The roots of education are bitter, but the fruit is sweet.”- Aristotle
 “बिना शिक्षा प्राप्त किये कोई व्यक्ति अपनी परम ऊँचाइयों को नहीं छू सकता।”- होरेस मैन “A human being is not attaining his full heights until he is educated.”- Horace Mann
“शिक्षा स्वतंत्रता के स्वर्ण द्वार खोलने के कुंजी है।” -जार्ज वाशिंगटन करवर “Education is the key to unlock the golden door of freedom.” -George Washington Carver

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शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। पूरे शिक्षा तंत्र को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा जैसे को तीन भागों में बाँटा गया है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते हैं। हम सभी अपने बच्चों को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते हैं, जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।

शिक्षा का महत्व पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Importance of Education in Hindi, Shiksha Ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – शिक्षा का महत्व.

जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करता है।

पूरी शिक्षण प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान हम सभी और प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाता है। यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न दरवाजे खोलती है जिससे कैरियर के विकास को बढ़ावा मिले। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा बहुत से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। यह समाज में सभी व्यक्तियों में समानता की भावना लाती है और देश के विकास और वृद्धि को भी बढ़ावा देती है।

शिक्षा का महत्व

आज के समाज में शिक्षा का महत्व काफी बढ़ चुका है। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैं परंतु उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके। शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक बहुत ही आवश्यक साधन है। हम अपने जीवन में शिक्षा के इस साधन का उपयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों की सामाजिक और पारिवारिक सम्मान तथा एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है, यहीं कारण है कि हमें शिक्षा हमारे जीवन में इतना महत्व रखती है।

आज के आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा काफी अहम है। आजकल के समय में  शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके सारे तरीके अपनाये जाते हैं। वर्तमान समय में शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल चुका है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क में प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

निबंध 2 (400 शब्द) – विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण दोनो द्वारा मिलकर ही किया जाता हैं। यह उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक यंत्र होने के साथ ही देश के विकास और प्रगति में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तरह, उपयुक्त शिक्षा दोनों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करती है। वो केवल शिक्षित नेता ही होते हैं, जो एक राष्ट्र का निर्माण करके, इसे सफलता और प्रगति के रास्ते की ओर ले जाते हैं। शिक्षा जहाँ तक संभव होता है उस सीमा तक लोगों बेहतर और सज्जन बनाने का कार्य करती है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली

अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे; व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा, सामाजिक स्तर में बढ़ावा, सामाजिक स्वस्थ में सुधार, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना, हमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने के लिए हल प्रदान करना और अन्य सामाजिक मुद्दे आदि। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के प्रयोग के कारण, आजकल शिक्षा प्रणाली बहुत साधारण और आसान हो गयी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली, अशिक्षा और समानता के मुद्दे को विभिन्न जाति, धर्म व जनजाति के बीच से पूरी तरह से हटाने में सक्षम है।

विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और नाही कोई छीन सकता। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता, बल्कि की इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है। हमने देखा होगा कि हमारे समाज में जो शिक्षित व्यक्ति होते हैं उनका एक अलग ही मान सम्मान होता है और लोग उन्हें हमारे समाज में इज्जत भी देते हैं। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि वह एक साक्षर हो प्रशिक्षित हो इसीलिए आज के समय में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत अधिक महत्व हो गया है। इसीलिए आपको यह याद रखना है कि शिक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी है इसकी वजह से हमें हमारे समाज में सम्मान मिलता है जिससे हम समाज में सर उठा कर जी सकते हैं।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को उच्च स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभावों को हटाने में मदद करती है। यह हमारी अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में भी हमारी सहायता करता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – शिक्षा की मुख्य भूमिका

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है । हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा क्या है ?

यह लोगों की सोच को सकारात्मक विचार लाकर बदलती है और नकारात्मक विचारों को हटाती है। बचपन में ही हमारे माता-पिता हमारे मस्तिष्क को शिक्षा की ओर ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था में हमारा दाखिला कराकर हमें अच्छी शिक्षा प्रदान करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। यह हमें तकनीकी और उच्च कौशल वाले ज्ञान के साथ ही पूरे संसार में हमारे विचारों को विकसित करने की क्षमता प्रदान करती है। अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने का सबसे अच्छे तरीके अखबारों को पढ़ना, टीवी पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों को देखना, अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ना आदि हैं। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह समाज में बेहतर पद और नौकरी में कल्पना की गए पद को प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।

शिक्षा की मुख्य भूमिका

आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा मुख्य भूमिका को निभाती है। आजकल, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके हैं। शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल दिया गया है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क पर प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

यह हमें जीवन में एक अच्छा चिकित्सक, अभियंता (इंजीनियर), पायलट, शिक्षक आदि, जो भी हम बनना चाहते हैं वो बनने के योग्य बनाती है। नियमित और उचित शिक्षा हमें जीवन में लक्ष्य को बनाने के द्वारा सफलता की ओर ले जाती है। पहले के समय की शिक्षा प्रणाली आज के अपेक्षा काफी कठिन थी। सभी जातियाँ अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकती थी। अधिक शुल्क होने के कारण प्रतिष्ठित कालेज में प्रवेश लेना भी काफी मुश्किल था। लेकिन अब, दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ना बहुत ही आसान और सरल बन गया है।

Importance of Education Essay in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

घर शिक्षा प्राप्त करने पहला स्थान है और सभी के जीवन में अभिभावक पहले शिक्षक होते हैं। हम अपने बचपन में, शिक्षा का पहला पाठ अपने घर विशेष रुप से माँ से प्राप्त करते हैं। हमारे माता-पिता जीवन में शिक्षा के महत्व को बताते हैं। जब हम 3 या 4 साल के हो जाते हैं, तो हम स्कूल में उपयुक्त, नियमित और क्रमबद्ध पढ़ाई के लिए भेजे जाते हैं, जहाँ हमें बहुत सी परीक्षाएं देनी पड़ती है, तब हमें एक कक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण मिलता है।

एक-एक कक्षा को उत्तीर्ण करते हुए हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं, जब तक कि, हम 12वीं कक्षा को पास नहीं कर लेते। इसके बाद, तकनीकी या पेशेवर डिग्री की प्राप्ति के लिए तैयारी शुरु कर देते हैं, जिसे उच्च शिक्षा भी कहा जाता है। उच्च शिक्षा सभी के लिए अच्छी और तकनीकी नौकरी प्राप्त करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

हम अपने अभिभावकों और शिक्षक के प्रयासों के द्वारा अपने जीवन में अच्छे शिक्षित व्यक्ति बनते हैं। वे वास्तव में हमारे शुभ चिंतक हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद की। आजकल, शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं ताकि, सभी की उपयुक्त शिक्षा तक पहुँच संभव हो। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व और लाभों को दिखाने के लिए टीवी और अखबारों में बहुत से विज्ञापनों को दिखाया जाता है क्योंकि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और शिक्षा की ओर अधूरी जानकारी के कारण पढ़ाई करना नहीं चाहते हैं।

गरीबों और माध्यम वर्ग के लिए शिक्षा

पहले, शिक्षा प्रणाली बहुत ही महंगी और कठिन थी, गरीब लोग 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। समाज में लोगों के बीच बहुत अन्तर और असमानता थी। उच्च जाति के लोग, अच्छे से शिक्षा प्राप्त करते थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूल या कालेज में शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। यद्यपि, अब शिक्षा की पूरी प्रक्रिया और विषय में बड़े स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। इस विषय में भारत सरकार के द्वारा सभी के लिए शिक्षा प्रणाली को सुगम और कम महंगी करने के लिए बहुत से नियम और कानून लागू किये गये हैं।

सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, दूरस्थ शिक्षा प्रणाली ने उच्च शिक्षा को सस्ता और सुगम बनाया है, ताकि पिछड़े क्षेत्रों, गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भविष्य में समान शिक्षा और सफलता प्राप्त करने के अवसर मिलें। भलीभाँति शिक्षित व्यक्ति एक देश के मजबूत आधार स्तम्भ होते हैं और भविष्य में इसको आगे ले जाने में सहयोग करते हैं। इस तरह, शिक्षा वो उपकरण है, जो जीवन, समाज और राष्ट्र में सभी असंभव स्थितियों को संभव बनाती है।

शिक्षा: उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है। हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को बड़े स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है तथा इसके साथ ही यह समाज में लोगों के बीच के सभी भेदभावों को हटाने में भी सहायता करती है। यह हमें अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में हमारी सहायता करती है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Importance of Education (शिक्षा का महत्व पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- तथागत बुध्द के अनुसार शिक्षा व्यक्ति के समन्वित विकास की प्रक्रिया है।

उत्तर- शिक्षा तीन प्रकार की होती है औपचारिक शिक्षा, निरौपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा।

उत्तर- शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है।

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indian education system essay in hindi

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भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (200 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली विदेशी राष्ट्रों से काफी अलग है। पश्चिमी देशों में पाठ्यक्रम काफी हल्का और व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित माना जाता है, जबकि भारत में फोकस सैद्धांतिक ज्ञान और रट कर प्राप्त अंकों पर है।

छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे सारे अध्याय रटें और कक्षा में अच्छे ग्रेड लाएँ। भारतीय स्कूलों में अंकन प्रणाली प्राथमिक कक्षाओं से शुरू होती है, जिससे छोटे बच्चों पर बोझ पड़ता है। प्रतियोगिता दिन पर दिन बढ़ रही है। माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपने साथियों से बेहतर प्रदर्शन करें और शिक्षक चाहते हैं कि उनका वर्ग अन्य कक्षाओं की तुलना में बेहतर करे।

प्रतियोगिता के आगे रहने के आग्रह से वे इतने अंधे हो जाते हैं कि उन्हें एहसास ही नहीं होता कि वे बच्चों को गलत दिशा में धकेल रहे हैं। एक ऐसी उम्र में जब छात्रों को अपनी रुचियों का पता लगाने और अपने रचनात्मक पक्ष को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए, उन्हें एक निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करने के लिए दबाव डाला जाता है और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक कर दिया जाता है।

छात्रों को गणित, भौतिकी और अन्य विषयों की विभिन्न अवधारणाओं को समझने के बजाय, अध्याय सीखने पर पूरा ध्यान केन्द्रित करवाया जाता है। इस वजह से वे व्यवहारिक ज्ञान नहीं ले पाते और ज़िन्दगी में आगे अपने लिए फैसले लेने में अक्षम होते हैं और अपनी रूचि के अनुसार पेशा भी नहीं चुन सकते हैं। अतः भारतीय शिक्षा प्रणाली का आधार बहुत अनुचित है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (300 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास.

भारतीय शिक्षा प्रणाली पुरानी और सांसारिक कही जाती है। ऐसे समय में, जब विश्व रचनात्मक और उत्साही व्यक्तियों की तलाश में हैं, भारतीय स्कूल युवा मन कोकिताबी ज्ञान से प्रशिक्षित कर रहे हैं जोकि उन्हें बीएस किताबी कीड़ा बना रहा है तथा एक रचनात्मक व्यक्ति बन्ने से रोक रहा है।

सुझाव देने या विचारों को साझा करने की कोई स्वतंत्रता नहीं है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की गंभीर आवश्यकता है जो बदले में होशियार व्यक्तियों को विकसित करने में मदद कर सकती है।

रचनात्मक सोचने की जरूरत है:

अगर हम नए आविष्कार करना चाहते हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और व्यक्तिगत स्तर पर समृद्धि लाने की जरूरत है। हालाँकि, दुर्भाग्य से हमारे स्कूल हमें प्रशिक्षित करते हैं अन्यथा। वे हमें एक निर्धारित अध्ययन कार्यक्रम से जोड़ते हैं और हमें असाइनमेंट पूरा करने और सैद्धांतिक सबक सीखने में इतना व्यस्त रखते हैं कि रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं बची है।

रचनात्मक सोच के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा। स्कूलों को उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो छात्र के दिमाग को चुनौती देते हैं, उनके विश्लेषणात्मक कौशल को सुधारते हैं और उनकी रचनात्मक सोच क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी।

सर्वांगीण विकास की आवश्यकता:

भारतीय शिक्षा प्रणाली का प्राथमिक फोकस शिक्षाविदों पर है। यहां भी अवधारणा को समझने और ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है, बल्कि केवल अच्छे अंक प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ या बिना उन्हें समझने के लिए पाठों को मग करना है। भले ही कुछ स्कूलों में पाठ्येतर गतिविधियां हों, लेकिन इन गतिविधियों के लिए प्रति सप्ताह एक कक्षा शायद ही होती है।

भारतीय विद्यालयों में शिक्षा केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए कम कर दी गई है जो एक बुद्धिमान और जिम्मेदार व्यक्ति को उठाने के लिए पर्याप्त नहीं है। छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली को बदला जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

सत्ता में बैठे लोगों को समझना चाहिए कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को गंभीर सुधारों की आवश्यकता है। प्रणाली को आध्यात्मिक, नैतिक, शारीरिक और मानसिक रूप से छात्रों को विकसित करने के लिए बदलना चाहिए।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, indian education system essay in hindi (400 words)

प्रस्तावना :.

भारतीय शिक्षा प्रणाली ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक काफी कुछ बदलाव देखे हैं। बदलते समय के साथ और समाज में बदलाव के साथ इसमें बदलाव आया है। हालांकि, ये बदलाव और विकास अच्छे के लिए हैं या नहीं यह अभी भी एक सवाल है।

गुरुकुल

भारतीय शिक्षा प्रणाली कई सदियों पीछे चली गई। प्राचीन काल से, बच्चों को विभिन्न विषयों पर सबक सीखने और उनके जीवन में मूल्य जोड़ने और उन्हें आत्म निर्भर जीवन जीने के लिए कुशल बनाने के लिए शिक्षकों के पास भेजा जाता था। प्राचीन काल के दौरान, देश के विभिन्न हिस्सों में गुरुकुल स्थापित किए गए थे।

बच्चे शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल में जाते थे। वे अपने गुरु (शिक्षक) के साथ उनके आश्रम में रहे जब तक उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी नहीं की। छात्रों को विभिन्न कौशल सिखाए गए, विभिन्न विषयों में पाठ दिए गए और उनके सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए घर के काम करने में भी शामिल किया गया।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में अंग्रेज़ों द्वारा बदलाव :

जैसे ही अंग्रेजों ने भारत का उपनिवेश बनाया, गुरुकुल प्रणाली को मिटाना शुरू कर दिया क्योंकि अंग्रेजों ने एक अलग शिक्षा प्रणाली का पालन करने वाले स्कूलों की स्थापना की। इन स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले विषय गुरुकुलों में पढ़ाए जाने वाले विषयों से काफी भिन्न थे और इसी तरह से अध्ययन सत्र आयोजित किए जाते थे।

भारत की पूरी शिक्षा प्रणाली में अचानक बदलाव हुआ। ध्यान छात्रों के सर्वांगीण विकास से हटकर अकादमिक प्रदर्शन पर गया। यह बहुत अच्छा बदलाव नहीं था। हालाँकि, इस दौरान अच्छे के लिए एक चीज बदल गई, वह यह कि लड़कियों ने भी शिक्षा लेनी शुरू की और स्कूलों में दाखिला लिया।

एडुकॉम्प स्मार्ट क्लासेस का परिचय:

अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई शिक्षा प्रणाली आज भी भारत में प्रचलित है। हालांकि, प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ कई स्कूलों ने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए नए साधनों को अपनाया है। स्कूलों में एडुकॉम्प स्मार्ट कक्षाएं शुरू की गई हैं।

इन वर्गों ने एक सकारात्मक बदलाव लाया है। पहले के समय के विपरीत जब छात्र केवल किताबों से सीखते थे, अब वे अपने कक्षा के कमरों में स्थापित एक बड़ी चौड़ी स्क्रीन पर अपना पाठ देखने को मिलते हैं। यह सीखने के अनुभव को रोचक बनाता है और छात्रों को बेहतर समझने में मदद करता है।

इसके अतिरिक्त, छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए स्कूलों द्वारा कई पाठ्येतर गतिविधियाँ भी शुरू की जा रही हैं। हालांकि, अंकन प्रणाली अभी भी कठोर है और छात्रों को बड़े पैमाने पर अपने शिक्षाविदों पर ध्यान केंद्रित करना है।

इसलिए, प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आया है। हालाँकि, हमें छात्रों के समुचित विकास के लिए प्रणाली में और सुधार की आवश्यकता है।

indian education system essay

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, indian education system essay in hindi (500 words)

प्रस्तावना:.

भारतीय शिक्षा प्रणाली को काफी हद तक त्रुटिपूर्ण कहा जाता है। यह युवा दिमाग का फायदे से ज्यादा नुकसान करता है। हालांकि, कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि यह छात्रों को एक अच्छा मंच देता है क्योंकि यह उनके दिमाग को चुनौती देता है और उनकी संतुष्टि को बढ़ाने की शक्ति पर ध्यान केंद्रित करता है। भारतीय शिक्षा प्रणाली अच्छी है या खराब इस पर बहस जारी है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष:

जबकि सत्ता में बैठे लोग भारतीय शिक्षा प्रणाली में अच्छे और बुरे पर चर्चा करते हैं और सुधारों को लाने की आवश्यकता है या नहीं, यहाँ उसी के पेशेवरों और विपक्षों पर एक नज़र है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के विपक्ष

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई विपक्ष हैं। यहाँ प्रणाली में मुख्य विपक्ष में से कुछ पर एक नज़र है:

व्यावहारिक ज्ञान का अभाव : भारतीय शिक्षा प्रणाली का फोकस सैद्धांतिक भाग पर है। शिक्षक कक्षाओं के दौरान पुस्तक से पढ़ते हैं और अवधारणाओं को मौखिक रूप से समझाते हैं। छात्रों को सैद्धांतिक रूप से भी जटिल अवधारणाओं को समझने की उम्मीद है। अत्यधिक आवश्यक होने पर भी व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता महसूस नहीं की जाती है।

ग्रेड पर ध्यान : भारतीय स्कूलों का ध्यान अच्छे ग्रेड पाने के लिए अध्यायों को गढ़ने पर है। शिक्षक परेशान नहीं करते हैं यदि छात्रों ने अवधारणा को समझा है या नहीं, वे सभी देखते हैं कि वे कौन से अंक प्राप्त किए हैं।

सर्वांगीण विकास के लिए कोई महत्व नहीं : ध्यान केवल पढ़ाई पर है। छात्र के चरित्र या उसके शारीरिक स्वास्थ्य के निर्माण के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता है। स्कूल अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास में योगदान नहीं करते हैं।

ज़्यादा पढ़ाई का बोझ  : छात्रों पर पढ़ाई का बोझ है। वे स्कूल में लंबे समय तक अध्ययन करते हैं और उन्हें घर पर काम पूरा करने के लिए घर के काम का ढेर दिया जाता है। इसके अलावा, नियमित कक्षा परीक्षण, प्रथम अवधि की परीक्षा, साप्ताहिक परीक्षा और मध्यावधि परीक्षा युवा दिमाग पर बहुत दबाव डालती है।

भारतीय शिक्षा के सकारात्मक बिंदु :

भारतीय शिक्षा प्रणाली के कुछ नियम इस प्रकार हैं:

विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्रदान करता है : भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक विशाल पाठ्यक्रम शामिल है और कुछ नाम रखने के लिए गणित, पर्यावरण विज्ञान, नैतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी और कंप्यूटर विज्ञान सहित विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्रदान करता है। ये सभी विषय प्राथमिक कक्षाओं से ही पाठ्यक्रम का हिस्सा बनते हैं। इसलिए, छात्र कम उम्र से ही विभिन्न विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।

अनुशासन को बढ़ाता है : भारत के स्कूल अपनी टाइमिंग, टाइम टेबल, एथिकल कोड, मार्किंग सिस्टम और स्टडी शेड्यूल के बारे में बहुत खास हैं। छात्रों को स्कूल द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती है अन्यथा उन्हें दंडित किया जाता है। यह छात्रों में अनुशासन को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

समझने की शक्ति बढ़ाता है : भारतीय स्कूलों में अंकन और रैंकिंग प्रणाली के कारण, छात्रों को अपने पाठ को अच्छी तरह से सीखना आवश्यक है। अच्छे अंक लाने और अपने सहपाठियों की तुलना में उच्च रैंक पाने के लिए उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता है। वे ध्यान केंद्रित करने और बेहतर समझ के लिए विभिन्न तरीकों की तलाश करते हैं। जो लोग उन उपकरणों की पहचान करते हैं जो उन्हें बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं वे अपनी लोभी शक्ति को बढ़ाने में सक्षम होते हैं जो उन्हें जीवन भर मदद करता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली की समय-समय पर आलोचना होती रही है। हमारी युवा पीढ़ी के समुचित विकास को सुनिश्चित करने के लिए इस प्रणाली को बदलने की जबरदस्त आवश्यकता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (600 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली दुनिया भर में सबसे पुरानी शिक्षा प्रणालियों में से एक है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बदलते समय और तकनीकी प्रगति के साथ अन्य राष्ट्रों की शिक्षा प्रणालियों में बड़े बदलाव आए हैं, लेकिन हम अभी भी पुरानी और सांसारिक प्रणाली के साथ फंसे हुए हैं। न तो हमारी प्रणाली ने पाठ्यक्रम में कोई बड़ा बदलाव देखा है और न ही शिक्षा प्रदान करने के तरीके में कोई महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष:

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई समस्याएं हैं जो किसी व्यक्ति के उचित विकास और विकास में बाधा डालती हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली के साथ मुख्य समस्याओं में से एक इसकी अंकन प्रणाली है। छात्रों की बुद्धिमत्ता का अंदाजा तीन घंटे के पेपर से लगाया जाता है नाकि उसके व्यवहारिक क्षमताओं से। उसके रटने की क्षमता को सराहा जाता है नाकि व्यावहारिक ज्ञान को।

ऐसे परिदृश्य में, अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पाठ सीखना छात्रों का एकमात्र उद्देश्य बन जाता है। वे इससे परे सोचने में सक्षम नहीं हैं। वे अवधारणाओं को समझने या अपने ज्ञान को बढ़ाने के बारे में नहीं सोचते हैं, वे केवल अच्छे अंक लाने के तरीकों को सीखने की कोशिश करते हैं और इससे आगे उनकी सोच काम नहीं करती।

एक और समस्या यह है कि फोकस केवल सिद्धांत पर है। व्यावहारिक शिक्षा को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। हमारी शिक्षा प्रणाली छात्रों को किताबी कीड़ा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है और उन्हें जीवन की वास्तविक समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार नहीं करती है।

शिक्षाविदों को इतना महत्व दिया जाता है कि छात्रों को खेल और कला गतिविधियों में शामिल करने की आवश्यकता को नजरअंदाज कर दिया जाता है। पढ़ाई के साथ छात्रों पर भी हावी हो रहे हैं। नियमित परीक्षा आयोजित की जाती है और छात्रों की हर कदम पर जांच की जाती है। इससे छात्रों में तीव्र तनाव पैदा होता है। जब वे उच्च कक्षाओं में जाते हैं, तो छात्रों का तनाव स्तर बढ़ता रहता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के तरीके (changes needed in indian education system)

भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कई विचार और सुझाव साझा किए गए हैं। अच्छे के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली को बदलने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

कौशल विकास पर ध्यान दें :  यह भारतीय स्कूलों और कॉलेजों के लिए समय है कि वे छात्रों के अंकों और रैंक को इतना महत्व देना बंद करें और इसके बजाय कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करें। छात्रों के संज्ञानात्मक, समस्या समाधान, विश्लेषणात्मक और रचनात्मक सोच कौशल को बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने के लिए उन्हें विभिन्न शैक्षणिक के साथ-साथ पाठ्येतर गतिविधियों के साथ-साथ सुस्त वर्ग के कमरे के सत्रों में शामिल करने के लिए शामिल होना चाहिए।

समकक्ष व्यावहारिक ज्ञान :  किसी भी विषय की गहन समझ विकसित करने के लिए व्यावहारिक ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। हालाँकि, हमारी भारतीय शिक्षा प्रणाली मुख्यतः सैद्धांतिक ज्ञान पर केंद्रित है। इसे बदलने की जरूरत है। छात्रों को बेहतर समझ और आवेदन के लिए व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए।

पाठ्यक्रम को संशोधित करें :  हमारे स्कूलों और कॉलेजों का पाठ्यक्रम दशकों से समान है। यह बदलते समय के अनुसार इसे बदलने का समय है ताकि छात्र अपने समय के लिए अधिक प्रासंगिक चीजों को सीखें। उदाहरण के लिए, कंप्यूटर स्कूलों में मुख्य विषयों में से एक बन जाना चाहिए ताकि छात्र शुरू से ही कुशलता से काम करना सीखें। इसी तरह, अच्छा संचार कौशल विकसित करने के लिए कक्षाएं होनी चाहिए क्योंकि यह समय की आवश्यकता है।

किराया बेहतर शिक्षण स्टाफ :  कुछ रुपये बचाने के लिए, हमारे देश में शैक्षणिक संस्थान उन शिक्षकों को नियुक्त करते हैं जो अत्यधिक कुशल और अनुभवी न होने पर भी कम वेतन की मांग करते हैं। इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। युवा मन को अच्छी तरह से पोषण देने के लिए अच्छे शिक्षण स्टाफ को काम पर रखा जाना चाहिए।

शिक्षाविदों से परे देखें : हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को शिक्षाविदों से परे देखना होगा। छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए खेल, कला और अन्य गतिविधियों को भी महत्व दिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष :

जबकि भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने की आवश्यकता पर कई बार जोर दिया गया है लेकिन इस संबंध में बहुत कुछ नहीं किया गया है। यह समय बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए और साथ ही साथ पूरे देश के लिए इस पुरानी प्रणाली को बदलने के महत्व को समझने का समय है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भारतीय शिक्षा-प्राणाली

वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष

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Paragraph writing: उच्च शिक्षा में कौशल योग्यता की पढ़ाई Skill Education important

Higher education skill Education study in India now start . कुशलता को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन होने जा रहा है। इस पर कई तरह के लेख-अनुच्छेद, निबंध ( article paragraph essay writing) एकेडमि क कक्षा में इस तरह के लेख और competitive examination में इस तरह के essay writing and paragraph writing.

Table of Contents

paragraph writing in Hindi higher education kaushal yogyata

डेढ़ सौ शब्दों में हायर एजुकेशन में कौशल योग्यता के बारे में अनुच्छेद।

उच्च शिक्षा में कौशलता (Skill) को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के परिवर्तन किए जा रहे हैं। अब उच्च शिक्षा में कला और कारीगरी की कुशलता स्थानीय कलाकार और कुशल कारीगरों द्वारा प्रदान की जाएगी।

गायन, बांस निर्माण की कला, मिट्टी के बर्तन बनाने की कलाकारी, कालीन डिजाइन बुनने की कला, बढ़़ही की कला इत्यादि की कुशलता का ज्ञान स्थानीय कुशल कारीगरों और कलाकारों द्वारा स्कूलों में पाठ्यक्रम के माध्यम से सिखाया पढ़ाया जाएगा।

इसके लिए विश्वविद्यालय और कॉलेज में अंशकालिक प्रोफ़ेसर इन्हें नियुक्त किया जाएगा। अपने क्षेत्र में विशेष योग्यता प्राप्त ऐसे कारीगर और कलाकारों को शिक्षा देने के लिए उन्हें नियुक्त करने का यही उद्देश्य है कि युवा पीढ़ी में कला के साथ कुशलता का भी विकास हो सके ताकि वे इस जीवन उपयोगी कलाओ और कारीगरी सीखकर अपने जीवन में रोजगार प्राप्त कर सके और इस तरह की कुशलता विश्वविद्यालय और कॉलेजों में भी अपना स्थान बना पाएगी।

जिससे विशेष योग्यता प्राप्त इन कलाकारों और कारीगरों को भी सम्मान मिलेगा।‌ कौशल को बढ़ावा देना आज की आधुनिक शिक्षा की सबसे बड़ी मांग है। कहा जाता है कि आज की शिक्षा (education) केवल किताबी ज्ञान है तो वस्तुतः अब यह कहना असत्य है क्योंकि स्थानीय कला और कुशलता को भी शिक्षा से जोड़कर व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है। शिक्षा में कुशलता को बढ़ावा देने से शिक्षा अब और ज्यादा उपयोगी और व्यवहारिक हो जाएगी। इससे हमारी पीढ़ी को समुचित लाभ प्राप्त होगा।

उपरोक्त कुशलता पर शिक्षा अनुच्छेद को एक ही पैराग्राफ में लिखें।

FAQ Skill Education

नई शिक्षा प्रणाली में इसकी एजुकेशन को बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों.

इसके बारे में बहुत से सवाल आपके मन में होंगे! जिसका जवाब हम यहां सरल और सहज हिंदी भाषा में आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।

हमने ऊपर एक अनुच्छेद भी कौशल शिक्षा (Skill Education) पर हिंदी भाषा में लिखा है यह आपके लिए किसी प्रतियोगी परीक्षा या एकेडमिक राइटिंग में मददगार साबित हो सकता है।

कौशल युक्त शिक्षा क्या है?

आज के दौर में पढ़ाई के साथ जीवन उपयोगी कौशल शिक्षा भी दी जाती है, जिससे बच्चे कौशल के माध्यम से नृत्य-गायन, शिल्प कला, मार्शल आर्ट बर्तन बनाने की कला आदि सीख सकें, इसे शिक्षा के अंतर्गत जोड़ा जा रहा है, इसे कौशल युक्त शिक्षा कहा जाता है।

जैसे रंगोली बनाना, कार्ड बनाना, इलेक्ट्रिक बोर्ड बनाना, गीत लिखना, कढ़ाई बुनाई, पाक कला सजावटी वस्तुएं बनाना यह सब स्किल एजुकेशन के अंतर्गत रखा गया है। हमारे आसपास ऐसे बहुत से विशेष योग्यता वाले गायक कलाकार बढ़ाई रचनाकार डिजाइनर इत्यादि है, जो अपने क्षेत्र में माहिर व्यक्ति हैं, ऐसे लोगों को भी शिक्षा में पढ़ाने के लिए जोड़ा जाना ताकि उनसे भी कुशलता बच्चों में सिखाई जा सके, इसलिए कौशल युक्त शिक्षा प्राथमिक कक्षा से लेकर हायर एजुकेशन तक देने की शुरुआत नई शिक्षा नीति के अंतर्गत की गई है।

University में शिल्पकार, कारीगर की नियुक्ति प्रोफेसर के तौर पर होगी?

अब विश्वविद्यालयों में कुम्हार, शिल्पकार, कारीगर, गायन, मार्शल आर्ट के कलाकार व जानकार की नियुक्ति प्रोफेसर के तौर पर होगी यह अंशकालीन प्रोफ़ेसर होंगे और उच्च शिक्षा में बच्चों को प्रशिक्षित करेंगे।

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  • शिक्षा का महत्त्व पर हिंदी में निबंध (Essay on Importance of Education in Hindi): 100 से 500 शब्दों में देखें

Updated On: September 09, 2024 03:00 pm IST

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शिक्षा का महत्त्व पर हिंदी में निबंध (Essay on Importance of Education in Hindi)

100 शब्दों में शिक्षा का महत्त्व पर निबंध (Essay on Importance of Education in Hindi)

250 शब्दों में शिक्षा का महत्त्व पर लेख (essay on importance of education in hindi).

शिक्षा किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य हिस्सा है, जो उसके व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा न केवल ज्ञान प्राप्ति का माध्यम है, बल्कि यह व्यक्ति के सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता को भी विकसित करती है। इसके द्वारा व्यक्ति अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के योग्य बनता है और आत्मनिर्भरता हासिल करता है।

शिक्षा का महत्त्व इस बात में भी है कि यह व्यक्ति को नैतिक मूल्यों, समाजिक जिम्मेदारियों और अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है। एक शिक्षित व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को अच्छी तरह समझता है, जिससे वह समाज में एक आदर्श नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, शिक्षा समाज में फैले अंधविश्वास, भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों को खत्म करने में भी मदद करती है।

राष्ट्र के विकास के संदर्भ में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक शिक्षित समाज ही नए विचारों, नवाचारों और तकनीकी विकास को प्रोत्साहन देता है, जो किसी भी देश की प्रगति के लिए आवश्यक है। यही कारण है कि हर देश में शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है और इसे सभी के लिए सुलभ बनाने के प्रयास किए जाते हैं।

अतः शिक्षा केवल व्यक्तिगत उन्नति का साधन नहीं, बल्कि यह समाज और देश की प्रगति का भी आधार है। इसलिए, हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए ताकि वह अपने और समाज के भविष्य को बेहतर बना सके।

500 शब्दों में शिक्षा का महत्त्व पर निबंध (Essay on Importance of Education in Hindi)

शिक्षा का महत्त्व (importance of education).

शिक्षा किसी भी समाज और देश के विकास की नींव होती है। यह एक ऐसा साधन है जो व्यक्ति को न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि उसे नैतिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से भी सक्षम बनाती है। शिक्षा से व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझता है, अपने जीवन के प्रति जागरूक होता है, और समाज में एक सक्रिय नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभाता है। शिक्षा न केवल व्यक्ति को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाती है, बल्कि समाज और राष्ट्र की उन्नति में भी अहम योगदान करती है।

व्यक्तिगत विकास में शिक्षा का महत्त्व (Importance of education in personal development)

व्यक्तिगत विकास के लिए शिक्षा का महत्व अपार है। यह व्यक्ति के भीतर ज्ञान और समझ को विकसित करती है, जिससे वह जीवन के विभिन्न पहलुओं में सही निर्णय लेने में सक्षम होता है। शिक्षित व्यक्ति अधिक आत्मविश्वासी होता है, जिसके कारण वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होता है। शिक्षा व्यक्ति को मानसिक रूप से सशक्त बनाती है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकता है। इसके साथ ही, शिक्षा व्यक्ति के भीतर अनुशासन, नैतिकता और समय प्रबंधन जैसे गुणों का विकास करती है, जो उसके जीवन को सही दिशा में ले जाते हैं।

सामाजिक विकास में शिक्षा का महत्त्व (Importance of education in social development)

शिक्षा समाज को बेहतर बनाने का सबसे प्रभावी साधन है। यह व्यक्ति को समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक बनाती है। एक शिक्षित समाज अंधविश्वास, रूढ़िवादी सोच और भेदभाव से मुक्त होता है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति अपने अधिकारों को जानता है और समाज में समानता, न्याय और बंधुत्व का पालन करता है। इसके अलावा, शिक्षित व्यक्ति समाज के विकास के लिए नवाचार, वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत विचारधारा को प्रोत्साहन देते हैं, जिससे समाज में प्रगति और सुधार होते हैं। शिक्षा की कमी से समाज में असमानता, गरीबी और अपराध जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जबकि शिक्षित समाज इन समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है।

राष्ट्रीय विकास में शिक्षा का महत्त्व (Importance of education in national development)

राष्ट्र के विकास में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। किसी भी देश की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति उसके नागरिकों की शिक्षा के स्तर पर निर्भर करती है। शिक्षा के माध्यम से देश को कुशल मानव संसाधन मिलता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देता है। शिक्षा के बिना कोई भी देश तकनीकी, वैज्ञानिक या आर्थिक दृष्टिकोण से उन्नति नहीं कर सकता। इसके अलावा, शिक्षित नागरिक अपनी सरकार और नीतियों को बेहतर ढंग से समझते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। यही कारण है कि सरकारें शिक्षा को प्राथमिकता देती हैं और इसे सभी के लिए सुलभ बनाने के प्रयास करती हैं।

शिक्षा की व्यापकता (comprehensiveness of education)

शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति के चारित्रिक, नैतिक और सामाजिक विकास में भी अहम भूमिका निभाती है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को संपूर्ण रूप से विकसित करना है, जिससे वह एक अच्छा नागरिक, अच्छा इंसान और एक सफल व्यक्ति बन सके। शिक्षा के माध्यम से ही व्यक्ति में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तार्किक सोच और समस्याओं को हल करने की क्षमता विकसित होती है।

निष्कर्ष (conclusion)

शिक्षा जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य है। यह न केवल ज्ञान का स्रोत है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को दिशा देती है। शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने समाज को उन्नत बना सकते हैं और एक सशक्त राष्ट्र की नींव रख सकते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए ताकि वह अपने और समाज के भविष्य को बेहतर बना सके।

1500 शब्दों में शिक्षा का महत्त्व पर लेख (Essay on Importance of Education in Hindi)

शिक्षा का महत्त्व (importance of education) - प्रस्तावना, शिक्षा का अर्थ और परिभाषा (meaning and definition of education), शिक्षा का ऐतिहासिक महत्व (historical importance of education).

शिक्षा का व्यक्तिगत विकास में योगदान (Contribution of Education to Personal Development)

समाज में शिक्षा का महत्व (importance of education in society), शिक्षा और आर्थिक विकास (education and economic development), शिक्षा और तकनीकी विकास (education and technological development).

नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का विकास (Development of Moral and Cultural Values)

महिलाओं के लिए शिक्षा का महत्त्व (importance of education for women), वैश्विक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा (education in global perspective), शिक्षा में चुनौतियां और सुधार की आवश्यकता (challenges and need for reform in education), निष्कर्ष (conclusion).

शिक्षा के महत्व पर महापुरुषों के कोट्स (Quotes from great men on importance of Education)

  • “शिक्षा का उद्देश्य खाली दिमाग को खुले दिमाग से बदलना है।” - मैल्कम फोर्ब्स
  • "शिक्षा का मतलब सिर्फ जानकारी इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि मनुष्य के भीतर की पूर्णता को बाहर लाना है।"- स्वामी विवेकानंद
  • "शिक्षा का उद्देश्य चरित्र का निर्माण, मन की शक्ति का विकास और बुद्धिमत्ता का विस्तार करना है।" - महात्मा गांधी
  • "शिक्षा का असली उद्देश्य सोचने का ढंग बदलना है।" - डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
  • "शिक्षा की जड़ें कड़वी होती हैं, लेकिन फल मीठा होता है।" - अरस्तू
  • "शिक्षा वह सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।" - नेल्सन मंडेला
  • "शिक्षा वही है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमें सजीव बनाती है।" रवीन्द्रनाथ ठाकुर
  • "शिक्षा एक ऐसा शस्त्र है जिससे आप कुछ भी जीत सकते हैं।" - डॉ. भीमराव अंबेडकर
  • "शिक्षा वह है जो स्कूल में सीखी हुई बातों को भूल जाने के बाद भी हमारे भीतर बची रहती है।" - अल्बर्ट आइंस्टीन

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ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे (Online Education Essay in Hindi)

higher education essay in hindi

Online Education Essay – देश में COVID के हिट होने के बाद ऑनलाइन शिक्षा वैश्विक शिक्षा उद्योग में बड़े बदलावों में से एक है। इस प्रकार के शिक्षण के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। सीखने के इस रूप को नई और बेहतर तकनीकों के साथ आसान बना दिया गया है। उच्च शिक्षा संस्थान भी ऑनलाइन शिक्षा के पक्ष में हैं। ऑनलाइन शिक्षा के बारे में संक्षिप्त और विस्तृत लेखों में, यह लेख छात्रों को इसके लाभों और परिणामों के बारे में सूचित करेगा।

शिक्षा केवल कक्षाओं में भाग लेने और चीजों को सीखने के लिए किताबें पढ़ने से कहीं अधिक है। यह सभी प्रतिबंधों से अधिक है। सीखना एक किताब के पन्नों से परे फैली हुई है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हम ऐसे समय में रह रहे हैं जहां सीखने की सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध है। हाँ! हम अपने बच्चों को और खुद को अपने घरों में बैठकर ही शिक्षित कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए ऑनलाइन शिक्षा एक अच्छा विकल्प है। सभी जरूरतमंद बच्चे जो स्थानीय स्कूलों में दाखिला लेने में असमर्थ हैं, अब ऑनलाइन शिक्षा की बदौलत शिक्षा तक उनकी पहुंच है।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 10 लाइन (Online education Essay 10 lines in Hindi) (100 words)

  • 1) ऑनलाइन शिक्षा कुशलतापूर्वक अध्ययन करने की एक नई तकनीक है।
  • 2) ऑनलाइन शिक्षा का तात्पर्य इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा से है।
  • 3) विद्यार्थी इंटरनेट के माध्यम से कभी भी, कहीं से भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
  • 4) जो लोग स्कूल नहीं जा सकते उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा एक अच्छा विकल्प है।
  • 5) ऑनलाइन शिक्षा लचीली है क्योंकि यह सभी के शेड्यूल में फिट बैठती है।
  • 6) ऑनलाइन सीखने के लिए बुनियादी आवश्यकता इंटरनेट एक्सेसिबिलिटी वाला एक उपकरण है।
  • 7) कुछ ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म मुफ्त हैं जबकि कुछ पैसे चार्ज कर सकते हैं।
  • 8) दुनिया भर में उडेमी, अनएकेडमी, बायजू आदि जैसे विभिन्न ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं।
  • 9) ऑनलाइन शिक्षा शारीरिक रूप से स्कूलों या संस्थानों में जाने के समय, धन और प्रयास को बचाती है।
  • 10) हालांकि, ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान लंबे समय तक लैपटॉप या अन्य उपकरणों को देखना हमारे स्वास्थ्य खासकर आंखों के लिए हानिकारक है।

इनके बारे मे भी जाने

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छात्रों और बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा पर लघु निबंध (Short Essays on Online Education for Students and Children in Hindi)

शिक्षा लोगों के जीवन का अभिन्न अंग है; यह या तो उन्हें बनाएगा या उनके करियर के आधार पर उन्हें तोड़ देगा। 1950 के दशक की तुलना में शिक्षा आज व्यापक रूप से विविध है क्योंकि शिक्षण विधियों में प्रगति और अन्य प्रमुख आविष्कार जो अधिक स्पष्ट शिक्षण तकनीकों को लागू करते हैं।

ई-लर्निंग में छात्र घर या किसी अन्य स्थान से अध्ययन करते हैं, जो उनके लिए सबसे सुविधाजनक होता है। वे ऑनलाइन शिक्षण सामग्री प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा में अध्ययन सामग्री टेक्स्ट, ऑडियो, नोट्स, वीडियो और इमेज हो सकती है। हालाँकि, अध्ययन की पद्धति के अपने लाभ और विभिन्न कमियाँ भी हैं।

ऑनलाइन शिक्षा उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो एक या दूसरे कारण से पारंपरिक शिक्षा पद्धति का दौरा नहीं कर सकते हैं या प्राप्त नहीं कर सकते हैं। लगभग 6.1 मिलियन कॉलेज छात्र वर्तमान में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, और यह संख्या लगभग 30 प्रतिशत सालाना बढ़ रही है।

ऑनलाइन शिक्षा लोगों के साथ-साथ कंपनियों के लिए असंख्य लाभ प्रदान करती है क्योंकि यह दूसरों के बीच लचीलेपन की अनुमति देती है। ऑनलाइन शिक्षा से अधिक लाभ उठाने का एक शानदार तरीका ऑनलाइन शिक्षा और शिक्षण के पारंपरिक तरीकों को समेकित करना है।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 200 शब्द (Online education Essay 200 words in Hindi)

इन दिनों, प्रौद्योगिकी ने शिक्षा सहित हर उद्योग को प्रभावित किया है। इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने का सबसे नया तरीका ऑनलाइन शिक्षा है। सीखने के लिए अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप या टैबलेट का उपयोग करना एक मजेदार और उत्पादक तरीका है। शिक्षक और छात्र दोनों इससे बहुत लाभान्वित हो सकते हैं, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। ऑनलाइन शिक्षा के साथ कहीं से भी सीखना लचीला है।

गैर-समयबद्धता एक और लाभप्रद गुण है। आपको एक सामान्य स्कूल की तरह सुबह से दोपहर के भोजन तक बैठने की ज़रूरत नहीं है। अपनी पसंद के अनुसार आप दिन हो या रात ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं। समय और स्थान के लचीलेपन के अलावा, ऑनलाइन सीखने की कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है। आप ऑनलाइन शिक्षा का उपयोग करके उन विषयों और कौशलों को चुन सकते हैं जिन्हें आप सीखना चाहते हैं। ऐसे कई संस्थान हैं जो अपनी डिग्री और पाठ्यक्रम ऑनलाइन प्रदान करते हैं। नतीजतन, स्कूलों या विश्वविद्यालयों में शारीरिक रूप से आए बिना खुद को शिक्षित करना एक अधिक व्यावहारिक विकल्प है। इसके अतिरिक्त, यह आपको परिवहन और अन्य खर्चों पर पैसे बचाने में मदद करता है।

हालांकि, खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग ऑनलाइन सीखने के लिए संघर्ष करते हैं। ऑनलाइन शिक्षा का मूल इंटरनेट है। यदि आप उपकरणों के सामने अधिक समय बिताते हैं तो आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। स्वयं को अनुशासित करने की क्षमता रखने वालों को ही इस पर विचार करना चाहिए।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 250 शब्द (Online education Essay 250 words in Hindi)

ऑनलाइन होने वाली कोई भी शिक्षा प्रभावी निर्देशात्मक वितरण प्रणाली का एक हिस्सा है जिसे ऑनलाइन शिक्षा के रूप में जाना जाता है। ऑनलाइन शिक्षा उन छात्रों की मदद करती है जिन्हें अपने शेड्यूल पर और अपनी गति से काम करने की आवश्यकता होती है और शिक्षकों को उन छात्रों से जुड़ने में सक्षम बनाती है जो पारंपरिक कक्षा पाठ्यक्रम में नामांकन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।

हर विषय में ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा की डिग्रियों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। अब ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाले अधिक कॉलेज और संगठन हैं। ऑनलाइन डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को ईमानदार होना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका शोध एक प्रतिष्ठित और मूल्यवान विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाता है।

शिक्षार्थी तब अधिक प्रभावी ढंग से सीखता है जब प्रत्येक व्यक्ति संवाद और दूसरों के कार्य पाठ्यक्रमों पर टिप्पणियों के माध्यम से अपनी बात या राय व्यक्त करता है। यह विशिष्ट लाभ एक आभासी सीखने के माहौल में प्रदर्शित होता है जो शिक्षार्थी पर केंद्रित होता है और जिसमें अकेले ऑनलाइन सीखने का प्रारूप योगदान दे सकता है।

हमें ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए पूरे शहर या लंबी दूरी की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है। जब हम ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से अपने करियर को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं तो हम यथावत बने रह सकते हैं और अपनी वर्तमान नौकरियों को बनाए रख सकते हैं। जो लोग तकनीकी रूप से सुसज्जित या मोबाइल जीवन शैली बनाए रखते हैं – डिजिटल खानाबदोश – ऑनलाइन स्कूली शिक्षा से भी लाभान्वित होते हैं। हम व्याख्यान देख सकते हैं और अपना काम पूरा कर सकते हैं चाहे हम कहीं भी हों।

चाहे हम अंशकालिक या पूर्णकालिक ऑनलाइन शिक्षार्थी हों, समय सारिणी ऑनलाइन सीखने के साथ अधिक प्रबंधनीय है। ऑनलाइन शिक्षा की कम लागत ने इसकी व्यापक अपील में योगदान दिया है। सच्चाई यह है कि संस्थानों या स्कूलों में प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की तुलना में ऑनलाइन पाठ्यक्रम कम खर्चीले हैं। एक विश्वविद्यालय में भाग लेने के दौरान, हमें परिवहन, आवास और भोजन जैसी चीजों के लिए भुगतान करने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा शायद नहीं।

ऑनलाइन शिक्षा के प्रमुख लाभों में से एक इसका अंतर्निहित लचीलापन है, लेकिन इसमें एक पेंच है: व्यक्ति को असाधारण रूप से आत्म-प्रेरित होना चाहिए। शीर्ष ऑनलाइन छात्र अपनी अध्ययन परियोजनाओं के साथ अद्यतित रहने के लिए कई रणनीतियाँ बनाते हैं। अध्ययन के लिए प्रत्येक सप्ताह अलग से समय निर्धारित करना और कुछ ध्यान भटकाने वाले कार्यक्षेत्र को डिजाइन करना दोनों ही बहुत फायदेमंद हो सकते हैं।

ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 300 शब्द (Online education Essay 300 words in Hindi)

ऑनलाइन शिक्षा एक शब्द है जिसका उपयोग ऑनलाइन होने वाली शिक्षा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ऑनलाइन पाठ्यक्रम दुनिया भर के लाखों छात्रों को अपने घरों में आराम करते हुए सीखने की अनुमति देते हैं। ऑनलाइन शिक्षा के कई अलग-अलग रूप हैं, जिनमें इंटरनेट का उपयोग करते समय शिक्षक के साथ लैपटॉप पर आमने-सामने निर्देश, शैक्षिक वेबिनार और वीडियो, और यहां तक ​​कि दूरस्थ शिक्षा भी शामिल है। अपने लचीलेपन के कारण, ऑनलाइन शिक्षा व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों को व्यापक लाभ प्रदान करती है। इससे पता चलता है कि समान ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर सभी भौगोलिक क्षेत्रों के लोग समान डिग्री की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

जबकि छात्र अपने व्यस्त जीवन में सीखने के समय को समायोजित कर सकते हैं, प्रशिक्षक सीखने के कार्यक्रम की कालातीतता और एकाग्रता को अधिकतम करते हैं। एक पूर्वानुमेय कार्यक्रम, छात्र सुधार के अवसर, और शैक्षिक पहुंच और पसंद में वृद्धि करके, ऑनलाइन शिक्षा छात्रों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है।

हम ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न सलाहकारों और शिक्षकों से सीख सकते हैं, जो हमारे ज्ञान और दृष्टिकोण को व्यापक बनाता है। छात्रों की चिंता कम हो जाती है क्योंकि वे पारंपरिक कक्षाओं की तुलना में ऑनलाइन सीखने के दौरान अधिक संवाद कर सकते हैं। जब तक किसी व्यक्ति के पास इंटरनेट से जुड़े गैजेट तक पहुंच है, वे लगभग कहीं से भी सीख सकते हैं।

चूंकि कोई समय सीमा नहीं है, ऑनलाइन शिक्षा आम तौर पर हमें अपनी गति से सीखने की अनुमति देती है। पारंपरिक कक्षा सेटिंग्स की तुलना में ऑनलाइन पाठ्यक्रम आमतौर पर अधिक आरामदायक और मनोरंजक होते हैं। रोजाना एक ही जगह के चक्कर लगाने की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।

ऑनलाइन शिक्षा आमतौर पर सस्ती होती है। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक शैक्षिक विधियों की तुलना में, ऑनलाइन शिक्षा कम खर्चीली है। पारंपरिक विश्वविद्यालय कार्यक्रमों के द्वारा, छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने परिवहन, पाठ्यपुस्तकों और जिम, पुस्तकालयों और स्विमिंग पूल जैसी संस्थागत सुविधाओं के साथ-साथ विश्वविद्यालय शिक्षा की कीमत बढ़ाने वाले अन्य खर्चों को कवर करें। दूसरी ओर, ऑनलाइन शिक्षा केवल ट्यूशन और अन्य आवश्यक लागतों के लिए शुल्क लेती है। इस प्रकार, ऑनलाइन शिक्षा अमीरों और वंचितों दोनों के लिए अवसर प्रदान करती है।

इंटरनेट के माध्यम से नई रणनीतियाँ हासिल करना संभव है, जो किसी को अधिक कुशल बनने में मदद करती हैं। पारंपरिक शैक्षिक विधियों की तुलना में, पाठ्यक्रम में समायोजन तुरंत ऑनलाइन किया जा सकता है।

ऑनलाइन शिक्षा में सफल होने के लिए, संभावित नियोक्ता द्वारा अस्वीकार किए जा सकने वाले कई संदिग्ध संस्थानों से दूर रहने के लिए, उनके लिए सर्वश्रेष्ठ कॉलेज और कार्यक्रम का चयन करना चाहिए। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना है कि किसी को स्कूल के प्रोफेसरों और अन्य विद्यार्थियों के संपर्क में रहने की आवश्यकता है। कुंजी प्रभावी समय प्रबंधन है, जो हमें अपने समय का प्रबंधन करने में मदद कर सकती है और नियत कार्यों को समय पर पूरा करने और पूरा करने में मदद कर सकती है।

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ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध 500 शब्द (Online education Essay 500 words in Hindi)

परिचय : ऑनलाइन शिक्षा एक आसान निर्देशात्मक वितरण प्रक्रिया है जिसमें इंटरनेट के माध्यम से होने वाली कोई भी शिक्षा शामिल है। ऑनलाइन शिक्षण शिक्षकों को उन छात्रों के साथ संवाद करने में सक्षम बनाता है जो पारंपरिक कक्षा पाठ्यक्रम में नामांकन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं और उन छात्रों की सहायता करते हैं जिन्हें अपने समय पर और अपनी गति से काम करने की आवश्यकता होती है।

हर विषय में उल्लेखनीय गति के साथ दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन डिग्री प्रदान करने की मात्रा में वृद्धि दर्ज की जा रही है। ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों और संस्थानों की संख्या भी बढ़ रही है। ऑनलाइन विधियों के माध्यम से डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को यह सुनिश्चित करने में सावधानी बरतनी चाहिए कि उनका पाठ्यक्रम एक मूल्यवान और विश्वसनीय विश्वविद्यालय के माध्यम से पूरा हो।

ऑनलाइन शिक्षा को तालमेल का लाभ देने के लिए जाना जाता है। यहां नियोजित प्रारूप छात्रों और शिक्षकों के बीच गतिशील संचार के लिए जगह बनाता है। इन संचारों के माध्यम से, स्रोत साझा किए जाते हैं, और एक सीखने की प्रक्रिया के माध्यम से एक ओपन एंडेड तालमेल विकसित होता है। जब प्रत्येक व्यक्ति दूसरों के कार्य पाठ्यक्रम पर चर्चा और टिप्पणियों के माध्यम से एक दृष्टिकोण या राय देता है, तो इससे छात्र को बेहतर सीखने में लाभ होता है। यह अनूठा लाभ एक छात्र-केंद्रित आभासी सीखने के माहौल में प्रकट होता है जिसमें अकेले ऑनलाइन सीखने का प्रारूप योगदान दे सकता है।

ऑनलाइन कक्षाओं के साथ, हमें किसी दूसरे शहर की यात्रा करने या लंबी दूरी तय करने की आवश्यकता नहीं है। हम जहां हैं वहीं रह सकते हैं और ऑनलाइन डिग्री के साथ अपने करियर को बेहतर बनाने की दिशा में काम करते हुए अपनी वर्तमान नौकरी को बनाए रख सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा डिजिटल खानाबदोशों की भी मदद करती है – कोई ऐसा जो प्रौद्योगिकी-सक्षम या स्थान-स्वतंत्र जीवन शैली का समर्थन करता है। हम कहीं भी हों, लेक्चर देख सकते हैं और अपना कोर्सवर्क पूरा कर सकते हैं।

चाहे हम पूर्णकालिक या अंशकालिक ऑनलाइन छात्र हों, ऑनलाइन शिक्षा का अनुभव बहुत अधिक प्रबंधनीय कार्यक्रम प्रदान करता है। सस्ते होने के कारण ऑनलाइन शिक्षा को काफी मान्यता मिली है। यह सच है कि ऑनलाइन पाठ्यक्रम स्कूलों या कॉलेजों में पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की तुलना में अधिक किफायती हैं। विश्वविद्यालयों में अध्ययन करते समय हमें कुछ पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं जैसे परिवहन, आवास और भोजन, ऑनलाइन शिक्षा के लिए इस तरह के खर्चों की आवश्यकता नहीं हो सकती है।

ऑनलाइन सीखने के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक इसका अंतर्निहित लचीलापन है, हालांकि, इसमें एक पेंच है, व्यक्ति को बेहद आत्म-प्रेरित होना पड़ता है। सर्वश्रेष्ठ ऑनलाइन छात्र अपने शोध के बारे में अप टू डेट रहने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण विकसित करते हैं। पढ़ाई के लिए हर हफ्ते अलग समय निर्धारित करने और कम से कम विकर्षण के साथ कार्यक्षेत्र बनाने जैसी चीजें बहुत मदद कर सकती हैं।

ऑनलाइन शिक्षा निबंध पर निष्कर्ष

ऑनलाइन शिक्षा के संभावित लाभों में शैक्षिक पहुंच में वृद्धि शामिल है; यह एक उच्च गुणवत्ता वाला सीखने का अवसर प्रदान करता है, छात्रों के परिणामों और कौशल में सुधार करता है, और शैक्षिक विकल्प विकल्पों का विस्तार करता है। इसलिए, ऑनलाइन शिक्षा के कारण डिग्री पाठ्यक्रम या उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्थान, समय और गुणवत्ता को अब कारकों के रूप में नहीं माना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत सरकार द्वारा कौन सा शिक्षण मंच शुरू किया गया है.

स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स) भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म है।

भारत में सीखने का सबसे बड़ा मंच कौन सा है?

Unacademy को भारत में सबसे बड़ा सीखने का मंच माना जाता है।

ऑनलाइन शिक्षा छात्रों को कैसे प्रभावित करती है?

ऑनलाइन सीखने से छात्रों को वास्तविक दुनिया में अपना रास्ता बनाने से पहले स्वतंत्र शिक्षार्थी बनने में मदद मिली है।

क्या छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं अच्छी हैं?

ऑनलाइन कक्षाओं का महत्व यह है कि वे पारंपरिक शिक्षण प्लेटफार्मों की तुलना में अधिक सुविधाजनक और लचीले हैं।

छात्र ऑनलाइन सीखना क्यों पसंद करते हैं?

बहुत कम बजट में ऑनलाइन पाठ्यक्रम आसानी से उपलब्ध हैं। सुविधा और लागत के अलावा, बड़ी संख्या में छात्र ऑनलाइन शिक्षण पाठ्यक्रमों की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि वे सीखने का एक बेहतर तरीका बन गए हैं।

higher education essay in hindi

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

by Meenu Saini | Jun 11, 2022 | Hindi | 0 comments

नई शिक्षा नीति पर निबंध (New Education Policy 2020) Hindi Essay Writing

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध

  • नई शिक्षा नीति 2020 का परिचय
  • भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण
  • पाठ्यक्रम और मूल्यांकन

नई शिक्षा नीति 2020 का परिचय 

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है सीखने और सिखाने की क्रिया | इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी समाज में चलने वाली वह निरंतर प्रक्रिया जिसका उद्देश्य इंसान की आन्तरिक शक्तियों का विकास करना और उसके व्यवहार में सुधार लाना है | शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाना है |

गौरतलब है कि आजादी के बाद भारत में पहली शिक्षा नीति सन 1986 में बनाई गई थी जो मुख्यतः लॉर्ड मैकाले की अंग्रेजी प्रधान शिक्षा नीति पर आधारित थी | इसमें सन 1992 में कुछ संशोधन भी किए गए किंतु इसका ढांचा मूलतः अंग्रेजी माध्यम शिक्षा पर ही केंद्रित रहा।

आज समय के साथ हमें यह महसूस हुआ कि 1986 की वह शिक्षा नीति में कुछ खामियां हैं इसके तहत बच्चा ज्ञान तो हासिल कर रहा है किन्तु यह ज्ञान उससे भविष्य में रोजगार के अवसर पैदा करने योग्य नही बन पा रहा हैं | 

अतः इन कमियों को दूर करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाने की आवश्यकता पड़ी |

नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21वीं शताब्दी की ऐसी पहली शिक्षा नीति है, जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए आने वाले आवश्यकता को पूरा करना है | यह नीति भारत की परंपरा और उसके सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए 21वीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्य, जिसके अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था उसके नियमों का वर्णन सहित सभी पक्षों के सुधार और पुनर्गठन का प्रस्ताव रखता है | राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमता के विकास पर जोर देती है | यह नीति इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से ना केवल साक्षरता, उच्च स्तर की तार्किक और समस्या समाधान संबंधित संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होना चाहिए बल्कि नैतिक सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी व्यक्ति का विकास होना चाहिए |

नवीन शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण तथ्य  

नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, इस समिति ने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था। ‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020′ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।  

  • NEP-2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।  
  • नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।   
  • तकनीकी शिक्षा, भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।
  • इस शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है।
  • कैबिनेट द्वारा ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम बदल कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ करने को भी मंज़ूरी दी गई है। 
  • 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शैक्षिक पाठ्यक्रम का दो समूहों में विभाजन        –   3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये आँगनवाड़ी / बालवाटिका/ प्री-स्कूल  के  माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण “प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा” की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी।
  • प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी।

NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है, साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।   Top  

भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण:

  • स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
  • बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा ISL को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।  
  • NEP-2020 के तहत भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक ‘भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान’ IITI, ‘फारसी, पाली और प्राकृत के लिये राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान)’ [National Institute (or Institutes) for Pali, Persian and Prakrit] स्थापित करने के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा विभाग को मज़बूत बनाने एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के माध्यम से रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया है।

  Top  

पाठ्यक्रम और मूल्यांकन:

  • इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
  • कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप की व्यवस्था भी दी जाएगी।
  • ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ NCERT द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ तैयार की जाएगी।
  • NEP-2020 में छात्रों के सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही इसमें विश्लेषण तथा तार्किक क्षमता एवं सैद्धांतिक स्पष्टता के आकलन को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।   
  • छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किये जाएंगे। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ की स्थापना की जाएगी।
  • NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
  • NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण सुधार किया गया है, इसमें मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण पत्र दिये जाएगा  – 
  • 1 वर्ष के बाद प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट )
  • 2 वर्ष के बाद डिप्लोमा 
  • 3 वर्ष के बाद डिग्री 
  • 4 वर्ष के बाद शोध के साथ स्नातक

विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए एक अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा ताकि अलग अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सकते हैं |

  • नई शिक्षा नीति के तहत एम फिल कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है |

भारत उच्च शिक्षा आयोग

चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India -HECI) का गठन किया जाएगा। HECI के कार्यों के प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण किया गया है-

  • विनियमन हेतु- ‌ National Higher Education Regulatory Council- NHERC
  • मानक निर्धारण- General Education Council- GEC 
  • वित पोषण-  Higher Education Grants Council-HEGC
  • प्रत्यायन- National Accreditation Council- NAC

नवीन शिक्षा नीति के पूर्व शैक्षणिक परिद्रश्य   

  नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने से पूर्व भारत में 1986 की शिक्षा नीति संचालित थी जिसमें केवल किताबी बातों पर ध्यान दिया जाता था पुराने शिक्षा नीति में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं था की स्कूल मैं कक्षा छठवीं से बारहवीं तक अर्जित किया गया ज्ञान भविष्य में कैसे रोजगार सृजन में सहायक होगा। पुराने शिक्षा नीति पाठ्यक्रम प्रधान थी, जिसमें इस बात पर जोर दिया जाता था। बचपन से ही बच्चों को अंग्रेजी में पढ़ने लिखने हेतु विवश किया जाता था, जिस कारण बच्चा अपनी मातृभाषा से अनभिज्ञ बना रहा। पहले उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान यदि किसी कारणवश बच्चा 1 या 2 साल बाद पढ़ाई बीच में छोड़ता था तो उसका नुकसान होता था।  1 या 2 वर्षों में उसने जो कुछ भी सीखा उसका कोई प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं होता था जिसके कारण पुनः डिग्री करने के लिए उसे अपने साल बर्बाद करने पड़ते थे। पहले कंप्यूटर या तकनीकी ज्ञान का अभाव था, बच्चा उच्च शिक्षण संस्थानों में जाकर कोडिंग का ज्ञान लेता था किंतु अब छठी कक्षा से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी।NEP-2020 में एक ऐसे पाठ्यक्रम और अध्यापन प्रणाली/विधि के विकास पर बल दिया गया है जिसके तहत पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए छात्रों में 21वीं सदी के कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।  पहले कॉलेज से 3 साल की डिग्री लेने के बाद 2 वर्ष स्नातकोत्तर और फिर 2 वर्ष का एमफिल उसके बाद 5 वर्ष पीएचडी करने के बाद शोध उपाधि प्राप्त हो पाती थी। किंतु अब एम फिल को समाप्त कर दिया है।  

1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) 2020 में, भाषा एक नकारात्मक कारक है क्योंकि भारत में एक समस्याग्रस्त शिक्षक से छात्र अनुपात है, इसलिए शैक्षणिक संस्थानों में प्रत्येक विषय के लिए मातृभाषा की शुरूआत एक समस्या है। कभी-कभी एक सक्षम  शिक्षक ढूंढना एक समस्या बन जाता है और अब NEP 2020 की शुरुआत के साथ एक और चुनौती आती है, जो अध्ययन सामग्री को मातृभाषा में लाता है।

2. 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के अनुसार, जो छात्र स्नातक की पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं, उन्हें चार साल की पढ़ाई करनी होगी, जबकि कोई भी आसानी से दो साल में अपना डिप्लोमा पूरा कर सकता है।

यह छात्र को पाठ्यक्रम को आधा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, निजी स्कूलों के छात्रों को सरकारी स्कूलों के छात्रों की तुलना में बहुत कम उम्र में अंग्रेजी से परिचित कराया जाएगा। सरकारी स्कूल के छात्रों को संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में शैक्षणिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा।

यह नई शिक्षा नीति की प्रमुख कमियों में से एक है क्योंकि इससे अंग्रेजी में संवाद करने में असहज छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी और इस प्रकार समाज के वर्गों के बीच की खाई को चौड़ा किया जा सकेगा।

नई शिक्षा नीति के सकारात्मक परिणाम

  • नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष जोर दिया गया है जिससे बच्चा बचपन से ही अपनी मातृभाषा को अच्छे से समझ और जान पाएगा।
  • इस नई नीति के तहत यदि कोई बच्चा अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर पाने में असमर्थ है या 3 वर्ष का कोर्स पूरा नहीं कर पाता है तो भी उसका नुकसान नहीं होगा उसे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा प्राप्त हो पाएगा। जिसका उपयोग वह रोजगार के क्षेत्र में कर पाएगा।
  • छठी कक्षा से ही बच्चों को इंटर्नशिप कराई जाएगी जिससे व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
  • शिक्षा नीति में कोडिंग को भी शामिल किया गया है, यानी बच्चे मात्र किताबी और व्यावहारिक ज्ञान ही नहीं अपितु तकनीकी क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
  • कुल मिलाकर यह नीति बच्चे के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगी।

2020 में नई शिक्षा नीति 30 वर्षों के बाद आई और भारत की मौजूदा शैक्षणिक प्रणाली को अकादमिक के अंतरराष्ट्रीय स्तर के बराबर बनाने के उद्देश्य से बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2040 तक एनईपी की स्थापना करना है। लक्षित वर्ष तक, योजना का मुख्य बिंदु एक-एक करके लागू किया जाना है। 

एनईपी 2020 द्वारा प्रस्तावित सुधार केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से लागू होगा। कार्यान्वयन रणनीति पर चर्चा के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तर के मंत्रालयों के साथ विषयवार समितियों का गठन किया जाएगा।   Top   निष्कर्ष 

यह भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली है जो सभी को उच्च गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध कराकर और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाकर भारत को एक जीवंत बनाए समाज में बदलने के लिए प्रत्यक्ष रूप से योगदान करेगी | इस नीति में परिकल्पित है हमारे संस्थानों की पाठ्य चर्चा और शिक्षा विधि जो छात्रों में अपने मौलिक दायित्व और संवैधानिक मूल्य देश के साथ जुड़ाव और बदलते विश्व में नागरिक की भूमिका के उत्तरदायित्व की जागरूकता उत्पन्न करें | इस नीति का विजन है छात्रों में, भारतीय होने का गर्व, केवल विचार में नहीं बल्कि व्यवहार, बुद्धि और कार्यों में भी रहे ; साथ ही ज्ञान, कौशल, मूल्यों और सोच में भी होना चाहिए | जो मानव अधिकार हो स्थाई विकास और जीवन यापन तथा वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो ताकि वह सही मायने में एक योग्य  नागरिक बन सकें |   Top  

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Hindi Diwas Essay: हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? 100, 250, 500 शब्दों में निबंध प्रारूप

Hindi Diwas 2024 Essay in Hindi: इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषा भारतीयों की पहचान का हिस्सा है। भारत में यूं तो कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती है लेकिन जो दर्जा हिंदी को मिला है वो अहम है। भाषाई विविधता के जश्न के रूप में प्रति वर्ष हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश की मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझाने और उसे सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

हिंदी हमारी पहचान है और करोड़ों भारतीयों को इस पर गर्व है। हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी बोली जाती है। हमारे विद्यालयों में भी हिंदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे निबंध लेखन, कविता पाठ, भाषण और अन्य प्रतियोगिताओं का विशेष रूप में आयोजन किया जाता है।

बच्चों को हिंदी भाषा के महत्व और उसकी सुंदरता को समझाने के लिए यह दिन विशेष होता है। इस अवसर पर स्कूलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। यदि आप भी स्कूल में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो इस लेख से संदर्भ ले सकते हैं।

इस लेख में स्कूली बच्चों की सहायता के लिए 100, 250 और 500 शब्दों में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में तीन अलग-अलग हिंदी दिवस निबंध प्रारूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं जो स्कूली छात्रों को हिंदी दिवस के महत्व को समझाने में मदद करेंगे। स्कूली छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay) नीचे दिये गये हैं। ये निबंध हिंदी दिवस के महत्व को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाने में मदद करते हैं।

हिंदी दिवस 2024 पर 100, 250, 500 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-

निबंध 1 (100 शब्दों में ): हिंदी दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व के प्रचार एवं प्रसार के लिए मनाया जाता है। हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसे हमें सम्मान देना चाहिये। भारत के करोड़ों लोग अपनी बोल चाल की भाषा में हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं। भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। इसका अर्थ है कि भारत सरकार ने कामकाज की भाषा के रूप में हिंदी को विशेष स्थान दिया है। हमें गर्व होना चाहिये कि हमारी एक समृद्ध और प्राचीन भाषा है, जिसे हम हिंदी कहते हैं। यह हमारे देश की पहचान है।

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निबंध 2 (250 शब्दों में): हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग

प्रति वर्ष 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं। हिंदी दिवस, हिंदी के महत्व को समझाने और उसे प्रचारित करने के लिए समर्पित है। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला। हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न अंग है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि नेपाल, मॉरीशस, फिजी और अन्य देशों में भी बोली जाती है।

हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्र-छात्राओं में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हमें हिंदी भाषा को गर्व से बोलना चाहिये और इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए बढ़ावा देना चाहिये। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमें सभी क्षेत्रों में इसे अपनाना चाहिये और इसके महत्व को समझना चाहिये।

निबंध 3 (500 शब्दों में): हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी दिवस भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत की राजभाषा हिंदी के सम्मान और उसके महत्व को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है और इसका भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली और समझी जाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी को न केवल सरकारी कार्यों में बल्कि आम जीवन में भी अधिक से अधिक प्रयोग में लाना है। हिंदी दिवस पर कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक करना और उसकी उपयोगिता को बढ़ावा देना है।

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आज के समय में अंग्रेजी भाषा का बढ़ता हुआ प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हिंदी हमारी पहचान है। हमें गर्व होना चाहिये कि हम एक ऐसी समृद्ध भाषा बोलते हैं, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती है। हिंदी दिवस के उत्सव से हम यह समझने में सहायता मिलती है कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का प्रतीक है।

इसलिए, हमें हिंदी भाषा के महत्व को समझना चाहिये और इसे गर्व से बोलना चाहिये। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हम अपने स्तर पर भी प्रयास कर सकते हैं। हम इसे अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक उपयोग कर सकते हैं। हिंदी दिवस हमें यह प्रण लेना चाहिये कि हम अपनी हिंदी भाषा का सम्मान करेंगे और इसे आगे बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान देंगे।

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020

  • 30 Jul 2020
  • 15 min read
  • सामान्य अध्ययन-II
  • नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे

राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020, कस्तूरीरंगन समिति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और शिक्षा क्षेत्र में सुधारों से संबंधित प्रश्न  

चर्चा में क्यों?

हाल ही के केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020’ (National Education Policy- 2020) को मंज़ूरी दी है। नई शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986’ [National Policy on Education (NPE),1986] को प्रतिस्थापित करेगी।

प्रमुख बिंदु:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुँच, समानता, गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
  • 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020' वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।  
  • NEP-2020 के तहत केंद्र व राज्य स रकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।  
  • नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।   
  • तकनीकी शिक्षा, भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।
  • इस शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है।

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MHRD के नाम में परिवर्तन 

  • NEP-2020 के तहत MHRD का नाम बदलकर ‘शिक्षा मंत्रालय’ करने का उद्देश्य ‘शिक्षा और सीखने (Education and Learning)’ पुनः अधिक ध्यान आकर्षित करना है।   

प्रारंभिक शिक्षा:

  • 3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये आँगनवाड़ी/बालवाटिका/प्री-स्कूल (Pre-School) के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण ‘ प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा ’ ( Early Childhood Care and Education- ECCE) की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी।
  • प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • ECCE से जुड़ी योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय , महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व जनजातीय कार्य मंत्रालय के साझा सहयोग से किया जाएगा।

‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’

  • NEP में MHRD द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on Foundational Literacy and Numeracy) की स्थापना की मांग की गई है।
  • राज्य सरकारों द्वारा वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-3 तक के सभी बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करने हेतु इस मिशन के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जाएगी।

भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण:

  • NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है , साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है ।
  • स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी ।
  • बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा (Indian Sign Language- ISL) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा ।  
  • NEP-2020 के तहत भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक ‘भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान’ (Indian Institute of Translation and Interpretation- IITI), ‘फारसी, पाली और प्राकृत के लिये राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान)’ [ National Institute (or Institutes) for Pali, Persian and Prakrit ] स्थापित करने के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा विभाग को मज़बूत बनाने एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के माध्यम से रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया है।  

पाठ्यक्रम और मूल्यांकन से जुड़े सुझाव:

  • NEP-2020 में एक ऐसे पाठ्यक्रम और अध्यापन प्रणाली/विधि के विकास पर बल दिया गया है जिसके तहत पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए छात्रों में 21वीं सदी के कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
  • इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
  • कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप (Internship) की व्यवस्था भी दी जाएगी।
  • ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (National Council of Educational Research and Training- NCERT) द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ [National Curricular Framework for School Education, (NCFSE, 2020-21) तैयार की जाएगी।
  • NEP-2020 में छात्रों के सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही इसमें विश्लेषण तथा तार्किक क्षमता एवं सैद्धांतिक स्पष्टता के आकलन को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।   
  • छात्र कक्षा-3, 5 और 8 के स्तर पर स्कूली परीक्षाओं में भाग लेंगे जिन्हें उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाएगा। 
  • छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किये जाएंगे। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ (PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ (National Assessment Centre) की स्थापना की जाएगी।
  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये ‘ कृत्रिम बुद्धिमत्ता ’ (Artificial Intelligence- AI) आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग। 

शिक्षण प्रणाली से जुड़े सुधार:

  • शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर लिये गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।
  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद वर्ष 2022 तक ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’ ( National Professional Standards for Teachers- NPST) का विकास किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ [National Curriculum Framework for Teacher Education (NCFTE), 2021] का विकास किया जाएगा।
  • वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।

उच्च शिक्षा: 

  • NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
  • NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण सुधार किया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (जैसे- 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक) ।  
  • विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ (Academic Bank of Credit) दिया जाएगा, जिससे अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके। 
  • नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है ।
  • चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India -HECI) का गठन किया जाएगा।
  • विनियमन हेतु - राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher Education Regulatory Council- NHERC)  
  • मानक निर्धारण- सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council- GEC)   
  • वित पोषण- उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council-HEGC)   
  • प्रत्यायन- राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council- NAC)
  • महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में समाप्त हो जाएगी और उन्हें क्रमिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिये एक चरणबद्ध प्रणाली की स्थापना की जाएगी।
  • देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय ’ (Multidisciplinary Education and Research Universities- MERU) की स्थापना की जाएगी।

अन्य सुधार:

  • शिक्षा, मूल्यांकन, योजनाओं के निर्माण और प्रशासनिक क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग पर विचारों के स्वतंत्र आदान-प्रदान हेतु ‘राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच’ (National Educational Technology Forum- NETF) नामक एक स्वायत्त निकाय की स्थापना की जाएगी।

स्रोत:  द हिंदू

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हिंदी दिवस 2024 पर बड़े और छोटे निबंध स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए

हिंदी दिवस पर निबंध: हिंदी, भारत की मातृभाषा है। यह सबसे अधिक बोली जाने वाली और सम्मानित भाषाओं में से एक है। छात्रों को नीचे दिए गए निबंधों को पढ़कर इसके बारे में अधिक जानना चाहिए।   हिंदी दिवस 2024 पर 150 - 200 शब्दों का निबंध हिंदी में पाने के लिए इस लेख को पढ़ें।.

Atul Rawal

Hindi Diwas Par Nibandh: भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और उसका जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय एकता और विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है।   इस अवसर पर, स्कूल, छात्रों को हिंदी और इसके महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूल प्राधिकारी और शिक्षक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। स्कूल छात्रों को अधिक जानकार और खुद को अभिव्यक्त करने में आत्मविश्वासी बनाने के लिए निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।

यहां आपको हिंदी दिवस पर निबंधों के कुछ उदाहरण मिलेंगे। ये हिंदी दिवस निबंध हिंदी में हैं, जिसका उद्देश्य हिंदी दिवस 2024 के लिए आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करना है। हिंदी दिवस निबंध 150-200 शब्दों के हैं। छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध देखें।

  • Hindi Diwas Essay in English
  • Hindi Diwas Speech For Students
  • Hindi Diwas Slogans

हिंदी दिवस पर 10 पंक्तियां (10 Lines on Hindi Diwas)

  • हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है।
  • यह भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए है।
  • हिंदी भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत में व्यापक रूप से किया जाता है।
  • हिंदी दिवस पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन आदि शामिल होते हैं।
  • हिंदी दिवस का उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूक करना है।
  • यह दिन हमें हिंदी भाषा का सम्मान करने और इसका उपयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
  • हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Hindi Diwas in Hindi)

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (150 शब्द).

अधिकांश भारतीयों के लिए हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि एक भावना है। 14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसकी लिपि देवनागरी है। यह भाषा विविध भाषाई और सांस्कृतिक परिदृश्य को एक साथ जोड़ने में एकीकृत भूमिका निभाती है। एक भाषा के रूप में हिंदी संचार के माध्यम के रूप में कार्य करती है जो लोगों और क्षेत्रों को जोड़ती है, राष्ट्रीय पहचान की भावना को बढ़ावा देती है।

हिंदी दिवस 2024 के अवसर पर हमें अपनी भाषा का सम्मान करने और इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने की शपथ लेनी चाहिए। हिंदी दिवस का उत्सव भाषाई और सांस्कृतिक बहुलवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (200 शब्द)

हिंदी दिवस पर, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भारत कई क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों के साथ भाषाई विविधता का देश है। हिंदी दिवस राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में हिंदी को कायम रखते हुए इस विविधता को संरक्षित और सम्मान करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। हिंदी दिवस सिर्फ एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि भारत की विविधता में एकता का भी उत्सव है।

14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (250 शब्द)

14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। 26 जनवरी, 1950 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था, उसी दिन जब भारतीय संविधान लागू हुआ था। इस निर्णय को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया, जिसने अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को भारत सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी, जिसका उपयोग एक संक्रमणकालीन अवधि के लिए किया जाना था।

14 सितंबर वह दिन है जब भारतीय हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी दिवस मनाने के और भी कई कारण हैं; आइए उन पर चर्चा करें। समय के साथ, आधुनिकीकरण के इस दौर में विकसित होने के साथ-साथ हमारा हिंदी का ज्ञान भी कम होता जा रहा है। इस प्रकार, हिंदी दिवस का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण हिंदी को एक भाषा के रूप में बढ़ावा देना है। दूसरा कारण राष्ट्र में भाषाई इकाइयों को बढ़ावा देना है। हिंदी दिवस का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत और बहुभाषावाद को बढ़ावा देना भी है। इससे हम अपनी राष्ट्रीय पहचान, शिक्षा और साक्षरता की रक्षा कर सकते हैं। दार्शनिकों और महान शिक्षाविदों ने कहा है कि जो राष्ट्र अपनी भाषा का सम्मान और पालन नहीं करता, उसका विनाश आसान होता है। इस प्रकार, हमें अपनी विरासत को जीवित रखना चाहिए और अपनी भावी पीढ़ियों और उनकी जड़ों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए इसका पालन करना चाहिए। आइए मिलकर इस हिंदी दिवस को मनाएं। 

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (500 शब्द)

हिंदी दिवस, भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हिंदी भाषा के महत्व और योगदान को उजागर करता है।

हिंदी दिवस का पहली बार मनाया जाना 1949 में हुआ था। उस समय, भारत की संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। हिंदी दिवस को मनाने का निर्णय इस महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने के लिए लिया गया था।

हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह देश की विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों को जोड़ने में मदद करती है। हिंदी भाषा का व्यापक रूप से भारत में और दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। यह शिक्षा, व्यापार, और सरकारी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन, और भाषण शामिल होते हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को हिंदी भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

हिंदी दिवस का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। हिंदी भाषा का उपयोग बढ़ने से देश की एकता और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने में मदद मिली है। हिंदी भाषा का व्यापक उपयोग भारत के विकास और प्रगति में भी योगदान देता है।

यदि आपको 500 शब्दों का हिंदी दिवस निबंध दिया गया है, तो शब्द संख्या बढ़ाने के लिए उपरोक्त हिंदी दिवस निबंध में अधिक जानकारी जोड़ें। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिए गए हिंदी दिवस भाषण को देख सकते हैं। अपने निबंध में हिंदी दिवस के नारे जोड़ने से यह और अधिक आकर्षक हो जाएगा।

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  • सितम्बर 8, 2022

पिछली कुछ सदियों में हमारे समाज ने जो भी प्रगति की है, उसकी वजह शिक्षा है। शिक्षा समाज का आधार होती है। यह सुधारों को जन्म देती है और नए विचारों (इनोवेशन) के लिए रास्ता करती है। समाज में क्वालिटी एजुकेशन के महत्व को कमतर नहीं आंका जा सकता। यही वजह है कि महान शख्सियतों ने एक सभ्य समाज में इसके महत्व पर विस्तार से लिखा है। शिक्षा की बदौलत ही मनुष्य ब्रह्मांड की विशालता और परमाणुओं में इसके अस्तित्व के रहस्य का पता लगा सका है। अगर शिक्षा न होती, तो  गुरुत्वाकर्षण (ग्रेविटी), संज्ञानात्मक असंगति (कॉग्निटिव डिसोनेन्स), लेजर से होने वाले ऑपरेशन और लाखों अन्य ऐसे कॉन्सेप्ट्स मौजूद न होते। 21वीं सदी में कई ऐसे देश हैं, जो quality education in Hindi की दौड़ में पिछड़ रहे हैं।

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क्वालिटी एजुकेशन क्या है, क्वालिटी एजुकेशन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अवधारणा, क्वालिटी एजुकेशन पर un के विचार, यह क्यों महत्वपूर्ण है, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का उद्देश्य, क्वालिटी एजुकेशन के लक्ष्य, क्वालिटी एजुकेशन को ऐसे दें बढ़ावा, क्वालिटी एजुकेशन के विभिन्न आयाम, विश्व भर में फैली क्वालिटी एजुकेशन की व्यवस्थाएं, एक अच्छे शिक्षक की विशेषता, क्या है शिक्षा, शिक्षा की अद्भुत परिभाषाएं.

बेल्जियम स्थित संगठन एजुकेशन इंटरनेशनल (ईआई), क्वालिटी एजुकेशन को परिभाषित करते हुए कहता है कि यह लिंग, नस्ल, जातीयता, सामाजिक आर्थिक स्थिति या भौगोलिक स्थिति की परवाह किए बिना प्रत्येक छात्र के सामाजिक, भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास पर केंद्रित होती है। सामान्य भाषा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आधुनिक समाज की मांग हैं और चाहे कोई भी क्षेत्र हो गुणवत्ता की मांग हर जगह होती हैं। यह बच्चे को केवल परीक्षाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरी जिंदगी के लिए तैयार करता है। 2012 में, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने पहली बार अपने सतत विकास लक्ष्यों ( Sustainable Development Goals-SDG). में ‘क्वालिटी एजुकेशन’ को शामिल किया। इसके अलावा, आधुनिक समय में शिक्षा टेक्नोलॉजी से काफी प्रभावित है। इस टेक्नोलॉजी ने छात्रों के लिए शिक्षा को पाना आसान बनाया है। क्वालिटी एजुकेशन न केवल एक छात्र को नौकरी के लिए तैयार करती है, बल्कि वह व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व का भी विकास करती है। बच्चों के मामले में, इसका उद्देश्य उनकी पूर्ण परवरिश करना है, जिसके तहत उन्हें एक स्वस्थ जीवन शैली जीने में मदद करने के लिए पाठ्यक्रम (करिकुलम) के एक हिस्से के रूप में मूल्य और नैतिकता सिखाए जाते हैं।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मतलब ऐसी शिक्षा से हैं जो अपने निर्माण के उद्देश्यों के अच्छी तरह समझती हो और आपके लिए फायदेमंद है। अगर आधुनिक युग की बात की जाएं तो किसी भी देश की शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण कहना गलत होगा। वर्तमान की शिक्षा अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करने में असफल रही हैं। क्वालिटी एजुकेशन शिक्षा में प्रायः उसी शिक्षा का समावेश होता हैं। जो शिक्षा शिक्षण-अधिगम में छात्रों की रुचि एवं क्षमताओं को समझे एवं समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करें और छात्रों को जीवनदान देने योग्य बनाए।

संयुक्त राष्ट्र एक अधिक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य के लिए शिक्षा के महत्व को समझता है और इसलिए उसका मानना है कि केवल एजुकेशन नहीं, बल्कि क्वालिटी एजुकेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अपने सतत विकास लक्ष्यों ( Sustainable Development Goals ) में, संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक ‘दुनिया में बदलाव लाने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को एक प्रमुख लक्ष्य के रूप में पहचाना है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से, संयुक्त राष्ट्र का तात्पर्य सभी के लिए समान और मानक शिक्षा है जो आजीवन सीखने और ज्ञान की प्राप्ति को बढ़ावा दे। समावेशिता और समानता गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव है न कि ऊंची साक्षरता दर। शिक्षा को समझने और इसे दुनिया को बदलने का साधन बनाने के लिए यह एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण है।

हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि तकनीकी कैसे शिक्षा का चेहरा बदल रही है। न केवल शिक्षा प्राप्त करने का तरीका बदल गया है बल्कि छात्रों को पढ़ाने के तरीकों का भी विकास हुआ है। पहले, शिक्षा एकतरफा ज्यादा थी, लेकिन आजकल, शिक्षक छात्रों को कक्षाओं में सूचना के दो-तरफा प्रवाह को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर कई समस्याओं की पहचान की है, जिनका अगर समाधान नहीं किया गया तो गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए नेताओं और अनुभवी पेशेवरों की जरूरत बढ़ गई है जो अपने-अपने क्षेत्रों में माहिर हों। छात्रों के बीच प्रभावपूर्ण नेतृत्व और शक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए, शिक्षण प्रथाओं के एक परिष्कृत तरीके को ढूंढना जरूरी हो गया है। लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के युग में, दुनिया में कहीं से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। भले ही क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने के लिए एक छात्र के व्यक्तित्व को आकार देने के लिए बहुत प्रयासों की आवश्यकता होती है, लेकिन नई तकनीकों के आगमन के साथ, कोई छात्र आवश्यक संसाधनों से बस एक क्लिक दूर होता है। एक शैक्षणिक संस्थान से सैकड़ों मील दूर बैठे हुए, छात्र संस्थान से ऑनलाइन कक्षाएं ले सकते हैं, ऑनलाइन करियर परामर्श का लाभ उठा सकते हैं, और नि:शुल्क ऑनलाइन पुस्तकालयों से संसाधनों का भरपूर उपयोग कर सकते हैं।

अपराधों की बढ़ती संख्या, युद्ध, बीमारी का प्रकोप, भारी आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन, और कई अन्य कारकों ने दुनिया भर के समाजों में अप्रत्याशित परिवर्तन किए हैं। इसके कारण, दुनिया भर के शिक्षाविद और विकासात्मक संगठन क्वालिटी एजुकेशन और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लोगों को एकजुट करने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। अपने समुदाय के लोगों के एक छोटे समूह को शिक्षित करने से लेकर बड़े वैश्विक मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने तक, शिक्षित लोग इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई तरह से काम कर सकते हैं। नई विधियों के निर्माण के अलावा,  शिक्षा में ड्रामा और आर्ट के उपयोग के परंपरागत तरीके भी अच्छे परिणाम दे सकते हैं और शैक्षिक प्रक्रिया को समृद्ध बनाने में मदद कर सकते हैं।

दुनिया भर में क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने के लिए हर कोई अपने तरीके से भाग ले सकता है। इस खंड में UN ने 2030 के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं-

  • 2030 तक, सुनिश्चित करें कि प्रभावी ढंग से सीखने के लिए लड़कियों और लड़कों के लिए मुफ्त प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था हो।
  • 2030 तक, सुनिश्चित करें कि लड़कियों और लड़कों दोनों की गुणवत्तापूर्ण शुरुआती विकास और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच हो।
  • सस्ती और गुणवत्तापूर्ण तकनीकी, व्यावसायिक और तृतीयक शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना।
  • रोजगार और एंटरप्रैन्योरशिप के लिए जरूरी कौशल रखने वाले युवाओं और वयस्कों दोनों की संख्या में वृद्धि करना।
  • शिक्षा में हर तरह के भेदभाव को दूर करना।
  • सार्वभौमिक साक्षरता को सुनिश्चित किया जाना।
  • सतत विकास और वैश्विक नागरिकता के लिए शिक्षा सुनिश्चित करना।
  • समावेशी और सुरक्षित स्कूलों का निर्माण और विकास सुनिश्चित करना।
  • विकासशील देशों के लिए उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति सुविधा का विस्तार करना।
  • विकासशील देशों में योग्य शिक्षकों की आपूर्ति बढ़ाना।

निम्नांकित तरीकों से आप दुनिया भर में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा दे सकते हैं-

  • एक चैरिटी खोजें जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए काम करे, दान करें या अन्य तरीकों से मदद करे।
  • जिन पुस्तकों का आप उपयोग कर चुके हैं, उन्हें उन लोगों को दान करें जिन्हें उनकी जरूरत है।
  • प्रचार करें और मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम लें
  • स्थानीय स्कूलों का दौरा करें, देखें कि उन्हें किस तरह के सामान की जरूरत है और उन्हें इसे उपलब्ध कराने के लिए एक अभियान शुरू करें।
  • छोटे बच्चों का मार्गदर्शन करें और गृहकार्य या परियोजनाओं में उनकी मदद करें।

यहां क्वालिटी एजुकेशन के कुछ महत्वपूर्ण आयाम दिए गए हैं, जिन्हें हर संगठन को पूरा करना चाहिए-

  • स्थायित्वपूर्णता
  • प्रासंगिकता
  • संतुलित दृष्टिकोण
  • पढ़ाई के ऐसे ढंग जो बच्चों को अच्छे लगें
  • जो पढ़ाया गया है, उसके नतीजों पर ध्यान देना

हर देश की अपनी एक अनूठी शिक्षा प्रणाली होती है लेकिन उनमें से कुछ इतनी दिलचस्प और बेहतर ढंग से संचालित होती हैं कि वे दुनिया में क्वालिटी एजुकेशन के बहुत करीब हैं। नीचे कुछ शीर्ष देश दिए गए हैं जहाँ सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रणाली मौजूद है-

  • ऑस्ट्रेलिया
  • संयुक्त राज्य अमेरिका
  • यूनाइटेड किंगडम

एक अच्छे शिक्षक में बहुत- सी विशेषताएं होती हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • एक अच्छा शिक्षक संवाद करने में अच्छा होना चाहिए। उसे न केवल यह जानना चाहिए कि छात्रों के साथ कैसे संवाद करना है, बल्कि वह अन्य शिक्षकों और स्कूल अधिकारियों के साथ संवाद में निपुण होता है, खासकर जब छात्रों की समस्याओं को साझा करने की बात आती है।
  • एक अच्छा शिक्षक एक अच्छा श्रोता होता है। उसे छात्रों की बात सुनना और उनकी जरूरतों को जानना चाहिए।
  • एक अच्छे शिक्षक को बदलते समय के अनुसार खुद को बदलना आना चाहिए, खासकर ऐसे समय में जब स्कूल ऑनलाइन हो रहे हैं।
  • अच्छे शिक्षक अपने छात्रों के साथ सहानुभूतिपूर्ण और धैर्यवान होते हैं और समझते हैं कि वे क्या महसूस कर रहे हैं और उनकी जरूरतें क्या हैं।

क्वालिटी एजुकेशन पर निबंध – 300 शब्द

शिक्षा एक ऐसा वरदान है अगर यह मिल जाए तो ज़िन्दगी संवर जाती है। शिक्षा हमें अन्य जीवित प्राणियों से अलग दर्शाती है। यह मनुष्य को पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान और चतुर प्राणी बनाती है। यह मनुष्यों को सक्षम बनाती है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है।

शिक्षा शब्द संस्कृत के ‘शिक्ष’ से लिया गया है, जिसका अर्थ “सीखना या सिखाना” होता है। यानि जिस प्रकिया द्वारा अध्ययन और अध्यापन होता है, उसे शिक्षा कहते हैं।

  • गीता में “सा विद्या विमुक्ते” का वर्णन है जिसका अर्थ “शिक्षा या विद्या वही है, जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारा हर पहलु पर विस्तार करे।” होता है। 
  • टैगोर के अनुसार, “हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित, परीक्षा पास करने के संकीर्ण मक़सद से प्रेरित, यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है। इसके कारण हमें नियमों, परिभाषाओं, तथ्यों और विचारों को बचपन से रटना की दिशा में धकेल दिया है। यह न तो हमें वक़्त देती है और न ही प्रेरित करती है ताकि हम ठहरकर सोच सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें।”
  • राष्ट्रपिता गांधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कि उनके मुताबिक़ शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”
  • अरस्तु के अनुसार, “शिक्षा मनुष्य की शक्तियों का विकास करती है, विशेष रूप से मानसिक शक्तियों का विकास करती है ताकि वह परम सत्य, शिव एवम सुंदर का चिंतन करने योग्य बन सके।”

शिक्षा को बेहतर और आसान बनाने के लिए देश में शैक्षिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लेकिन, शिक्षा के महत्व का विश्लेषण किए बिना यह अधूरा है। शिक्षा पर सबका अधिकार है, इसलिए सबको शिक्षा को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ेगी।

क्वालिटी एजुकेशन पर आपके सामने पेश किये जा रहे हैं दुनिया के कुछ लोकप्रिय लोगों के 10 कोट्स जिन्हें पढ़कर आपको क्वालिटी एजुकेशन क्यों ज़रूरी है इसके बारे में मालूम चलेगा।

“ज्ञान में एक निवेश सबसे अच्छा ब्याज देता है।” Benjamin Franklin
“शिक्षा भविष्य का पासपोर्ट है, कल के लिए जो आज इसकी तैयारी करते हैं।” Malcolm X
“शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। एक शिक्षित व्यक्ति का हर जगह सम्मान किया जाता है। शिक्षा सुंदरता और युवाओं को हरा देती है।” Chanakya
“अगर लोग मूर्खतापूर्ण काम नहीं करते, तो बुद्धिमान कुछ भी नहीं करेंगे।” Ludwig Wittgenstein
“शिक्षा अपने आप को या अपने आत्मविश्वास को खोए बिना लगभग कुछ भी सुनने की क्षमता है।” Robert Frost
“वे मुझे रोक नहीं सकते। मैं अपनी शिक्षा प्राप्त करूंगा, अगर यह घर, स्कूल, या कहीं भी हो।” Malala Yousafzai
“शिक्षा का लक्ष्य ज्ञान की उन्नति और सत्य का प्रसार है।” John F. Kennedy
“एक पढ़ा-लिखा दिमाग हमेशा जवाब से ज्यादा सवाल करता है।” Helen Keller
“केवल एक चीज जो मेरी शिक्षा में हस्तक्षेप करती है, वह है मेरी शिक्षा।” Albert Einstein
“गरीब वह शिष्य होता है जो अपने गुरु से आगे नहीं बढ़ता।” Leonardo da Vinci

गुणात्मक शिक्षा का अर्थ है विद्यार्थी का चहुँमुखी विकास। कौशल विकास का अर्थ है शिक्षक द्वारा विद्यालय में ऐसा वातावरण तैयार करना, जिसमें बच्चे अपने अनुभवों के आधार पर शिक्षक के सहयोग से ज्ञान का सृजन कर सकें।

आसान शब्दों में, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मतलब ऐसी शिक्षा है जो हर बच्चे के काम आये। इसके साथ ही हर बच्चे की क्षमताओं के संपूर्ण विकास में समान रूप से उपयोगी हो।

गुणात्मक शोधकर्ताओं का उद्देश्य मानवीय व्यवहार और ऐसे व्यवहार को शासित करने वाले कारणों को गहराई से समझना है। गुणात्मक विधि निर्णय के न केवल क्या, कहां, कब की छानबीन करती है, बल्कि क्यों और कैसे को खोजती है।

एक अच्छी शैक्षिक गुणवत्ता तब होती है जब प्रक्रियाएं व्यक्ति और समाज की जरूरतों को सामान्य रूप से पूरा करती हैं । यह प्राप्त किया जाता है यदि संसाधन पर्याप्त हैं और उचित रूप से उपयोग किए जाते हैं ताकि शिक्षा समान और प्रभावी हो।

गुणात्मक मापन के नाम से ही पता चलता है कि किसी वस्तु, मनुष्य अथवा क्रिया के गुणों के आधार पर उसका मापन करना। किसी वस्तु, व्यक्ति या क्रिया के गुणों को केवल देखा और समझा जा सकता है। अतः इसे किसी निश्चित इकाई अंकों में नहीं मापा जा सकता।

विकासशील देश में शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए जरूरी हैं कि पाठ्यक्रम का निर्माण छात्रों के स्तर के अनुसार एवं समाज की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाए।

उम्मीद है, कि आपको हमारा आज का ब्लॉग quality education in Hindi अच्छा लगा होगा। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 572 000 पर कॉल कर बुक करें।

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