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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi 2024): दीपावली पर निबंध हिंदी में 

Diwali essay in hindi : हैप्पी दिवाली यहां देखें दिवाली पर हिंदी निबंध और बच्चों के लिए छोटे-छोटे पैराग्राफ, दीपावली त्यौहार पर आसान 10 लाइन्स और 150 शब्दों में दिवाली निबंध। सभी निबंध pdf रूप में free डाउनलोड करें।.

Garima Jha

दिवाली पर हिंदी निबंध (Essay on Diwali in Hindi ): दीपावली, भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार, हर साल, केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के भारतीय समुदायों में विशेष आनंद और उत्सव के साथ मनाया जाता है। "दीपावली" शब्द का अर्थ होता है "दीपों की श्रृंखला"।  यह शब्द बना है "दीप" और "आवली" को जोड़ कर जिन्हें संस्कृत भाषा के शब्दों से लिया गया है।

दीपावली को दिवाली या दीवाली भी कहा जाता है।  यह त्योहार हर घर में खुशियों की सौगात लाता है और इस दिन हर घर में भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यूँ तो दीवाली पांच दिनों का त्यौहार है जहां हर एक दिन का एक अलग महत्व है लेकिन आमतौर पर 2 दिन सबसे खास होते हैं - छोटी दिवाली और दिवाली। आमतौर पर दिवाली का त्यौहार अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य में पड़ता है। दीपावली कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन अमावस्या को मनाई जाती है। 2024 में दिवाली, शुक्रवार, 1 नवंबर को है। 

दिवाली पर हिंदी निबंध: Hindi Essay on Diwali 2024

Diwali essay in hindi in 10 lines.

लाइन 1: दिवाली, दीवाली या दीपावली को 'रोशनी का त्योहार' भी कहा जाता है।

लाइन 2: कई भारतीय संस्कृतियों के लिए दिवाली का त्यौहार ही नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

लाइन 3: दिवाली बुराई पर अच्छाई के डेट का प्रतिक है क्यूंकि इसी दिन भगवान् राम रावण को हराने के बाद 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे।

लाइन 4: इस दिन अयोध्यावासियों ने अपने श्री राम के लौटने की खुशी  में अपने घरों और पूरे शहर को दीयों से सजाया था।

लाइन 5: दिवाली पर लोग अपने घरों को साफ करते हैं,  फूलों से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, दीये जलाते हैं और पूरे घर को रोशनी  से भर देते हैं।

लाइन 6: पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार एक-दूसरे से प्यार से मिलते हैं और उपहार एवं मिठाइयाँ लेते - देते हैं।

लाइन 7: दीवाली की रात देवी लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है।

लाइन 8: दिवाली पांच दिनों का त्योहार है।

लाइन 9: दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है।

लाइन 10: दीपावली सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

हिंदी दिवाली निबंध - Diwali Essay in Hindi in 200 Words

दिवाली एक हिंदू त्योहार है जिसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है।आमतौर पर दिवाली अक्टूबर या नवंबर में आता है। इस दिन श्री राम लंकापति रावण को हराने के बाद अपनी नगरी - अयोध्या - लौटे थे। भगवान राम की अयोध्या वापसी अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दीपावली पांच दिवसीय त्यौहार है। दिवाली त्यौहार के दौरान, घरों को साफ किया जाता है और घर के हर कोने को दीपक, फूलों और रंगीन रंगोलियों से सजाया जाता है। लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। दिवाली की रात यानि इस पूरे त्यौहार के मुख्या शाम को लोग धन और समृद्धि के देवी-देवता, लक्ष्मी मान और भगवान गणेश की विशेष पूजा करते है।

दिवाली 2024 

दिवाली का महत्त्व, दिवाली के पांच दिन: about all 5 days of diwali.

दिवाली पांच-दिवसीय उत्सव है। 

पहले दिन के उत्सव को धनतेरस कहा जाता है। यह दिन नई चीजें, खासकर सोना और चांदी खरीदने के लिए शुभ दिन माना जाता है। 

दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का दिन है क्योंकि इस दिन बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं। 

दिवाली, यानि के तीसरे दिन, रावण को हराने के बाद भगवान राम की अपने राज्य अयोध्या में वापसी का जश्न है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवन गणेश की भी पूजा की जाती है। 

दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। 

हम दिवाली क्यों मनाते हैं?

दिवाली पर लंबा निबंध - long essay on diwali in hindi, प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण-अनुकूल दीपावली .

दीपावली भारत में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय और शुभ त्योहारों में से एक है। इसे रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, यह बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है। दिवाली हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है।

दिवाली संस्कृत के शब्द दीपावली से बना है, जिसका अर्थ है "दीपकों की पंक्ति।" यह त्यौहार नए हिंदू वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस पर्व को घर के चारों ओर दीये और मोमबत्तियाँ जलाकर मनाया जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की और निराशा पर आशा की जीत का जश्न मनाने का समय है। 

दीपावली मानाने के पीछे कई कथन हैं।  रावण को हराने के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाई जाती है। श्री राम को 14 साल के लिए अयोध्या से वनवास दिया गया था और उनकी वापसी को बहुत खुशी और उत्सव के साथ मनाया गया था। अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत के लिए दीये जलाए और अपने घरों को सजाया। दिवाली मनाने का एक अन्य कारण धन और समृद्धि की हिंदू देवी लक्ष्मी का सम्मान करना है। लोग धन और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा करते हैं।

दिवाली पूरे भारत में बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाई जाती है। लोग इस त्योहार की तैयारी हफ्तों पहले से ही शुरू कर देते हैं। वे अपने घरों को साफ करते हैं, उन्हें रोशनी और रंगोलियों से सजाते हैं और नए कपड़े खरीदते हैं। दिवाली की रात, लोग अपने घरों और कार्यालयों के चारों ओर दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं। वे धन और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए लक्ष्मी पूजा भी करते हैं। पूजा के बाद, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। लोग स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयाँ बनाते हैं और उन्हें अपने प्रियजनों के साथ बाँटते हैं।

दिवाली परिवारों और दोस्तों के एक साथ आने और जश्न मनाने का समय है। लोग अपने घरों को साफ करते हैं और सजाते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं। दिवाली की रात, लोग दीये जलाने, लक्ष्मी पूजा करने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए इकट्ठा होते हैं। दिवाली परिवारों और दोस्तों के एक साथ आने और जश्न मनाने का समय है। यह सभी गिले-शिकवे भूल कर नई शुरुआत करने का समय है। दिवाली आनंद और खुशियाँ फैलाने का भी समय है। दिवाली के अवसर पर समृद्ध घर-परिवार के लोग दान देते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। 

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दीपावली | Essay on Diwali in Hindi Language

diwali hindi essay class 4

Here is a compilation of Essays on ‘Diwali’ for students of the class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12  as well as for teachers. Find paragraphs, long and short essays on ‘Diwali’ (Hindu Festival) especially written for Teachers and School Students in Hindi Language.

List of Essays on Diwali

Essay Contents:

  • दीपों का त्योहार ‘दीपावली’  | Essay on the Festival of Lights ‘Diwali’ for Teachers in Hindi Language (Hindu Festival)

1. दीपावली दीपों का त्यौहार । Essay on Diwali – Festival of Lights in Hindi Language (Hindu Festival)

भारत त्यौहारों का देश है, यहाँ समय-समय पर विभिन्न जातियों समुदायों द्वारा अपने-अपने त्यौहार मनाये जाते हैं सभी त्यौहारों में दीपावली सर्वाधिक प्रिय है । दीपों का त्यौहार दीपावली दीवाली जैसे अनेक नामों से पुकारा जाने वाला आनन्द और प्रकाश का त्यौहार है ।

यह त्यौहार भारतीय सभ्यता-संस्कृति का एक सर्वप्रमुख त्यौहार है । यह ऋतु परिवर्तन का सूचक है । इसके साथ अनेक धार्मिक मान्यताएँ भी जुड़ी हैं यह उत्साह, उल्लास, भाईचारे, साफ-सफाई तथा पूजा-अर्चना का त्यौहार है । यह त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है ।

दीपावली का त्यौहार मनाने की परंपरा कब और क्यों आरंभ हुई कहते हैं: इस दिन अयोध्या के राजा रामचंद्र लंका के अत्याचारी राजा रावण का नाश कर और चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयो ध्या वापस लोटे थे । उनकी विजय और आगमन की खुशी के प्रतीक रूप में अयोध्यावासियों ने नगर को घी के दीपों से प्रकाशित किया था ।

प्रसन्नता के सूचक पटाखे और आतिशबाजी का प्रदर्शन कर परस्पर मिठाईयां बांटी थी । उसी दिन का स्मरण करने तथा अज्ञान-अंधकार एवं अन्याय- अत्याचार के विरूद्ध हमेशा संघर्ष करते रहने की चेतना उजागर किए रहने के लिए ही उस दिन से प्रत्येक वर्ष भारतवासी इस दिन दीप जलाकर हार्दिक हर्षोउल्लास प्रकट करते और मिठाईया खिलाकर अपनी प्रसन्नता का आदान प्रदान करते हैं ।

इस दिन जैन तीर्थकर भगवान महावीर ने जैतन्य की प्राण प्रतिष्ठा करते हुए महानिर्वाण प्राप्त किया था । स्वामी दयानंद ने भी इस दिन निर्वाण प्राप्त किया था । सिख संप्रदाय के छठे गुरू हरगोविंदजी को बंदीग्रह से छोड़ा गया था इसलिए लोगों ने दीपमाला सजाई थी ।

दीपावली आने तक ऋतु के प्रभाव से वर्षा ऋतु प्राय: समाप्त हो चुकी होती है । मौसम में गुलाबी ठंडक घुलने लगती है आकाश पर खजन पक्षियों की पंक्तिबद्ध टोलिया उड़कर उसकी नील नीरवता को चार चाद लगा दिया करती हैं । राजहंस मानसरोवर में लोट आते हैं नदियों-सरोवरों का जल इस समय तक स्वच्छ और निर्मल हो चुका होता है ।

ADVERTISEMENTS:

प्रकृति में नया निखार और खुमार आने लगता है । इन सबसे प्रेरणा लेकर लोग-बाग भी अपने-अपने घर साफ बनाकर रंग-रोगन करवाने लगते हैं इस प्रकार प्रकृति उगैर मानव समाज दोनों ही जैसे गंदगी के अंधकार को दूर भगा प्रकाश का पर्व दीपावली मनाने की तैयारी करने लगते हैं यह तैयारी दुकानों-बाजारों की सजावट और रौनक दिखाई देने लगती है ।

दीपावली को धूम-धाम से मनाने के लिए हफ्तों पहले तैयारी आरंभ हो जाती है । पांच-छ: दिन पहले फल-मेवों और मिठाइयों की दुकाने सज-धज कर खरीददारों का आकर्षण बन जाती है । मिट्टी के खिलौने दीपक अन्य प्रकार की मूर्तियाँ चित्र बनाने वाले बाजारों में आ जाते हैं ।

पटाखे, आतिशबाजी के स्टालों पर खरीददारों की भीड़ लग जाती है । खील, बताशे खिलौने मिठाईयां बनाई व खरीदी जाती हैं इन्हें बेचने के लिए बाजारों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है । दीपावली की रात दीपकों और बिजली के छोटे-बड़े बच्चों से घरों-दुकानों का वातावरण पूरी तरह से जगमगा उठता है ।

दीपावली के लिए नए-नए कपड़े सिलाए जाते हैं मिठाई पकवान बनते हैं घर-घर में लक्ष्मी का पूजन शुभ कामनाओं का आदान-प्रदान और मुंह मीठा किया कराया जाता है । व्यापारी लक्ष्मी पूजन के साथ नए बही खाते आरम्भ करते हैं इस प्रकार दीपावली प्रसन्नता और प्रकाश का त्यौहार है । जुआ खेलना, शराब पीना जैसी कुछ कुरीतियाँ भी स्वार्थी लोगों ने इस पवित्र त्यौहार के साथ  जोड़ रखी हैं उनमें होने वाले दीवाले से सजग सावधान ही त्यौहार को आनंदपूर्ण बना सकते हैं ।

2. दीपावली-प्रकाश उत्सव । Essay on Diwali for Teachers in Hindi Language (Hindu Festival)

हिन्दू धर्म में यों तो रोजाना कोई न कोई पर्व होता है लेकिन इन पर्वों में मुख्य त्यौहार होली, दशहरा और दीपावली ही हैं । हमारे जीवन में प्रकाश फैलाने वाला दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है । इसे ज्योति पर्व या प्रकाश उत्सव भी कहा जाता है ।

इस दिन अमावस्या की अंधेरी रात दीपकों व मोमबत्तियों के प्रकाश से जगमगा उठती है । वर्षा ऋतु की समाप्ति के साथ-साथ खेतों में खड़ी धान की फसल भी तैयार हो जाती है । दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को आता है । इस पर्व की विशेषता यह है कि जिस सप्ताह में यह त्यौहार आता है उसमें पांच त्यौहार होते हैं ।

इसी वजह से सप्ताह भर लोगों में उल्लास व उत्साह बना रहता है । दीपावली से पहले धन तेरस पर्व आता है । मान्यता है कि इस दिन कोई-न-कोई नया बर्तन अवश्य खरीदना चाहिए । इस दिन नया बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है । इसके बाद आती है छोटी दीपावली, फिर आती है दीपावली । इसके अगले दिन गोवर्द्धन पूजा तथा अन्त में आता है भैयादूज का त्यौहार ।

अन्य त्यौहारों की तरह दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं । समुद्र-मंथन करने से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थी । इसके अलावा जैन मत के अनुसार तीर्थंकर महावीर का महानिर्वाण भी इसी दिन हुआ था ।

भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुष श्री राम लंका नरेश रावण पर विजय प्राप्त कर सीता लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे उनके अयोध्या आगमन पर अयोध्यावासियों ने भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए घरों को सजाया व रात्रि में दीपमालिका की ।

ऐतिहासिक दृष्टि से इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं में सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह मुगल शासक औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे । राजा विक्रमादित्य इसी दिन सिंहासन पर बैठे थे । सर्वोदयी नेता आचार्य विनोबा भावे दीपावली के दिन ही स्वर्ग सिधारे थे । आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ जैसे महापुरुषों ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था ।

यह त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है । इस दिन लोगों द्वारा दीपों व मोमबत्तियाँ जलाने से हुए प्रकाश से कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात में बदल जाती है । इस त्यौहार के आगमन की प्रतीक्षा हर किसी को होती है ।

सामान्यजन जहां इस पर्व के आने से माह भर पहले ही घरों की साफ-सफाई, रंग-पुताई में जुट जाते हैं । वहीं व्यापारी तथा दुकानदार भी अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगते हैं । इसी त्यौहार से व्यापारी लोग अपने बही-खाते शुरू किया करते हैं । इस दिन बाजार में मेले जैसा माहौल होता है ।

बाजार तोरणद्वारों  तथा रंग-बिरंगी पताकाओं से सजाये जाते हैं । मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं । इस दिन खील-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है । बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियां तथा अन्य आतिशबाजी खरीदते हैं ।

इस दिन रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन होता है । माना जाता है कि इस दिन रात को लक्ष्मी का आगमन होता है । लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहां मिठाई का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकानाएँ लेते-देते हैं । वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस त्यौहार का अपना एक अलग महत्व है ।

इस दिन छोड़ी जाने वाली आतिशबाजी व घरों में की जाने वाली सफाई से वातावरण में व्याप्त कीटाणु समाप्त हो जाते हैं । मकान और दुकानों की सफाई करने से जहां वातावरण शुद्ध हो जाता है वहीं वह स्वास्थ्यवर्द्धक भी हो जाता है ।

कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं व शराब पीते हैं, जोकि मंगलकामना के इस पर्व पर एक तरह का कलंक है । इसके अलावा आतिशबाजी छोड़ने के दौरान हुए हादसों के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं जिससे धन-जन की हानि होती है । इन बुराइयों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है ।

3. दीपावली | Essay on Diwali for School Students in Hindi Language (Hindu Festival)

‘तमसो माँ ज्योतिर्गमय’ की वेदोक्ति हमें अन्धकार को छोड़ प्रकाश की ओर बढ़ने की विमल प्रेरणा देती है । अन्धकार अज्ञान तथा प्रकाश ज्ञान का प्रतीक होता है । जब हम अपने अज्ञान रूपी अन्धकार को हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश को प्रज्जलित करते हैं, तो हमे एक असीम व अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है ।

दीपावली भी हमारे ज्ञान रूपी प्रकाश का प्रतीक है । अज्ञान रूपी अमावस्या में हम ज्ञान रूपी दीपक जलाकर ससार की सुख व शान्ति की कामना करते हैं । दीपावली का त्यौहार मनाने के पीछे यही आध्यात्मिक रहस्य निहित है ।

तात्पर्य व स्वरूप:

दीप+अवलि से दीपावली शब्द की व्यत्पत्ति होती है । इस त्यौहार के दिन दीपो की अवलि पक्ति बनाकर हम अन्धकार को मिटा देने में जुट जाते हैं । दीपावली का यह पावन पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है ।

गर्मी व वर्षा को विदा कर शरद के स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है । उसके बाद शरद चन्द्र की कमनीय कलाएँ सबके चित्त-चकोर को हर्ष विभोर कर देती हैं । शरद पूर्णिमा को ही भगवान् कृष्ण ने महारास लीला का आयोजन किया था ।

महालक्ष्मी पूजा:

यह पर्व प्रारम्भ में महालक्ष्मी पूजा के नाम से मनाया जाता था । कार्तिक अमावस्या के दिन समुद्र मथन   में महालक्ष्मी का जन्म हुआ । लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण धन के प्रतीक स्वरूप इसको महालक्ष्मी पूजा के रूप में मनाते आये । आज भी इस दिन घर में महालक्ष्मी की पूजा होती है ।

ज्योति पर्व दीपावली के रूप में:

भगवान् राम ने अपने चौदह वर्ष का वनवास समाप्त कर, पापी राबण का वध करके महालक्ष्मी के पुण्य अवसर पर अयोध्या पहुंचने का निश्चय किया, जिसकी सूचना हनुमान द्वारा पहले ही पहुँचा दी गयी ।

इसी प्रसन्नता में अयोध्यावासियो ने राम के स्वागतार्थ घर-घर में दीप मालाएँ प्रज्ज्वलित कर दी । महालक्ष्मी की पूजा का यह पर्व तब से राम के अयोध्या आने की खुशी में दीप जलाकर मनाया जाने लगा और यह त्यौहार दीपावली के ही नाम से प्रख्यात हो गया ।

स्वच्छता का प्रतीक:

दीपावली जहाँ अन्त:  करण के ज्ञान का प्रतीक है वही बाह्य स्वच्छता का प्रतीक भी है । घरों में मच्छर, खटमल, पिम्स आदि विषैले किटाणु धीरे-धीरे अपना घर बना लेते हैं । मकड़ी के जाले लग जाते हैं, इसलिये दीपावली से कई दिन पहले से ही घरो की लिपाई-पोताई-सफेदी हो जाती है । सारे घर को चमका कर स्वच्छ किया जाता है । लोग अपनी परिस्थिति के अनुकूल घरों को विभिन्न प्रकारेण सजाते हैं ।

दीपावली को मनाने की परम्परा:

दीपावली जैसा कि उसके नाम से ही ज्ञात होता है, घरो  में दीपों की पंक्ति बना कर जलाने की परम्परा है । वास्तव में प्राचीन काल से इस त्यौहार को इसी तरह मनाते आये हैं । लोग अपने मकानों की मुण्डेरो में, प्रागण की दीवालों में, दीपो की पंक्ति बनाकर जलाते हैं । मिट्टी के छोटे-छोटे दीपो में तेल, बाती, रख कर उन्हें पहले से पंक्तिबद्ध रखा जाता है ।

आजकल मोमबत्तियाँ लाईन बनाकर जलाई जाती हैं । दीपावली के दिन नवीन व स्वच्छ वस्त्र पहनने की परम्परा भी है । लोग दिन भर बाजार से नवीन वस्त्र, बर्तन, मिठाई, फल आदि खरीदते हैं । दुकाने  बड़े आकर्षक ढंग से सजी रहती हैं ।

बाजारो, दुकानो की सजावट तो देखते ही बनती है । लोग घर पर मिठाई लाते हैं और उसे अपने मित्रो व सगे-सम्बन्धियों  में वितरित करते हैं । घर में भी विविध प्रकार के पकवान पकाये जाते हैं ।

त्यौहार में विकार:

किसी अच्छे उद्देश्य को लेकर बने त्यौहारो में भी कालान्तर में विकार पैदा हो जाते हैं । जिस लक्ष्मी की पूजा लोग धन-धान्य प्राप्ति हेतू बड़ी श्रद्धा से करते थे, उसकी पूजा कई लोग अज्ञानतावश रुपयों का खेल खेलने के लिये जुए के द्वारा भी करते हैं ।

जुआ खेलना एक प्रथा है जो समाज व पावन पर्सों के लिये  कलंक है । इसके अतिरिक्त आधुनिक युग में बम पटाखों के प्रयोग से भी कई दुष्परिणाम सामने आते हैं । निबन्ध ।

दीपावली का पर्व सभी पर्वो में एक विशिष्ट स्थान रखता है । हमे अपने पवाँ की परम्पराओ को हर स्थिति में सुरक्षित रखना चाहिए । परम्पराएँ हमे उसके प्रारम्भ व उद्देश्य की याद दिलाती हैं । परम्पराएँ  हमें उस पर्व के आदि काल में पहुँचा देती हैं, जहाँ हमे अपनी आदिकालीन सस्कृति का ज्ञान होता है ।

आज हम अपने  त्यौहारों को भी आधुनिक सभ्यता का रग देकर मनाते हैं, परन्तु इससे हमे उसके आदि स्वरूप को बिगाड़ना  नहीं चाहिए । हम सबका कर्त्तव्य है कि हम अपने पवाँ की पवित्रता को बनाये रखे ।

4.  दीपावली | Paragraph on Diwali for School Students in Hindi Language (Hindu Festival)

दीपावली हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है । सम्पूर्ण भारत में यह अति उत्साह के साथ मनाया जाता है । इस त्यौहार के साथ बहुत-सी जनश्रुतियाँ एवं दंत कथायें जुड़ी हैं । यह भगवान राम की रावण पर विजय की प्रतीक है । वस्तुत: यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय को प्रमाणित करता है ।

दीपावली के दिन पूरे देश में उत्तेजना का वातावरण होता है । लोग अपने सगे सम्बन्धियों को आमन्त्रित करते है । इस त्यौहार पर मिठाइयाँ बनाई जाती हैं एवं मित्रों व रिश्तेदारों में उनका आदान-प्रदान किया जाता है । लोग दीपावली के दिन आमोद-प्रमोद में व्यस्त रहते  हैं ।

अमीर-गरीब बाल-वृद्ध सभी नये कपड़े पहनते हैं । बच्चे और वृद्ध अपनी सबसे अच्छी चमकीली पोशाक धारण करते हैं । इसी तरह रात को पटाखे और आतिशबाजी की जाती है । मधेरी रात में आतिशबाजी एक मनोहर दृश्य बनाती है ।

चारों ओर बहुत खूबसूरत नजारा होता है । सभी अच्छे कपड़ों में उल्लास में व्यस्त रहते हैं । कुछ लोग त्यौहार को बहुत उमग और उत्साह से मनाते हैं तो कुछ लोग जुआ खेलते हैं । जुआरियों के लिये जुआ दीपावली का एक हिस्सा है और उनके अनुसार जो भी इस दिन जुआ नहीं खेलता अगले जन्म में गधा बनता है ।

रात्रि में लोग अपने घरों को सजाते हैं । तरह-तरह से रोशनी करते हैं, मोमबत्तियाँ जलाते हैं, दिये जलाते हैं एवं लड़ियाँ लगाते हैं । वह खाते-पीते मौज मनाते हैं व पटाखे जलाते हैं । सारा शहर रोशनी और पटाखों की आवाज में डूब जाता है ।

घरों के अतिरिक्त सार्वजनिक इमारतें एवं सरकारी कार्यालयों पर भी रोशनी की जाती है । उस साय का दृश्य बहुत मनोहर होता है । बहुत से हिन्दु दीपावली मनाने से पूर्व गणपति सरस्वती व लक्ष्मी की पूजा करते हैं । हिन्दु इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं । वह धन की देवी से प्रार्थना करते हैं वह उनके घर पर कृपा करे ।

दीपावली सम्पूर्ण देश का त्यौहार है । यह देश के प्रत्येक हिस्से में मनाया जाता है । इस तरह यह लोगों में एकता की भावना को बलवती करता है । भारत में यह त्यौहार हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है एवं आज भी उतने धूमधाम से मनाया जाता है । सभी भारतीयों का यह प्रिय त्यौहार है ।

5. दीपावली । Essay on Diwali for Students of Class-5 in Hindi Language (Hindu Festival)

दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक-पर्व है । यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है । इसे प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है । दीपावली एक ऐसा पर्व है जिसके आगे-पीछे कई पर्व मनाए जाते हैं । धनतेरस से इस पर्व का आरंभ होता है और लोग लक्ष्मी, गणेश, बरतन तथा पूजा की सामग्री खरीदते हैं ।

धनतेरस को धन्वन्तरि जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है । धन्वन्तरि वैद्यों के शिरोमणि थे ।  धनतेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी होती है । इस दिन व्यापक रूप से सफाई की जाती है तथा भगवती लक्ष्मी के आगमन के लिए घर-बाहर काफी सजावट की जाती है । इसे छोटी दीपावली कहने का भी गौरव प्राप्त है ।

इस दिन घर में आसपास सरसों के तेल के दीये जलाकर रखे जाते हैं तथा दूसरे दिन भगवती लक्ष्मी के आह्वान के लिए स्तुति व पूजन किया जाता है । धनतेरस, नरक चतुर्दशी के पश्चात् चिर प्रतीक्षित दीपावली का महापर्व आता है । प्रात: काल से ही दीपावली के पूजन तथा घरों को सजाने-संवारने का काम शुरू होता है । कुछ लोग दीपावली के दिन रात 12 बजे भी भगवती लक्ष्मी की पूजा करते हैं ।

दीपावली के पर्व की शुरुआत कब से हुई इसके विषय में अनेक कथाएं हैं जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित तथा मानने योग्य कथा यह है कि रावण का वध करने के उपरान्त जब भगवान राम अयोध्या वापस आए थे तो लोगों ने उनके स्वागत के लिए घर-बाहर सभी जगह दीपक जलाए थे ।

दीपक जलाने का रिवाज तभी से चला आ रहा है । इस अवसर पर श्रीराम की पूजा करने का विधान होना चाहिए था लेकिन आजकल लोग लक्ष्मी, गणेश की पूजा करते हैं । हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी समृद्धि तथा धन-सम्पत्ति की देवी हैं । भगवान गणेश की भी यही विशेषता है ।

दीपावली के त्योहार में जहां अनेक गुण हैं वहीं इस त्योहार के कुछ दुर्गुण भी हैं दीपावली खर्चीला त्योहार है । कुछ लोग कर्ज लेकर भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं । नए कपड़े पहनते हैं, कार्ड भेजते हैं तथा डटकर मिठाई छकते हैं । नतीजा यह होता है कि यदि त्योहार महीने के बीच या महीने के शुरू में पड़ता है तो आम नागरिक को पूरा महीना आर्थिक दिक्कतों से काटना पड़ता है ।

इस प्रकार यह त्योहार आम लोगों के लिए सुखकारी होने की जगह दु:ख (ऋण) कारी सिद्ध होता है । दीपावली पर्व के विषय में एक आम धारणा यह भी है कि इस त्योहार के लिए जुआ खेलने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं तथा वर्ष-भर धन आता रहता है ।

कितना बड़ा अंधविश्वास लागों के मन में समाया हुआ है । इस अंधविश्वास के कारण लक्ष्मी और गणेश पूजन का यह महापर्व लोगों के आकस्मिक संकट का कारण बन जाता है । कुछ लोग जुए में अपना सर्वस्व एक ही रात में गंवा बैठते हैं ।

समय तथा परिस्थितियों के कारण इस पर्व के मनाने में जो तमाम पैसा पटाखों, फुलझड़ियों में बरबाद किया जाता है, वह रोका जाना चाहिए । इससे हमारा पैसा तो आग के सुपुर्द होता ही है, इसके साथ-साथ

कभी-कभी ऐसी दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं जो जीवनभर के लिए व्यक्ति को अपंग बना देती हैं ।

6. दीपावली का त्योहार । Essay on the Festival of Diwali for Teachers in Hindi Language (Hindu Festival)

2. दीपावली का सन्देश ।

3. दीपावली का प्रतीकात्मक महत्त्व ।

4. दीपावली क्यों मनाई जाती है?

5. दीपावली का महत्त्व ।

कार्तिक अमावस्या की रात में जब हजारों लाखों दीपक एक साथ जल उठते हैं और एक ज्योति से सहस्त्रों को ज्योर्तिमय बना देने वाले ये दीपक मानो कह उठते हैं: जलो और प्रखरता से जलो, जलते रहो, स्नेह इसमें अभी भरा हुआ है । बाती बहुत लम्बी है ।

झरोखे, मुंडेरों और घर के प्रत्येक द्वार पर सजे ये दीपक प्रकाश माला से अभिनन्दन करते हैं, उन सभी स्नेहीजनों और शुभचिन्तकों का, जिनके प्रति हमारे हृदय में शुभकामनाएं हैं, जिनकी अभिव्यक्ति, अपने प्रकाश और उसके भाव तरंगों से करते हुए ये दीपक आलोक पर्व दीपावली की सार्थकता को सिद्ध करते हैं ।

2. दीपावली का सन्देश:

‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ का सन्देश देता अमावस्या की रात्रि में जलता हुआ, टिमटिमाता हुआ दीपक अन्धकार से संघर्ष करता है । उसे यह ख्याल नहीं आता कि पृथ्वी पर इतना गहन अन्धकार है, मैं अकेला इसे कैसे दूर भगाऊंगा ।

वह जलता रहता है, इसी आत्मप्रेरणा से । जलना उसका जीवन है, जलकर प्रकाश देना, बड़ी उसका प्रयोजन है । उसका जीवन मूल्य भी । मानव मन को प्रेरणा देता वह दीपक अज्ञान तिमिर का नाश करके ज्ञान के ज्योतिर्मय प्रकाश को सर्वत्र आलोकित करने का सन्देश भरता है । काली कलूटी अमावस्या की रात प्रकाश में नहाकर शुचिता का सन्देश लाती है । ऐसी शुचिता या स्वच्छता, जो केवल वातावरण की नहीं, शरीर-मन और आचरण से भी जुड़ी हुई है ।

बरसात के चार महीनों में धीरे-धीरे जमी हुई गन्दगी, जो दीपावली के दिनों में ही साफ होती है, घरों के आसपास बरसाती पानी और कीचड़ से इकट्‌ठी हुई गन्दगी, जब लिपाई-पोताई से बाहर आ जाती है और जब सभी प्रकार की आन्तरिक कलुषताओं का निष्कासन होता है, तो उस साफ, सुन्दर, स्वच्छ स्थान पर विराजमान होती हैं लक्ष्मी देवी ।

3. दीपावली का प्रतीकात्मक महत्त्व:

कहा भी जाता रहा है कि लक्ष्मी देवी इस दिन भ्रमण करते हुए जिस भी स्थान को स्वच्छ, सुन्दर व आकर्षक देखती हैं, वहीं निवास करती हैं । गन्दे, मलिन स्थानों की ओर वह ताकती भी नहीं । यह सत्य है कि समृद्धि और सम्पन्नता का वास स्वच्छ स्थानों पर होता है । प्रतीकात्मक रूप से हमारे देश में समाज में व्याप्त दरिद्रता का कारण बाहरी वातावरण में व्याप्त वह गन्दगी है, जो घुस आयी है हमारे शरीर में ।

मानस में विकृतियों के रूप में, असत्य कपटाचरण, भ्रष्टाचार की वह गन्दगी, जो हमें श्रीहीनअकर्मण्य बना रही है । यदि हमारा शरीर स्वच्छ नहीं, तो स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ेगा ही, रोग उत्पन्न होंगे, शरीर आलस्य व प्रमाद से भरा होगा, क्रियाशीलता का अभाव होगा, कुछ मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी होंगे । दीपावली में की जाने वाली स्वच्छता का महत्त्व आन्तरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार से है । नरकासुर के मारे जाने का अर्थ गन्दगी के असुर के मारे जाने से है ।

4. दीपावली क्यों मनाई जाती है:

दीपावली पर्व का सम्बन्ध कई पौराणिक, ऐतिहासिक गाथाओं से है । पौराणिक कथा के अनुसार जब राजा बलि ने अन्य देवताओं के साथ-साथ लक्ष्मीजी को भी बंदी बना लिया था, तब भगवान् विष्णु ने वामन का रूप धारण कर इसी दिन लक्ष्मीजी को छुड़वाया था । नरकासुर इसी दिन मारा गया था ।

लंकापति रावण को मारकर जब भगवान् राम 14 वर्षों के वनवास की अवधि पूरी कर लक्ष्मणजी, सीताजी सहित अयोध्यापुरी पहुंचे थे, तब अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था । इसी दिन राज्याभिषेक होने पर अयोध्यावासियों ने दीपकोत्सव मनाकर रामजी का अभिनन्दन किया था ।

सरस्वती और स्वामी रामतीर्थ ने अपने पवित्र शरीर का त्याग किया और सहस्त्रों मनुष्यों को ज्ञान का प्रकाश दिया । आज से लगभग ढाई हजार पूर्व में पावापुरी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था ।

उस अंधेरी रात में सुर, मनुष्य, नाग, गन्धर्व ने रत्नों के दीपक जलाये । इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में बुद्ध के प्रमुख शिष्य इन्द्राभूति गौतम ने ज्ञान लक्ष्मी प्राप्त की थी । दीपावली पर्व वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि दीपक के प्रकाश से वातावरण की वायु शुद्ध हो जाती है, वर्षा के प्रभाव से बीमारी फैलाने वाले कीटाणु कीट-पतंगे जलकर मर जाते हैं ।

5. दीपावली का महत्त्व:

दीपावली हमारे लिए कर्मठता और जागरूकता का सन्देश भी लाती है । शास्त्रों के अनुसार-जो व्यक्ति लक्ष्मीजी का पूजन नहीं करता, आलस्य व प्रमाद में रमा रहता है, उसके घर लक्ष्मी नहीं आतीं । लक्ष्मी के वास के लिए जहां आन्तरिक, बाह्य शुद्धता का महत्त्व है. वहीं लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए न्याय एवं श्रमपूर्वक उसकी उपासना भी करनी होती है ।

पूजा-पाठ की स्वच्छता के साथ नित्यापयोगी वस्तुओं की शुद्धता का ध्यान रखना, मन को छल-कपट, द्वेष-दम्भ, मिथ्या एवं घूर्णित प्रवृतियों से दूर रखना, यह सब आवश्यक है । जब समुद्र मन्धन से लक्ष्मीजी प्रकट हुई थीं, तब उनके साथ कुछ बुराइयों का समावेश भी था ।

जैसे-चन्द्रमा के साथ टेढ़ापन, उच्चैश्रवा: घोड़े के साथ चंचलता, कालकूट के साथ मोहनी शक्ति । मदिरा से मद और कौस्तुभ मणि के साथ निघूरता थी । अत: लक्ष्मी के आगमन के साथ-साथ मानव चित्त में यह बुराइयां समाविष्ट हो सकती हैं, अत: ऋषियों ने लक्ष्मीजी के साथ शुद्धता का दृष्टिकोण रखा ।

हमें अपने घर के साथ-साथ गली, मुहल्ले और सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता पर भी ध्यान देना चाहिए, जो समाज व राष्ट्र के लिए भी उपयोगी होगी; क्योंकि समृद्धि और सम्पन्नता शुचिपूर्ण, स्निग्ध वातावरण में ही फैलती है ।

हमारे देश में दीनता, दरिद्रता का जो वास है, उसका कारण पूर्णरूपेण आन्तरिक एवं बाह्य अस्वच्छता से है, गन्दगी से है । जनमानस में फैली हुई अनैतिकता व धूल-कचरे क्ते हटाना होगा । दीपावली का त्योहार आर्थिक उत्थान का सामूहिक प्रयत्न भी है । इस दिन सभी व्यापारी साल-भर में होने वाले लाभ-हानि का विचार करते हैं । लाभकारी योजनाएं बनाते हैं । धन समाज व राष्ट्र का मेरुदण्ड है ।

अत: इसे प्राप्त करने के लिए कर्मठता, विवेक, ईमानदारी का होना आवश्यक है । जुआखोरी, रिश्वतखोरी के तरीके अपनाकर धन का दुरूपयोग सामाजिक अशान्ति का कारण बन सकता है । अत: हम इसके सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, व्यावहारिक पहलू को समझें, देश के लिए स्वस्थ आर्थिक पुनरूत्थान का रास्ता ढूंढें ।

दीपावली पर्व है भीतर और बाहर के अन्धकार को नष्ट कर समूचे वातावरण को प्रकाशमय बनाने का । आर्थिक वैभव और मानसिक उल्लास का, गन्दगी और समृद्धि में परस्पर विरोध का, भीतर और बाहर की स्वच्छता का, ज्योत से ज्योत जलाकर नवप्रकाश से ज्ञानालोक को आलोकित करने का, सदगुणों एवं समृद्धि का, निराशा को ज्ञान के आलोक से आशा में परिवर्तित करने का, सबके प्रति स्नेही शुभकामनाओं का ।

7. दीपावली । Essay on Diwali for Students of Classes: 8, 9 and 10 in Hindi Language (Hindu Festival)

दीपावली हिंदुओं का प्रमुख पर्व है । यह पर्व समूचे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है । वर्षा और शरद् ऋतू के संधिकाल का यह मंगलमय पर्व है । यह कृषि से भी संबंधित है । ज्वार, बाजरा, मक्का, धान, कपास आदि इसी ऋतु की देन हैं । इन फसलों को ‘खरीफ’ की फसल कहते हैं ।

इस त्योहार के पीछे भी अनेक कथाएँ हैं । कहा जाता है कि जब श्रीरामचंद्र रावण का वध करके अयोध्या लौटे, तब उस खुशी में उस दिन घर-घर एवं नगर-नगर में दीप जलाकर यह उत्सव मनाया गया । उसी समय से दीपावली की शुरुआत हुई ।

यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने नरकासुर का इसी दिन संहार किया था । यह भी कहा जाता है कि वामन का रूप धारण कर भगवान् विष्णु ने दैत्यराज बलि की दानशीलता की परीक्षा लेकर उसके अहंकार को मिटाया था । तभी तो विष्णु भगवान् की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है ।

जैन धर्म के अनुसार, चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर ने इसी दिन पृथ्वी पर अपनी अंतिम ज्योति फैलाई थी और वे मृत्यु को प्राप्त हो गए थे । आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती की मृत्यु भी इसी अवसर पर हुई थी । इस प्रकार इन महापुरुषों की स्मृतियों को अमर बनाने के लिए भी यह त्योहार बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है ।

यह त्योहार पाँच दिनों तक चलता रहता है । त्रयोदशी के दिन ‘धनतेरस’ मनाया जाता है । उस दिन नए-नए बरतन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है । एक कथा प्रचलित है कि समुद्र-मंथन से इसी दिन देवताओं के वैद्य ‘धन्वंतरि’ निकले थे ।  इस कारण इस दिन ‘धन्वंतरि जयंती’ भी मनाई जाती है ।

दूसरे दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को ‘नरक चतुर्दशी’ अथवा ‘छोटी दीपावली’ का उत्सव मनाया जाता है । श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के कारण यह दिवस ‘नरक चतुर्दशी’ के नाम से जाना जाता है । अपने-अपने घरों से गंदगी दूर कर देना ही एक प्रकार से नरकासुर के वध को प्रतीक रूप में मान लिया जाता है ।

तीसरे दिन अमावस्या होती है । दीपावली उत्सव का यह प्रधान दिन है । रात्रि के समय लक्ष्मी-पूजन होता है । उसके बाद लोग अपने घरों को दीप-मालाओं से सजाते हैं । बच्चे-बूढ़े फुलझड़ी और पटाखे छोड़ते हैं । सारा वातावरण धूम-धड़ाके से गुंजायमान हो जाता है । इस प्रकार अमावस्या की रात रोशनी की रात में बदल जाती है ।

चौथे दिन ‘गोवर्द्धन-पूजा’ होती है । यह पूजा श्रीकृष्ण के गोवर्द्धन धारण करने की स्मृति में की जाती है । स्त्रियाँ गोबर से गोवर्द्धन की प्रतिमा बनाती हैं । रात्रि को उनकी पूजा होती है । किसान अपने-अपने बैलों को नहलाते हैं और उनके शरीर पर मेहँदी एवं रंग लगाते हैं ।

इस दिन ‘अन्नकूट’ भी मनाया जाता है । पाँचवें दिन ‘भैयादूज’ का त्योहार होता है । इस दिन बहनें अपने-अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लिए मंगल-कामना करती हैं । कहा जाता है कि इसी दिन यमुना ने अपने भाई यमराज के लिए कामना की थी ।

तभी से यह पूजा चली आ रही है । इसीलिए इस पर्व को ‘यम द्वितीया’ भी कहते हैं । दरअसल दीपावली का पर्व कई रूपों में उपयोगी है । इसी बहाने टूटे-फूटे घरों, दूकान, फैक्टरी आदि की सफाई-पुताई हो जाती    है । वर्षा ऋतु में जितने कीट-पतंगे उत्पन्न हो जाते हैं, सबके सब मिट्‌टी के दीये पर मँडराकर नष्ट हो जाते हैं ।

जहाँ दीपावली का त्योहार हमारे लिए इतना लाभप्रद है, वहीं इस त्योहार के कुछ दोष भी हैं । कुछ लोग आज के दिन जुआ आदि खेलकर अपना धन बरबाद करते हैं । उनका विश्वास है कि यदि जुए में जीत गए तो लक्ष्मी वर्ष भर प्रसन्न रहेंगी । इस प्रकार से भाग्य आजमाना कई बुराइयों को जन्म देता है, एक बात और, दीपावली पर अधिक आतिशबाजी से बचना चाहिए, क्योंकि इसका धुआँ हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है ।

8.  दीपों का त्योहार ‘ दीपावली ‘   | Essay on the Festival of Lights ‘Diwali’ for Teachers in Hindi Language (Hindu Festival)

हिन्दुओं के मुख्य त्योहार होली, दशहरा और दीपावली ही हैं । दीपावली का त्योहार प्रति वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है । वैसे इस त्योहार की धूम-धाम कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीय अर्थात् पाँच दिनों तक रहती है ।

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को आता है । दीवाली के पर्व की यह विशेषता है कि इसके साथ चार त्योहार और मनाये जाते हैं । दीपावली का उत्साह एक दिन नहीं, अपितु पूरे सप्ताह भर रहता है । दीपावली से पहले धन तेरस का पर्व आता है ।

सभी हिन्दू इस दिन कोई-न-कोई नया बर्तन अवश्य खरीदते हैं । धन तरस के बाद छोटी दीपावली; आगे दिन दीपावली, उसके अगले दिन गोवर्द्धन-पूजा तथा इस कड़ी में अंतिम त्योहार भैयादूज का होता है । प्रत्येक त्योहार किसी-न-किसी महत्त्वपूर्ण घटना से जुड़ा रहता है ।

दीपावली के साथ भी कई धार्मिक तथा ऐतिहासिक घटनाएँ जुड़ी हुई हैं । इसी दिन विष्णु ने नृसिंह का अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की थी । समुद्र-मंथन करने से लक्ष्मी भी इसी दिन प्रकट हुई थीं । जैन मत के अनुसार तीर्थकर महावीर का महानिर्वाण इसी दिन हुआ था ।

रामाश्रयी सम्प्रदाय वालों के अनुसार चौदह वर्ष का वनवास व्यतीत कर राम इसी दिन अयोध्या लौटे थे । उनके आगमन की प्रसन्नता में नगरवासियों ने दीपमालाएँ सजाई थीं । इसे प्रत्येक वर्ष इसी उत्सव के रूप में मनाया जाता है । इसी दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्दसिंह औरंगजेब जेल से मुक्त हुए थे ।

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था । इस त्योहार का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है । इसी समय शरद ऋतु का आगमन लगभग हो जाता है । इससे लोगों के खान-पान, पहनावे और सोने आदि की आदतों में भी परिवर्तन आने लगता है ।

नवीन कामनाओं से भरपूर यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है । कार्तिक मास की अमावस्या की रात पूर्णिमा की रात बन जाती है । इस त्योहार की प्रतीक्षा बहुत पहले से की जाती है । लोग अपने-अपने घरों की सफाई करते हैं । व्यापारी तथा दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें सजाते हैं तथा लीपते-पोतते हैं । इसी त्योहार से दुकानदार लोग अपने बही-खाते शुरू करते हैं ।

दीपावली के दिन घरों में दिए, दुकानों तथा प्रतिष्ठानों पर सजावट तथा रोशनी की जाती है । बाजारों में खूब चहल-पहल होती है । मिठाई तथा पटाखों की दुकानें खूब सजी होती हैं । इस दिन खलि-बताशों तथा मिठाइयों की खूब बिक्री होती है । बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियां तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं ।

रात्रि के समय लक्ष्मी-गणेश का पूजन होता है । ऐसी किंवदन्ती है कि दीवाली की रात को लक्ष्मी का आगमन होता है । लोग अपने इष्ट-मित्रों के यहाँ मिठाई का आदान-प्रदान करके दीपावली की शुभकामनाएं लेते-देते हैं । दीपावली त्योहार का बड़ा महत्त्व है ।

इस त्योहार के गौरवशाली अतीत पुन: जाग्रत हो उठता है । पारस्परिक सम्पर्क, सौहार्द तथा हेल-मेल बढ़ाने में यह त्योहार बड़ा महत्त्वपूर्ण है । वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह त्योहार कीटाणुनाशक है । मकान और दुकानों की सफाई करने से तरह-तरह के कीटाणु मर जाते हैं ।

वातावरण शुद्ध तथा स्वास्थ्यवर्द्धक हो जरता है । दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलते हैं, शराब पीते हैं तथा पटाखों में धन की अनावश्यक बरबादी करते हैं । इससे हर वर्ष अनेक दुर्घटनाएँ हो जाती हैं तथा धन-जन की हानि होती है । इन बुराइयों को रोकने की चेष्टा की जानी चाहिए ।

दीपावली प्रकाश का त्योहार है । इस दिन हमें अपने दिलों से भी अन्धविश्वासों तथा संकीर्णताओं के अँधेरे को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए । हमें दीपक जलाते समय कवि की इन पंक्तियों पर ध्यान देना चाहिए: ” जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना , अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए । ”

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Diwali Essay in Hindi- दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी में

In this article, we are providing Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों हमने Deepawali Par Nibandh | Essay on Diwali in Hindi लिखा है दीपावली | दिवाली पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। 8 Simple Essay on Diwali in Hindi language.

Diwali Essay in Hindi- दिवाली पर निबंध हिंदी में

दीपावली पर निबंध हिंदी में 10 लाइन- Diwali Essay in Hindi 10 lines for Child & Kids ( 100 words )

1. दीपावली हिंदुओं का पावन त्योहार है।

2. यह अक्टूबर-नवंबर के महीने में आता है।

3. दीपावली के दिन ही श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।

4. उनके आने पर पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया था।

5. दीपावली के आने की तैयारी घर और दुकानों की साफ़-सफ़ाई और रंग-रोगन से होती है।

6. दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस के अवसर पर लोग अपने घरों के लिए नया सामान खरीदते हैं।

7. सभी मित्र-संबंधी आपस में मुँह मीठा करवाते हैं।

8. दीपावली के दिन गणेश-लक्ष्मी का पूजन होता है।

9. सभी रात में अपने घर को दीपों से सजाते हैं और पटाखे चलाते हैं।

10. दीपावली की रात रोशनी की रात होती है।

10 lines दीपावली पर निबंध कक्षा 3

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दीपावली पर निबंध 150 शब्द- Diwali Par Nibandh | Diwali Essay in Hindi 150 words

परिचय : दीपावली हिन्दू जाति का प्रधान पर्व है। इसकी प्रतीक्षा लोग बड़ी उत्सुकता से करते हैं।

वर्णन : यह कार्तिक की अमावस्या को खूब धूम-धाम से मनायी जाती है। सबलोग इस दिन संध्या को अपने-अपने घरों को रंग-बिरंगी बत्तियों से सजाते हैं। आज के दिन व्यापारी लोग अपना कार्य शुरू करना शुभ मानते हैं।

लाभ : दीपावली सफाई का त्योहार है। दीपावली के पहले ही घरों एवं दुकानों की लिपाई-पुताई की जाती है। दुकानदारों के पुरान बकाए वसूल हो जाते हैं। लोग मित्रों और संबंधियों से मिलते-जुलते हैं। इससे प्रेम और भाई-चारा बढ़ता है।

हानि : कुछ लोग दीपावली के दिन जुआ खेलना अच्छा समझते हैं लेकिन यह गन्दी आदत है। वे लोग जुआ खेलकर अपना सब कुछ गँवा बैठते हैं। आतिशबाजी के कारण लड़के जल जाते हैं एवं कहीं-कहीं आग लगने की दुर्घटना घट जाती है।

उपसंहार : दीपावली हमारे जीवन में नवीन प्रकाश लाती है। यह हमें भाई-चारा, सहयोग, सुख और शान्ति का सन्देश देती है।

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Short Essay on Diwali in Hindi – दीपावली पर निबंध हिंदी में ( 180 words )

दीपावली हिन्दुओं का एक मुख्य त्योहार है। यह कार्तिक मास की अमावास्या के दिन मनाया जाता है।

भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। अयोध्या के लोगों ने खुशी में घी के दीपक जलाए। तब से दीपावली मनाते हैं।

दीपावली आते ही खुशी की लहर दौड़ जाती है। घरों और दुकानों की साफ सफाई की जाती है। उन्हें सुन्दर तरीके से सजाया जाता है। घर में अनेक तरह के पकवान और मिठाईयाँ बनती हैं। नए कपड़े खरीदे जाते हैं। इस दिन गाँव एवं नगर दीयों और रंगीन बल्बों के प्रकाश से जगमग करते हैं।

बच्चों को दीपावली बहुत पसंद है। परिक्षाएँ खत्म हो चुकी रहती है और पाठशालाओं में छुट्टियाँ हो जाती है। बच्चे पटाखे खरीदते हैं जैसे -अनार, रॉकेट, फुलझड़ी, चरखी आदि। दीपावली के दो-चार दिन पहले से ही वे पटाखे जलाने लगते हैं । कुछ पटाखे खतरनाक होते हैं। पटाखे सदा बड़ों के संरक्षण में जलाने चाहिए।

दीपावली खुशियों और प्रेम का त्योहार है। इसे हिलमिलकर मनाना चाहिए।

Deepawali Essay in Hindi

Diwali Essay in Hindi

दिवाली पर निबंध हिंदी में- Hindi Essay on Diwali in 200 words

दीपावली या दीवाली हिन्दुओं का एक बहुत पवित्र तथा महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह सारे भारत में बड़े धूमधाम और उत्साह से मनाया जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है।

दीपों, मिठाइयों, लक्ष्मीपूजन और पटाखों का यह दिन सचमुच अद्भुत है। इस दिन के लिए बहुत पहले से ही तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं। घर-द्वार की सफाई, रंग-रोगन, दूकानों की सजावट, नये वस्त्रों, बरतनों, गहनों आदि की खरीद इस अवसर पर की जाती है। लोग-बाग उदारता से धन खर्च करते हैं और आनन्द मनाते हैं।

इसी दिन भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास के पश्चात सीता के साथ अयोध्या लौटे थे। राम ने दुष्ट रावण का वध किया था। उन्होंने संतों, सज्जनों और दूसरे सभी अच्छे लोगों को रावण के भय से मुक्त किया था। इसी याद में सारी रात दीपक मालायें जलाई जाती हैं, सजावट की जाती है, मिलन मनाया जाता है और पकवान पकाये जाते हैं।

धनी और व्यापारी वर्ग इस दिन धन की देवी लक्ष्मी तथा विद्या के देवता गणेश का पूजन करते हैं। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं। यह एक बड़ी सामाजिक बुराई है। हमें इससे बचना चाहिये। जैन धर्म के महान प्रवर्तक वर्धमान महावीर का देहावसान इसी दिन हुआ था।

इसी दिन आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने देह त्याग किया था।

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दिवाली पर निबंध हिंदी में- Essay on Diwali in Hindi Language ( 250 words )

दिवाली या दीपावली एक मुख्य त्योहार है। यह केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी मनायी जाती है। लोग’ आश्वयुज अमावास्या के दिन यह पर्व मनाते हैं। दिवाली का अर्थ दीपों की पंक्ति है।

उत्तर भारत में यह पर्व पाँच दिनों का है। आन्ध्र प्रदेश में यह तीन दिन मनाया जाता है। दिवाली के एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी पर्व और दिवाली के बाद दूसरे दिन भैया-दूज पर्व मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी पर्व मनाने के सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है। श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरक नामक राक्षस का वध किया था। उस घटना की स्मृति में नरक चतुर्दशी पर्व मनाया जाता है।

दिवाली पर्व के सम्बन्ध में यह कथा प्रचलित है। रावण-वध के बाद जब राम अयोध्या लौटे तब पुरजनों ने उनके स्वागत में दीपों का आयोजन किया था। तब से दिवाली प्रचलित हुई। यह पर्व बूढ़े-बच्चे, स्त्री-पुरुष सब बड़े आनंद से मनाते हैं। इस दिन सब स्नान करके नये कपड़े पहनते हैं। वे मीठे पकवान खाते हैं। वे पटाखे जलाते हैं। रात को दीप जलाते हैं और लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

भैया-दूज भाई-बहन का त्योहार है। भाई बहन के घर जाकर खाना खाता है। बहन भाई को कपड़े देती है। भाई बहन को उपहार देता है। इस प्रकार यह पर्व भाई-बहन के प्रेम को बढ़ाने वाला है।

संक्षेप में दिवाली प्रकाश का पर्व है। यह आनंद का त्यौहार है। यह पर्व हमें यह सन्देश देता है कि ज्ञान रुपी प्रकाश अज्ञान रुपी अन्धकार कि दूर करता है।

Meri Pathshala Nibandh

Satsangati Essay in Hindi

दिवाली पर निबंध- Diwali Essay in Hindi for Class 10 ( 300 to 350 words )

दीपावली हिन्दुओं का अत्यन्त प्रमुख पर्व है। यह त्यौहार कार्तिक मास। के कष्ण पक्ष की अमावस्या को समारोह पूर्वक समस्त भारत में मनाया जाता है। यह धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की पूजा का पर्व है, इस कारण भी इसका अधिक महत्त्व है।

यह त्यौहार कब से और क्यों मनाया जाता है ? इस सम्बन्ध में एक विचार यह है कि श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात् इसी दिन अयोध या लौटे थे। नगर निवासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे, तभी से यह पर्व मनाया जाता है। वैसे यह एक ऋतु पर्व है। वर्षा ऋतु में जो अन्न बोए जाते हैं, वे इस समय तक पक कर तैयार हो जाते हैं। किसानों के घर नए अन्न से भर जाते हैं, उन्हें इसकी प्रसन्नता होती है। किसान के साथ ही व्यापारी और जनता को भी इसकी प्रसन्नता होती है। अतः अन्न और धन-लक्ष्मी के स्वागत का ही यह त्यौहार है।

इसी दिन भगवान् श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और समुद्र मंथन से लक्ष्मी की उत्पत्ति भी इसी दिन हुई थी। दीपावली अपने साथ कई त्यौहार लेकर आती है। दीपावली से दो दिन पूर्व धन त्रयोदशी होती है। इसके पश्चात् नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) आती है। अमावस्या को दीपावली का मुख्य उत्सव होता है। अगले दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का उत्सव होता है और उससे अगले दिन द्वितीया को भैया दूज का उत्सव मनाया जाता है।

दीपावली से पूर्व लोग घरों की सफाई करवाते हैं। इस दिन प्रातः काल से ही घरों में बड़ी चहल-पहल होती है। लोग बाजार से मिठाइयाँ, फल, खील-बताशे और दीवे लाते हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ और पटाखे खरीदते हैं।

सायं होते ही लोग घर की मुंडेरों पर सरसों के तेल के दीपकों की पंक्तियाँ जलाते हैं। बिजली के लटू या मोमबत्ती भी जलाये जाते हैं। दीपकों के प्रकाश से अन्धेरी राम भी पूर्णिमा की राम की तरह चमक उठती है। रात को लोग घरों और दुकानों पर लक्ष्मी पूजन करते हैं। लक्ष्मी पूजन के पश्चात् प्रसाद वितरण होता है। बच्चे फुलझड़ी और पटाखे चलाते हैं। इस अवसर पर मित्रों और सम्बन्धियों को भी मिठाई दी जाती है।

वास्तव में यह आनन्द और उत्साह का अनुपम पर्व है।

दिवाली पर निबंध- Deepawali par Nibandh Hindi mein ( 350 to 400 words )

भारत वास्तव में त्यौहारों तथा मेलों का देश है। यहाँ विभिन्न धर्म, जाति तथा सम्प्रदाय के लोग निवास करते हैं। ये लोग समय-समय पर अपने त्यौहार तथा पर्व मनाते हैं। ये पर्व ही भारत की संस्कृति की असली तस्वीर हैं। दीपावली भारतीय त्यौहारों में अपना प्रमुख स्थान रखता है। यह हिन्दुओं का मुख्य त्यौहार है। पूरे भारत वर्ष में यह अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार श्रीरामचन्द्रजी के चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटने की खुशी में मनाया जाता है। ऐसा विश्वास है कि जब श्रीराम ने लंका के राक्षसपति रावण को हरा दिया तथा सीता माता को उसके चंगुल से मुक्त करा लिया तब वह अपने भाई लक्ष्मण तथा सेवक हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे। तब जनता ने खुशी में घी के दिये जलाकर प्रकाश किया तथा उनका अयोध्या में स्वागत किया। श्री राम के आने से अयोध्या की जनता अत्यंत प्रसन्न थी।

दीपावली आने से पहले लोग अपने घरों में साफ-सफाई तथा पुताई करते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व का दिन धनतेरस माना जाता है। इस दिन बर्तन खरीदना, जेवर या अन्य कोई नयी चीज खरीदना शुभ माना जाता है। दीपावली की रात को लोग लक्ष्मी देवी तथा गणेश की पूजा करते हैं। घरों में दिये, लैम्प आदि जलाये जाते हैं। पकवान बनते हैं तथा मिठाईयाँ पड़ोसियों व रिश्तेदारों में बाँटी जाती हैं। दीपावली की रात को बच्चों की तो मौज होती है। वे मिठाई, पकवान खाते घूमते हैं तथा पटाखे, अनार, फुलझड़ियाँ चलाते हैं। अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। उसके बाद भाई दौज आता है। इस दिन बहनें भाइयों के तिलक लगाती हैं। भाई बहनों को कुछ रुपये उपहार स्वरूप देते हैं।

दीपावली एक पावन पर्व है। लेकिन कुछ लोग जुआ और शराब में अपना पूरा त्यौहार निकाल देते हैं। वे इस दिन डटकर शराब पीते हैं तथा जुआ खेलते हैं। जुए में बहुत सी रकम हार जाते हैं। क्रोध में बीवी, बच्चों को मारते-पीटते हैं। इस पवित्र दिन यह अपिवत्र बातें नहीं करनी चाहिये। मर्यादा और गरिमा की सीमा में रहकर त्यौहार का आनन्द उठाना चाहिये। अत्यधिक धन खर्च करके पटाखे फोड़ना भी गलत है। इसमें से कुछ धन बचाकर दान दे देना चाहिये। ताकि निर्धन लोग भी खुशी के साथ त्यौहार का आनन्द उठा सकें।

दीपों का त्यौहार दिवाली पर निबंध- Essay on Diwali in Hindi with Headings (500 words )

प्रस्तावना

भारतवर्ष त्यौहारों-पर्वो तथा उत्सवों का देश है। भारतीय त्यौहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है। यह इस देश का सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय त्यौहार है। दीपावली दीपों का त्यौहार है। दीपावली का बिगड़ा हुआ रूप है ‘दीवाली’। इसका अर्थ है दीपों की अवली अर्थात् दीपों की कतार (पंक्ति)। इस दिन हिन्दू लोग अपने घरों में दीये, मोमबत्तियाँ तथा बिजली के बल्बों को जलाकर, उनकी पंक्तियाँ अर्थात् कतार लगा देते हैं।

दीपावली कब मनाई जाती है? Diwali ka tyohar kab manaya jata hai

यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को सारे भारतवर्ष में बहुत धूमधाम तथा उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी ओर इतनी अधिक रोशनी की जाती है जिससे अमावस्या की काली रात भी पूर्णमासी की तरह जगमगाने लगती है। दीपावली से पूर्व ‘धनतेरस’ तथा इसके बाद ‘गोवर्धन पूजा’ और ‘भैया दूज’ के त्यौहार मनाए जाते हैं।

दीपावली क्यों मनाई जाती है? Diwali kyon manai jati hai

इस दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्षों का वनवास काटकर तथा लंका पर विजय प्राप्त करके सीता तथा लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। इस तिथि को श्रीरामचन्द्र जी का राजतिलक किया गया था। अतः इस दिन सारे अयोध्यावासियों ने इसी खुशी में आनन्दोत्सव मनाया था तथा अपने हर्षोल्लास को प्रकट करने के लिए दीप जलाए थे और मिठाइयाँ बाँटी थीं। जैन धर्म के महावीर स्वामी तथा आर्य समाज के स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को भी इसी दिन मुक्ति मिली थी। इसीलिए जैनी तथा आर्य समाज के लोग भी इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि महाराज युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ भी इसी तिथि को सम्पन्न हुआ था।

दीपावली कैसे मनाई जाता हैं? Diwali Kaise manai jaati hai

इस दिन लोग अपने घरों व दुकानों को सजाते हैं। गलियों तथा बाजारों को भी सजाया जाता है बाजारों में हलवाइयों की दुकानें खूब सजी होती हैं और सभी लोग मिठाइयाँ खरीदते हैं। इस दिन बाजारों से सुन्दर-सुन्दर खिलौने व बर्तन आदि भी खरीद कर लाए जाते हैं। इस दिन स्त्रियाँ अपने घरों में पकवान भी बनाती हैं। बच्चे व युवक आतिशबाजी चलाते हैं। घरों में आस्थावान लोग गणेश और लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लोग दीवाली पूजन के बाद अपने इष्ट मित्रों व सम्बन्धियों के घर मिठाइयाँ भेजते हैं। व्यापारी बन्धु इस दिन अपना नए वर्ष का नया बहीखाता बनाते हैं।

उपसंहार

दीपावली के दिन कुछ लोग जुआ खेलना व शराब पीना अच्छा मानते हैं। यद्यपि इस कारण से अनेक घर बर्बाद हो जाते हैं। एक ओर लक्ष्मी की पूजा करके लोग उससे धन-प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं तो दूसरी ओर बहुत से लोग जुआ खेल कर धन हार जाते हैं। फिर भी यह पर्व धनी-निर्धन, राजा-रंक एवं शिक्षित-अशिक्षित सभी के लिए हर्षोल्लास प्रदान करने वाला त्यौहार है।

दिवाली पर निबंध- Long Essay on Diwali in Hindi with Headings (650 words )

भूमिका

भारत वर्ष में अनेक धर्मो, विश्वासों और आस्थावाले लोग रहते हैं। इसलिए यहाँ अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। भारत में पर्वो की गौरवशाली परंपरा है। सभी लोग अपने-अपने त्यौहार उल्लास और आनंद से मनाते हैं। हिन्दू बहुसंख्यक हैं, इसलिए उनके त्यौहार भी अधिक हैं। कुछ त्यौहार क्षेत्रीय हैं और कुछ राष्ट्रीय। हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहार हैं— दीपावली, विजयदशमी (दुर्गापूजा) रक्षा बन्धन और होली। दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। यह कहना असंगत न होगा कि दीपावली भारत का राष्ट्रीय पर्व है।

परिचय | Dipawali ka arth 

दीपावली मनाने के बारे में एक कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि इसी दिन श्री रामचन्द्र जी लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्या-वासियों ने घर-घर दीप जलाए थे और आनंद मनाया था। तभी से यह त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

Dipawali ka Itihas

दीपावली पर्वो का समूह है। यह शरद ऋतु में मनाई जाती है। दीपावली का त्यौहार कार्तिक कृष्ण पक्ष 13 से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक अर्थात 5 दिनों तक मनाया जाता है। इस त्यौहार का पहला दिन ‘धन तेरस’ कहलाता है। इस दिन लोग नए-नए बर्तन खरीदते हैं। घर-घर में यमराज की पूजा होती हैं और दीप जलाकर घर के द्वार पर रखा जाता है। चतुर्दशी का दिन ‘नरक चौदस’ कहलाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अत्याचारी राजा हिरण्य कश्यप का वध किया था और भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। एक अन्य घटना के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मारा था। इस दिन घरों की सफाई की जाती है। मुख्य पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। उस दिन शाम को लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है और घर-घर दीप जलाये जाते हैं। बच्चे फुलझड़ियाँ और पटाखे छोड़ते हैं। लोग स्वादिष्ट भोजन करते हैं। बच्चे प्रेम से मिठाइयाँ खाते हैं। चौथा दिन ‘गोवर्द्धन पूजन’ का होता है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्द्धन पर्वत उठाकर इन्द्र के कोप से गोकुल के लोगों की रक्षा की थी। दीपावली का पाँचवाँ दिन ‘भैया दूज’ या ‘यम द्वितीया’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और मिठाइयाँ खिलाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से यमराज के चक्कर से बचा जा सकता है।

पर्व की विशेषता | Dipawali parv ka mahatva 

यह पर्व वर्षा समाप्त होने के बाद आता है। बरसात के कारण अनेक मकान टूट-फूट जाते हैं इनकी लोग मरम्मत करते हैं। महीनों पहले से घरों की लिपाई-पुताई और सफाई होने लगती है। सभी घर तरह-तरह से सजाए जाते हैं। बाजारों को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है। रंग-बिरंगे फूल-पत्तियों और बल्बों से शहर वाले अपने मकानों, दुकानों और गलियों को सुसज्जित करते हैं। हर ओर प्रसन्नता और आपसी वैर-भाव भूलकर प्रेमपूर्वक लोग एक दूसरे से मिलते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं। सभी के मन और हृदय शुद्ध और स्वच्छ हो जाते हैं। सफाई से रोग फैलाने वाले कीड़ों-पतंगों का नाश हो जाता है। आतिशबाजी और पटाखों की गंध और धुएँ से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

पर्व के दुरुपयोग से हानियाँ

वह लोग जो जोश में आकर अपनी हैसियत से अधिक खर्च कर देते हैं, वे कर्ज से लद जाते हैं। वे वर्ष भर कष्ट पाते हैं। कई लोग दीपावली पर जुआ खेलना आवश्यक समझते हैं। जुआ खेलने से धन-दौलत हार जाते हैं। इससे उन्हें बहुत आर्थिक हानि हो जाती है, जिससे उनका जीवन दुःखी हो जाता है। कतिपय लोग इस अवसर पर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, जो उनके लिए हानिप्रद होता है। लापरवाही से आतिशबाजी छोड़ने से कभी-कभी आग लग जाती है, जिससे जन-धन का बहुत नुकसान होता है।

दीपावली आनंद का पर्व है। इसे प्रेम पूर्वक और सावधानी से मनाना चाहिए। साज-सज्जा, आतिशबाजी आदि पर व्यर्थ पैसे खर्च करना बुरा है। जुआ खेलने तथा दूसरे दुर्व्यसनों से बचना चाहिए। आतिशबाजी छोड़ते समय सावधानी बरतनी चाहिए जिससे दुर्घटनाएँ न हों। यह त्यौहार हमें अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देता है। इसलिए हमें ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो हमारे लिए हानिप्रद हो।

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