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प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay in Hindi)

प्रकृति संरक्षण

प्रकृति का संरक्षण प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से सबंधित है। इनमें मुख्यतः पानी, धूप, वातावरण, खनिज, भूमि, वनस्पति और जानवर शामिल हैं। इन संसाधनों में कुछ संसाधन का अधिक उपयोग हो रहा है जिस कारण वे तेज़ गति से कम हो रहे हैं। हमें प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए तथा पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। प्रकृति का संरक्षण किसी भी मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वाभाविक रूप से बनने वाले संसाधनों का संरक्षण दर्शाता है।

प्रकृति संरक्षण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Conservation of Nature in Hindi, Prakriti Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द) – prakriti sanrakshan par nibandh.

प्रकृति हमें  पानी, भूमि, सूर्य का प्रकाश और पेड़-पौधे प्रदान करके हमारी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करती है। इन संसाधनों का उपयोग विभिन्न चीजों के निर्माण के लिए किया जा सकता है जो निश्चित ही मनुष्य के जीवन को अधिक सुविधाजनक और आरामदायक बनाते हैं।

दुर्भाग्य से, मनुष्य इन संसाधनों का उपयोग करने के बजाए नई चीजों का आविष्कार करने में इतना तल्लीन हो गया है कि उसने उन्हें संरक्षित करने के महत्व को लगभग भुला दिया है। फ़लस्वरूप, इन संसाधनों में से कई तेज़ गति से कम हो रहे हैं और यदि इसी तरह से ऐसा जारी रहा तो मानवों के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाले अन्य जीवों का अस्तित्व मुश्किल में पड़ जाएगा।

प्रकृति के संरक्षण से अभिप्राय जंगलों, भूमि, जल निकायों की सुरक्षा से है तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण खनिजों, ईंधन, प्राकृतिक गैसों जैसे संसाधनों की सुरक्षा से है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ये सब प्रचुर मात्रा में मनुष्य के उपयोग के लिए उपलब्ध रहें। ऐसे कई तरीके हैं जिससे आम आदमी प्रकृति के संरक्षण में मदद कर सकता है। यहां कुछ ऐसे ही तरीकों का विस्तृत वर्णन किया गया है जिससे मानव जीवन को बड़ा लाभ हो सकता है:-

पानी का सीमित उपयोग

पानी को बुद्धिमानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अगर पानी का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हमें थोड़े से पानी के लिए भी तरसना पड़ेगा। पानी का सही इस्तेमाल काफी तरीकों से किया जा सकता है जैसे अपने दांतों को ब्रश करते हुए बहता हुआ पानी बंद करके, फव्वारें के जगह बाल्टी के पानी से नहाकर, आरओ का अपशिष्ट पानी का उपयोग पौधों में देकर या घर को साफ करने के लिए इस्तेमाल करके ताकि पानी ज्यादा मात्रा में ख़राब न हो।

बिजली का सीमित उपयोग

प्रकृति के संरक्षण के लिए बिजली के उपयोग को भी सीमित करना आवश्यक है। बिजली की बचत हम कई तरह से कर सकते है जैसे विद्युत उपकरण बंद करके  खासकर जब वे उपयोग में ना हो या फिर ऐसे बल्ब अथवा ट्यूबलाइट का इस्तेमाल करके जिससे कम कम से बिजली की खपत हो उदाहरण के लिए एलईडी लाइट।

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और सब्जियां उगाकर

जितना संभव हो सके उतने पेड़ लगाए तभी हर दिन जो पेड़ कट रहे हैं उनकी भरपाई हो सकेगी। पेशेवर खेती में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए कोशिश करें कि घर पर ही सब्जियां उगायें। इसके अलावा लोग पेपर के उपयोग को सीमित करके, वर्षा जल संचयन प्रणाली को नियोजित करके, कारों के उपयोग को सीमित कर और प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैला कर अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Conservation of Nature in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द) – प्रकृति संरक्षण पर निबंध

प्रकृति ने हमें कई उपहार जैसे हवा, पानी, भूमि, धूप, खनिज, पौधों और जानवर दिए है। प्रकृति के ये सभी तोहफ़े हमारे ग्रह को रहने लायक जगह बनाते हैं। इन में से किसी के भी बिना पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन का अस्तित्व संभव नहीं होगा। अब, जबकि ये प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर प्रचुरता में मौजूद हैं, दुर्भाग्य से मानव आबादी में वृद्धि के कारण सदियों से इनमें से अधिकांश की आवश्यकता बढ़ गई है।

इनमे से कई प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अधिक गति से किया जा रहा है जबकि उनका उत्पादन  क्षमता कम है। इस प्रकार प्रकृति के संरक्षण तथा प्रकृति द्वारा उपलब्ध कराये प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की आवश्यकता है। यहां कुछ तरीकों पर एक विस्तृत नजर डाली गई है, जिनसे ये संसाधन संरक्षित किए जा सकते हैं:-

पानी की खपत कम करके

पृथ्वी पर पानी प्रचुरता में उपलब्ध है इसलिए लोग इसका उपयोग करने से पहले इसकी कम होती मात्रा की तरफ ज्यादा ध्यान देना जरुरी नहीं समझते। अगर हम पानी का इसी तेज़ गति से उपयोग करते रहें तो निश्चित ही रूप से हमे भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। पानी को बचने के लिए हम कुछ सरल चीजों को प्रयोग में ला सकते है जैसे ब्रश करने के दौरान नल को बंद करना, वॉशिंग मशीन में पानी का उपयोग कपड़ो की मात्रा के अनुसार करना तथा बचा हुआ पानी पौधों में देकर।

बिजली का उपयोग कम करके

बिजली की बचत करके ही बिजली बनाई जा सकती है। इसीलिए बिजली के सीमित उपयोग को करने का सुझाव दिया जाता है। सिर्फ इतना ध्यान रखकर जैसे कि अपने कमरे से बाहर निकलने से पहले रोशनी को बंद करना, उपयोग के बाद बिजली के उपकरणों को बंद करना और फ्लोरोसेंट या एलईडी बल्बों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल में लाना आदि बिजली बचाने में एक महतवपूर्ण कदम हो सकता है।

कागज़ का सीमित उपयोग करके

कागज़ पेड़ से बनता है। अधिक कागज़ का प्रयोग करने से मतलब है कि वनों की कटाई को प्रोत्साहित करना जो आज के समय में चिंता का विषय है। हमे यह सुनिश्चित करने कि जरुरत है कि जितना आवश्यकता है उतना ही कागज़ का उपयोग करें। प्रिंट आउट लेना और ई-कॉपी का उपयोग करना बंद करना होगा।

नई कृषि पद्धतियों का उपयोग करें

सरकार को चाहिए की वह किसानों को मिश्रित फसल, फसल रोटेशन तथा कीटनाशकों, खाद, जैव उर्वरक और जैविक खाद के उचित उपयोग करने सिखाए।

जागरूकता फैलाए

प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फ़ैलाना तथा इसके लिए इस्तेमाल होने वाली विधि का सही तरीका अपनाना अति महत्वपूर्ण है। यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब अधिक से अधिक लोग इसके महत्व को समझें और जिस भी तरीके से वे मदद कर सकते हैं करे।

इसके अलावा अधिक से अधिक पौधे लगाना भी बेहद जरुरी है। लोग यात्रा के लिए साझा परिवहन का उपयोग करके और प्रकृति के संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली को नियोजित करके वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में अपना योगदान दे सकते है।

निबंध 3 (500 शब्द) – प्रकृति संरक्षण पर निबंध

प्रकृति का संरक्षण उन सभी संसाधनों के संरक्षण को संदर्भित करता है जो स्वाभाविक रूप से मनुष्यों की सहायता के बिना बने हैं। इनमें पानी, हवा, धूप, भूमि, वन, खनिज, पौधें और जानवर शामिल हैं।  ये सभी प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर जीवन को जीने लायक बनाते हैं। पृथ्वी पर मौजूद हवा, पानी, धूप और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। इसलिए पृथ्वी पर जीवन तथा पर्यावरण को बरकरार रखने के लिए इन संसाधनों को संरक्षित करना अति आवश्यक है। यहां धरती पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों और इनका संरक्षण करने के तरीकों पर एक नजर डाली गई है:-

प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

  • अक्षय संसाधन:- यह ऐसे संसाधन हैं जो स्वाभाविक रूप से फिर से उत्पन्न हो सकते हैं जैसे वायु, पानी और सूरज की रोशनी।
  • गैर-अक्षय संसाधन:- यह ऐसे संसाधन हैं जो या तो फिर से उत्पन्न नहीं होते या बहुत धीमी गति से बनते हैं जैसे जीवाश्म ईंधन और खनिज आदि।
  • जैविक: ये जीवित प्राणियों तथा पौधों और जानवरों की तरह कार्बनिक सामग्री से आते हैं ।
  • अजैविक: ये गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त होते हैं। इसमें हवा, पानी और भूमि शामिल हैं, साथ ही लोहे, तांबे और चांदी जैसी धातुएं को भी इसमें गिना जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों को भी वास्तविक संसाधन, आरक्षित संसाधन, स्टॉक संसाधन और उनके विकास के स्तर के आधार पर संभावित संसाधन जैसे श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

प्रकृति संरक्षण के तरीके

प्रकृति का संरक्षण एक गंभीर विषय है जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

प्रकृति के अधिकांश संसाधन तेज़ गति से घट रहे हैं। इसका कारण है इन संसाधनों की मांग अधिक होना जबकि उनके निर्माण की दर कम है। हालांकि, हमे यह समझने की जरूरत है कि प्रकृति ने हमें उन सभी संसाधनों को प्रचुर मात्रा में दिया है जिनकी हमें आवश्यकता है। हमें केवल उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बुद्धिमानी से करने की आवश्यकता है। इन संसाधनों को संरक्षित करने के लिए हमे  नीचे दिए गए तरीकों का पालन करना चाहिए:

सीमित उपयोग

जल और बिजली दो ऐसी चीजें हैं जो आज के समय में सबसे ज्यादा बर्बाद हो रही हैं। हमारे लिए इन दोनों को बचाने के महत्व को समझना आवश्यक है। कोशिश करें जितनी जरुरत हो उतने ही पानी को उपयोग में लायें। ऐसा ही नियम बिजली पर लागू करना होगा। बिजली के उपकरणों का उपयोग बुद्धिमानी से करें तथा जब वे प्रयोग में ना हो तब उन्हें बंद कर दें। इसी तरह कागज, पेट्रोलियम और गैस जैसे अन्य संसाधनों का उपयोग भी एक सीमित दर में होना चाहिए।

प्रकृति को फिर से हरा भरा बनाएं

लकड़ी के बने पेपर, फर्नीचर और अन्य वस्तुओं के निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों की जगह अधिक से अधिक वनरोपण करें। इसके अलावा अपने क्षेत्र के आसपास सफाई सुनिश्चित करें तथा जल निकायों और अन्य जगहों में अपशिष्ट उत्पादों को न फेकें।

जागरूकता फैलाएं

अंत में, जितना हो सके प्रकृति के संरक्षण के महत्व के बारे में उतनी जागरूकता फैलाए।

प्राकृतिक संसाधनों की खपत अपने उत्पादन से अधिक है। यह हम में से हर एक का कर्तव्य है कि प्रकृति के इन उपहारों की बर्बादी को बंद करे और उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करना शुरू करें ताकि पृथ्वी पर पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखा जा सके। उपरोक्त दी विधियों का पालन करके हम प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान दे सकते है।

निबंध 4 (600 शब्द) – Prakriti Sanrakshan par Nibandh

प्रकृति का संरक्षण मूल रूप से उन सभी संसाधनों का संरक्षण है जो प्रकृति ने मानव जाति को भेंट की है। इसमें खनिज, जल निकायों, भूमि, धूप और वातावरण आदि शामिल हैं तथा इसमें वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण भी शामिल हैं। प्रकृति द्वारा दिए ये सभी उपहार संतुलित वातावरण बनाने में मदद करते है तथा ये सब मनुष्य के अस्तित्व और पृथ्वी पर अन्य जीवों के अस्तित्व के लिए उपयुक्त है। इसलिए प्रकृति का संरक्षण अति महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक संसाधनों को उनकी विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। यहां इस वर्गीकरण पर एक नजर डाली गई है, जिसमें से प्रत्येक को संरक्षित करने के सुनियोजित तरीके हैं:

प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण

प्राकृतिक संसाधनों को मुख्यतः नवीनीकृत करने, विकास का स्रोत और विकास के स्तर पर अपनी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। इन्हें आगे उप श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इनकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार से है:

कुछ संसाधन नवीकरणीय हैं जबकि अन्य गैर-नवीकरणीय हैं यहां इन दोनों श्रेणियों पर विस्तृत रूप से डाली गई है:

  • नवीकरणीय संसाधन : ये संसाधन वह है जो स्वाभाविक रूप से पुनः उत्पन्न होते हैं। इनमें हवा, पानी, भूमि और सूर्य का प्रकाश शामिल हैं।
  • गैर-नवीकरणीय संसाधन : ये संसाधन या तो बहुत धीमी गति उत्पन्न होते हैं या स्वाभाविक रूप से नहीं बनते। खनिज और जीवाश्म ईंधन इस श्रेणी के कुछ उदाहरण हैं।

उनके मूल के आधार पर, प्राकृतिक संसाधनों को दो प्रकारों में बांटा गया है:

  • अजैविक: ये वह संसाधन हैं जो गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदार्थों से बनते हैं। इस प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरणों में पानी, वायु, भूमि और धातु जैसे लोहा, तांबे, सोना और चांदी शामिल हैं।
  • जैविक: ये वह संसाधन है जो जीवित प्राणियों, पौधों और जानवरों जैसे कार्बनिक पदार्थों से उत्पन्न होते हैं। इस श्रेणी में जीवाश्म ईंधन भी शामिल है क्योंकि वे क्षययुक्त कार्बनिक पदार्थ से प्राप्त होते हैं।

विकास के स्तर के आधार पर, प्राकृतिक संसाधनों को निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया गया है:

  • वास्तविक संसाधन: इन संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी की उपलब्धता और लागत पर निर्भर है। ये संसाधन वर्तमान समय में उपयोग लिए जाते हैं।
  • रिज़र्व संसाधन: वास्तविक संसाधन का वह भाग जिसे भविष्य में सफलतापूर्वक विकसित और उपयोग में लाया जाए उसे रिज़र्व संसाधन कहा जाता है।
  • संभावित संसाधन: ये ऐसे संसाधन हैं जो कुछ क्षेत्रों में मौजूद होते हैं लेकिन वास्तव में इस्तेमाल में लाने से पहले उनमें कुछ सुधार करने की आवश्यकता होती है।
  • स्टॉक संसाधन: ये वह संसाधन हैं जिन पर इस्तेमाल में लाने के लिए सर्वेक्षण तो किए गए हैं लेकिन प्रौद्योगिकी की कमी के कारण अभी तक उपयोग में नहीं लाए जा सके हैं।

प्रकृति के संरक्षण के विभिन्न तरीके

चाहे नवीकरणीय हो या गैर नवीकरणीय, जैविक हो या गैर-जैविक, प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण होना चाहिए। यहां कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं जो सरकार और व्यक्तियों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रयोग में लाने चाहियें:

  • प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग करना बंद कर देना चाहिए। उपलब्ध संसाधनों को अपव्यय के बिना समझदारी से उपयोग करने की जरुरत है।
  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली जानवरों का शिकार करना बंद कर दिया जाना चाहिए।
  • किसानों को मिश्रित फसल की विधि, उर्वरक, कीटनाशक, कीटनाशक, और फसल रोटेशन के उपयोग को सिखाया जाना चाहिए। खाद, जैविक उर्वरक और बायोफलाइलाइजर्स के इस्तेमाल को प्रोत्साहितकरने की जरुरत है।
  • वनों की कटाई को नियंत्रित करना चाहिए।
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
  • सौर, जल और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • कृषि प्रक्रियाओं में इस्तेमाल होने वाले पानी को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणाली का पालन करना चाहिए।
  • कार-पूलिंग जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने का एक अच्छा तरीका है।
  • कागज के उपयोग को सीमित करें और रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करें।
  • पुराने लाइट बल्ब की जगह फ्लोरोसेंट बल्ब को इस्तेमाल करके ऊर्जा की बचत करें जिससे बिजली बचाई जा सके। इसके अलावा जब आवश्यकता नहीं हो रोशनी के उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बंद करें।

संतुलित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रकृति का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है हालांकि दुख की बात यह है कि बहुत से प्राकृतिक संसाधन तेज़ी से घट रहे हैं। उपर्युक्त विधियों का पालन करके प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान करना चाहिए।

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पर्यावरण बचाओ पर निबंध 10 lines (Save Environment Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

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  Save Environment Essay in Hindi – पर्यावरण हमारे आवास के आसपास का क्षेत्र है। यह हमारे अस्तित्व और अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह “पर्यावरण” में है जहां एक जीवित चीज के जन्म, वृद्धि, विकास और स्वयं जीवन की संभावना होती है। उस वातावरण में मौजूद संकेत धीरे-धीरे उनकी उत्तरजीविता और आवास को आकार देते हैं।

छोटी उम्र से ही, हमें सिखाया जा रहा है कि हम अपने पर्यावरण को कैसे बचाएं और इस ग्रह पृथ्वी को सुंदर बनाने में मदद करें। पर्यावरण एक जीवित प्राणी की मनोवैज्ञानिक स्थिति और भौतिक प्रावधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समय के साथ, यह जीवित चीजों को आकार देता है। पर्यावरणीय मुद्दों के भार के साथ ग्रह पृथ्वी का भविष्य में अधिक प्रभाव पड़ेगा।

इसलिए, पर्यावरण को बचाना बेहद जरूरी है, क्योंकि; अनुकूल वातावरण का अस्तित्व ही इसकी सीमाओं के भीतर जीवन के जीवित रहने और विकास की संभावनाओं को निर्धारित करता है।

पर्यावरण बचाओ पर 10 लाइनें (10 Lines on Save Environment in Hindi)

  • 1) पर्यावरण का तात्पर्य उस परिवेश या आवास से है जिसमें व्यक्ति, जानवर या पौधे रहते हैं।
  • 2) एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण महत्वपूर्ण है।
  • 3) पर्यावरण ग्रह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक बड़ी भूमिका निभाता है।
  • 4) मनुष्य के स्वार्थी उद्देश्यों से पर्यावरण अत्यधिक प्रभावित हो रहा है।
  • 4) प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर दोहन से पर्यावरण में एक बड़ा असंतुलन पैदा हो गया है।
  • 5) बढ़ती मानव आबादी ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की दर में वृद्धि की है।
  • 7) हमें प्राकृतिक संसाधनों की खपत को सीमित करना होगा और यदि हम पृथ्वी को बचाना चाहते हैं तो हमें अक्षय संसाधनों पर निर्भर रहने का प्रयास करना चाहिए।
  • 8) पेड़ और पानी जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से प्रदूषण मुक्त वातावरण बनता है।
  • 9) हमें प्लास्टिक या पॉली बैग का उपयोग बंद कर देना चाहिए और पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक पर्यावरण अनुकूल उत्पाद पर निर्भर होना चाहिए।
  • 10) सरकार, नागरिक समुदायों को पर्यावरण को बचाने के लिए प्रदूषण और औद्योगीकरण के बाद के प्रभावों को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Save Environment in Hindi)

हमारे पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण किया जाना चाहिए। प्राकृतिक ऊर्जा संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बनाए रखता है। हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए कई रणनीतियाँ हैं, जिनमें से पहली है प्रदूषण के स्तर को कम करना। क्योंकि वाहनों का धुआं बहुत अधिक प्रदूषण पैदा करता है, कारों के लिए ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस का उपयोग करने से धुएं के उत्सर्जन में कमी आएगी। बैटरी द्वारा संचालित ऑटोमोबाइल भी पर्यावरण के अनुकूल हैं। सौर ऊर्जा का उपयोग हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए किया जाता है। सौर ऊर्जा गैर-प्रदूषणकारी और नवीकरणीय है।

हमें पानी में कूड़ा-करकट डालने और उपोत्पाद बनाने से बचना चाहिए। नमामि गंगे, उदाहरण के लिए, जलमार्गों को साफ करने का प्रयास करता है और स्वच्छ पर्यावरण की ओर एक कदम है। हम सभी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना हिस्सा करना चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Save Environment in Hindi)

पर्यावरण एक भौगोलिक क्षेत्र या प्राकृतिक दुनिया है जो मानव गतिविधि से प्रभावित है और इसमें खनिज मिट्टी, हवा और पानी, जानवर आदि शामिल हैं। कंक्रीट संरचनाओं और सड़कों ने प्राकृतिक परिदृश्य को बदल दिया क्योंकि होमो सेपियन्स शहरीकरण और औद्योगीकरण की ओर बढ़े, जिससे चिकित्सा, औद्योगिक और सामाजिक विकास हुआ।

हालांकि, भोजन, पीने के लिए पानी और कृषि, ईंधन के लिए लकड़ी आदि के लिए इन प्राकृतिक वातावरणों पर मानव निर्भरता जारी है। प्रकृति पर हमारी निर्भरता इतनी महत्वपूर्ण है कि हम इसके संसाधनों को संरक्षित किए बिना विकसित नहीं हो सकते। पर्यावरण का जीव के अस्तित्व और विकास पर प्रभाव पड़ता है।

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प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

इन प्राकृतिक संसाधनों को मोटे तौर पर नवीकरणीय या गैर-नवीकरणीय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नवीकरणीय संसाधन वे हैं जिनकी प्राकृतिक रूप से पूर्ति की जा सकती है। जल, जंगल और फसलें इसके उदाहरण हैं। दूसरी ओर गैर-नवीकरणीय संसाधन, जैसे कि तेल और खनिज, का नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है और वर्तमान परिवेश में तेजी से समाप्त हो रहे हैं।

जनसंख्या विस्तार और समाज के धनी क्षेत्रों की ओर से ‘उपभोक्तावाद’ सभी प्राकृतिक संसाधनों की इस तेजी से कमी के प्राथमिक कारण हैं। इसके परिणामस्वरूप जीव-जंतुओं और पेड़ों का विलुप्त होना और पर्यावरण का विघटन हुआ है। नतीजतन, इन प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद करने से रोकने और उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करने का समय आ गया है।

पर्यावरण बचाओ पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Save Environment in Hindi)

एक जीवित प्राणी के सभी परिवेशों का योग, जिसमें हवा, पानी, धूप आदि शामिल हैं और जीवित जीव जैसे जानवर, पौधे, मनुष्य आदि, जो वृद्धि और विकास के लिए स्थायी स्थिति प्रदान करते हैं, पर्यावरण का गठन करते हैं।

हमारे पर्यावरण को बचाने का महत्व

आज औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में, इस वातावरण में अच्छी पक्की सड़कें, बहुमंजिला कंक्रीट की इमारतें और गगनचुंबी इमारतें शामिल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य बढ़ती आबादी को समायोजित करना और समाज के समृद्ध वर्गों को विभिन्न विलासिता प्रदान करना है।

हालांकि, इस आंदोलन के बावजूद प्रकृति से प्राप्त संसाधनों पर मानव की विश्वसनीयता कायम है। हम सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और अन्य दैनिक कामों के लिए उपयोग करते हैं।

समय की मांग है कि संसाधनों के दुरुपयोग को रोका जाए और इसके बजाय उनका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए, क्योंकि धरती माता संसाधनों के इस तीव्र उपयोग को बनाए नहीं रख सकती है। यह ‘सतत विकास’ से ही संभव है।

पर्यावरण बचाओ पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Save Environment in Hindi)

प्राकृतिक पर्यावरण के उपहार मनुष्य और अन्य जीवित प्रजातियों के लिए आनंद का स्रोत हैं। ये प्राकृतिक संसाधन, जैसे हवा, सूरज की रोशनी, ताजा पानी, जीवाश्म ईंधन आदि इतने आवश्यक हैं कि इनके बिना जीवन का अस्तित्व नहीं हो सकता। हालाँकि, विशाल जनसंख्या की भौतिक वस्तुओं की इच्छा के कारण, इन संसाधनों को बर्बाद किया जा रहा है और अत्यधिक दुरुपयोग किया जा रहा है। यह ‘आर्थिक प्रगति’ मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक सिद्ध हो रही है।

पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता क्यों है

निम्नलिखित बिंदु प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग और बर्बादी और पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जीवन पर असर के कारण होने वाले प्रदूषण का वर्णन करते हैं। इस प्रकार, पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए:

वायु प्रदूषण | परिवहन के लिए गैसोलीन और डीजल के बढ़ते उपयोग और ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उद्योगों में जीवाश्म ईंधन के दहन से वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों को बढ़ाता है। ये खतरनाक गैसें मानव स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के कैंसर और अन्य श्वसन संबंधी विकार पैदा करती हैं। इसके अलावा, ओजोन परत को कम करने और मनुष्यों को पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में लाने से, वायु प्रदूषण ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को तेज करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।

जल प्रदूषण | जल प्रदूषण कारखानों से पानी में घुलनशील अकार्बनिक यौगिकों के निलंबन, अनुपचारित मानव और पशु अपशिष्टों को मीठे पानी में छोड़ने और नदी सिंचाई के दौरान उर्वरकों और कीटनाशकों को निकालने के कारण होता है। इससे पानी पीने के लिए असुरक्षित हो जाता है, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार और कैंसर हो सकता है।

मृदा प्रदूषण | मिट्टी में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से हानिकारक और अच्छे कीट मर जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फसलें कम पौष्टिक होती हैं। इसके अलावा, मिट्टी के संदूषण के कारण होने वाली रासायनिक-संक्रमित फसलों के लिए लंबे समय तक जोखिम स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। अत्यधिक वनों की कटाई और निर्माण से प्रेरित मिट्टी का कटाव बाढ़ की आवृत्ति को बढ़ाता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन को विनाशकारी क्षति होती है।

ध्वनि प्रदूषण | कारखानों और कारों से अत्यधिक शोर कान को शारीरिक नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अस्थायी या स्थायी सुनवाई हानि हो सकती है। ध्वनि प्रदूषण होमो सेपियन्स के मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है, तनाव, चिंता और जलन पैदा करता है, और इस तरह काम के प्रदर्शन को ख़राब करता है।

पर्यावरण संरक्षण के तरीके

इतिहास के माध्यम से पीछे मुड़कर देखने पर, हम देख सकते हैं कि हमारे पूर्वज आज की तुलना में पर्यावरण संरक्षण के प्रति अधिक चिंतित थे। इसे चिपको आंदोलन में सुंदरलाल बहुगुणा के योगदान में देखा जा सकता है, जिसने वन संसाधनों की रक्षा की। इसी तरह, मेधा पाटकर ने आदिवासियों के आवासों को प्रभावी ढंग से बचाया, जिन्हें नर्मदा नदी पर बांधों के निर्माण से भारी नुकसान पहुंचा था। इसी तरह, आज के युवा के रूप में, हम अपने प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण के लिए छोटे-छोटे उपाय कर सकते हैं:

छात्र जो पहल कर सकते हैं

  • गैर-नवीकरणीय संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से बचने के लिए, हमें कम करने, अर्थात कम करने, रीसायकल करने और पुन: उपयोग करने के सिद्धांत को बढ़ावा देना चाहिए और लागू करना चाहिए। धातु स्क्रैप, उदाहरण के लिए, नए धातु आइटम बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • ऊर्जा की बचत करने वाले ट्यूबलाइट और बल्ब का प्रयोग कर बिजली बचाएं।
  • जब भी संभव हो कागज और लकड़ी के उत्पादों के बजाय ई-पुस्तकों और ई-पेपर का उपयोग करें।
  • चलने, कारपूलिंग या सार्वजनिक परिवहन द्वारा जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर जूट/कपड़े के थैलों का प्रयोग करें।
  • रिचार्जेबल बैटरी या सौर पैनलों का उपयोग करें।
  • उर्वरकों की आवश्यकता को सीमित करने के लिए खाद बनाने के लिए कम्पोस्ट बिन की स्थापना करना।

सरकार ने प्रकृति और जानवरों की सुरक्षा के लिए कई परियोजनाएं तैयार की हैं और कानून बनाए हैं। सभी को आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण का संरक्षण करना जारी रखना चाहिए क्योंकि हम इसका लाभ उठा रहे हैं।

पर्यावरण बचाओ पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न निबंध (FAQs)

प्रश्न 1. स्वच्छ पर्यावरण क्या है.

उत्तर: एक स्वच्छ पर्यावरण की पहचान ताजी और स्वच्छ हवा, पानी और जमीन से होती है। यह कम प्रदूषण और बीमारियों को संदर्भित करता है।

प्रश्न 2. हम वायु प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?

उत्तर: ऑटोमोबाइल में ईंधन के रूप में बैटरी चालित कारों और प्राकृतिक गैस का उपयोग वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का सही तरीका है। हमें कचरे के दहन को रोकना चाहिए, जो वातावरण में बहुत अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ता है।

प्रश्न 3. जूट का क्या उपयोग है ?

उत्तर: जूट के थैले और वाहक आसान होते हैं क्योंकि वे प्लास्टिक की तरह प्रदूषण नहीं करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल हैं।

प्रश्न 4. सौर ऊर्जा क्या है ?

उत्तर: सौर ऊर्जा सूर्य द्वारा दी गई ऊर्जा है। हम सौर पैनलों का उपयोग करके सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं और इसका उपयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने आदि के लिए कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे Save Environment Essay & Slogans in Hindi

इस लेख में हमने पर्यावरण संरक्षण पर निबंध, बेहतरीन नारे (Save Environment Essay & Slogans in Hindi) प्रस्तुत किया है।

तो आईये शुरू करते हैं – पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे Save Environment Essay & Slogans in Hindi

Table of Content

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Save Environment Essay in Hindi

हमारे आस-पास का वो आवास पर्यावरण है जिसमे हम रहते है। इस प्राकृतिक आवास में उपस्थित प्राकृतिक घटक जो मनुष्यों और जानवरों के जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है। इन घटकों में मुख्य है हवा, पानी, मिट्टी तथा अन्य घटक भी शामिल है।

पर्यावरण संरक्षण क्या है? What is Save Environment in Hindi?

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है हमारे पर्यावरण को सुरक्षित करना यानी की पर्यावरण सुरक्षा। लेकिन हमारे द्वारा किये गए कई कारणों से हमारा पर्यावरण खराब हो रहा है।

न केवल मानव के लिए बल्कि अन्य जीवित प्राणियों के लिए भी पर्यावरण संरक्षण बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि यदि पर्यावरण सुरक्षित नही रहेगा, तो पृथ्वी पर भी जीवन की संभावना कम हो जायेगी। इसीलिए हमे अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Importance of Save Environment in Hindi

वैसे तो हम भोजन में दूध, अंडे, और सब्जियों के साथ अन्य चीजों का सेवन करते हैं लेकिन वे सभी भी जानवरों और पौधों से ही प्राप्त होते हैं। जो हमारे वातावरण के द्वारा ही हमें प्राप्त होता है।

पर्यावरण संरक्षण, इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों के जीवन तथा प्राकृतिक संसाधनों के लिए बहुत ही आवश्यक है। आज की इस आधुनिकता में प्रदूषण के कारण पृथ्वी दूषित हो रही है। इसके परिणाम स्वरूप एक समय ऐसा आयेगा जब पृथ्वी पर मानव का जीवन असंभव हो जायेगा।

इसके बाद सन 2002 में जोहान्सबर्ग में एक बार फिर ‘पृथ्वी सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। जिसमे विश्व के सभी देशों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने अपने सुझाव दिए।

पर्यावरण संरक्षण के कारण Why Should We Protect Our Environment?

1. प्रदूषण का बढ़ना increased pollution.

जिससे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , भूमि प्रदूषण जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है। प्रदूषण के कारण आज स्थिति इतनी गंभीर है कि लगभग 2 बिलियन लोगो के पास स्वच्छ पीने का पानी नही है। जो हमारे पर्यावरण के संकट का मुख्य कारण प्रदूषण है।

2. ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना Increased Global Warming

दोस्तों क्या आप सभी को पता भी है कि दिन प्रतिदिन ग्लोबल वार्मिंग (पढ़ें: ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध ) का खतरा धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है।

इसका मुख्य कारण है कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)। हमारे द्वारा उपयोग किये गए जीवाश्म ईंधनों से निकलने वाला कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) हमारे वातावरण में उपस्थित होता है जो पृथ्वी के तापमान में वृद्धि करता है।

जिसके फलस्वरूप ग्लेशियर पिघलने लगते है और समुद्र के जल का स्तर बढ़ जाता है। इसके फलस्वरूप जो शहर तट पर उपस्थित होते है उनके डूबने का खतरा बढ़ जाता है।

3. वनों की कटाई में बढौतरी Increasing cutting of Trees

वनों की कटाई (पढ़ें: वनोन्मूलन पर निबंध ) पर्यावरण के संकट का एक मुख्य कारण है। मानव अपनी आवश्यकताओं के अनुसार वनों की कटाई करते रहते है। इसके कारण जंगली जंतुओं और पक्षियों का आवास नष्ट हो रहा है।

इसके अलावा वनों की कटाई के कारण वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) और कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि पेड़ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) को ऑक्सीजन में बदलने का काम करते है।

4. जनसंख्या वृद्धि Population Growth

जिससे मनुष्य अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए पक्षियों और जानवरों का आश्रय नष्ट कर देता है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है। जो हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय How to Save Environment?

दोस्तों जिस तरह से हम रह रहे है, जिससे हमारा वातावरण तेजी से दूषित हो रहा है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक समय ऐसा भी आएगा। जब पृथ्वी पर भी जीवन असंभव हो जाएगा। इसके लिए हमें सही तरीके से पर्यावरण की देख-रेख करनी होगी और हमारे आने वाली नस्ल के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए सरकार के कदम Government Steps for Save Environment in India

हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये है। इसके साथ ही सरकार ने लोगो को जागरूक करने के लिए कई पहल भी किये है। जिनके बारे में जानकर सभी नागरिक पर्यावरण को बचाने के लिए सही कदम उठा सके। पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाये कदम इस प्रकार है:

1. स्वच्छ भारत अभियान Swachh Bharat Abhiyaan

पर्यावरण को बचाने के लिए भारत में सरकार द्वारा अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान है।

2. नदियों की सफाई Cleaning of Rivers

आपको बता दें कि हमारे पंद्रहवें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तीन दिन गंगा नदी की सफाई के अपने लक्ष्य को पूरा किया है।

पर्यावरण संरक्षण पर 10 नारे Slogans on Save Environment in Hindi

नीचे हमने पर्यावरण संरक्षण पर 10 बेहतरीन नारे दिए हैं जिन्हें आप विभिन्न कार्यक्रम और उत्सवों में उपयोग कर सकते हैं-

निष्कर्ष Conclusion

आज अगर हम पर्यावरण सुरक्षा पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाले समय में हम पृथ्वी के विनाश को रोक नहीं पाएंगे। हमें अपने पर्यावरण को बचाने की शुरुवात आज और इसी वक्त से शुरू कर देना चाहिए।

आशा करते हैं पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे (Save Environment Essay & Slogans in Hindi) पर यह लेख आपको पसंद आया होगा।

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दा इंडियन वायर

पर्यावरण बचाओ पर निबंध

save nature save life essay in hindi

By विकास सिंह

essay on save environment in hindi

लेकिन यहां तक कि महानगरीय शहरों से संबंधित लोगों को उनके भोजन, मछली, ईंधन की लकड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों से आपूर्ति किए गए चारे मिलते हैं, जो अंततः प्राकृतिक परिदृश्य से निकाले जाते हैं। इसलिए, प्राकृतिक संसाधनों पर हमारी निर्भरता ने हमें अपने प्राकृतिक पर्यावरण के विनाश और कमी को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने के लिए आवश्यक बना दिया है।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, short essay on save environment in hindi (200 शब्द)

एक भौगोलिक क्षेत्र या प्राकृतिक दुनिया जिसमें खनिज मिट्टी, हवा और पानी, जानवर आदि शामिल हैं, जो मानव गतिविधि से प्रभावित होता है, पर्यावरण के रूप में कहा जाता है। शहरीकरण और औद्योगीकरण की ओर होमो सेपियन्स के आंदोलन के साथ, जिसने चिकित्सा, औद्योगिक और सामाजिक क्षेत्र में विकास किया, प्राकृतिक परिदृश्य को कंक्रीट की इमारतों और सड़कों से बदल दिया गया।

हालाँकि, भोजन, पीने के लिए पानी और कृषि, ईंधन की लकड़ी, आदि के लिए इन प्राकृतिक परिदृश्यों पर हमारी निर्भरता अभी भी कायम है। प्रकृति पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक है कि हम इसके संसाधनों की रक्षा किए बिना नहीं रह सकते हैं।

इन प्राकृतिक संसाधनों को मोटे तौर पर नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय में वर्गीकृत किया जा सकता है। अक्षय संसाधन वे हैं जो प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित हो सकते हैं। इनमें जल, जंगल, फसल आदि शामिल हैं। इसके विपरीत, गैर-नवीकरणीय संसाधनों जैसे कि तेल और खनिजों की भरपाई नहीं की जा सकती है और वर्तमान परिदृश्य में बहुत तेज गति से खपत की जा रही है।

प्राकृतिक संसाधनों के सभी प्रकार के इस तेजी से ह्रास के लिए मुख्य कारक जनसंख्या वृद्धि और समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों की ओर से ‘उपभोक्तावाद’ है। इससे न केवल वन्यजीवों और पेड़ों का नुकसान हुआ है, बल्कि उन्होंने इको-सिस्टम को भी बाधित किया है। इस प्रकार, यह उच्च समय है कि हमें इन प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना बंद करना चाहिए और इसके बजाय उनका विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, essay on save environment in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

वायु, जल, सूर्य के प्रकाश इत्यादि सहित जीवों के सभी परिवेशों का कुल योग और जीव-जंतु जैसे जीव-जंतु, पौधे, मनुष्य आदि, जो विकास और विकास के लिए स्थायी स्थिति प्रदान करते हैं, पर्यावरण का निर्माण करते हैं।

हमारे पर्यावरण को बचाने का महत्व:

आज औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में, इस वातावरण में अच्छी तरह से पक्की सड़कें, बहु-मंजिला कंक्रीट की इमारतें और गगनचुंबी इमारतें शामिल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य बढ़ती आबादी को समायोजित करना और समाज के संपन्न वर्गों को विभिन्न विलासिता प्रदान करना है।

हालाँकि, इस आंदोलन के बावजूद प्रकृति से प्राप्त संसाधनों पर मनुष्यों की विश्वसनीयता अभी भी कायम है। हम सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और अन्य दैनिक कामों के लिए उपयोग करते हैं। यहां तक ​​कि हमारे द्वारा खाया जाने वाला भोजन भी सब्जियों, दूध, अंडे आदि से पौधों और जानवरों से प्राप्त किया जाता है। इन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, इन संसाधनों का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, जिन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:

नवीकरणीय संसाधन: जैसा कि शब्द से पता चलता है, अक्षय संसाधनों को प्राकृतिक रूप से वर्षा और पुन: विकास के माध्यम से नवीनीकृत किया जा सकता है। हालांकि, ये कम हो जाएंगे अगर इस तेज गति से उनकी खपत जारी रहती है, इससे पहले ही प्रकृति उन्हें बदल सकती है। उदाहरण के लिए, रबर, लकड़ी, ताजा पानी।

गैर-नवीकरणीय संसाधन: ये संसाधन मिट्टी के नीचे लाखों वर्षों की अवधि में बने हैं और इसलिए इन्हें दोबारा नहीं बनाया जा सकता है। एक बार उपयोग करने के बाद, जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला और तेल जैसे गैर-नवीकरणीय संसाधनों को नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

समय की जरूरत है कि संसाधनों के दुरुपयोग को रोका जाए और इसके बजाय उनका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए क्योंकि संसाधनों के इस तेजी से उपयोग के साथ धरती मां कायम नहीं रह सकती है। यह केवल ‘सतत विकास’ के माध्यम से संभव है। ‘ इसके अलावा, विनिर्माण इकाइयों द्वारा कचरे के रूप में त्यागने वाले ठोस और तरल उत्पादों को समान रूप से प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि प्रदूषण को रोका जा सके जिससे कैंसर और गैस्ट्रो-आंत्र रोग जैसे विभिन्न रोग हो सकते हैं। यह केवल तभी संभव है जब व्यक्तिगत आधार पर कदम उठाए जाएं, न कि पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, essay on save environment in hindi (400 शब्द)

समय की शुरुआत से, पर्यावरण ने हमें वनस्पतियों और जीवों के साथ संबंध स्थापित करने में मदद की है, और अंततः हमारे गठन और अस्तित्व को निर्धारित किया है। इसने हमें विभिन्न उपहार दिए हैं, उदा। पानी, सूरज की रोशनी, हवा, जीव और जीवाश्म ईंधन जिन्होंने हमारे ग्रह को रहने लायक बना दिया है।

पर्यावरण की रक्षा और बचत कैसे करें:

चूँकि ये संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, इसलिए इनका अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है और जनसंख्या में विस्फोट के कारण बहुत अधिक गति से उपभोग किया जा रहा है और समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों की शानदार माँगों को पूरा करने के लिए। इस प्रकार, सभी तरीकों से इन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना महत्वपूर्ण हो गया है। यहाँ कुछ तरीके हैं जिनसे प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग को संरक्षित किया जा सकता है:

खनिज और ऊर्जा संसाधन: कोयला, तेल और विभिन्न जीवाश्म ईंधन सहित विभिन्न खनिजों से निकाली गई ऊर्जा का बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन संयंत्रों में और वाहनों में भी उपयोग किया जाता है, जो वायु प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से योगदान करते हैं। उनके निष्कर्षण और खपत के कारण होने वाली वायु जनित बीमारियों को रोकने के लिए, सूर्य के प्रकाश, पवन और ज्वारीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

वन संसाधन: मिट्टी के क्षरण को रोकने में वन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सूखे के प्रभावों को भी कम करते हैं क्योंकि वे बारिश के पानी को जमीन से बहने से रोकते हैं। इसके अलावा, वे न केवल जलवायु परिस्थितियों को नियंत्रण में रखते हैं, बल्कि जीवित जीव के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर भी बनाए रखते हैं। इस प्रकार, वनों को संरक्षित करना और उनका विस्तार करना महत्वपूर्ण है, जो गैर-लकड़ी उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने, राज्यों की घूर्णी चराई योजनाओं को बढ़ावा देने और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अधिक पेड़ लगाने के लिए किया जा सकता है।

जल संसाधन: जलीय पारिस्थितिक तंत्र लोगों द्वारा उनके दैनिक कामों के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि पीने, खाना पकाने, धोने आदि और जल चक्र वाष्पीकरण और वर्षा के माध्यम से इसे बनाए रखता है। हालाँकि, ताजे पानी का अत्यधिक उपयोग मनुष्य द्वारा किया जा रहा है और वनों की कटाई (बाढ़) के कारण बर्बाद हो रहा है।

यह बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो रहा है। निकट भविष्य में जल संकट को रोकने के लिए, कई उपायों की आवश्यकता है, जिसमें मेगा परियोजनाओं के बजाय छोटे जलाशयों का निर्माण, ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देना, रिसाव को रोकना, नगरपालिका के कचरे का उपचार और पुनर्चक्रण करना शामिल है।

खाद्य संसाधन: हरित क्रांति के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न तकनीकों ने फसलों के उत्पादन को कम करके भुखमरी को कम करने में मदद की, जिससे वास्तविक रूप से मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आई। इस प्रकार, खाद्य उत्पादन के टिकाऊ तरीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है जिसमें अकार्बनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के विकल्प का उपयोग करना, खराब मिट्टी पर उगने वाली फसलों की खपत को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

इस प्रकार, यह केवल सतत विकास और उचित प्रबंधन के माध्यम से है कि हम व्यक्तियों के रूप में पर्यावरण की रक्षा और बचाने के लिए कदम उठा सकते हैं।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, essay on save environment in hindi (500 शब्द)

“इस धरती पर किसी भी पीढ़ी का राज नहीं है। हमारे पास एक जीवन किरायेदारी है – एक पूर्ण मरम्मत पट्टे के साथ। ”ये शब्द मार्गरेट थैचर द्वारा बहुत ही उपयुक्त रूप से उद्धृत किए गए हैं और प्राकृतिक वातावरण के साथ हमारे अस्थायी संबंध को परिभाषित करते हैं। विभिन्न उपहारों के बावजूद जो हमें हमारे जीवन को आसान बनाने के लिए प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए हैं और इस ग्रह को रहने लायक बनाया गया है, जैसे कि हवा, धूप, पानी, जानवर और खनिज, हमने अपने स्वयं के स्वार्थों के लिए उनका अत्यधिक शोषण किया है।

पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाने की जरूरत है:

बढ़ती आबादी के स्तर के कारण हमारी वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए, हम प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग किए बिना किसी भी जांच के लगातार बने रहे हैं। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए चिंतित नहीं हैं। इस प्रकार, समय की आवश्यकता है कि हम नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय दोनों प्रकार के संसाधनों का संरक्षण करें, जो प्रकृति द्वारा प्रदत्त हैं यदि हमें वास्तव में धरती माता को बचाने की आवश्यकता है।

पर्यावरण पर प्रदूषण का प्रभाव:

पिछले कुछ दशकों के दौरान, पर्यावरण को होने वाले दीर्घकालिक पारिस्थितिक नुकसान की कीमत पर अल्पकालिक लाभ प्राप्त करने के लिए जल, वायु और भूमि को दूषित किया गया है। इन अवांछनीय परिवर्तनों का न केवल पौधों और वन्यजीवों पर, बल्कि उन मनुष्यों पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ा है जिनकी चर्चा इस प्रकार की गई है:

वायु प्रदूषण: परिवहन प्रणाली के विकास और पेट्रोल और डीजल के बड़े पैमाने पर उपयोग ने हवा में अवांछनीय ठोस और गैसीय कणों के उत्पादन को तेज कर दिया है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन्स, सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और यहां तक ​​कि सीसा के स्तर में वृद्धि के साथ, अल्ट्रा वायलेट किरणों से सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ओजोन परत क्षीण होने लगी है। इससे तापमान में वृद्धि हुई है, जिसे आमतौर पर ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के रूप में जाना जाता है।

जल प्रदूषण: मानव और पशुओं के अपशिष्ट, अनुपचारित अकार्बनिक रसायन जैसे कि पारा और उद्योगों से निकलने वाले पानी के सस्पेंशन और ताजे पानी के तालाबों और नदियों में डिटर्जेंट और तेल सहित कार्बनिक रसायनों के निकास ने किसी भी उपयोग के लिए अपने पानी को अयोग्य बना दिया है। इससे जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, फसल की पैदावार में कमी आई है और इसने मानव और जानवरों दोनों के उपभोग के लिए पानी को असुरक्षित बना दिया है।

मृदा प्रदूषण: डीडीटी जैसे उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक छिड़काव के कारण, सिंचाई के पानी का उपयोग जो कि फसल की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से लवणों में अधिक होता है, लंबे समय तक रेंडर भूमि को बेकार कर देता है। यह मृदा प्रदूषण के रूप में जाना जाता है जो कि मानव गतिविधियों जैसे निर्माण, वनों की कटाई, आदि के कारण मृदा अपरदन से भी तेज होता है।

शोर प्रदूषण: भारत में दिवाली के दौरान वाहनों, कारखानों और विशेष रूप से पटाखे फोड़ने से होने वाला शोर ध्वनि प्रदूषण में योगदान देता है। यह जानवरों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है क्योंकि वे ऐसे शोरों के अनुकूल नहीं होते हैं और बदले में सुनवाई हानि से गुजरते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के संरक्षण के लिए पूरी तरह से योगदान करना चाहिए और प्रमुख रूप से स्वयं सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए। जाने या अनजाने में हम दैनिक आधार पर प्रदूषण की ओर योगदान करते हैं। इसलिए, प्रकृति के उपहारों के उपभोक्ता के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दें, रीसाइक्लिंग उत्पादों की प्रक्रिया में व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से भाग लें, बिजली और ताजे पानी जैसे संसाधनों की बर्बादी से बचें, आदि। छोटे कदम जो हम अपने बीमार ग्रह के स्वास्थ्य को प्रभावी ढंग से सुधार सकते हैं।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, long essay on save environment in hindi (600 शब्द)

प्राकृतिक वातावरण द्वारा प्रदान किए गए उपहार मानव जाति के साथ-साथ अन्य जीवों के लिए भी आनंदित हैं। वायु, सूर्य के प्रकाश, ताजे पानी, जीवाश्म ईंधन आदि सहित ये प्राकृतिक संसाधन इतने महत्वपूर्ण हैं कि इनके बिना जीवन कभी संभव नहीं हो सकता। हालांकि, बड़ी आबादी द्वारा भौतिक वस्तुओं के लालच में वृद्धि के साथ, इन संसाधनों का उपयोग और उनकी सीमाओं से परे दुरुपयोग किया जा रहा है। यह, ‘आर्थिक विकास’ के बजाय मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक साबित हो रहा है, जिसकी चर्चा नीचे की गई है।

पर्यावरण को बचाने के कारण:

प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग और अपव्यय के कारण प्रदूषण का वर्णन करने वाले बिंदु निम्नलिखित हैं और पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों के जीवन पर उनके प्रभाव, इस प्रकार हमें पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए:

वायु प्रदूषण: परिवहन के लिए पेट्रोल और डीजल के उपयोग में वृद्धि और ऊर्जा के उत्पादन के लिए उद्योगों में जीवाश्म ईंधन के जलने से वायु को प्रदूषित करने में एक भयानक योगदान होता है। इसके परिणामस्वरूप सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि के स्तर में वृद्धि होती है।

ये खतरनाक गैसें मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, जिससे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, फेफड़े का कैंसर और श्वसन संबंधी विभिन्न बीमारियां होती हैं। इसके अलावा, ओजोन परत के घटने का कारण मानव जाति को पराबैंगनी किरणों के प्रति संवेदनशील बनाना, वायु प्रदूषण न केवल ग्लोबल वार्मिंग ’को तेज करता है, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर करता है।

जल प्रदूषण: उद्योगों से पानी में घुलनशील अकार्बनिक रसायनों का निलंबन, ताजे पानी में अनुपचारित मानव और पशु अपशिष्टों को छोड़ना और नदियों में सिंचाई के दौरान उर्वरकों और कीटनाशकों के निकास से जल प्रदूषण होता है। यह न केवल पानी को पीने के लिए अयोग्य बनाता है, जैसे कि इसके सेवन से गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल रोग होते हैं, बल्कि कैंसर भी होता है। इसके अलावा, जलीय जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करके, जल प्रदूषण मछली को उपभोग के लिए अयोग्य बनाता है।

मृदा प्रदूषण: मिट्टी में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न केवल खराब, बल्कि अच्छे कीटों को भी मारता है, जिससे हमें कम पौष्टिक फसलें मिलती हैं। साथ ही, कई वर्षों में मिट्टी के प्रदूषण के कारण रासायनिक संक्रमित फसलों के संपर्क में आने से उत्परिवर्तन होता है, कैंसर पैदा होता है, आदि मृदा अपरदन, बाढ़ की आवृत्ति में अत्यधिक वनों की कटाई और निर्माण एड्स के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर मानव जीवन का विनाश होता है। पैमाने।

शोर प्रदूषण: कारखानों और वाहनों से निकलने वाले अत्यधिक शोर से कान को शारीरिक नुकसान हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अस्थायी या स्थायी सुनवाई हानि हो सकती है। होमो सेपियंस के बीच, ध्वनि प्रदूषण का मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन होता है, जिससे काम पर प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

पर्यावरण को बचाने के तरीके:

इतिहास के पन्नों पर विचार करते हुए, यह देखा जा सकता है कि हमारे पूर्वज हमारे पर्यावरण को बचाने के बारे में अधिक चिंतित थे, जैसे कि हम आज हैं। यह सुंदरलाल बहुगुणा के योगदान में देखा जा सकता है, जिन्होंने चिपको आंदोलन के माध्यम से वन संसाधनों की रक्षा की। इसी तरह, मेधा पाटकर ने आदिवासी लोगों के पर्यावरण को प्रभावी ढंग से बचाया, जो नर्मदा नदी पर बांधों के निर्माण के कारण नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ। आज के युवा के रूप में हम छोटे कदम उठा सकते हैं, इसी तरह हमारे प्राकृतिक पर्यावरण को बचाने के लिए:

  • हमें गैर-नवीकरणीय संसाधनों के अत्यधिक उपयोग को रोकने के लिए 3 आर की अवधारणा को लागू करना चाहिए, अर्थात् कम करना, पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए, धातु स्क्रैप का उपयोग नए धातु उत्पादों को बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • ऊर्जा कुशल ट्यूब लाइट और बल्ब का उपयोग करें जो ऊर्जा को बचाते हैं।
  • जहां भी संभव हो कागज और लकड़ी के उत्पादों का उपयोग कम करें और ई-बुक और ई-पेपर के लिए जाएं।
  • चलने या कार पूल या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों के बजाय जूट / कपड़े के थैलों का प्रयोग करें।
  • रिचार्जेबल बैटरी / सौर पैनल का उपयोग करें।
  • खाद के उपयोग को कम करने के लिए खाद का उत्पादन करने के लिए खाद बिन की स्थापना।

यद्यपि सरकार ने विभिन्न योजनाएँ बनाई हैं और प्रकृति और वन्य जीवन दोनों को बचाने के पक्ष में कानून स्थापित किए हैं। यह हमारी व्यक्तिगत पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है, क्योंकि हम लोग इसके लाभों का उपभोग कर रहे हैं। यह बहुत ही उचित रूप से लेस्टर ब्राउन के शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है, “हमें अपने पूर्वजों से यह धरती विरासत में नहीं मिली है: हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है”।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

Essay on Save Environment in Hindi: हम सभी पर्यावरण से घिरे हुए हैं। पेड़-पौधे, जीव जंतु, पंछी, नदी, पहाड़, पर्वत, झरने इत्यादि सभी पर्यावरण है। मनुष्य तथा सभी जीव जंतुओं का पर्यावरण से बहुत ही घनिष्ट संबंध है और हमेशा रहेगा। पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर ही मनुष्य इस धरती पर अपने अस्तित्व को बनाए रख सकता है।

पर्यावरण और प्रकृति की सुंदरता मनुष्य को हर्षोउल्लासित कर देती है, मनुष्य में उत्साह का संचार होता है। प्रकृति के बीच मनुष्य अपने आप को बहुत शांत और स्वस्थ अनुभव करता है। लेकिन दिन प्रतिदिन मनुष्य अपनी तरह तरह के गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे धीरे-धीरे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ते जा रहा है, जिसका बुरा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ रहा है।

यदि ऐसे ही चलता रहा तो वह समय दूर नहीं जब मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व इस धरती से खत्म हो जाएगा। जिस कारण अभी से ही हर मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय हो जाना चाहिए।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi)

यदि आप एक विद्यार्थी हैं तो निश्चित तौर पर आपके विद्यालय या कॉलेज में पर्यावरण के संरक्षण पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता होगा ताकि हर एक विद्यार्थी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सके। इसीलिए आज के इस लेख में हम 250, 300, 500 और 1200 शब्दों में निबंध लेकर आए हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 250 शब्द

यह सभी की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि देश में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण के प्रदूषण के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार होती जा रही है। पहले के जमाने में हमारी धरती पर अच्छा प्रदूषण मुक्त माहौल हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे आधुनिक तकनीकीओ का विकास हुआ, जनसंख्या बढ़ी, वैसे ही वनों का विनाश होने लगा। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, वाहन प्रदूषण, वायु मंडल में भी ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग इन सभी की वजह से हमारा वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है।

हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है। इस वजह से आज सभी का जीवन संकट में पड़ता जा रहा है। क्योंकि हमें ना खाने को अच्छा मिल पा रहा है और ना हम अच्छी शुद्ध हवा ले सकते हैं। चारों तरफ प्रदूषण की मात्रा इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि हर इंसान का सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हम सभी को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। बहुत अधिक संख्या में प्रयास करने होंगे।

हालांकि हमारी सरकार के द्वारा भी पर्यावरण को बचाने के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। लोग अधिक से अधिक संख्या में लोग पेड़ लगा रहे हैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमको सभी को एकजुट होकर इसका सोशल मीडिया के द्वारा प्रचार करना होगा। लोगों में हमारे पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने होगी ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक होकर पेड़ लगाएं तथा पर्यावरण को संरक्षित कर सके।

हमारे देश में जितने तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, आधुनिक साधनों का लोग प्रयोग किए जा रहे हैं, उनकी वजह से हमारा वातावरण बहुत नुकसान हो रहा है। इन सभी से चीजों के हानिकारक प्रयोग से बचने के लिए एकजुट होकर सबको हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 300 शब्द

पृथ्वी पर स्थित सभी जीव-जंतु, मनुष्य पर्यावरण से घिरे हुए हैं। हमारे आसपास मौजूद हरे भरे पेड़ पौधे, पंछियों की चहकान, नदियों की लहरों की कलरव करती आवाज, सुंदर सुंदर फूल, हर चीज हमें बहुत मनोरम एहसास दिलाता है। यह हर चीज पर्यावरण ही तो है। हमारे आसपास मौजूद जितनी भी चीजें है, सभी पर्यावरण संरचना में योगदान देता है। मनुष्य बिना पर्यावरण के लंबे समय तक जीवन नहीं जी सकता।

क्योंकि यदि एक व्यक्ति को बंद कमरे में हमेशा के लिए बंद कर दिया जाए और सारी सुख सुविधा दी जाए लेकिन उसे बाहर आने ना दिया जाए तो वह व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। क्योंकि धरती पर मौजूद हर मनुष्य हर और जीव जंतु इस पर्यावरण के साथ अपने आपको ढाल चुका है और अब बिना पर्यावरण के मनुष्य कहीं और नहीं रह सकता।

लेकिन अफसोस की बात है कि जिस पर्यावरण के बिना व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता, उस पर्यावरण के महत्व को ही मनुष्य समझ नहीं पा रहा है। आज मानव नए-नए आविष्कार कर रहा है, विज्ञान के दुनिया में खूब तरक्की कर रहा है। लेकिन मनुष्य के तरक्की का हर्जाना पर्यावरण को भुगतना पड़ रहा है। आज मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को काट रहा है, जानवरों की हत्या कर रहा है, पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।

मनुष्य के इन गतिविधियों के कारण दिन-प्रतिदिन मानव जाति विनाश की ओर आगे बढ़ रही हैं। यदि लंबे समय तक मनुष्य ऐसा करता ही रहा तो मनुष्य को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। धीरे-धीरे धरती से मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसीलिए आज ही हर एक मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक होना जरूरी है। हर एक मनुष्य को पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए अन्यथा यह पर्यावरण पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा और इसी के साथ मानव जाति भी खत्म हो जाएगी।

हालांकि पर्यावरण को लेकर हर देश चिंता में है, इसीलिए हर साल 5 जून को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़-चढ़कर लोग हिस्सा लेते हैं और पेड़ पौधों को लगाते हैं, पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करते हैं। लेकिन केवल एक ही दिन नहीं बल्कि हर दिन लोगों को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 500 शब्द

पर्यावरण से मनुष्य का रिश्ता मनुष्य जाति की उत्पत्ति से ही हो चुका है। क्योंकि पर्यावरण नहीं होता तो मनुष्य जाति यहां तक कि अन्य जीव-जंतुओं का भी अस्तित्व नहीं होता। जब से धरती पर जीव उत्पन्न हो गए हैं तब से ही प्रकृति से जीवों को जीने के लिए संसाधन प्राप्त हो रहे हैं। मनुष्य जीवन जीने के लिए प्रकृति का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग कर रहा है। प्रकृति ने मनुष्य को रहने के लिए आश्रय दिया है।

लेकिन शायद मनुष्य भूल चुका है। इसीलिए तो मनुष्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जैसे जैसे समय बीतता गया मनुष्य की जरूरते बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए मनुष्य पर्यावरण के प्रति निर्दय होने लगा। दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है, जिस कारण लोगों की आवश्यकता भी बढ़ रही है और इसी कारण मनुष्य कई प्रकार के जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मार रहा है, बढ़ती शहरीकरण के कारण पेड़ पौधों को काटा जा रहा है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

पर्यावरण जो ईश्वर के द्वारा बनाई गई है। पर्यावरण में मौजूद तरह-तरह के रंग-बिरंगे सुंदर फूल, पेड़-पौधों की हरियाली, पंछियों की चहकती आवाज और पर्यावरण के सुंदर नजारे हमारी आंखों को खूब लुभाते हैं और इन्हें देख मनुष्य का मन प्रफुल्लित हो जाता है। इन सुंदर दृश्य को देख मनुष्य चिंता मुक्त हो सकता है और अंदर ही अंदर वो खुशी महसूस करता है।

पर्यावरण में मौजूद जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पर्वत, नदियां सभी से मानव का संबंध है। पर्यावरण से ही तो मनुष्य को जीने के लिए सभी तरह के संसाधन प्राप्त होते हैं। इसीलिए प्राचीन काल से ही भारत में वृक्षों को संतान स्वरूप एवं नदियों को मां स्वरूप माना गया है।

प्राचीन काल के ऋषि मुनि भी प्रकृति की पूजा करते थे। क्योंकि वे जानते थे कि मनुष्य और पर्यावरण का नाता लंबे समय से है और हमेशा ही रहेगा। इन्हीं पर्यावरण के बदौलत मनुष्य इस धरती पर अपना जीवन यापन कर पाएगा, इसीलिए पर्यावर संरक्षण महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

  • यदि पर्यावरण को संरक्षित करना है तो सबसे पहले मनुष्य को पर्यावरण को प्रदूषित करने से रोकना होगा।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए फैक्ट्री और घरों से निकलने वाली गंदगी को नदियों और समुद्रों में निष्कासित करने से रोकना होगा। क्योंकि इन्हीं पानी को पीने से कई प्रकार के जीव जंतुओं की मौत हो जाती है। मनुष्य चाहे तो इन गंदे पानी को पेड़ पौधे और फसल उगाने में प्रयोग कर सकता है।
  • मनुष्य अपनी सुविधा के कारण कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान का इस्तेमाल करता है जैसे कि एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर इत्यादि जिनसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन निकलता है, जो पर्यावरण में तापमान को और भी ज्यादा बढ़ा रहा है और इस बढ़ते तापमान के कारण ध्रुव पर ग्लेशियर पिघल रहा है। इसलिए इन इलेक्ट्रॉनिक सामान के इस्तेमाल पर कटौती करना जरूरी है।
  • पर्यावरण को संरक्षित रखना है तो पेड़ पौधों के कटाई पर रोक लगाना जरूरी है और यदि मनुष्य पेड़ पौधों की कटाई करता है तो उसका दोगुना पेड़ पौधे भी उसको उगाना जरूरी है।

सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण में भूमिका

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस लिक दुर्घटना होने के बाद सरकार ने भी संसद में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सन 1986 में एक अधिनियम जारी किया, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं।

अब इस अधिनियम का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाना है। इसके अतिरिक्त विश्वभर में पर्यावरण सरंक्षण के लिए हर साल 5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर सके और खुद भी योगदान दे सके।

मनुष्य जिस घर में रहता है मनुष्य उस घर को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। क्योंकि वह उसका आश्रय है। ठीक उसी तरह पर्यावरण भी तो मनुष्य और सभी जीव-जंतुओं का आश्रय है। यदि पर्यावरण ना हो तो मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व भी ना होता। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना आप अपने आप और अपने घरों को सुरक्षित रखते हैं।

जिससे जीवन यापन के लिए सभी तरह की चीजें प्राप्त होती है, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। क्योंकि यदि वही चीजों को नुकसान पहुंचाएंगे तो फिर जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें कहां से प्राप्त होगी? और मनुष्य को जीवन जीने के लिए जितनी भी चीजें हैं सभी चीजें पर्यावरण से ही तो प्राप्त होती है। इसीलिए पर्यावरण का संरक्षण करना हर एक मानव की जिम्मेदारी है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (1200 शब्द)

पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत अत्यधिक जरूरी हो गया है, क्योंकि संपूर्ण मानव जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जब हमारा पर्यावरण सही नहीं रहेगा तो हमारा जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा, इसलिए पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत जरूरी है।

ऐसी चीजों का प्रयोग नहीं करना होगा, जिन से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे, तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इसके लिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में जागरूक करना होगा। नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को जागरूक कर हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे उसको संरक्षित कर पाएंगे।

पर्यावरण शब्द का अर्थ

यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पर+ आवरण। मतलब चारों तरफ से गिरा हुआ या ढका हुआ, उसको पर्यावरण कहते हैं। जिस तरह से पहले पृथ्वी हमारे चारों तरफ हरियाली से ढकी हुई रहती थी, बढ़ती जनसंख्या के कारण आज वनों से पेड़ पौधों से विहीन हो गई है।

पर्यावरण कैसे बनता है?

जिस वातावरण में हम रहते हैं, वहां पर पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य आदि प्रकृति के द्वारा प्रदान सभी चीजों से मिलकर हमारा पर्यावरण बनता है, इसीलिए हमारा बहुत गहरा रिश्ता होता है पर्यावरण के साथ में। प्रकृति और पर्यावरण का घनिष्ठ संबंध देख कर मन में बहुत उत्साह और प्रसन्नता का अनुभव याद दिलाता है।

पर्यावरण के संरक्षण की जरूरत

जिस प्रकार से मनुष्य प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई चीजों को नुकसान पहुंचाने लग रहा है, उससे मनुष्य जीवन बिल्कुल खतरे में पड़ चुका है। मनुष्य भूल चुका है कि जिस प्रकृति ने उसको आश्चर्य दिया जीवन दिया, वह उस प्रकृति को ही नुकसान पहुंचा रहा है।

जिस तेज गति से संसाधन बढ़ते जा रहे हैं, लोगों की आवश्यकता है, बढ़ती जा रही हैं, उसे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंच रहा है, आज मनुष्य को सबसे ज्यादा पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता पड़ गई है क्योंकि उसका खुद का जीवन संकट में आ गया है। दिन प्रतिदिन मनुष्य अपने स्वार्थ और अपने फायदे के लिए हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता जा रहा है।

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हम सभी का दायित्व

यह संपूर्ण विश्व के लोगों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हम को बहुत छोटी छोटी बात पर ध्यान देना होगा और हमारे पर्यावरण को उन हानिकारक चीजों से बचाना होगा, जिससे पर्यावरण हमारा प्रदूषित हो रहा है। यह हम सब को एकजुट जागरूक होकर करना होगा। जैसे लोग प्लास्टिक के थैलों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, पेट्रोल डीजल युक्त साधनों का प्रयोग कर रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, इन सभी चीजों को बंद करना होगा।

तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित संरक्षित रख पाएंगे। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं होता। इसके लिए सभी को जागरूक होकर एक साथ काम करना होगा। लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को समझाना होगा। यह हम सबका दायित्व है कि हम अपने पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखें।

पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भूमिका

संरक्षण के लिए सबसे अधिक लोगों की भूमिका होती है, क्योंकि हम खुद अपने पर्यावरण को संरक्षित रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। सबसे पहले हमें इको फ्रेंडली चीजों का निर्माण कर उनको उपयोग में लाना होगा, क्योंकि इको फ्रेंडली चीजें हमारे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है।

इसीलिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में इन चीजों का प्रयोग करने के लिए बताना होगा। इनके महत्व को समझाना होगा तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इको फ्रेंडली का मतलब यह होता है कि मनुष्य उन वस्तुओं का निर्माण करता है, जो हमारे पर्यावरण के अनुरूप हो हमारे पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान ना पहुंचाएं।

मनुष्य जीवन में पर्यावरण के संरक्षण का महत्व

आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से हमारे देश में पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। मनुष्य के साथ एक गहरा रिश्ता है, क्योंकि यह सभी हमें प्रकृति के द्वारा प्रधान हुए हैं। हम खुद भी प्रकृति की ही देन है।

हमारे देश में वृक्षों को संतान के स्वरूप नदियों को मां के समान माना गया है। हमारे देश में ऋषि-मुनियों को पहले से ही पता था कि मनुष्य का स्वभाव किस प्रकार से होता है। मनुष्य अपने स्वार्थ और लालच के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसीलिए मनुष्य ने प्रकृति के साथ भी अपने संबंधों को कभी विकसित नहीं किया।

हमारे पुराने ग्रंथों में भी कहा गया है कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण कितना जरूरी है। हमारे वेदों में भी कहा गया है:

ॐ पूर्णभदः पूर्णमीदम पूर्णातपुर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।

अर्थात हमारी प्रकृति से उतना ही ग्रहण करो जितना आवश्यक है, लेकिन अपनी जरूरतों के लिए अपनी प्रकृति को नुकसान बिल्कुल मत पहुंचाओ।

पर्यावरण के संरक्षण का उपाय

सबसे पहले हमें पर्यावरण के संरक्षण के लिए जनसंख्या की दृष्टि से वृद्धि हो रही है, उस पर रोक लगानी होगी। सरकार को इसके लिए सख्त कदम उठाने होंगे तभी यह काम आसान हो पाएगा और हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे।

फैक्ट्रियों बड़े-बड़े कारखाने के द्वारा निकला हुआ प्रदूषित जल सागरों नदियों में छोड़ा जा रहा है, जिससे जल प्रदूषित होता जा रहा है। उस जल का उपयोग खेती में पीने में भी किया जाता है। इस वजह से लोग बहुत बीमार हो जाते हैं, वह जल पीने योग्य नहीं होता उपजाऊ जमीन भी बंजर हो जाती है। इन सब पर रोक लगानी होगी। इस पानी को नदी और सागरों में छोड़ने के प्रयास नहीं करने होंगे।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने कई विषयों की भी शुरुआत की है, जिसमें स्वच्छ भारत अभियान नदियों की सफाई का कार्यक्रम प्रमुख रहे हैं। आज सरकार के द्वारा ही बहुत अच्छे अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे हमारा पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सके।

हमारी प्रकृति का संरक्षण करना उतना ही जरूरी होता है, जिस प्रकार हम अपने जीवन को सुरक्षित रखते हैं। हमारी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है कि हम अपने तरह ही अपने प्रकृति के जीवन को भी बचा है। क्योंकि जिस प्रकार से आज हमारी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, इसलिए हम लोगों को जागरूक होकर उसके संरक्षण की जरूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है और इसको सभी लोगों को एक साथ एकजुट होकर पूरा करना होगा, जितना अधिक हो सके। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा। इसके रोकने के पूरे प्रयास सभी को मिलकर करने होंगे तभी हम  पर्यावरण को सुरक्षित रख पाएंगे और खुद भी सुरक्षित रह सकेंगे।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF (Paryavaran Sanrakshan Essay in Hindi)

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Environment Conservation Essay in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध हिंदी में जानेगे.

हमारे चारों ओर के आवरण को वातावरण कहा जाता है प्रदूषण की समस्या के चलते आज पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता हैं. 

Environment Conservation Essay in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एनवायरमेंट एस्से शेयर कर रहे है.

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Environment Conservation Essay in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-

Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words

भारत में पर्यावरण  के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.

भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.

अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.

पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।

वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.

हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.

महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है.  पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.

वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है

जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.

भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.

Best Short Environment Conservation Essay in Hindi For Kids In 500 Words

प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.

इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.

वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.

वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.

फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.

वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.

पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.

युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.

वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi

प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.

प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण –   मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.

जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,

  • जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
  • वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
  • ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
  • मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
  • विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
  • खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.

प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.

किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.

जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.

उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.

यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

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Save environment essay in hindi पर्यावरण संरक्षण पर निबंध.

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Save Environment Essay in Hindi

Short Save Environment Essay in Hindi 250 Words

पर्यावरण वह है जो प्राकृतिक रूप से हमारे चारों तरफ है। हम चारो और पर्यावरण से घिरे हुए है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर है। पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव – जंतु और पेड़-पौधे भी पूरी तरह निर्भर है। बेहतर जिंदगी जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है। पर्यावरण हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध जल , शुद्ध वायु और शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है। शहरीकरण और आधुनिकरण पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण है। पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण ग्लोबल वार्मिंग की वैश्विक समस्या उत्पन्न हुई है। पेड़ पौधों की अंधाधुध कटाई भी पर्यावरण को बहुत प्रभावित करती है।

आज के इस आधुनिक युग में हम टेक्नोलॉजी टेक्नोलॉजी करते है और अपने पर्यावरण का खयाल रखना भूल चुके है। हमें टेक्नोलॉजी के साथ साथ पर्यावरण पर भी पूरा ध्यान रखना होगा। पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते है। पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमे ज्यादा से ज्यादा पेड़- पौधे लगाने चाहिए। प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना चाहिए। जितना हो सके वाहनों का कम प्रयोग करना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए भारत । में सरकार द्वारा अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान है। इस योजना का मकसद भारत को पूरी तरह से साफ सुथरा बनाना और हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखना है।

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save nature save life essay in hindi

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पर्यावरण बचाओ पर निबंध – Essay on Save the Environment in Hindi

save nature save life essay in hindi

पर्यावरण अर्थात् हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण, जिसमें हवा, पानी, मिट्टी, वनस्पति और वन्यजीव शामिल हैं। पर्यावरण एक ऐसा अतुल्य खजाना है जो न केवल हमारी जीवन जीने की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि हमें स्वच्छ और स्वस्थ रखता है। आज, हमारी तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उद्योगिकरण के कारण, पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यह निबंध पर्यावरण संरक्षण की महत्ता, उसके तरीकों और उसे बचाने के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डालेगा।

Table of Contents

पर्यावरण की महत्ता

प्राकृतिक साधनों का महत्व कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि वे ही हमारे स्वस्थ जीवन जीने की नींव होते हैं। स्वच्छ हवा हमें सांस लेने में मदद करती है, स्वच्छ पानी हमारे शरीर की जीवंतता को बनाए रखता है और स्वस्थ मिट्टी हमारे भोजन की सभी आवश्यकताओं को पूरा करती है।

पर्यावरण हमें जो मूल्यवान संसाधन प्रदान करता है, वे इस प्रकार हैं:

  • स्वच्छ हवा: पेड़-पौधों की सारी हरियाली हमें स्वच्छ हवा प्रदान करती है, जिससे हम स्वस्थ और रोगमुक्त जीवित रह सकते हैं।
  • स्वच्छ पानी: जल हमें न केवल पीने और खाना पकाने में मदद करता है, बल्कि कृषि और उद्योगों के लिए भी आवश्यक है।
  • मिट्टी: हमारी खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपजाऊ मिट्टी अत्यंत आवश्यक है।
  • जैव विविधता: वन्य जीवों और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियाँ हमारी पृथ्वी को खूबसूरत और संतुलित बनाए रखती हैं।

पर्यावरण की चुनौतियाँ

आज के समय में पर्यावरण को जिन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे इस प्रकार हैं:

1. वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण हवा में हानिकारक गैसों और कणों का बढ़ना है, जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके प्रमुख स्रोत वाहन, उद्योग, बिजली संयंत्र, और घरेलू ईंधन की जलती हैं।

2. जल प्रदूषण

जल प्रदूषण नदियों, झीलों और समुद्रों में हानिकारक पदार्थों का मिश्रण है, जो जलीय जीवन और मानव स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। रसायन, औद्योगिक कचरा और कचरे का अनियमित निस्तारण इसके प्रमुख कारण हैं।

3. भूमि क्षेत्र का ह्रास

जंगलों की अंधाधुंध कटाई, उपजाऊ भूमि का ह्रास और जल संसाधनों का अतिक्रमण यह संकेत देते हैं कि हम अपनी धरती के प्राकृतिक धरोहरों को नष्ट कर रहे हैं।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

इस संवेदनशील स्थिति में हम सभी का कर्तव्य है कि हम पर्यावरण संरक्षण के उपाय करें। निम्नलिखित उपाय अपनाकर हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं:

1. पेड़ लगाना

पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाकर हम पर्यावरण में संतुलन बनाए रख सकते हैं। पेड़ न केवल ऑक्सीजन छोड़ते हैं, बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड को भी अवशोषित करते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है।

2. ऊर्जा की बचत

बिजली और पानी की खपत को नियंत्रित करना, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग, जैसे कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि, पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

3. पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग)

प्लास्टिक, कागज और धातुओं को पुनर्चक्रण स्थानों पर भेजना न केवल कचरे की मात्रा को कम करता है, बल्कि नई वस्त्रों के उत्पादन में भी कमी लाता है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।

4. प्रदूषण नियंत्रण

वाहनों और उद्योगों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना, स्वच्छ ईंधन का उपयोग, और कचरे का सही तरीके से निपटारा करना प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।

5. जन-जागरूकता

लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है। सामाजिक माध्यमों, स्कूलों और सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से जन-जागरूकता फैलाना एक बड़ा प्रयास हो सकता है।

पर्यावरण संरक्षण में सरकार की भूमिका

सरकारों का भी पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने विभिन्न कानून और नीतियाँ बनाई हैं ताकि प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की जा सके। कुछ मुख्य प्रयास इस प्रकार हैं:

1. पर्यावरण कानून

विभिन्न देशों की सरकारें वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कठोर कानून बनाए हुए हैं, जो हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं।

2. प्रकृति संरक्षण क्षेत्र

संरक्षित वन क्षेत्र, जैव विविधता केंद्र और अन्य संरक्षित इलाकों का निर्माण प्रकृति के संरक्षण में अहम भूमिका निभाता है।

3. जन-जागरूकता अभियान

सरकारी संस्थाओं द्वारा लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे लोग पर्यावरण की सुरक्षा का महत्व समझ सकें।

पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा दायित्व है, जिसे हमें अद्वितीय उत्तरदायित्व के साथ निभाना चाहिए। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण छोड़ना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। यह समय की मांग है कि हम सभी व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के उपाय अपनाएं और प्रकृति के इस अमूल्य उपहार को संरक्षित रखें।

हमें यह याद रखना चाहिए कि विकास का वास्तविक अर्थ तब तक अधूरा है, जब तक कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित नहीं रखते। आइए हम संकल्प लें कि हम अपने दैनिक जीवन में ऐसे कदम उठाएंगे, जो हमारी धरती को एक बेहतर स्थान बनाएंगे।

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