मेरी अभिलाषा / मेरे जीवन का लक्ष्य – निबंध
मेरी अभिलाषा पर निबंध (My Ambition), मेरे जीवन का लक्ष्य, ध्येय पर निबंध (My Aim of Life)
मानव-जीवन का परम लक्ष्य है दूसरों को आनन्द प्रदान करना, विश्व का कल्याण करना तथा अपने हृदय सागर के अनमोल से अनमोल रत्न को दूसरों के हित के लिए लुटा देना। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया है कि मैं बड़ा होकर एक आदर्श अध्यापक बनूँ तथा समाज व देश का हित करूँ।
शिक्षक होना सचमुच बहुत बड़ी बात हुआ करती है। वह अपनी सुसाधित सशिक्षा के प्रकाश से अज्ञान के अन्धेरे को दूर कर आदमी को ज्ञान का प्रकाश प्रदान किया करता है। अध्यापक (शिक्षक) का पद वह गौरवपूर्ण पद है जिसको प्राप्त करना बड़ा कठिन है। इसको पाने के लिए मुझे कठिन परिश्रम करना होगा। इसके लिए मुझे सर्वप्रथम एक आदर्श विद्यार्थी बनना होगा। बड़े लगन तथा परिश्रम के साथ विद्याध्ययन करना होगा। मुझे किसी विषय में पारंगत होना होगा, उसके बिना मैं अपने कार्य के साथ न्याय नहीं कर सकता। मुझे एक आदर्श अध्यापक बनने के लिए तपस्वी के समान साधक, सैनिक के समान अनुशासन-प्रिय एवं पृथ्वी के समान धैर्यवान व सहनशील बनना होगा। ऐसा बनना ही मेरे जीवन की अभिलाषा भी है और लक्ष्य भी। इसके लिए मैं निरन्तर प्रयत्नशील हूँ।
अध्यापन कार्य एक पवित्र कार्य है। अध्यापक राष्ट्र-निर्माता है। वह अपनी सुकुमार मति से छात्रों का शिक्षा के द्वारा नवनिर्माण करता है, उन्हें एक नए सांचे में ढालता है। यद्यपि अध्यापक की दशा बहुत दयनीय है फिर भी वह इसकी परवाह किए बिना ही देश और समाज की सच्ची सेवा करता है। वह देश की निरक्षरता को दूर करता है। वह राष्ट्र के बच्चों को सुयोग्य नागरिक बनाता है। वह विद्यार्थियों के चरित्र का निर्माण करता है। इन गुणों को ध्यान में रखकर मैंने विचार किया है कि मैं एक अध्यापक बनू तथा अपने देश व समाज की सेवा करूँ।
अध्यापक बन कर लोगों को हर प्रकार से योग्य, समझदार तथा कार्य-निपुण बनाने का प्रयत्न करूंगा। उनको जीवन में जीने की नई दृष्टि और उत्साह दूंगा। मेरा विश्वास है कि विद्या धन ही सर्वोत्तम धन है और विद्यादान ही सबसे बड़ा दान है। मेरा उद्देश्य (ध्येय) तभी सफल होगा जब मैं अपने कार्य में सफल होऊँगा। मुझे अति प्रसन्नता तो तब होगी जब मेरे पढ़ाए हुए विद्यार्थी कुशल डॉक्टर, सफल इंजीनियर, उच्चाधिकारी और देश के आदर्श नेता बन पाएँगे।
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I want essay On engineer अभिलाषा
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Essay on My Ambition in Hindi – मेरे जीवन का उद्देश्य पर निबंध
Essay on My Ambition in Life in Hindi – मेरे जीवन का उद्देश्य पर निबंध
बड़े होने पर लगभग हर किसी का सपना होता है। जब हम छोटे होते हैं, तो हम सभी की महत्वाकांक्षाएं होती हैं, जो बड़े होते ही बदल जाती हैं। महत्वाकांक्षाएं हमें जीवन में एक निश्चित उद्देश्य तक ले जाती हैं। इसके अलावा, वे हमारे लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में हमारी मदद करते हैं, चाहे कोई भी कीमत क्यों न हो। यह हमें जीवन में बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। महत्वाकांक्षाएं एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती हैं।
हालाँकि, एक आम बात यह है कि आमतौर पर समय के साथ लोग अपनी महत्वाकांक्षा को किसी और चीज़ से बदल देते हैं, जिसकी वे बहुत कम होने की कामना करते हैं। हमारे पास चिकित्सा क्षेत्र के कई लोग हैं जो नर्तक बनना चाहते थे। इसी तरह, कुछ महान राजनेता कलाकार बनना चाहते थे। इसलिए हम देखते हैं कि समाज के अनुकूल होने के लिए कोई अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं को कितनी आसानी से छोड़ देता है।
Essay on My Ambition in Hindi – मेरी महत्वाकांक्षा
किसी भी व्यक्ति के जीवन की महत्वाकांक्षा आमतौर पर उनकी पसंद और हितों पर निर्भर करती है। मैं एक बेहतरीन डांसर बनने की ख्वाहिश रखती हूं । मुझे हमेशा कम उम्र से नृत्य करने की आदत है। मेरे माता-पिता ने मुझे अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। अधिकांश माता-पिता की तरह, उन्होंने मुझे कभी हतोत्साहित नहीं किया क्योंकि यह करियर की सबसे अधिक मांग नहीं है।
इसके बाद, मैं एक अच्छा डांसर बनना चाहता हूं। मुझे नर्तकी होने की प्रसिद्धि नहीं चाहिए; बल्कि मैं एक अच्छा डांसर होने की प्रशंसा चाहता हूं। जैसा कि मेरे माता-पिता ने मुझे अपने सपने को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने मुझे नृत्य कक्षाओं में दाखिला दिया। इसने मुझे एक डांसर के रूप में विकसित होने में मदद की और अपने कौशल को भी बढ़ाया।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं नृत्य करना चाहता हूं क्योंकि मैं इस करियर की राह पर चल रहे कलंक को दूर करना चाहता हूं। मैं एक उदाहरण सेट करना चाहता हूं कि आप जीवन में अच्छा कर सकते हैं यदि आप डॉक्टर या इंजीनियर नहीं हैं। विशेष रूप से भारत में, जहां इन दो महत्वाकांक्षाओं को सबसे अधिक वैध माना जाता है।
मैं नृत्य की शक्ति में विश्वास करता हूं, और यह शब्दों के बिना संदेश को कैसे प्रकट करता है। नृत्य आत्मा की भाषा है, और जब मैं इसमें लिप्त होता हूं तो यह मुझे जीवंत महसूस कराता है।
मैं इस महत्वाकांक्षा को क्यों चुना?
एक महत्वाकांक्षा के रूप में एक नर्तकी का चयन करना अजीब लगता है, खासकर जब हर कोई वकील , डॉक्टर या इंजीनियर बनने की दौड़ में है । लेकिन, मुझे अभी भी विश्वास है कि सिर्फ इसलिए कि कुछ सामान्य नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसे प्राप्त नहीं कर सकते।
सबसे महत्वपूर्ण बात, मैं आकांक्षी नर्तकों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने के लिए एक महान नर्तकी बनने की आकांक्षा रखता हूं। वित्तीय आकांक्षा या सामाजिक कलंक की कमी के कारण ये इच्छुक बच्चे नृत्य को आगे बढ़ाने से हतोत्साहित होते हैं। हालांकि, मैं इसे बदलना चाहता हूं।
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मैं नृत्य करना चाहता हूं ताकि मैं दूसरों को इस क्षेत्र में विशेषज्ञ बनने के लिए सिखा सकूं। इसके अलावा, मैं वंचित वर्ग की मदद करना चाहता हूं जो इस महत्वाकांक्षा में रुचि रखते हैं। मैं एक ऊँचाई तक पहुँचना चाहता हूँ जो मुझे उन्हें उचित नृत्य प्रशिक्षण प्रदान करने में सक्षम बनाता है ताकि वे महान ऊंचाइयों तक पहुँच सकें।
इन सबसे ऊपर, मैं उनके पंखों के नीचे हवा बनना चाहता हूं। मैं नृत्य के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना चाहता हूं और यह हमें शारीरिक रूप से भी लाभ पहुंचाता है। मुझे उम्मीद है कि मैं किसी दिन मेरी इस महत्वाकांक्षा को प्राप्त कर सकता हूं। तब तक, मैं फिनिश लाइन तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।
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मेरी महत्वाकांक्षा पर निबंध
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रूपरेखा : परिचय - मेरा बचपन - व्यवसाय का चुनाव - पसंदगी का कारण - मेरा जीवन का लक्ष्य - मैं डॉक्टर बनकर क्या करूँगा - लाभ - उपसंहार।
इस संसार में मनुष्य का महत्वकांक्षी होना एक स्वभाविक गुण होता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ विशेष प्राप्त करने की इच्छा रखता है वैसे ही मुझे भी अपने जीवन में उचित शिक्षा प्राप्त कर के भविष्य में एक बड़ा पद पर कार्य कर के लोगो की सेवा करने की इच्छा है। मनुष्य अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करता है। कल्पना तो सबके पास होती हैं लेकिन कल्पना को साकार करने की शक्ति और लगन केवल कुछ लोग ही पूरा कर पाते है।
बचपन ही मानव-जीवन का स्वर्णिम काल होता है। चिंता रहित जीवन, स्वतंत्र जीवन, एवं भयविहीन कहीं भी घूमना फिरना, जो हाथ में आया खा लिया, अँगूठा चूसने में मधु का आनंद आना और दूध के कुल्ले पर किलकारी भरने में उल्लास की अनुभूति, रोकर-मचलकर, बड़े-बड़े मोती आँखों से बहाकर माँ को बुलाना एवं झाड़ पोंछकर हृदय से चिपका लेना, आदि कई ऐसे स्मृतियाँ है।
मेरा बचपन उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव देवरिया में बीता हैं। मेरे गाँव की सुंदरता का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता। मेरे गाँव में चारों और वृक्ष की हरयाली नजर आती है। गाँव में एक विशाल तालाब देखने को मिलता है। गाँव में आधा प्रतिशत जमीन खेतो से ढका रहता है जहाँ अन्य का खजाना उगता है। गाँव के नदी का तो कोई जवाब नहीं जहाँ की पानी की पवित्रता वहा के लोगों को लम्बी आयु प्रदान करती है। मेरे परिवार में माँ, पिताजी, दादाजी, और एक बड़ा भाई है । पिताजी देश की मायानगरी मुंबई में अध्यापक है। बाबा (दादाजी ) गाँव के एकमात्र सलाहकार है। मेरा परिवार बड़ा ही सरल है और उतना ही सरल हमारा जीवन है।
भविष्य में मैं क्या बनूँगा, इसका विचार मैंने अभी से कर लिया है। जी हाँ, अपना व्यवसाय मैंने अभी से चुन लिया है। मेरी महत्त्वाकांक्षा डॉक्टरी शिक्षा प्राप्त कर एक कुशल डॉक्टर बनने की है। डॉक्टर समाज का सबसे बड़ा सेवक होता है। वह बीमार लोगों को नई जिंदगी देता है। मैं चाहता हूँ कि मैं भी डॉक्टर बनकर अपने समाज और देश की सेवा करूँ।
आज हमारे देश में हैजा, मलेरिया, चेचक जैसे रोग तो कम हो गए हैं, लेकिन दूसरी अनेक बीमारियों ने सिर उठा लिया है। खाँसी, सर्दी, बुखार, सिरदर्द आदि रोगों के कारण असंख्य लोग परेशान रहते हैं। टी. बी., टाइफॉइड, डायबिटीज़ और ब्लडप्रेशर जैसी जानलेवा बीमारियों का प्रसार बढ़ गया है। देश का गरीब वर्ग इन बीमारियों से परेशान हो रहा है। मैं चाहता हूँ कि मैं डॉक्टर बनकर ऐसे मरीजों का इलाज करूँ और उन्हें रोगमुक्त करूँ। इस तरह मैं डॉक्टर बनकर जनसेवा का सुनहरा अवसर प्राप्त करूँगा।
मैं अक्सर अपने दोस्तों को बात करते हुए सुनता हूँ की वे क्या बनना चाहते हैं लेकिन मैंने तो पहले से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। मेरा जीवन में एक ही लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा। मैं डॉक्टर बनकर देश और समाज की रोगों से रक्षा करूंगा।
कुछ विद्यार्थी डॉक्टर इसलिए बनना चाहते हैं जिससे वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें लेकिन मेरा उद्देश्य यह नहीं है। मैं डॉक्टर बनकर गरीबों और पीड़ितों की सेवा करना चाहता हूँ। कुछ लोग अपने उद्देश्य को पाकर भी गलत रास्ते पर चल देते हैं वे अपने कर्तव्य को अच्छी तरह नहीं निभाते हैं। मैं अपने लक्ष्य पर पहुंचने के बाद अपने कर्तव्य से नहीं भटकूँगा। मैं ऐसा चिकित्सा ज्ञान प्राप्त करना चाहता जिसे लोग पैसा के अभाव की वजह से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। मैं डॉक्टर इसलिए बनना चाहता हूँ जिससे मैं गरीब लोगों की रोगों से रक्षा कर सकूं।
मैं उन्हें स्वस्थ रहने के लिए अनेक प्रकार के तरीके बताऊंगा जैसे-वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, स्वास्थ्य और संतुलित भोजन के महत्व को समझें, किस प्रकार रोगों से खुद की रक्षा करें इन सब में मैं अपना पूरा योगदान दूंगा। मैं डॉक्टर बनकर अपने देश और समाज की सेवा करना चाहता हूँ। आज देश में कोरोना महामारी फैला हुआ है। कोरोना वायरस के वजह से हजारों लोग दिन-प्रतिदिन मर रहे है। कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है। मैं बड़ा होकर डॉक्टर बन के ऐसी महामारी से देश के नागरिक को बचाऊँगा। अपनी हर संभव प्रयास कर के अधिक से अधिक लोगों को बचाने का कार्य करूँगा ताकि सभी लोग जल्दी से ठीक होके अपने परिवार के साथ रह सके।
आज हमारे गाँवों को डॉक्टरों की बहुत आवश्यकता है। आज के नए डॉक्टर अक्सर शहरों में ही रहना पसंद करते हैं, लेकिन मैं तो गरीबों की सेवा करना चाहता हूँ। अत: गाँव का डॉक्टर बनने में मुझे जरा भी हिचकिचाहट न होगी। मैं अपने इलाज से गाँव के लोगों का दुःख दूर करूँगा। लोग मेरे पास रोते-कराहते आएँगे और हँसते मुस्कराते हुए जाएँगे। उनकी उस खुशी में ही मुझे अपनी खुशी मिल जाएगी।
आर्थिक दृष्टि से भी डॉक्टर का व्यवसाय लाभदायक है। लेकिन केवल पैसे कमाना ही मेरा उद्देश्य नहीं होगा। मेरे लिए डॉक्टर बनना दीनबंधु बनने का अवसर है। मैं यह कभी नहीं भूलूँगा कि डॉक्टरी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें धनलाभ के साथ साथ जनसेवा का आनंद भी मिलता है। इसलिए एक आदर्श डॉक्टर की तरह मैं ग्रामीणों को स्वास्थ्य-लाभ कराना अपना पहला कर्तव्य मानूँगा।
मेरी यह इच्छा है कि मैं अपने लक्ष्य को जल्द-से-जल्द सफलता पूर्वक पूरा करूं। मैं इस काम को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ समाज शिक्षक का भी सहयोग लूँगा। मुझे पता है कि यह काम इतना आसान नहीं है लेकिन मेरे दृढ निश्चय और संकल्प से सभी काम संभव हो सकते हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वे मेरी लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करें। मुझे विश्वास है कि मेरे डॉक्टर बनने के लक्ष्य में मेरे गुरुजन, सहपाठी और मेरे माता-पिता मेरा साथ जरुर देंगे। मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन-से-कठिन परिश्रम करूंगा और एक दिन में अपने लक्ष्य को पूरा कर के अपने परिवार, समाज और देश का नाम ऊँचा करूँगा। सचमुच, डॉक्टर बनना मेरे लिए बड़े गौरव और आनंद की बात होगी।
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