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गांधी की खादी: भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान से लेकर फैशन तक का सफर.

Gandhi and Khadi

‘खादी केवल वस्त्र नहीं, बल्कि विचार है।‘ ये वाक्य भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कही थी। खादी का नाम आते ही आज भी लोगों के जेहन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की छवि आती है। वो तस्वीर जिसमें महात्मा गांधी हाथों में सूत लिए खुद चरखा चलाते हुए नज़र आते हैं। ये तो शायद हर एक भारतवासी जानता है कि गांधी, खादी और आजादी एक- दूसरे के पूरक हैं। खादी हमेशा से ही हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक रहा है। लेकिन धीरे-धीरे अब बदलते वक्त के साथ इसने भी फैशन की दुनिया में अपना नाम शुमार कर लिया है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या रिश्ता है खादी और महात्मा गांधी का, कैसे हुआ खादी का जन्म और भारत में कैसा रहा खादी का सफर।

क्या है खादी

खादी जिसे खद्दर भी कहा जाता है। खादी हाथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं। खादी के कपड़े सूती, रेशम या ऊन से बने हो सकते हैं। इनके लिये बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है। हालांकि बदलते वक्त के साथ इसके निर्माण कार्य में भी बहुत बदलाव आया है। खादी वस्त्रों की विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठण्डे और सर्दी में गरम रखते हैं। लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं खादी की असली पहचान महात्मा गांधी और भारत के आजादी की लड़ाई से है ।

महात्मा गांधी, खादी और महत्व

खादी भारतीय कपड़ा विरासत का प्रतीक है। भारत की आजादी की लड़ाई में पूरे देश को संगठित करने में महात्मा गांधी, खादी और चरखे का बहुत बड़ा योगदान रहा है। महात्मा गांधी ने उपनिवेशवाद और अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई के दौरान चरखे का उपयोग किया। इसका मकसद आत्मनिर्भरता और गरीबी के खिलाफ लड़ाई था। जिसके तहत महात्मा गांधी ने खादी का सामान इस्तेमाल करने का अत्यधिक समर्थन किया था। आज़ादी की लड़ाई के वक्त गांधी जी कहते थे कि तुम तब तक सुखी नहीं हो सकते हो, जब तक तुम्हारा समाज सुखी नहीं हो जाता। उन्होंने सुख की परिभाषा को व्यापक बना दिया और उसे जीवनशैली से जोड़ दिया। इसलिए साल १९१८ में उन्होंने देश से गरीबी मिटाने और देश को स्वावलंबी बनाने के लिए एक आंदोलन की शुरुआत की। जिसके तहत देशवासियों को विदेशों से आए कपड़े ना पहनने और देश में बने कपड़े के इस्तेमाल के लिए जागरुक किया गया। इसमें गरीबों ने गांधी जी के साथ मिलकर चरखे की मदद से सूत निकाले और खादी का निर्माण किया और उसका इस्तेमाल भी किया।

खादी के जन्म से जुड़ी महात्मा गांधी की एक आत्मकथा

महात्मा गांधी ने खादी के जन्म को लेकर अपनी एक रोचक आत्मकथा बताई है। महात्मा गांधी कहते हैं कि ‘हमें अब अपने कपड़े तैयार करके पहनने थे। इसलिए आश्रमवासियों ने मिल के कपड़े पहनना बन्द किया और यह तय किया कि वे हाथ-करधे पर देशी मिल के सूत का बुना हुआ कपड़ा ही पहनेगें। इसमें हमें बहुत कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ा। बहुत मुश्किल से हमें कुछ बुनकर मिले, जिन्होंने देशी सूत का कपड़ा बुन देने की मेहरबानी की। इन बुनकरों को आश्रम की तरफ से यह गारंटी देनी पड़ी थी कि देशी सूत का बुना हुआ कपड़ा खरीद लिया जायेगा। इसके बाद देशी सूत का बुना हुआ कपड़ा हमने पहना और इसका प्रचार भी किया। लेकिन ऐसे में तो हम कातनेवाली मिलों के एजेंट बन गए थे, इसलिए हमने तय किया अब हम सूत से कपड़ा खुद ही बुनेंगे और वो भी चरखे की मदद से। हालांकि ये करना आसान नहीं था, लेकिन फिर भी हमने हार नहीं मानी और कई लोगों की मदद से ये कर दिखाया। क्योंकि जब तक हम हाथ से कातेगें नहीं, तब तक हमारी पराधीनता बनी रहेगी। तो इस तरह खादी का जन्म हुआ।‘

आजादी के बाद खादी

भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में खादी का बहुत महत्व रहा। गांधीजी ने १९२० के दशक में गावों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत ज़ोर दिया था। लेकिन आजादी के लगभग एक दशक बाद खादी और ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना की गई। खादी को लेकर गांधी जी के सपने को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग वाले मंत्रालय के अधीन कर दिया गया। खादी ग्रामोद्योग आयोग में जब तक खादी के पुराने कार्यकर्ता रहे तब तक काम सही रहा, लेकिन धीरे- धीरे खादी को लेकर लोगों का समर्पण भाव कम होता गया। जिसके बाद समय के साथ खादी कार्यक्रम की दिशा और दशा दोनों ही बिगड़ने लगी। इसके लिए समय- समय पर देश में ‘खादी बचाओ’ जैसे आंदोलन भी हुए हैं।

वर्तमान में खादी

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी को लेकर महात्मा गांधी की सोच आज फैशन के इस जमाने में कहीं गुम हो गई है। भारत के परिधानों के लिए विदेशी कंपनियों पर काफी हद तक निर्भर हो गया है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि खादी का वजूद भारत से बिल्कुल मिट चुका है। आज खादी ने भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी पैठ बनाई है। वर्तमान में मोदी सरकार ने भी खादी के महत्व और उसको प्रोत्साहित करने पर काफी बल दिया है। हमारे देश में फ़ैशन की दुनिया की जानी-मानी हस्तियों ने भी आज़ादी की पोशाक खादी को बचाने की लड़ाई में योगदान देने की मिसालें पेश की हैं। आज आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश और बिहार आदि राज्यों से लाए गए अलग-अलग तरह की खादी से तैयार किए गए कपड़ों से पश्चिमी और भारतीय दोनों तरह की पोशाकें तैयार की जाती हैं।

खादी का रिश्ता हमारे इतिहास और परंपरा से है। आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी ने खादी को एक अहिंसक और रचनात्मक हथियार की तरह इस्तेमाल किया। खादी के शस्त्र से गांधी जी ने १९४७  से पहले भारत में शासन जमाकर बैठी विदेशी सल्तनत को चुनौती दी। जिसके बाद खादी विदेशी साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बन गई।

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Essay on Khadi : छात्रों के लिए खादी पर निबंध

khadi for transformation essay in hindi

  • Updated on  
  • अगस्त 27, 2024

Essay on Khadi in Hindi

महात्मा गांधी के खादी आंदोलन के बाद यह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण प्रतीक थी। खादी भारतीय परंपरा और शिल्प कौशल में गहराई से जुड़ी हुई है। यह आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका उद्देश्य स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देना और विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम करना था। इसकी भूमिका को समझने से छात्रों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम और महात्मा गांधी के नेतृत्व के ऐतिहासिक संदर्भ को समझने में मदद मिलती है। छात्रों को खादी के बारे में सीखना चाहिए क्योंकि इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व है। इसी कारण से कई बार छात्रों को Essay on Khadi in Hindi लिखने के लिए दिया जाता है, इसलिए आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में कुछ सैंपल दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

खादी पर 100 शब्दों में निबंध , खादी पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में खादी का महत्व, महात्मा गांधी का खादी आंदोलन, वर्तमान में खादी की स्थिति.

खादी कपास, ऊन या रेशम के रेशों से बना कपड़ा है जिसे हाथ से काता जाता है और हथकरघे पर बुना जाता है। हाथ से कताई और बुनाई की यह पारंपरिक विधि भारत में सदियों से चली आ रही है। इन कपड़ों का वर्णन करने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी द्वारा खादी शब्द गढ़ा गया था। 18वीं शताब्दी में भाप इंजन, कताई मशीनों और बिजली करघों के आविष्कार ने सूती कपड़ा उद्योग में क्रांति ला दी थी। इन उन्नतिओं ने भारत में ब्रिटिश नियंत्रण के साथ मिलकर, देश के कपड़ा उद्योग को बदल दिया था। 1771 तक इंग्लैंड ने अपनी पहली सूती कपड़ा मिल स्थापित की थी, जिसने भारत की भूमिका को हाथ से काते गए कपड़ों के एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक से बदलकर केवल इंग्लैंड को कच्चे कपास की आपूर्ति करने वाले देश में बदल दिया था। इन सभी बदलावों के बावजूद महत्मा गांधी ने खादी को एक अलग पहचान दिलाई। खादी आज़ादी की नई पहचान के रूप में सामने आई। आज़ादी से पहले कुछ समय के लिए तिरंगे झंडे में भी हथकरघे का उपयोग किया गया था जो इसके महत्व को बताता है।  

1918 के समय में भारत के लोगों को खादी से परिचित कराया गया था। इसके प्रमुख उद्देश्य था की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा सके और ब्रिटिश वस्त्रों पर निर्भरता कम की जा सके। मई 1915 महात्मा गांधी ने में गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से खादी आंदोलन शुरू किया था। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। खादी खद्दर शब्द से लिया गया है, जो हाथ से काता और बुना हुआ सूती कपड़ा है जो अपनी खुरदरी बनावट के लिए जाना जाता है। 

महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के प्रतिरोध का प्रतीक बनाने और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए खादी कपड़े को चुना था। खादी कातने के लिए चरखा या भारतीय कताई पहिया का प्रयोग किया जाता था। 

यह 1930 के दशक में डिज़ाइन किए गए भारतीय राष्ट्रीय ध्वज पर भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन गया था। गांधी ने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को प्रोत्साहित किया था। उसके बाद खादी राष्ट्रवाद के प्रतीक और स्वराज के धागों से बुने हुए कपड़े के रूप में उभरी। गांधीजी का मानना था कि खादी कातने का व्यापक अभ्यास विभिन्न सामाजिक वर्गों के लोगों को एकजुट करेगा। लोगों में अंतर को पाटेगा और एकजुटता को बढ़ावा देगा।  इस आंदोलन का उद्देश्य लोगों को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाना था। बाद में खादी राष्ट्रीय वस्त्र बन गई और भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गई।

खादी पर 500 शब्दों में निबंध

Essay on Khadi in Hindi 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है –

खादी भारत की समृद्ध विरासत और स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक है। यह सिर्फ़ एक कपड़ा नहीं है, यह आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गौरव का सार है। 20वीं सदी की शुरुआत में महात्मा गांधी द्वारा शुरू की गई खादी सिर्फ़ एक कपड़ा नहीं थी। यह औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ़ एक शक्तिशाली संदेश था और आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए एक आह्वान था। खादी हाथ से बुनी और सूती, ऊनी या रेशमी रेशों से बनी खादी भारतीय कपड़ा शिल्प कौशल की सदियों पुरानी परंपराओं को दर्शाती है। सांस्कृतिक निरंतरता और प्रतिरोध दोनों का प्रतीक होने के नाते, खादी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसने विभिन्न सामाजिक स्तरों के लोगों को एकजुट किया था। इसने सामूहिक पहचान की भावना को बढ़ावा दिया था। खादी के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को समझना भारत की आत्मनिर्भरता की यात्रा और पारंपरिक प्रथाओं को संरक्षित करने की उसकी निरंतर प्रतिबद्धता के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करता है।

खादी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का एक साधन थी। महात्मा गांधी ने विदेशी वस्त्रों को अस्वीकार करने और पारंपरिक भारतीय शिल्प कौशल को पुनर्जीवित करने के लिए खादी का समर्थन किया था। गांधीजी जी के ऐसी करने से आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला और ग्रामीण कारीगर को सशक्त हुए। इस आंदोलन ने सामाजिक और क्षेत्रीय विभाजनों से परे लोगों को एकजुट किया था और सामाजिक सामंजस्य और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को बढ़ावा दिया था। हाथ से काते और हाथ से बुने कपड़े के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर खादी ने औपनिवेशिक प्रभुत्व को चुनौती दी थी। इसने भारत की विरासत को संरक्षित करने और स्वतंत्रता संग्राम में लाखों लोगों को संगठित करने में भी मदद की। इसका महत्व आत्मनिर्भरता और एकता के राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है।

खादी हाथ से काता और बुना हुआ कपड़ा है जिसका भारत के स्वतंत्रता के इतिहास में एक विशेष स्थान है। वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए खादी का इस्तेमाल किया था। जिसका उद्देश्य ब्रिटिश आयात का बहिष्कार करना और स्थानीय उद्योग और नौकरियों को बढ़ावा देना था। महात्मा गांधी ने इसे खादी आंदोलन नाम दिया था। उन्होंने भारतीयों को अपनी सामग्री खुद उगाने और खादी कातने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे सामाजिक वर्गों में एकता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला। उनके इस प्रयास से भारत को महंगे आयातित सामानों पर अपनी निर्भरता कम करने और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में मदद मिली। खादी पर्यावरण के भी अनुकूल है। यह कपास, रेशम या ऊन जैसे प्राकृतिक, बायोडिग्रेडेबल रेशों से बनी है इसे कारखानों के बिना बनाया जाता है। आज खादी भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई है।

वर्तमान समय में खादी भारत में एक महत्वपूर्ण और प्रिय कपड़ा बना हुआ है। यह इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। इसका उत्पादन विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा किया जाता है, जिसमें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) शामिल है, जो इसके उपयोग को बढ़ावा देता है। यह स्थानीय कारीगरों का समर्थन करता है। टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बढ़ती रुचि के कारण खादी की मांग में फिर से उछाल आया है। आधुनिक खादी में पारंपरिक हाथ से कताई और बुनाई की तकनीकें शामिल हैं। साथ ही इसने वर्तमान में फैशन को आकर्षित करने के लिए नए डिज़ाइनों को भी अपनाया गया है।

अपने पुनरुद्धार के बावजूद, खादी क्षेत्र को बड़े पैमाने पर उत्पादित वस्त्रों से प्रतिस्पर्धा और बाजार की मांग में उतार-चढ़ाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उत्पादन विधियों को आधुनिक बनाने, गुणवत्ता में सुधार करने और बाजार तक पहुँच बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। टिकाऊ फैशन को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने में खादी की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जो आज की दुनिया में इसकी विरासत और प्रासंगिकता को बनाए रखने में मदद कर रहा है।

खादी भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक शक्तिशाली प्रतीक है और महात्मा गांधी के आत्मनिर्भरता और एकता के दृष्टिकोण का एक प्रमाण है। इसका महत्व कपड़े के रूप में इसकी भूमिका से कहीं बढ़कर है। यह स्थिरता, सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक सशक्तीकरण के आदर्शों को दर्शाता है। आधुनिक समय में खादी का पुनरुत्थान आज के फैशन उद्योग में एक स्थायी विकल्प के रूप में इसकी निरंतर प्रासंगिकता को रेखांकित करता है। स्थानीय शिल्प कौशल का समर्थन करके और पर्यावरण के अनुकूल कार्यों को बढ़ावा देकर खादी भारत की समृद्ध परंपरा का सम्मान करती है। यह समकालीन पर्यावरणीय और आर्थिक चुनौतियों का भी समाधान करती है। देश के इतिहास में गहराई से बुने गए कपड़े के रूप में, खादी आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गौरव की दिशा में सामूहिक प्रयास की एक मार्मिक याद दिलाती है।

Essay on Khadi in Hindi के कपड़े सिंथेटिक फाइबर की तुलना में ज़्यादा टिकाऊ होते हैं। वे ज़्यादा समय तक चलते हैं, जिसका मतलब है कि कम कचरा पैदा होता है। खादी का कपड़ा पर्यावरण के अनुकूल विनिर्माण और उत्पादन प्रक्रिया के कारण टिकाऊ है। चूँकि यह हाथ से बुना जाता है, इसलिए यह ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को कम करता है। भारत में खादी का ऐतिहासिक और दार्शनिक महत्व है। इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पेश किया था। उन्होंने भारत को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने के लिए खादी कपड़े को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी आंदोलन शुरू किया। खादी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हाथ से बुने हुए कपड़े का पहला टुकड़ा 1917–18 के दौरान साबरमती आश्रम में निर्मित किया गया था। कपड़े के मोटेपन के कारण गांधीजी ने इसे खादी कहना शुरू कर दिया। कपड़ा कपास से बनाया जाता है, लेकिन इसमें रेशम या ऊन भी शामिल हो सकते हैं, जिन्हें चरखे पर सूत में काता जाता है।

यह एक हस्तशिल्प विरासत वाला हथकरघा कपड़ा है, जो पूरी तरह से हाथ से तैयार की गई प्रक्रियाओं से बना है – चरखे पर धागे कातने से लेकर हथकरघे पर बुनाई तक। कपड़ा आमतौर पर कपास से बुना जाता है और इसमें रेशम या ऊन भी शामिल हो सकता है। खादी को कभी-कभी स्टार्च के साथ उपचारित किया जाता है ताकि इसे अधिक सख्त बनावट दी जा सके।

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खादी: स्वतंत्रता संग्राम से आधुनिकता तक का सफर

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1.भारतीय इतिहास में खादी का महत्व:

खादी, एक वस्त्र जो इतिहास और परंपरा के धागों से गहराई से जुड़ा हुआ है, भारतीय सांस्कृतिक धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण करता है। इसकी उत्पत्ति प्राचीन काल में होती है जब हाथ से उत्पन्न और हाथ से बुना हुआ वस्त्र कुशलता और गर्व का प्रतीक था। लेकिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ही खादी का महत्व सही रूप से समझा गया। स्वतंत्रता संग्राम के दृष्टिगत में, महात्मा गांधी, स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से खादी को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में मानते थे। खादी को बुनने और खुद का कपड़ा बनाने के प्रोत्साहन के माध्यम से, गांधी जी ने देशी उद्योगों को बढ़ावा देने और भारत को औपनिवेशिकता के बंधनों से मुक्त कराने का उद्देश्य रखा।

2. महात्मा गांधी: खादी के प्रेरणास्त्रोत:

खादी की ऐतिहासिक जड़ें भारत की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की खोज में अंतःस्पंदन करती हैं। यह दमन के खिलाफ लड़ाई में सहनशीलता और प्रतिरोध की भावना को दर्शाती है, जो व्यक्तित्व और संप्रभुता की चाह को प्रतिष्ठित करती है। खादी, एक वस्त्र के रूप में मात्र उपयोग के अलावा, सरलता, पर्यावरण संरक्षण, और स्व-पर्याप्तता की दर्शन कराती है। इसकी उत्पादन प्रक्रिया, परंपरागत तरीकों में और मशीनरी से मुक्त होते हुए, पर्यावरण संवेदनशीलता और सांस्कृतिक संरक्षण की भावना को प्रतिनिधित्व करती है।

3.खादी के आधुनिक समय में प्रतिष्ठितता:

आधुनिक समय में, खादी अपने ऐतिहासिक संवादों को पार करके जागरूक उपभोक्ता और संरक्षित फैशन का प्रतीक बन गई है। आधुनिक फैशन उद्योग, जो अक्सर अपने पर्यावरणीय गिरावट और शोषणात्मक व्यवहार के लिए आलोचनाओं में रहता है, खादी में दोबारा रुचि के लिए उत्साहित हो रहा है क्योंकि इसकी पर्यावरण समरसता और सांस्कृतिक संवाद मौजूद है।

4.खादी की महत्ता:

खादी का महत्व उसकी सामग्री संरचना से परे है; यह सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के लिए एक प्रेरक के रूप में कार्य करता है। मूल स्तर पर, खादी स्थानीय शिल्पकारों और बुनकरों को सशक्त करती है, उन्हें आजीविका के अवसर प्रदान करती है और पारंपरिक कुशलता को संरक्षित रखती है।

5.खादी की रूपरेखा:

खादी की ऐतिहासिक परंपरा से लेकर आधुनिक समय की ताजगी तक, खादी ने एक समर्थन और स्थायित्व का संदेश बनाया है। इसे महात्मा गांधी जी के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक फैशन उद्योग तक कई प्रांगणों पर स्थान दिया गया है।

6.खादी में योगदान:

महात्मा गांधी जी का योगदान खादी को प्रसिद्ध करने में अद्वितीय है। उनकी स्वदेशी और स्वायत्तता की प्रतिष्ठा भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला रखी और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की राह दिखाई। आधुनिक युग में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेतृत्व किए गए सरकारी पहलुओं का उच्च महत्वहै। ‘खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन’ पहल खादी को एक वैश्विक ब्रांड के रूप में प्रतिस्थापित करने का उद्देश्य रखती है और इसे समग्रता और समकालीन पसंद के बीच जोड़ने की कोशिश करती है। साथ ही, ‘खादी प्राकृतिक पेंट’ पहल के माध्यम से प्राकृतिक रंगों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है और खादी को आधुनिक उपभोक्ता के लिए और अनिवार्य बनाने का प्रयास किया जाता है।

खादी निरंतर समय की अद्वितीय सुंदरता, सहनशीलता, और सांस्कृतिक धरोहर को प्रतिनिधित्व करती है। इसका प्रवास प्राचीन समय से लेकर आज के दिन तक भारतीय समाज के विकास और संस्कृति की अनगिनत कहानियों को दर्शाता है। आज के युवा के लिए, खादी को गले में डालना केवल एक फैशन बयान नहीं है; यह पर्यावरण संरक्षण, नैतिक मूल्यों, और सांस्कृतिक गर्व के प्रति एक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। जैसे ही खादी आधुनिक जीवन के कपड़ा और दिलों में बुनाई जाती है, यह एक समयहीन चारित्रिकता का प्रतीक बनती है, जो एक गुजरे हुए युग की आत्मा को ध्वनित करती है और भविष्य की आकांक्षाओं के साथ समर्थित करती है।

इसी के साथ आइये, हम सब प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करें, खादी के प्रयोग को बढ़ावा दें, खादी को रोजमर्रा के जीवन में शामिल करें।

‘Khadi for Nation, Khadi for Fashion, and Khadi for Transformation’.

‘खादी राष्ट्र के लिए, खादी फैशन के लिए और खादी परिवर्तन के लिए’।

लेखक- प्रोफेसर डॉ समीर सूद, निदेशक, निफ्ट गांधीनगर।

(यह लेखक के निजी विचार है। द हिन्दी नए लेखकों को एक मंच प्रदान करता है)

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खादी ग्रामोद्योग विकास योजना: खादी के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना |_0.1

खादी ग्रामोद्योग विकास योजना: खादी के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना

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खादी ग्रामोद्योग विकास योजना दो अलग-अलग कार्यक्रमों का एक समामेलन है। खादी विकास योजना, जिसने भारत में खादी उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और ग्रामोद्योग विकास योजना, जो छोटे पैमाने पर ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा देने और सहायता करने के लिए समर्पित है।

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खादी ग्रामोद्योग विकास योजना: उद्देश्य

  • ग्रामीण भारत में रोजगार और रोजगार के अवसर बढ़ाना
  • खादी उद्योगों की स्थिति मजबूत करना
  • बेहतर अवसरों के माध्यम से ग्रामीण समुदायों के बीच आत्म-सम्मान की भावना को बढ़ावा देना
  • खादी कपड़ों को वैश्विक फैशन स्टेटमेंट के रूप में बढ़ावा देना

खादी ग्रामोद्योग विकास योजना: मुख्य विशेषताएं

  • फरवरी 2019 में, खादी ग्रामोद्योग विकास योजना को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी मिली।
  • खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने वर्षों से दोनों योजनाओं का प्रबंधन किया है।
  • खादी विकास योजना में ऐतिहासिक रूप से बाजार संवर्धन और विकास सहायता (एमपीडीए), ब्याज सब्सिडी पात्रता प्रमाण पत्र (आईएसईसी), आम आदमी बीमा योजना और खादी अनुदान शामिल थे, जिसका उद्देश्य खादी उद्योग के कमजोर बुनियादी ढांचे को मजबूत करना था। इसके विपरीत, ग्रामोद्योग विकास योजना केवीआईसी के माध्यम से ग्रामोद्योगों के वित्तपोषण पर केंद्रित है।
  • खादी ग्रामोद्योग विकास योजना में रोजगार युक्त गांव नामक एक नया घटक शामिल है, जो मौजूदा मिश्रण के साथ संचालित होता है।
  • खादी ग्रामोद्योग विकास योजना का उद्देश्य खादी उद्योग में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना, ग्रामीण स्तर पर रोजगार के नए अवसरों को पेश करना और अंततः ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना है।

खादी ग्रामोद्योग विकास योजना: प्रमुख योजनाएं

रोजगार युक्त गांव.

  • खादी ग्रामोद्योग विकास योजना एक पहल है जिसका उद्देश्य खादी कारीगरों को अपने उत्पादों के उत्पादन और बिक्री के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करके सशक्त बनाना है।
  • इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने खादी उद्यमों के मौजूदा व्यापार मॉडल में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जो सब्सिडी-आधारित मॉडल से उद्यम-आधारित मॉडल में बदल रहा है।
  • इस योजना के एक भाग के रूप में, 50 गांवों को चरखा, करघा और ताने-बाने की इकाइयों सहित खादी के उत्पादन के लिए आवश्यक उपकरण और उपकरण प्रदान किए जाएंगे।

बाजार संवर्धन और विकास सहायता (एमपीडीए)

  • एमएसएमई मंत्रालय (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) बाजार संवर्धन और विकास सहायता (एमपीडीए) योजना की देखरेख के लिए जिम्मेदार है।
  • इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य पूरे भारत में खादी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नए अवसर पैदा करना है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और छोटे उद्यमों के उत्पादन, बिक्री और विपणन का समर्थन करने के लिए, इस योजना के तहत 977 करोड़ रुपये का अनुदान मंजूर किया गया था।

ब्याज सब्सिडी पात्रता प्रमाण पत्र (ISEC)

  • यह योजना मई 1977 में खादी और पॉलीवस्त्र उत्पादन उद्यमों को बैंकों से पूंजी प्राप्त करने में सहायता करने के लिए शुरू की गई थी।
  • इस योजना के तहत, ग्रामीण उद्यम केवल 4 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ बैंक ऋण प्राप्त कर सकते हैं, शेष ब्याज केवीआईसी (खादी और ग्रामोद्योग आयोग) द्वारा सब्सिडी दी जा रही है।

बूस्टिंग अगरबत्ती उद्योग (2020)

  • एमएसएमई मंत्रालय द्वारा 2020 में ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अगरबत्ती विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक नए कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी।
  • केवीआईसी (खादी और ग्रामोद्योग आयोग) ग्रामीण क्षेत्र में उद्यम-आधारित व्यवसाय मॉडल बनाने में मदद करने के लिए अगरबत्ती कारीगरों को प्रशिक्षित करेगा।
  • केवीआईसी द्वारा अगरबत्ती के उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चा माल, उपकरण और उपकरण भी प्रदान किए जाएंगे।
  • मंत्रालय के इस कदम का उद्देश्य अगरबत्ती उद्योग को पुनर्जीवित करना और ग्रामीण उद्यमों में रोजगार के अवसर प्रदान करना है।

खादी ग्रामोद्योग विकास योजना: लाभार्थी

  • सीमित या बिना कौशल वाले ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति।
  • खादी के उत्पादन में शामिल कारीगर।
  • उद्यमी जो खादी उद्योग में निवेश करना चाहते हैं।
  • एमएसएमई क्षेत्र के तहत विभिन्न उद्योग जो योजना से लाभान्वित होंगे।

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khadi for transformation essay in hindi

महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

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Gandhi ji is my favorite

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अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

महात्मा गांधी

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।

महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)

महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।

महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान

महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।

इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh

Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।

बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?

महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-

  • असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

  • नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

  • दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

  • भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

  • चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी

गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।

बापू की अफ्रीका से भारत वापसी

वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।

गाँधीवाद विचार धारा का महत्व

दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

प्रिय बापू का निधन

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।

आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

Mahatma Gandhi Essay

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।

उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।

उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।

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खादी को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने खादी महोत्सव 2023 की घोषणा की

यह महोत्सव "वोकल फॉर लोकल" पहल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोचे गए 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' का समर्थन करने को समर्पित है..

Photo of रविकांत पारीक

Tuesday October 03, 2023 , 3 min Read

महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाते हुए केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को मुंबई में खादी यात्रा को हरी झंडी दिखाई और 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2023 तक होने वाले 'खादी महोत्सव' की घोषणा की. यह महोत्सव "वोकल फॉर लोकल" पहल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोचे गए 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' का समर्थन करने को समर्पित है.

अपने उद्घाटन भाषण में नारायण राणे ने खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्र की अभूतपूर्व पहलों के बारे में बताया, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों के अनुरूप महत्वपूर्ण प्रगति दिखलाती हैं. खादी और ग्रामोद्योग की बिक्री चार गुना से अधिक बढ़ गई है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में यह बिक्री 33,135.90 करोड़ रुपये की थी, वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1,34,629.91 करोड़ रुपये हो गई जो कि 306.29 प्रतिशत की वृद्धि है. खादी और ग्रामोद्योग का उत्पादन भी तीन गुना से ज्यादा बढ़ा है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में 27,569.37 करोड़ रुपये से यह वित्तीय वर्ष 2022-23 में 95,956.67 करोड़ रुपये हो गया, जो कि 248.05 प्रतिशत की वृद्धि है.

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केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशव्यापी आयोजन 'खादी महोत्सव' की जानकारी दी. इस अभियान का उद्देश्य खादी और ग्रामोद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प, ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) उत्पादों और स्थानीय स्तर पर उत्पादित विभिन्न पारंपरिक और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना है. यह महोत्सव विभिन्न राज्यों के खादी उत्पादों की एक विविध शृंखला का प्रदर्शन करता है. इसमें खादी के कपड़े, रेशम की साड़ी, ड्रेस मटीरियल, कुर्ते, जैकेट, बेडशीट, कालीन, रसायन मुक्त शैंपू, शहद, अन्य घरेलू सामान, और साथ ही उत्कृष्ट कला और हस्तशिल्प शामिल हैं. इस अवसर पर, मंत्री राणे ने इस इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए उत्पाद भी खरीदे और डिजिटल भुगतान किया, जो खादी महोत्सव अभियान का हिस्सा है.

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि केवीआईसी कपड़ा मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, MEITY और अन्य मंत्रालयों के समन्वय से तथा एमएसएमई मंत्रालय के अंतर्गत 2 से 31 अक्टूबर, 2023 तक देश भर में 'खादी महोत्सव' शुरू करने जा रहा है.

इसके अनुसरण में, सरकार ने ठोस नतीजे पाने के लिए देश भर में शुरू की जाने वाली कई विशिष्ट जागरूकता गतिविधियों की पहचान की है. इन मुख्य गतिविधियों में MyGov.in डिजिटल प्लेटफॉर्म पर छात्रों और आम जनता के लिए क्विज़ प्रतियोगिताएं और निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित करना और साथ-साथ सेल्फी प्रतियोगिताएं, ई-प्रतिज्ञाएं, जिंगल प्रतियोगिताएं, क्रिएटिव फिल्म प्रतियोगिताएं, नुक्कड़ नाटक और वीडियो गेम प्रतियोगिताएं आयोजित करना शामिल है.

इस अवसर पर मुंबई के विभिन्न स्कूलों से विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले स्कूली बच्चों के साथ-साथ अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी उपलब्धियों के लिए नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र से पुरस्कृत किया गया.

विभिन्न राज्यों के खादी उत्पादों की एक विविध शृंखला पेश करने वाले लगभग 100 संस्थान इस प्रदर्शनी में हिस्सा लेने जा रहे हैं. इन उत्पादों में खादी के कपड़े, रेशम की साड़ियां, ड्रेस मटीरियल, कुर्ते, जैकेट, बेडशीट, कालीन, रसायन मुक्त शैंपू, शहद और अन्य घरेलू सामान, साथ ही उत्कृष्ट कलाएं तथा हस्तशिल्प शामिल हैं. इस महोत्सव का उद्देश्य बुनकरों और कुटीर उद्योग में लगे श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है.

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

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महात्मा गांधी पर निबंध: इस साल 2024 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती की 155वीं जयंती मनाई जा रही है। हमारे देश भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू का जीवन समूचे संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत है। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने न सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतीयों का नेतृत्व किया, बल्कि पूरी दुनिया को शांति और अहिंसा का संदेश दिया। एक ऐसा आदर्शवादी व्यक्ति जिसका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणास्रोत था, है और रहेगा। उन्होंने जिन मूल्यों को स्थापित किया उसे गांधी दर्शन की संज्ञा दी जाती है। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) ऐसे जीवट के धनी व्यक्ति के जीवन से परिचित होने का एक अच्छा तरीका है। योग पर निबंध पढ़ें

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में (100 Word Essay On Mahatma Gandhi)

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। अपने विद्यार्थी जीवन, साउथ अफ्रीका प्रवास, चंपारण सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन और जीवन के अंतिम पड़ाव तक बापू ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय जैसे सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसा जीवन बिताया जिसकी कोई दूसरी मिसाल धरती पर बमुश्किल ही मिलेगी। हाड़-मांस से निर्मित ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस दुनिया में रहा भी होगा, इस पर लोगों के लिए यकीन कर पाना भी मुश्किल होगा।

गांधी जी ने भारत के लोगों को आत्मनिर्भर होना सिखाया। हर तबके के लोग उन्हें पसंद करते थे तथा उनकी तारीफ करते थे। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दी थी। महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) के इस लेख से गांधी जी के जीवन और दर्शन के साथ साथ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी भी आपको मिलेगी।

ये भी देखें :

  • रक्षाबंधन पर निबंध
  • अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन
  • 10वीं के बाद किए जाने वाले लोकप्रिय कोर्स
  • 12वीं के बाद किए जा सकने वाले लोकप्रिय कोर्स

चूंकि महात्मा गांधी का पूरा जीवन समाज को समर्पित था और इसी के लिए वे जिये भी व इसके लिए ही वे शहीद भी हुए, ऐसे में महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित जानकारी भारत के प्रत्येक बच्चे को हो, इसके लिए भारतीय शिक्षा व्यवस्था समर्पित है। यही कारण है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों को महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi par nibandh) लिखने का कार्य दिया जाता है जिसके माध्यम से वे इस महान शख्सियत के जीवन से परिचित व प्रभावित होते हैं। यहां तक कि कई बार अच्छे अंक के लिए छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में भी महात्मा गांधी पर निबंध संबंधी प्रश्न पूछा जाता है। ऐसे में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi par Nibandh) छात्रों के लिए न सिर्फ चारित्रिक, बल्कि शैक्षणिक उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वहीं कई ऐसे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, उनके लिए भी तमाम निबंध के विषयों के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या बापू या महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) एक महत्वपूर्ण टॉपिक रहता आया है। ऐसे में महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) विशेष इस लेख के माध्यम से ऐसे छात्रों को भी महात्मा गांधी के जीवन का एक अवलोकन प्राप्त होगा, जिसकी वजह से वे बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होंगे।

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को उनके पूरे जीवनकाल में राष्ट्र उत्थान के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों तथा उनकी स्वयं की उत्कृष्टता की वजह से 'महात्मा' के रूप में जाना जाता है। वे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा अहिंसा के प्रचारक थे जिन्होंने भारत को अहिंसा का पालन करते हुए ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई के दौरान उनकी उम्र महज 18 साल थी। इसके बाद उन्होंने लॉ यानी कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहां अंग्रेजी मूल का न होने के कारण उन्हें शासक वर्ग की रंगभेद नीति का शिकार होना पड़ा। इस घटना से गांधी जी को गहरा आघात पहुंचा। इसके बाद वे ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों में बदलाव लाने के लिए राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए।

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बाद में, वह भारत लौट आए और उन्होंने अपने देश भारत को अंग्रेजी हुकुमत से स्वतंत्र कराने के लिए एक दुर्जेय और अहिंसक संघर्ष शुरू किया। साल 1930 में, उन्होंने ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) का नेतृत्व किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी। उन्होंने कई भारतीयों को ब्रिटिश अत्याचार से आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और कइयों को ब्रिटिश अत्याचार व शोषण से मुक्ति दिलाई।

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महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में (Mahatma Gandhi essay in hindi ) : महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (200 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतीयों का नेतृत्व किया। कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड जाने से पहले, उन्होंने भारत में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और प्रताड़ित भारत के लोगों की सहायता करने का फैसला किया। ब्रिटिश उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिए, गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग चुना।

आंदोलन - अहिंसक आंदोलनों के लिए गांधी जी का कई बार उपहास किया गया, फिर भी वे भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने अहिंसक आंदोलनों में लगे रहे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक विश्वविख्यात नेता थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग, सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किए, जिनमें से सभी ने भारत की स्वतंत्रता में सफलतापूर्वक योगदान दिया।

स्वतंत्रता के लिए संघर्ष - एक प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी को कई बार जेल और कैद में रखा गया, फिर भी वे भारतियों के न्याय के लिए ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। उनका अहिंसा और सभी धर्मों के लोगों की एकजुटता में दृढ़ विश्वास था, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता के अपने अभियान के दौरान बनाए रखा। कई वर्षों के संघर्षों के बाद, वे और अन्य स्वतंत्रता सेनानी, अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने में सफल रहे। हालांकि 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (500 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

भारत में, महात्मा गांधी को "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें दी गई इन उपाधियों की तरह ही, देश के लिए उनका बलिदान और उनके सिद्धांतों को वास्तविक बनाने के उनके प्रयास, दुनिया भर के भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

गांधी जी का बचपन (Gandhi’s Childhood): महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह एक हिंदू घर में पले-बढ़े और मुख्य रूप से शाकाहारी थे। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वह दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे, जो उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों से अलग करता था। महात्मा गांधी ने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया, जो किसी भी अन्याय से लड़ने का एक अहिंसक तरीका था।

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गांधी जी अपने सख्त आदर्शों के लिए जाने जाते थे। वह नैतिकता, सिद्धांतों और अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति थे, जो आज भी दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। वह हमेशा जीवन में आत्म-अनुशासन के मूल्य का प्रचार करते थे। उनका मानना था कि यह बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेहद कारगर रहता है, जिसका उपयोग उन्होंने अपने अहिंसा के विचारों को बढ़ावा देने के लिए भी किया। गांधी जी का जीवन इस बात का बेहतरीन उदहारण है कि यदि हम कठोर अनुशासन पर टिके रहते हैं और खुद को उसके लिए प्रतिबद्ध रखते हैं, तो इसकी सहायता से हमें किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है। गांधी जी की इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें एक आम व्यक्ति से महान व्यक्ति बनाया, उनकी इन्हीं विशेषताओं की वजह से उन्हें दी गई महात्मा की उपाधि, आज के दौर में भी बिना किसी किन्तु-परंतु के एकदम उचित नजर आती है।

बापू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान (Contribution To Freedom Struggle)

कई सामाजिक सरोकारों पर महात्मा गांधी के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।

खादी आंदोलन : महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।

खेती : महात्मा गांधी कृषि के एक प्रमुख समर्थक थे और उन्होंने लोगों को कृषि में काम करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।

आत्मनिर्भरता : उन्होंने भारतीयों से शारीरिक श्रम में संलग्न होने का आग्रह किया और उन्हें सादा जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन जुटाने की सलाह दी। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने के लिए चरखे से सूती कपड़े बुनना शुरू किया और भारतीयों के बीच स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।

छूआछूत : यरवदा जेल में अपनी नजरबंदी के दौरान, जहां उन्होंने समाज में 'अस्पृश्यता' के सदियों पुराने कुप्रथा के खिलाफ उपवास किया, वहीं उन्होंने आधुनिक समय में ऐसे शोषित समुदायों के उत्थान में काफी मदद भी की। इसके अलावा उन्होंने समाज में शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य और समानता को भी बढ़ावा दिया।

धर्मनिरपेक्षता : गांधी ने भारतीय समाज में एक और योगदान दिया, धर्मनिरपेक्षता का योगदान। उनका मानना था कि किसी भी धर्म का सत्य पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने अंतर्धार्मिक मित्रता को बढ़ावा दिया।

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सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर

यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट

यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड

आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, गांधी जी को कई बार अपने समर्थकों के साथ यातना झेलनी पड़ी और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस दौरान भी वो टस से मस न हुए और अपने देश के लिए स्वतंत्रता उनकी प्राथमिक इच्छा बनी रही। जेल जाने के बाद भी वे कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं लौटे। उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और "भारत छोड़ो आंदोलन" की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन एक बड़ी सफलता थी। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान था। साल 1930 में, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। यह एक ऐसा आंदोलन था जो किसी भी दमनकारी निर्देश या नियमों का पालन करने से इंकार करता था। नतीजतन, इस रणनीति और इसके प्रवर्तकों को गंभीर हिंसा और क्रूरता का शिकार होना पड़ा।

महात्मा गांधी की मृत्यु शांति और लोकतंत्र के उद्देश्यों पर सबसे विनाशकारी आघात थी। उनके निधन से देश के मार्गदर्शक का वो स्थान खाली रह गया, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।

कई ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें परीक्षा में या गृह कार्य में महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में हर बार महात्मा गांधी पर निबंध लिखना उनके लिए तभी मुमकिन हो सकता है जब उनके पास महात्मा गांधी के बारे में आधारभूत ज्ञान हो। ऐसे में इस लेख में महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) बिन्दुओं के माध्यम से जोड़ा गया है, जिसे याद रख उन्हें कभी भी महात्मा गांधी निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। निम्नलिखित महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को एक जगह समेटने की कोशिश की गई है। इन बिन्दुओं को याद रखकर छात्र कभी भी महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) लिख सकेंगे।

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
  • महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वहीं उनके माताजी का नाम पुतलीबाई गांधी था जोकि करमचंद उत्तमचंद गांधी की चौथी व सबसे छोटी पत्नी थी।
  • महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। दुनियाभर में उन्हें भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है।
  • महात्मा गांधी को दुनिया भर में अहिंसा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया था।
  • महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
  • महात्मा गांधी के कुछ बेहद चर्चित आंदोलन असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह आदि रहे।
  • ब्रिटिश काल के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा मगर उन्होंने अंग्रेजों के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके। अंत में उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली।
  • महात्मा गांधी को 'महात्मा' व 'राष्ट्रपिता' की उपाधि से संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरुस्कार के विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था।
  • महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गई उनकी प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं - महात्मा गांधी की आत्मकथा – ‘सत्य के प्रयोग’, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, ग्राम स्वराज।
  • महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथुराम गोडसे द्वारा गोली मारकर तब कर दी गई थी जब वे हमेशा की तरह वहाँ शाम को प्रार्थना करने जा रहे थे। नाथुराम ने इससे पहले भी कई मौकों पर महात्मा गांधी की हत्या करने के कई असफल प्रयास किए थे।

हम उम्मीद करते हैं कि इस हिंदी में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi hindi) के माध्यम से गांधी जी पर निबंध (essay on Gandhiji in hindi) लिखने संबन्धित आपकी सारी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Gandhiji in hindi) की ही तरह और भी अन्य निबंध पढ़ने के लिए इस लेख में उपलब्ध लिंक्स पर क्लिक करें।

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  1. गांधी की खादी: भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान से लेकर ...

    महात्मा गांधी ने खादी के जन्म को लेकर अपनी एक रोचक आत्मकथा बताई है। महात्मा गांधी कहते हैं कि ‘हमें अब अपने कपड़े तैयार करके पहनने थे। इसलिए आश्रमवासियों ने मिल के कपड़े पहनना बन्द किया और यह तय किया कि वे हाथ-करधे पर देशी मिल के सूत का बुना हुआ कपड़ा ही पहनेगें। इसमें हमें बहुत कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ा। बहुत मुश्किल से हमें कुछ बुनकर मिल...

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  3. खादी: स्वतंत्रता संग्राम से आधुनिकता तक का सफर - thehindi.in

    Khadi for Nation, Khadi for Fashion, and Khadi for Transformation’. ‘खादी राष्ट्र के लिए, खादी फैशन के लिए और खादी परिवर्तन के लिए’।. लेखक- प्रोफेसर डॉ समीर सूद, निदेशक, निफ्ट गांधीनगर।. (यह लेखक के निजी विचार है। द हिन्दी नए लेखकों को एक मंच प्रदान करता है) और पढ़ें- आइए जानें शंकराचार्य के पद की पूरी कहानी.

  4. खादी - विकिपीडिया

    [1] मन की बात में खादी. भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात में कई बार खादी के महत्व तथा उसको प्रोत्साहित करने पर बल दिया है।. मोदी जी ने एक समारोह मे खादी को बढ़ावा देने के लिये नारा दिया था "राष्ट्र के लिए खादी, फैशन के लिए खादी" [2] इसके परिणामस्वरूप खादी का अधिक व्यापार होना शुरु हो गया। [3][4] सन्दर्भ. इन्हें भी देखें.

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    Essay on Mahatma Gandhi in Hindi. महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।.

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